G News 24 : विश्व के सबसे सफल डिप्लोमेट,हनुमान जी के अवतरण दिवस की,सभी को हार्दिक शुभकामनाएं...

 गंभीर चिंतक, महान कूटनीतिज्ञ, महाबुद्धिशाली और महान पराक्रमी ...

विश्व के सबसे सफल डिप्लोमेट,हनुमान जी के अवतरण दिवस की,सभी को हार्दिक शुभकामनाएं...


पौराणिक ग्रंथों में हनुमान जी को प्रेम, करुणा, भक्ति, शक्ति और ज्ञान का प्रतीक बताया गया हैं. जनमानस में धारणा प्रबल है कि हनुमान जी पूजा से जीवन की सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं. अंजना और केसरी के पुत्र हनुमान को पवनपुत्र भी कहा जाता है. ये वायुदेव के रक्षक और सूर्य नारायण के शिष्य हैं. सूर्य देव से ही इन्हें वेदकोश, धनुर्वेद, गंधर्व विद्या, नीति, न्याय, प्रबंध और राजनीति की शिक्षा मिली.

हनुमान को क्यों कहा जाता दुनिया का सबसे सफल डिप्लोमेट !

चैत्र पूर्णिमा के दिन मंगलवार, 23 अप्रैल को हनुमान जयंती यानी हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा. भगवान हनुमान रामायण के प्रचलित पात्रों में एक हैं. इन्हें कलियुग का जागृत यानी जीवित देवता कहा जाता है. इसलिए ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी आज भी धरती पर विराजमान हैं. क्योंकि इन्हें अमरता का वरदान प्राप्त है. 

डिप्लोमेट यानी कूटनीतिज्ञ का काम है !

कूटनीतिज्ञ रिश्तों को बनाने और बनाए रखने के लिए चातुर्य और आपसी सम्मान का उपयोग करके बातचीत की कला और अभ्यास है. हालांकि कूटनीतिज्ञ की परिभाषा में अंतर हो सकता है. लेकिन सामान्य तौर पर कूटनीतिज्ञ बातचीत प्रणाली में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना और संघर्षों व विवादों को हल करने के उद्देश्य से किया गया संचार, बातचीत की प्रक्रिया और अभ्यास है.

हनुमान जी हैं महान कूटनीतिज्ञ !

  • भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी भगवान श्रीकृष्ण और हनुमान जी को विश्व का सबसे महान कूटनीतिज्ञ मानते हैं. इनके अनुसार, हनुमान जी तो कूटनीति को भी पार कर गए थे. 
  • वो लंका गए और वहां उन्होंने माता सीता से संपर्क किया. लंका में आग भी लगाई. एस. जयशंकर ने कूटनीतिज्ञ को परिभाषित करते हुए कहा था कि, कूटनीति के दृष्टिकोण से हमें श्रीकृष्णजी और हनुमानजी की ओर देखना चाहिए तब जाकर उनकी महानता का पता चलेगा.
  • ‘हनुमानजी को कौन सा कार्य सोंपा गया था?’, ‘वह कार्य हनुमान जी ने किस प्रकार पूरा किया?’, अपनी बुद्धीमत्ता का परिचय देते हुए वे इतने आगे निकल गए कि, उन्होंने कार्य तो पूरा किया ही, साथ ही आगे जाकर लंका भी जलाई .

हनुमान जी में थे ये कूटनीतिज्ञ गुण

  • वफादारी - सूर्य देव से वेदकोश, धनुर्वेद, गंधर्व विद्या, नीति, न्याय, प्रबंध और राजनीति की शिक्षा प्राप्त करने के बाद हनुमान किष्किंधा नरेश वानरराज सुग्रीव के दरबार के मंत्री बने. मंत्री पद में वफादारी की विशेष जरूरत होती है, जिसेस राजा और राज्य की रक्षा हो. जब सुग्रीव को वालि ने गद्दी से उतारा तो वे ऋष्यमूक पहाड़ी पर चले गए. इसके बाद हनुमान ने कठिन परिस्थिति में सुग्रीव को वालि के हमलों से बचाया.
  • जासूसी व चतुराई - सुग्रीव ने जब हनुमान को राम और लक्ष्मण के ऋष्यमूक पर्वत पर जाने का कारण पूछने के लिए भेजा तो वे अपना भेष बदलकर वहां गए. इससे हनुमानजी की जासूसी क्षमता की झलक मिलती है. हनुमान जी ने शांत, संयमित और बड़े ही चतुराई से राम-लक्ष्मण से बात कर उनकी प्रशंसा की. जब उन्होंने राम और लक्ष्मण के मन को पढ़ लिया तब जाकर उन्होंने अपनी पहचान और उद्देश्य को उजागर किया. हनुमान की बातें सुनकर रामजी ने उनकी प्रशंसा की और ऋष्यमूक जाने का कारण भी बताया. इस तरह से हनुमान जी ने अपनी कूटनीतिज्ञ कुशलता का परियच दिया.
  • इसके बाद हनुमान राम को ऋष्यमूक पहाड़ी पर सुग्रीव के गुफा ले गए और इसी स्थान पर राम और सुग्रीव मित्र व सहयोगी बने. इससे हमें यह सीख मिलती है कि भले ही दो सहयोगियों का लक्ष्य समान न हों फिर भी यह जरूरी है कि दोनों अपने-अपने लक्ष्यों को पूरा करने में एक-दूसरे की सहायता करें. जैसा कि हनुमान जी के कारण राम और सुग्रीव के बीच संभव हो पाया.

जब लंका में रामदूत बनें हनुमान

सुग्रीव और राम दोनों कुछ ही समय में हनुमान की क्षमता, कौशल और गुणों को जान चुके थे. इसलिए उन्होंने हनुमान को माता सीता की खोज के लिए दक्षिण की ओर भेजा.मार्ग में कई चुनौतियां आईं, जिसे पार करते हुए हनुमान ने यात्रा जारी रखी और लंका पहुंच गए. उन्होंने यहां सभी चीजों का बारीकी से अवलोकन किया और अशोक वाटिका के पास पहुंच गए, जहां माता सीता थीं. माता सीता से मिलकर हनुमान ने उन्हें रामजी का संदेश दिया.लंका में रावण हनुमान जी को पकड़कर उसे मृत्युदंड देना चाहता था. लेकिन विभीषण और कुंभकर्ण ने हनुमान को अन्य प्रकार से दंडित करने का सुझाव दिया. हनुमान जी ने इस अवसर का लाभ उठाया और पूरी लंका ही जला डाली.

राम दुआरे तुम रखवारे,

होत न आज्ञा बिनु पैसारे।

ज्ञान और गुण के सागर में हनुमान का बहुत महत्व और प्रताप है, जो राम के मन में बसते हैं और उनके द्वार पर द्वारपाल की तरह विराजमान हैं. यानी रामजी के द्वार पर हनुमान का पहरा है. हनुमान जी वहां के रखवाले हैं. इनकी आज्ञा और अनुमति के बिना कोई प्रवेश नहीं कर सकता है. तभी तो अपने प्रिय हनुमान के लिए, श्रीमद्वाल्मीकि रामायण किष्किन्धा कांड के श्लोक में राम जी हनुमान की इस प्रकार से स्तुति करते हैं-

सचिवोऽयं कपिन्द्रस्य सुग्रीवस्य महात्मनः।

तमेव काङ्क्षमंस्य ममन्तिकमुपागतः4.3.26।।

यहां वानरों के महान सरदार सुग्रीव के मंत्री हैं, जिन्हें मैं देखना चाहता हूं.

तमभ्यभाषमित्रे सौग्रीव सचिवं कपिम्।

वाक्यज्ञं मधुर्वाक्यैस्नेहयुक्तमरिन्दम।।4.3.27।।

हे सौमित्री, शत्रुओं को जीतने वाला यह वानर, सुग्रीव का मंत्री, मैत्रीपूर्ण संचार में कुशल है. उसे सौम्य और मधुर शब्दों में उत्तर दें.

नानृग्वेदविनीतस्य नायजुर्वेदधारिणः।

नासामवेदविदुषश्च्यमेवं विभाषितुम्4.3.28।।

जब तक ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में पारंगत न हो, निश्चित रूप से किसी के लिए भी इतनी अच्छी तरह से बोलना संभव नहीं है.

नूनं व्याकरणं कृत्स्नमनेन बहुधा श्रुतम्।

बहु व्याहर्ताऽनेन न किञ्चिदपशब्दितम्4.3.29।।

निश्चित रूप से ऐसा लगता है कि उन्होंने पूरे व्याकरण का अच्छी तरह से अध्ययन किया है, क्योंकि उनके पूरे भाषण में एक भी गलत उच्चारण नहीं है.

न मुखे उत्सवयोर्वपि ललते च भ्रुवोस्तथा।

अन्येष्वपि च गत्रेषु दोषसंविदितः क्वचित्4.3.30।।

उसके चेहरे, आंखों, माथे, भौंहों के बीच या उसके शरीर के किसी भी हिस्से में कोई दोष नहीं.

अविस्त्रमसन्दिग्धमविलम्बितमद्रुतम्।

उर्स्थं कण्ठगं वाक्यं वर्तते मध्यमे स्वरे4.3.31।।

उनके वाक्य बहुत विस्तृत नहीं हैं, अस्पष्ट नहीं हैं, खींचने वाले नहीं हैं, तेज़ नहीं हैं, छाती या गले में उभरे हुए हैं, मध्यम स्वर में हैं.

संस्कारक्रमसम्पन्नामद्रुतमविलम्बिताम्।

उच्चार्यति कल्याणीं वाचं हृदयहारिणीम्4.3.32।।

उनकी बातें शुभ हैं. वे परिष्कृत हैं. न तेज, न धीमी, उनकी बातें दिल को मोह लेती है.

अन्या चित्रया वाचा त्रिस्थानव्यंजनस्थया।

कस्य नाराध्यते चित्तमुद्यतासेरेरपि4.3.33।।

उनके रंगीन शब्द तीनों स्रोतों से प्रवाहित होते हैं. उनकी छाती के नीचे से, उनके गले से और उनके सिर से. यदि कोई शत्रु ही हो जिसके हाथ में तलवार हो तो भी किसका मन उनकी पूजा नहीं करेगा?

एवं विदो यस्य दूतो न भवेत्पार्थिवस्य तु।

सिद्धयन्ति हि कथं तस्य कार्याणां गतियोऽनघ4.3.34।।

हे निष्पाप, कोई राजा, चाहे वह कोई भी हो, ऐसे राजदूत के साथ अतीत में अपना लक्ष्य कैसे पूरा नहीं कर सकता?

एवं गुणगणैर्युक्ता यस्य सयुः कार्यसाधकः।

तस्य सिध्यन्ति सर्वार्थ दूतवाक्यप्रचोदिताः4.3.35।।

जिसके पास अपने दूत जैसे महान गुणों वाले महान कार्यपालक हों, वह अपने कूटनीतिक कौशल से प्रेरित होकर अपने सभी लक्ष्य पूरे कर सकता है.

हनुमान जी को अमरता के साथ इन्हें अलग-अलग देवी-देवताओं से कई वरदान मिलें। 

  • सीता से मिला वरदान - माता सीता से हनुमान जी को अमरत्व का वरदान मिला. जब माता सीता की खोज में हनुमान जी अशोक वाटिका पहुंचे तो इन्हें माता सीता ने अमरत्व का वरदान देते हुए कहा कि वे युगों-युगों तक रामभक्तों की रक्षा करते रहेंगे.
  • सूर्य से मिला वरदान- हनुमान को सूर्यदेव से तेज का प्राप्त हुआ. पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्यदेव ने हनुमानजी को अपना सौवां अंश वरदान दिया.
  • कुबेर से मिला वरदान - कुबेर देवता से ही हनुमान को गदा प्राप्त हुई है. गदा के साथ ही उन्होंने हनुमान को यह वरदान भी दिया कि, युद्ध में उन्हें कोई परास्त नहीं कर पाएगा.
  • यमराज से मिला वरदान - यमराज से हनुमान जी को यह वरदान मिला कि, वो कभी भी उनके पास नहीं जाएंगे. क्योंकि उन्हें अमरत्व का वरदान पहले ही मिला है.
  • शिव से मिला वरदान - हनुमान जी को शिव का 11वां रुद्रावतार कहा जाता है. शिव ने हनुमान जी को यह वरदान दिया कि, उन्हें कभी भी किसी अस्त्र से मारा नहीं जा सकेगा.
  • इंद्र से मिला वरदान - पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार हनुमान और इंद्र के बीच युद्ध हुआ. युद्ध में ही इंद्र ने हनुमान को यह वरदान दिया कि भविष्य में कभी भी उनके वज्र का प्रभाव हनुमानजी पर नहीं पड़ेगा.
  • विश्वकर्मा से मिला वरदान - भगवान विश्वकर्मा ने हनुमान जी को यह वरदान दिया कि, उनके द्वारा बनाए गए अस्त्र-शस्त्र का प्रभाव भी हनुमान पर नहीं पड़ेगा.
  • ब्रह्मा से मिला वरदान - ब्रह्मा जी से हनुमान को दीर्घायु का वरदान मिला.

इस तरह से भगवान हनुमान को कई देवी-देवताओं से अलग-अलग वरदान प्राप्त हुए, जिससे वो पराक्रमी,अमर, बलशाली और शक्तिशाली बनें. लेकिन बलशाली होने के साथ ही हनुमान जी एक सफल कूटनीतिज्ञ भी थे. आइये जानते हैं कूटनीतिज्ञ का अर्थ 


G.NEWS 24 : जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती आज

हिंदू पंचांग के अनुसार...

जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती आज

जी न्यूज़ परिवार की ओर से देशवासियों को जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं ... जय जिनेन्द्र 
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म उत्सव जैन अनुयायी बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। इस बार महावीर जयंती  21 अप्रैल को मनाई जाएगी। भगवान महावीर को वर्धमान, वीर, अतिवीर और सन्मति भी कहा जाता है। इन्होंने पूरे समाज को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाया। जैन धर्म का समुदाय इस दिन जैन मंदिरों में जाकर पूजा-पाठ करते हैं वहीं इस दिन भव्य जुलूस भी निकाला जाता है।

  • भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे। उनका जन्म ईसा पूर्व 599 वर्ष माना जाता है। उनके पिता राजा सिद्धार्थ और माता रानी त्रिशला थीं और बचपन में उनका नाम वर्द्धमान था।
  • जैन धर्म में तीर्थंकर का अभिप्राय उन 24 दिव्य महापुरुषों से है जिन्होंने अपनी तपस्या से आत्मज्ञान को प्राप्त किया और अपनी इंद्रियों और भावनाओं पर पूरी तरह से विजय प्राप्त की।
  • अपनी तपस्या के दौरान भगवान महावीर ने दिगंबर रहना स्वीकार कर लिया, दिगंबर मुनि आकाश को ही अपना वस्त्र मानते हैं इसलिए वस्त्र धारण नहीं करते हैं। जैन मान्यता है कि वस्त्र विकारों को ढकने के लिए होते हैं और जो विकारों से परे हैं, ऐसे मुनि को वस्त्रों की क्या जरूरत है।
  • भगवान महावीर के प्रारम्भिक तीस वर्ष राजसी वैभव एवं विलास के दलदल में कमल के समान रहे। उसके बाद बारह वर्ष घनघोर जंगल में मंगल साधना और आत्म जागृति की आराधना में वे इतने लीन हो गए कि उनके शरीर के कपड़े गिरकर अलग होते गए। भगवान महावीर की बारह वर्ष की मौन तपस्या के बाद उन्हें 'केवलज्ञान ' प्राप्त हुआ । केवलज्ञान प्राप्त होने के बाद तीस वर्ष तक महावीर ने जनकल्याण हेतु चार तीर्थों साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका की रचना की।
  • भगवान महावीर का आत्म धर्म जगत की प्रत्येक आत्मा के लिए समान था। उनका कहना था कि हम दूसरों के प्रति भी वही व्यवहार व विचार रखें जो हमें स्वयं को पसंद हों। यही उनका ' जीयो और जीने दो ' का सिद्धांत है। उन्होंने न केवल इस जगत को मुक्ति का सन्देश दिया, अपितु  मुक्ति की सरल और सच्ची राह भी बताई। आत्मिक और शाश्वत सुख की प्राप्ति हेतु सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अचौर्य और ब्रह्मचर्य जैसे पांच मूलभूत सिद्धांत भी बताए। इन्हीं सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारकर महावीर ' जिन ' कहलाए। जिन से ही 'जैन' बना है अर्थात जो काम, तृष्णा, इन्द्रिय व भेद जयी है वही जैन है।
  • भगवान महावीर ने अपनी इन्द्रियों को जीत लिया और जितेंद्र कहलाए। उन्होंने शरीर को कष्ट देने को ही हिंसा नहीं माना बल्कि मन, वचन व कर्म से भी किसी को आहत करना उनकी दृष्टि से हिंसा ही है।
  • क्षमा के बारे में भगवान महावीर कहते हैं- 'मैं सब जीवों से क्षमा चाहता हूं। जगत के सभी जीवों के प्रति मेरा मैत्री भाव है। मेरा किसी से वैर नहीं है। मैं सच्चे हृदय से धर्म में स्थिर हुआ हूं। सब जीवों से मैं सारे अपराधों की क्षमा मांगता हूं। सब जीवों ने मेरे प्रति जो अपराध किए हैं, उन्हें मैं क्षमा करता हूं।

G.NEWS 24 : अयोध्या में रामनवमी के मौके पर हुआ रामलला का सूर्य तिलक

अद्भुत क्षण के साक्षी बने करोड़ों रामभक्त...

अयोध्या में रामनवमी के मौके पर हुआ रामलला का सूर्य तिलक

500 वर्षों तक चले संघर्ष के बाद निर्मित भव्य महल में मना रामलला का पहला जन्मोत्सव अद्भुत, अकल्पनीय और अविस्मरणीय रहा। रत्न जड़ित पीतांबरी यानी पीला वस्त्र व सोने का मुकुट धारण कर रामलला ने भक्तों को दर्शन दिए। अध्यात्म व विज्ञान का अद्भुत संगम भी उस समय नजर आया, जब सूर्य की किरणों ने पांच मिनट तक सूर्यवंश के सूर्य का ''सूर्य तिलक'' किया। इस अद्भुत क्षण को हर कोई अपनी आंखों में बसाने को लालायित नजर आया। वहीं, कार्यक्रम का प्रसारण न्यूज चैनलों के माध्यम से किया गया, जिससे घर बैठे करोड़ों लोग इस अद्भुत क्षण के साक्षी बने। इस दौरान 5 मिनट तक रामलला के ललाट पर सूर्य की किरण दिखाई दी.

भजन-कीर्तन, स्तुति-वंदना के बीच सबकी निगाहें घड़ी की सुइयों पर थीं। जैसे-जैसे घड़ी की सुइयां 12 की ओर बढ़ रही थीं, आतुरता भी बढ़ती रही। बालक राम सहित उत्सव मूर्ति की मनमोहक छवि के दर्शनकर भक्त मंत्रमुग्ध होते रहे। ...नवमी तिथि मधुमास पुनीता, सुकुलपछ अभिजित हरिप्रीता। मध्य दिवस अति सीत न धामा, पावन काल लोक विश्रामा। स्तुति तक पहुंचते-पहुंचते पूरे 12 बज चुके थे। मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने मंदिर के कपाट खोले तो घंटा घड़ियाल बजने के साथ ही भक्तों ने भए प्रकट कृपाला दीनदयाला, कौशल्या हितकारी... का भजन गायन शुरू कर दिया। जैसे ही जन्मोत्सव का कर्मकांड हुआ पूरा परिसर जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज उठा।

 भक्त उत्साह की सीमाओं का उल्लंघन करने से भी नहीं चूके। मंदिर परिसर में मौजूद हर शख्स भावविभोर दिखा। संत एमबीदास व अन्य कलाकारों ने बधाइयां गाईं तो भक्त झूमने-नाचने लगे। पुजारी प्रेमचंद्र त्रिपाठी ने बताया कि सुबह 3:30 बजे ही मंदिर के कपाट खोल दिए गए थे। रामलला का श्रृंगार, राग-भोग, आरती व दर्शन साथ-साथ चलता रहा। सुबह से ही मंदिर में अनुष्ठानों का दौर शुरू हो गया था। चारों वेदों का पाठ, वाल्मीकि रामायण का पाठ सहित अन्य अनुष्ठान हुए। रामलला के सूर्य तिलक के समय श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास, महासचिव चंपत राय, ट्रस्टी डॉ़ अनिल मिश्र, ट्रस्टी महंत दिनेंद्र दास, सीबीआरआई रुड़की के निदेशक प्रो़ प्रदीप कुमार सहित अन्य विज्ञानी व साधु-संत मौजूद रहे।

इस तरह हुआ रामलला का पूजन-श्रृंगार -

  • सुबह 3:00 बजे- मधुपर्क, पंचामृत, दिव्य औषधियों से रामलला को स्नान कराया गया।
  • सुबह 3:30 बजे- श्रृंगार व मंगलाआरती के साथ मंदिर खोला गया।
  • सुबह 11:08 बजे- जन्मोत्सव को लेकर पूजन की प्रक्रिया शुरू हुई।
  • 11:40 से 11:55- श्रीरामलला को 56 भोग अर्पित किया गया।
  • 12:00 बजे- जन्म की आरती शुरू हुई, गर्भगृह का पर्दा खोला गया।
  • 12:00 बजे- सूर्य की किरणों ने रामलला का सूर्य तिलक किया।
  • 12:08 बजे- जन्म की स्तुति का गायन शुरू हुआ।
  • 12:16 बजे- वेदमंत्रों से रामलला की पुन: स्तुति की गई।
  • 12:30 बजे- दर्शनार्थियों को निकास मार्ग पर जन्म का प्रसाद बांटा गया

पांच चरणों में हुआ रामलला का सूर्य तिलक -

  • मंदिर के ऊपरी हिस्से पर लगे दर्पण पर सूर्य की किरणें गिरीं। यहां से परावर्तित होकर पीतल के पाइप में पहुंचीं।
  • पाइप में एक और दर्पण लगाया गया था। इससे किरणें टकराकर 90 डिग्री कोण में बदल गईं।
  • लंबवत पीतल के पाइप में लगे तीन लेंसों से किरणें आगे बढ़ीं।
  • किरणें तीन लेंस से गुजरने के बाद गर्भगृह में लगे दर्पण से टकराईं।
  • यहां से 90 डिग्री का कोण बनाकर 75 मिलीमीटर टीके के रूप में रामलला के ललाट पर पहुंचीं।

G News 24 : जिनका जन्म 15 अप्रैल 1469 में हुआ था,लेकिन उनकी जयंती दिवाली के 15 दिन बाद मनाई जाती है !

 हिंदू परिवार में जन्मे सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु, गुरु नानक देव जी ...

जिनका जन्म तो 15 अप्रैल 1469 में हुआ था,लेकिन उनकी जयंती दिवाली के 15 दिन बाद मनाई जाती है !

सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को हुआ था. अग्रंजी तारीख के मुताबिक गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल के दिन 1469 हुआ था. लेकिन बता दें कि गुरु नानक जी का जन्मदिन उनके अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबित नहीं मनाया जाता. बल्कि साल के कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन प्रकाश पर्व के रूप में गुरु नानक जयंती के रूप में मनाई जाती है.जो कि दिवाली के 15 दिन बाद आता है. 

बता दें कि गुरु नानक देव जी का जन्म तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था. बाद में इस जगह का नाम ननकाना साबिह पड़ गया और आजादी के बाद ये पाकिस्तान के पंजाब का हिस्सा बन गया. गुरु नानक देव जी ने सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया और समाक को सही राह दिखाने पर काम किया है. 

हिंदू परिवार में जन्में थे गुरु नानक देव जी 

बता दें कि गुरु नानक देव जी का जन्म हिंदू परिवार में हुआ था. 16 साल की आयु में ही उनका विवाह माता सुलक्खनी से हो गया था. इनके दो पुत्र थे. 

सादगी से जीते थे जीवन 

वे अपना सारा जीवन आध्यात्मिक चिंतन और सत्संग में व्यतीत किया. इतना ही नहीं, इनके जीवन में कई चमत्कारी घटनाएं घटी थी जिन्हें देखकर गांव के लोग भी इन्हें दिव्य व्यक्तित्व मानने लगे थे. गुरु नानक देव जी अंधविश्वास और आडंबरों के विरोधी थे. गुरु नानक देव जी ने मूर्ति पूजा के निरर्थक माना था. 

दिया इक ओंकार मंत्र 

गुरु नानक देव जी ने इक ओंकार मंत्र दिया. इसका अर्थन है ईश्वर एक है औऱ सभी जगह मौजूद है. गुरु नानक जी का कहना था कि हम सभी का पिता एक ही है और सभी को प्रेमपूर्वक रहना चाहिए. उनके अनुसार ईश्वर बाहर नही बल्कि हमारे अंदर ही है. इनके विचारों का अनुसरण कर समाज में कई परिवर्तन देखने को मिले. 

अब गुरु ग्रंथ साहिब पर लगेगा क्यूआर कोड 

समरसता और प्रेम-भाव का संदेश देने वाली पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब जी की छपाई अब क्यूआर कोड लगा कर की जाएगी. दुनियाभर के धार्मिक ग्रंथों में से पहली बार ये तकनीक का इस्तेमाल गुरु ग्रंथ साहिब पर किया जाएगा. ये फैसला एसजीपीसी की अंतरिम कमेटी द्वारा लिया गया है. कमेटी का कहना है कि क्यूआर कोड लगा कर गुरु ग्रंथ साहिब जी की छपाई कराने से पावन स्वरूप की सारी जानकारी और ब्यौरा कमेटी के पास रहेगा.

G News 24 : तबाही का संकेत दे रही है चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के आगमन-प्रस्‍थान की सवारी !

  चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल, मंगलवार से...

तबाही का संकेत दे रही है चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के आगमन-प्रस्‍थान की सवारी !

चैत्र शुक्‍ल प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि शुरू होती है. इसी दिन से हिंदू नव वर्ष भी प्रारंभ होता है. चैत्र शुक्‍ल नवमी को राम नवमी के दिन नवरात्रि समाप्‍त होती हैं. राम नवमी को प्रभु राम का जन्‍मोत्‍सव मनाया जाता है. इस साल चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल को शुरू हो रही हैं, वहीं 17 अप्रैल राम नवमी के दिन नवरात्रि का समापन होगा. नवरात्रि के शुरुआत के दिन से ही तय होता है कि मां दुर्गा के आगमन की सवारी क्‍या होगी और इसका देश-दुनिया पर क्‍या असर पड़ेगा. 

घोड़े पर होगा मातारानी का आगमन 

देवी दुर्गा शेर पर सवार होती हैं, लेकिन नवरात्रि में आगमन और प्रस्‍थान की सवारी का निर्धारण सप्‍ताह के उस दिन से होता है, जिस दिन नवरात्रि की शुरुआत और समापन हो रहा होता है. धर्म-शास्‍त्रों के अनुसार जब शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि की शुरुआत होती है तो माता की सवारी घोड़ा होता है. माता का घोड़े पर सवार होकर आना अशुभ संकेत माना जाता है. घोड़े पर माता का आगमन सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में बड़े बदलाव लाता है. साथ ही यह युद्ध और अशांति का भी संकेत माना जाता है. देश-दुनिया में बड़े राजनीतिक परिवर्तन हो सकते हैं. साथ ही यह प्राकृतिक आपदा भी ला सकता है. 

हाथी पर होगा प्रस्‍थान 

नवरात्रि 17 अप्रैल, बुधवार को समाप्‍त हो रही हैं. नवरात्रि का समापन बुधवार को होने पर माता के प्रस्‍थान की सवारी गज या हाथी होती है. माता का हाथी पर सवार होकर प्रस्‍थान करना शुभ संकेत होता है. यह अच्‍छी बारिश, खुशहाली और तरक्‍की का संकेत होता है. अच्‍छी फसल होती है और किसानों को फायदा होता है. 

घटस्‍थापना का शुभ मुहूर्त 

इस साल चैत्र नवरात्रि पर घटस्‍थापना का शुभ मुहूर्त 9 अप्रैल की सुबह 6 बजकर 12 मिनट से 10 बजकर 23 मिनट है. यानी कि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्‍थापना और पूजा-पाठ के लिए 4 घंटे 11 मिनट का शुभ समय मिलेगा. वहीं घटस्‍थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त 9 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 3 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक यानी कि 50 मिनट का रहेगा.

G News 24 : रंगपंचमी पर भगवान अचलनाथ ने भगवान राम, कृष्ण संग खेली होली

 भगवान अचलनाथ होली खेलने पालकी में सवार होकर निकले... 

रंगपंचमी पर भगवान अचलनाथ ने भगवान राम, कृष्ण संग खेली होली

ग्वालियर।  शनिवार को रंगपंचमी का उत्सव बड़े उत्साह से मनाया गया। होली खेलने के लिए भगवान अचलनाथ पालकी में सवार होकर निकले थे। अचलनाथ ने भगवान कृष्ण और भगवान राम से होली खेली। इस दौरान काफी संख्या में अचलनाथ के भक्त पालकी को लेकर चल रहे थे। सड़क पर अबीर-गुलाल उड़ता नजर आ रहा था। हर कोई रंग-बिरंगे रंगों से सराबोर नजर आ रहा था। लोकसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लागू है। इसलिए इस बार चल समारोह में कई तरह की बंदिशें थीं। डीजे साउंड पूरी तरह बैन था, लेकिन बैंड की धुन पर होली रंग अलग ही आनंद बिखेरते नजर आ रहे थे।

ग्वालियर में शनिवार को रंगपंचमी का उत्सव पूरे जोर-शोर से मनाया गया। हर वर्ष की तरह अचलेश्वर मंदिर से निकलने वाला चल समारोह इस बार भी निकला। अचलेश्वर महादेव सार्वजनिक न्यास द्वारा रंगपंचमी को चल समारोह करने की अनुमति शर्तों के साथ प्रदान की गई थी। यह चल समारोह शनिवार दोपहर 12 बजे अचलेश्वर मंदिर से प्रारंभ हुआ। इसमें भगवान अचलनाथ पालकी रथ में सवार होकर शहर में होली खेलने निकले। मंदिर से रंग, गुलाल उड़ाते हुए अचलनाथ के भक्त आगे चल रहे थे। यह चल समारोह अचलेश्वर मंदिर से निकलकर इंदरगंज पहंचा तो यहां भक्तों ने बाबा अचलनाथ का फूलों से स्वागत दिया। 

बाबा अचलनाथ के चरणों में गुलाल अर्पित किया। इसके बाद भगवान अचलनाथ का चल समारोह दाल बाजार, लोहिया बाजार होते हुए ऊंट पुल पर पहुंचा। यहां पाटनकर चौराहा पर चल समारोह का जबरदस्त स्वागत हुआ। बाबा के भक्त चल समारोह में पालकी के आगे नाचते और घूमते नजर आ रहे थे। इसके बाद बाबा अचलनाथ का चल समारोह दौलतगंज, महाराज बाड़ा, सराफा होते हुए राममंदिर पहुंचा। यहां बाबा अचलनाथ ने भगवान राम से होली खेली। इसके बाद गिर्राज मंदिर पहुंचकर कृष्ण भगवान से भी होली खेली और अचलेश्वर अपने धाम पर लौट आए।

चल समारोह की अनुमति में स्पष्ट किया गया था कि चल समारोह के दौरान यातायात की सुचारू व्यवस्था, कार्यक्रम आयोजन के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखना एवं साम्प्रदायिक तथा धार्मिक सौहार्द्र बनाए रखने की जिम्मेदारी भी अनुमति प्राप्तकर्ता की होगी। आयोजन के दौरान ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग कोलाहल अधिनियम में निहित प्रावधानों और न्यायालयों द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए करना होगा। डीजे का उपयोग पूर्णतः प्रतिबंधित रहा। भगवान अचलनाथ जिस गली मोहल्ला, बाजार व चौराहा से निकले। वहां उनका भक्तों ने जोरदार स्वागत किया। भक्तों ने बाबा को गुलाल लगाकर आशीर्वाद लिया। चल समारोह के रूट पर दूर-दूर तक गुलाल ही गुलाल नजर आ रहा था।

G News 24 : न्यास को दी शर्तों के साथ रंगपंचमी पर चल समारोह निकालने की दी अनुमति

 शिव भक्तों का आक्रोश देख झुका प्रशासन...

न्यास को दी शर्तों के साथ रंगपंचमी पर चल समारोह निकालने की दी अनुमति

ग्वालियर।जिला प्रशासन ने आखिरकारअचलेश्वर महादेव सार्वजनिक न्यास को  रंगपंचमी 30 मार्च को चल समारोह आयोजित करने की अनुमति शर्तों के साथ प्रदान कर दी है। प्रशासन ने चुनाव आचार संहिता के कारण पहले इसकी अनुमति देने से मना कर दिया था,इसको लेकर कई सामाजिक धार्मिक संगठनों में रोष व्याप्त हो गया था हिंदू महासभा ने तो प्रशासन के खिलाफ  बुद्धि शुद्धि यज्ञ करने की बात कही थी ,तमाम संगठनों ने 34 साल पुरानी धार्मिक परंपरा को अनुमति न देने के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की थी। इसके बाद प्रशासन ने अचलेश्वर महादेव न्यास को आज तमाम शर्तों के साथ चल समारोह निकाले जाने की अनुमति दी है।

अपर जिला दण्डाधिकारी द्वारा जारी की गई अनुमति में स्पष्ट किया गया है कि लोकसभा निर्वाचन के मद्देनजर वर्तमान में लागू आदर्श आचरण संहिता में निहित समस्त प्रावधानों एवं शासन द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों का पालन आयोजनकर्ता को चल समारोह के दौरान कराना होगा। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी कार्यालय द्वारा पुलिस अधीक्षक जिला विशेष शाखा के अभिमत के आधार पर यह अनुमति प्रदान की गई है।

अनुमति में स्पष्ट किया गया है कि चल समारोह के दौरान यातायात की सुचारू व्यवस्था, कार्यक्रम आयोजन के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखना एवं साम्प्रदायिक तथा धार्मिक सौहार्द्र बनाए रखने की जिम्मेदारी भी अनुमति प्राप्तकर्ता की होगी। आयोजन के दौरान ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग कोलाहल अधिनियम में निहित प्रावधानों और न्यायालयों द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए करना होगा। डीजे का उपयोग पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा। किसी भी स्थिति में रात्रि 10 बजे से प्रात: 6 बजे तक ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग निषिद्ध रहेगा।

अपर जिला दण्डाधिकारी द्वारा जारी अनुमति में यह भी स्पष्ट किया गया है कि रंगपंचमी चल समारोह कार्यक्रम में किसी भी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र लेकर चलना एवं उनका प्रदर्शन पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा। साथ ही चल समारोह में किसी भी प्रकार की राजनैतिक गतिविधियाँ संचालित नहीं की जा सकेंगीं। शर्तों के उल्लंघन पर अनुमति स्वमेव निरस्त हो जायेगी।

ज्ञात हो अचलेश्वर महादेव न्यास के प्रबंधक वीरेन्द्र शर्मा द्वारा रंगपंचमी 30 मार्च को प्रात: 11 बजे से अचलेश्वर मंदिर से इंदरगंज चौराहा, दाल बाजार, लोहिया बाजार, ऊँट पुल, दौलतगंज, महाराज बाड़ा, सराफा बाजार व राम मंदिर होते हुए वापस अचलेश्वर मंदिर तक चल समारोह आयोजित करने की अनुमति माँगी गई थी।

G.NEWS 24 : मथुरा के रमणरेती में शुरू हुआ होली महोत्सव

भक्तों ने जमकर खेली फूलों से होली...

मथुरा के रमणरेती में शुरू हुआ होली महोत्सव

मथुरा-वृन्दावन में होली की तैयारियों में जुटे लोगों का जोरदार उत्साह दिखाई दे रहा है। दरअसल होली के 10 दिन पहले ही रमणरेती आश्रम में भव्य होली उत्सव शुरू हो गया है, जिसमें भक्तों द्वारा फूलों से जमकर होली खेली गई। वहीं इस पावन उत्सव में संतों और भक्तों ने एक साथ एक दुसरे को रंग लगाते हुए खुशियों का जश्न मनाया। रमणरेती स्थित गुरु शरणानंद महाराज के आश्रम में होली के उत्सव की शुरुआत हुई है। इस उत्सव में फूलों के साथ-साथ टेसू के फूलों से भी होली खेली गई। सैकड़ों भक्तों और संतों ने मिलकर होली का आनंद उठाया। 

इसके साथ ही राधा-कृष्ण की लीलाओं का भी जश्न मनाया गया। दरअसल आपको बता दें की रमणरेती आश्रम में दिखने वाली विभिन्न झाकियों में लठमार होली, लड्डू होली, फूलों की होली और टेसू के फूलों से बने रंगों की होली शामिल थी। इनके अलावा राधा-कृष्ण की लीलाओं का भी जश्न हुआ। यहां के बड़े-बड़े भक्त और संत ने भी इस उत्सव में भागीदारी की। गोकुल के पास स्थित रमणरेती आश्रम का नाम श्रीउदासीन कार्ष्णि आश्रम के नाम से भी जाना जाता है। यहां के होली उत्सव में फूलों की खेली जाने वाली होली बहुत ही प्रसिद्ध है। रमणरेती आश्रम के प्रति भक्तों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए हर साल इसे धूमधाम से मनाया जाता है। 

इस साल की होली उत्सव में भी विशेष बात यह थी कि फूलों के साथ-साथ टेसू के फूलों से बने रंगों की होली भी खेली गई, जो कि एक अनूठा अनुभव प्रदान करती है। इस बारे में कुछ भक्तों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया की फूलों से होली खेलने का अनुभव बहुत ही अलग है और इसमें एक प्राकृतिक खुशबू भी होती है। इस होली उत्सव के माध्यम से गोकुल के लोगों ने न केवल रंग-बिरंगी होली का आनंद लिया, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को भी महसूस किया। इससे आश्रम के भक्तों और श्रद्धालुओं में भी खुशियों की लहर उमड़ी।

G News 24 : आज बाबा महाकाल की अलसुबह होने वाली भस्म आरती नहीं हुई !

 बाबा महाकाल को आज सप्तधान सेहरा सजा...

आज बाबा महाकाल की अलसुबह होने वाली भस्म आरती नहीं हुई !

उज्जैन। फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर आज विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रात: 6 बजे तक चले महाअभिषेक पूजन श्रृंगार के बाद एकादश-एकादशनी रूद्रपाठ व विभिन्न मंत्रों के माध्यम से 11 ब्राह्मणों द्वारा देवादिदेव भगवान श्री महाकालेश्वर जी का अभिषेक किया गया। आज वर्ष का वह दिन था, जब बाबा महाकाल की अलसुबह होने वाली भस्म आरती नहीं हुई और बाबा महाकाल का सप्तधान सेहरा सजाया गया। श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया की आज सुबह बाबा महाकाल का भस्म लेपन, विभिन्न प्रकार के पाँच फलो के रसों से अभिषेक, पंचामृत पूजन (101 लीटर दूध, 31 किलो दही, 21 किलो खांडसारी, 21 शहद, 15 किलो घी) से अभिषेक, गंगाजल, गुलाब जल, भांग आदि के साथ केसर मिश्रित दूध से अभिषेक किया गया। अभिषेक उपरांत भगवान को नवीन वस्त्र धारण कराये जाकर सप्तधान्य का मुखारविंद धारण कराया गया। जिसके बाद सप्तधान्य अर्पित किया गया जिसमें चावल, खड़ा मूग, तिल, मसूर, गेहू, जव, साल, खड़ा उडद सम्मिलित रहे। श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारियों द्वारा भगवान श्री महाकालेश्वर का श्रृंगार कर पुष्प मुकुट (सेहरा) बांधा गया। आज भगवान श्री महाकालेश्वर जी को चंद्र मुकुट, छत्र, त्रिपुंड व अन्य आभूषणों से श्रृंगारित किया गया था। साथ ही भगवान पर न्योछावर नेग स्वरुप चांदी का सिक्का व बिल्वपत्र अर्पित किया गया। श्री महाकालेश्वर भगवान की सेहरा आरती की गई व भगवान को विभिन्न मिष्ठान्न, फल, पञ्च मेवा आदि का भोग अर्पित किए गए। 

महापूजा में इस सामग्री से हुआ बाबा महाकाल का अभिषेक

श्री महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि पर बाबा महाकाल की महापूजा प्रारंभ हुई। इसके बाद बाबा का महाभिषेक किया गया और सप्तधान मुखारविंद धारण कराया गया इसके बाद बाबा महाकाल भगवान ने सेहरा धारण किया, जिसके पहले भगवान श्री महाकालेश्वर का महाभिषेक किया गया। महाभिषेक के दौरान दूध 101 किलो, दही 31 किलो खाण्डसारी (शक्कर) 21 किलो, शहद 21 किलो, घी 15 किलो, पांच प्रकार के फलों का रस 2-2 किलो, गन्ने का रस 11 किलो, गंगाजल, गुलाब जल, भांग आदि सामग्री के साथ केसर मिश्रित दूध से अभिषेक कराने के पश्चात बाबा महाकाल को गर्म जल से स्नान कराया गया।

पंच मेवा, पंच मिष्ठान, पांच प्रकार के फलों का लगा भोग

भगवान महाकाल को सेहरा सजाने के बाद सुबह 6 बजे से सेहरा आरती होगी। सेहरा आरती में भोग के लिए श्री कोटेश्वर महादेव, श्री चंद्रमोलेश्वर एवं भगवान श्री महाकालेश्वर के भोग के लिए पंचमेवा 1-1 किलो और पंच मिष्ठान कुल 7 किलो 500 ग्राम, पांच प्रकार के फल व भोग में लगने वाली अन्य सामग्री अर्पण की जाएगी। सेहरा आरती के बाद दो सशस्त्र पुलिस बल के जवान गर्भगृह द्वार पर सुरक्षा की दृष्टि से तैनात रहे।

11 बजे उतरेगा सेहरा, 12 बजे होगी भस्म आरती

बाबा महाकाल का आज प्रात: 11 बजे सेहरा उतारा जाएगा। भगवान के आभूषण, मुखारविन्द, वस्त्र बाहर निकालने के बाद दोपहर 12 बजे से दोपहर 2 बजे तक भस्म आरती होगी। भस्म आरती सम्पन्न होने के आधे घंटे बाद दोपहर 2.30 बजे से 3 बजे तक भगवान की भोग आरती होगी। भोग आरती के पश्चात ब्राह्मण भोजन नवनिर्मित श्री महाकालेश्वर नि:शुल्क अन्नक्षेत्र में होगा। भोजन उपरांत ब्राह्मणों को दक्षिणा प्रदान की जाएगी। शनिवार को संध्या पूजन सांय 5 बजे से 5.45 बजे तक होगी। इसके बाद संध्या आरती 6.30 से 7.15 बजे तक होगी। वहीं शयन आरती रात 10.30 बजे से और रात 11 बजे भगवान के पट मंगल होंगे।

G News 24 :ॐ नमः शिवाय,महाशिवरात्रि पर्व पर शिव को प्रसन्न करने के अचूक उपाय

 पूरी होगी हर एक मनोकामना...

ॐ नमः शिवाय,महाशिवरात्रि पर्व पर शिव को प्रसन्न करने के अचूक उपाय

आज देशभर में बड़े ही शुभ योग में महाशिवरात्रि मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। सनातन धर्म में महाशिवरात्रि  के पर्व का विशेष महत्व होता है। इस पर्व पर पूरे दिन व्रत रखते हुए शिव मंदिरों में जलाभिषेक और विशेष धार्मिक आयोजन होते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। 

प्रसन्न होंगे भगवान भोलेनाथ 

महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विशेष फलदायी होती है। बीमारी दूर करने के लिए- महाशिवरात्रि के दिन शुद्ध जल में दूध, मिश्री व काले तिल डालकर शिवलिंग का अभिषेक करें। अभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी अन्य धातु के साफ़ बर्तन का उपयोग करें। अभिषेक करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके ऊं जूं स: मंत्र का जाप करते रहें। धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसा करने से बीमारी से छुटकारा मिलेगा। महाशिवरात्रि पर व्रत रखते हुए विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना होती है। शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शक्कर, शहद, घी, भांग, पुष्प, धतूरा, चंदन, फल अर्पित किए जाते हैं। 

भगवान शिव की पूजा में वर्जित है शंख

हिंदू धर्म में शंख को बहुत ही पूजनीय माना गया है और सभी वैदिक कार्यों में शंख का विशेष स्थान है, लेकिन भगवान शिवजी की पूजा में शंख का प्रयोग करना वर्जित माना गया है। 

महाशिवरात्रि पर बेलपत्र के उपाय

भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र बहुत ही प्रिय होता है। ऐसे में महाशिवरात्रि के मौके पर  21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखकर अपने मन में अपनी मनोकामना को बोलते हुए शिवलिंग पर एक-एक करके बेलपत्र चढ़ाएं, इससे आपकी सभी मनोकामनाएं भोलेनाथ पूर्ण करेंगे।

जल्द विवाह के लिए उपाय

यदि किसी के विवाह में अड़चन आ रही है तो महाशिवरात्रि के दिन से शुरू करके रोज शिवलिंग पर केसर मिला हुआ दूध चढ़ाएं, इससे जल्दी ही आपके विवाह के योग बन सकते हैं। इसके अलावा शिवलिंग पर लगातार कुछ दिनों तक इत्र अर्पित करें, ऐसा करने से भी जल्दी विवाह के योग बनेंगे।

महाशिवरात्रि पर राशि अनुसार कैसे करें शिवलिंग का अभिषेक 

  1. मेष:  गाय के कच्चे दूध में शहद मिलाकर अभिषेक करें।
  2. वृष: दही से अभिषेक। सफेद पुष्प, फल और वस्त्र चढ़ाएं।
  3. मिथुन: गन्ने के रस से अभिषेक करें। धतूरा, पुष्प, भांग व हरा फल चढ़ाएं।
  4. कर्क: दूध में शक्कर मिलाकर अभिषेक करें। सफेद वस्त्र, मिष्ठान्न व मदार का पुष्प चढ़ाएं।
  5. सिंह: शहद या गुड़ मिश्रित जल से अभिषेक करें। लाल पुष्प, वस्त्र और रोली अर्पित करें।
  6. कन्या: गन्ने के रस से अभिषेक करें। भांग, धतूरा, मदार का पत्र व पुष्प चढ़ाएं।
  7. तुला: शहद से अभिषेक करें। भाग, मंदार पुष्प और सफेद वस्त्र चढ़ाएं।
  8. वृश्चिक: शहद युक्त तीर्थ जल से अभिषेक करें। लाल पुष्प, फल और मिष्ठान चढ़ाएं।
  9. धनु: गाय के दूध में केसर मिलाकर अभिषेक करें। पीला वस्त्र, फल, भांग व धतूरा चढ़ाएं।
  10. मकर: गंगाजल या गन्ने के रस से अभिषेक करें। शमी पत्र, भांग, धतूरा चढ़ाएं।
  11. कुंभ: गन्ने के रस से अभिषेक करें। दूर्वा, शमी, मंदार पुष्प चढ़ाएं।
  12. मीन: केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें। हल्दी, केला और पीला पुष्प, फल व मिष्ठान चढ़ाएं।

G News 24 : 8 या 9 मार्च, कब है महाशिवरात्रि,बताते है सही तारीख और पूजा का शुभ मुहूर्त !

 महाशिवरात्रि में शिव उपासना से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है...

 8 या 9 मार्च, कब है महाशिवरात्रि,बताते है सही तारीख और पूजा का शुभ मुहूर्त !

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन शिवजी और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है। साथ ही कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर मौजूद सभी शिवलिंग में विराजमान होते हैं। ऐसे में महाशिवरात्रि के दिन की गई शिव की उपासना से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है। इस दिन भोलेनाथ के भक्त मंदिरों में शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। वहीं कुछ लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं। हालांकि इस वर्ष महाशिवरात्रि व्रत के तिथि को लेकर लोगों के मन में संशय की स्थिति है। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल कब रखा जाएगा महाशिवरात्रि व्रत और पूजा का शुभ मुहूर्त कब है...

महाशिवरात्रि 2024 तिथि

पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 08 मार्च रात में 09 बजकर 47 मिनट से होगी। इस तिथि का समापन अगले दिन 09 मार्च शाम 06 बजकर 17 मिनट पर होगा। महाशिवरात्रि व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना निशिता काल में की जाती है, इसलिए महाशिवरात्रि व्रत इस साल 08 मार्च 2024, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा।

महाशिवरात्रि 2024 चार प्रहर मुहूर्त

  • रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - शाम 06 बजकर 25 मिनट से रात 09 बजकर 28 मिनट तक
  • रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - रात 09 बजकर 28 मिनट से 9 मार्च को रात 12 बजकर 31 मिनट तक
  • रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - रात 12 बजकर 31 मिनट से प्रातः 03 बजकर 34 मिनट तक
  • रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - प्रात: 03.34 से प्रात: 06:37

महाशिवरात्रि पर इस विधि से करें पूजा

  • 08 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले प्रातः काल उठें और स्नान आदि करके शिवजी के आगे व्रत का संकल्प लें।
  • शुभ मुहूर्त में सबसे पहले भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं।
  • साथ ही केसर मिश्रित जल चढ़ाएं और पूरी रात्रि के लिए दीपक जलाएं।
  • इसके अलावा चंदन का तिलक लगाएं।
  • बेलपत्र, भांग, धतूरा भोलेनाथ का सबसे पसंदीदा चढ़ावा है, इसलिए तीन बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं।
  • आखिर में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर सबको प्रसाद बांटें।

G.NEWS 24 : 7 मार्च को ग्वालियर में बनारस के वेद पाठी आचार्य करेंगे माता लक्ष्मीजी की प्राण प्रतिष्ठा

आचार्य अवधेशानंद गिरि के मुख्य आतिथ्य में होगा समारोह...

7 मार्च को ग्वालियर में बनारस के वेद पाठी आचार्य करेंगे माता लक्ष्मीजी की प्राण प्रतिष्ठा

ग्वालियर। जौरासी में माता लक्ष्मी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी की जा रही है। जौरासी में हनुमान मंदिर ट्रस्ट ने 15 करोड रुपए में लक्ष्मी मंदिर तैयार कराया है जहां आचार्य अवधेशानंद गिरि के मुख्य आतिथ्य में प्राण प्रतिष्ठा समारोह होगा। अष्ट महालक्ष्मी की 6 फीट की प्रतिमा वियतनाम मार्बल की जयपुर में बनवाई गई है। इस प्रतिमा में महालक्ष्मी के साथ उनकी सात बहनें आदि लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, बीर लक्ष्मी, जय लक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी सहित 8 प्रतिमाएं स्थापित होंगी। सात बहनों की प्रतिमाएं 2-2 फीट की है। गणेशजी और मां सरस्वती की साढे तीन-साढे तीन फीट की प्रतिामांए है। महालक्ष्मी के आगे उनकी सात बहनों की मूर्तियां स्थापित होंगी। गणेशजी और सरस्वती के लिए मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार के पास अलग मंदिर बनाए है। वहीं महालक्ष्मी मां की प्रतिमा ढाई टन वजनी है। 

पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य व शनि के बीच की वैमनस्यता को महालक्ष्मी ही दूर करा सकती है, इसलिए हनुमान मंदिर ट्रस्ट, जौरासी द्वारा 15 करोड की लागत से महालक्ष्मी का भव्य मंदिर तैयार कराया गया है। 7 मार्च को जूना पीठाधीश्वर आचार्य अवधेशानंद गिरि के मुख्य आतिथ्य में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा होगी। शहर में महालक्ष्मी का यह पहला भव्य मंदिर होगा। जानकारों का मानना है कि महालक्ष्मी मंदिर के निर्माण के बाद शहर में औद्योगिक निवेश के रास्ते खुलेंगे साथ ही सुख-समृद्धि भी आएगी। मंदिर तीन बीघा में बनकर तैयार हुआ है। इस मंदिर के भूतल पर सत्संग भवन के साथ संत निवास भी तैयार किया गया है जिसमें संतों के ठहरने की भी व्यवस्था की गई है। जौरासी में महालक्ष्मी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम 1 मार्च से 7 मार्च तक होंगे। लक्ष्मीजी की मूर्ति जयपुर में तैयार हुई जिसे वियतनाम मार्बल से बनाया गया है। 1 मार्च को सुबह 11 बजे कलश यात्रा निकलेगी। इसमें मंत्री कृष्णा गौर मौजूद रहेंगी। 

2 मार्च को पंचांग पूजन एवं मंडप प्रवेश, 3 मार्च को मंडप पूजन, वेदी पूजा और जलाधिवास, 4 मार्च को मंडप पूजन, अग्नि स्थापन, अन्नाधिवास, फलाधिवास, पुष्पाधिवास, वस्त्राधिवास, मिष्ठानाधिवास, वास्तु पूजन, 5 मार्च को मंडप पूजन, मूर्ति स्पन, प्रसाद स्पन, नगर भ्रमण, मूर्ति न्यास एवं शैय्याधिवास, 6 मार्च को मंडप पूजन, प्राण प्रतिष्ठा, पूर्णाहुति एवं विसर्जन। 7 मार्च को सुबह 11 बजे वेदपाठ, लोकार्पण के साथ भंडारा प्रसादी होगी। इस दिन स्वामी अवधेशानंद गिरी के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव और प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर उपस्थित रहेंगे। जौरासी हनुमान मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष सुरेश चतुर्वेदी बताते हैं कि जौरासी में अष्ट महालक्ष्मी मंदिर बनकर तैयार हो चुका है। प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के लिए बनारस से 13 वेद पाठी आचार्य आ रहे हैं। महालक्ष्मी की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 1 से 7 मार्च तक होगा। उक्त जानकारी ट्रस्ट के अध्यक्ष सुरेश चतुर्बेदी एवं मुकेश गुप्ता,प्रेमसिंह भदौरिया,राजेन्द्र जैन,डॉ. केके तिवारी,शांति प्रकाश आदि पदाधिकारियों ने सयुंक्त रूप से पत्रकारों को दी। 

G News 24 : ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन,पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीण

 गुरु रविदास के वो 10 दोहे जो जिंदगी के हर मोड़ पर राह दिखाते हैं...

ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन,पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीण

माघ पूर्णिमा को हर साल रविदास जयंती मनाई जाती है. इस साल आज यानी  24 फरवरी को रविदास जयंती मनाई जा रही है. हिन्दू पंचांग के अनुसार गुरु रविदास का जन्म माघ महीने की पूर्णिमा तिथि को हुआ था. हर साल माघ पूर्णिमा पर रविदास जयंती मनाई जाती है. रविदास जी के जन्म को लेकर एक दोहा भी प्रसिद्ध है जो है 'चौदस सो तैंसीस कि माघ सुदी पन्दरास. दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री गुरु रविदास'. इसका अर्थ है कि गुरु रविदास का जन्म माघ मास की पूर्णिमा को रविवार के दिन 1433 को हुआ था. गुरु रविदास जी ने अपनी शिक्षाओं और उपदेशों से लोगों को मार्गदर्शन दिया था. इसी के चलते आज हम आपको रविदास जी के 10 दोहे बताने जा रहे हैं जो आपके जीवन में राह दिखाते हैं। 

1. जा देखे घिन उपजै, नरक कुंड में बास

प्रेम भगति सों ऊधरे, प्रगटत जन रैदास

अर्थ है: जिस रविदास को देखने से लोगों को घृणा आती थी, जिसके रहने का स्थान नर्क-कुंड के समान था, ऐसे रविदास का ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाना, ऐसा ही है जैसे मनुष्य के रूप में दोबारा उत्पत्ति हुई हो.

2. मन चंगा तो कठौती में गंगा

अर्थ है: जिस व्यक्ति का मन पवित्र और शुद्ध होता है  उसके द्वारा किया हर कार्य मां गंगा की तरह पवित्र होता है.

3. हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस

ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास

अर्थ है: हीरे से बहुमूल्य हरी यानि कि भगवान हैं. उनको छोड़कर अन्य चीजों की आशा करने वालों को निश्चिक ही नर्क प्राप्त होता है.  इसलिए प्रभु की भक्ति को छोडकर इधर-उधर भटकना व्यर्थ है.

4. कृस्न, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा

वेद कतेब कुरान, पुरानन, सहज एक नहिं देखा

अर्थ है: राम, कृष्ण, हरि, ईश्वर, करीम, राघव सब एक ही ईश्वर के अलग-अलग नाम हैं. वेद, कुरान, पुराण सभी ग्रंथ एक ही ईश्वर का गुणगान करते हैं और सभी ईश्वर की भक्ति के लिए सदाचार का पाठ पढ़ाते हैं.

 5. ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन,

पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीण

अर्थ: किसी व्यक्ति को सिर्फ इसलिए नहीं पूजना चाहिए क्योंकि वह किसी ऊंचे कुल में जन्मा है. यदि उस व्यक्ति में योग्य गुण नहीं हैं तो उसे नहीं पूजना चाहिए, उसकी जगह अगर कोई व्यक्ति गुणवान है तो उसका सम्मान करना चाहिए, भले ही वह कथित नीची जाति से हो. 

 6. करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस

कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास

अर्थ: आदमी को हमेशा कर्म करते रहना चाहिए, कभी भी कर्म के बदले मिलने वाले फल की आशा नही छोड़नी चाहिए, क्‍योंकि कर्म करना मनुष्य का धर्म है तो फल पाना हमारा सौभाग्य.

 7. मन ही पूजा मन ही धूप,

मन ही सेऊं सहज स्वरूप

अर्थ: निर्मल मन में ही ईश्वर वास करते हैं, यदि उस मन में किसी के प्रति बैर भाव नहीं है, कोई लालच या द्वेष नहीं है तो ऐसा मन ही भगवान का मंदिर है, दीपक है और धूप है. ऐसे मन में ही ईश्वर निवास करते हैं. 

 8. रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच

नकर कूं नीच करि डारी है, ओछे करम की कीच

अर्थ: कोई भी व्यक्ति किसी जाति में जन्म के कारण नीचा या छोटा नहीं होता है, आदमी अपने कर्मों के कारण नीचा होता है.

9. रि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास

अर्थ: हीरे से बहुमूल्य हरि यानि ईश्वर को छोड़कर लोग अन्य चीजों की आशा करते हैं. ऐसे लोगों को बाद में नर्क में जाना पड़ता है. इसका मतलब है कि भगवान की भक्ति को छोडकर कहीं और भटकना व्यर्थ है.

10. हिंदू तुरक नहीं, कछु भेदा सभी मह एक रक्त और मासा दोऊ एकऊ दूजा नाहीं, पेख्यो सोइ रैदासा

अर्थ: रविदास जी कहते हैं कि हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों के लोग एक ही तरह के रक्त और मांस से बने हुए है। दोनों एक इंसान है। रविदास जी दोनों को समान समझते हैं।

G News 24 : 25 फरवरी को ईशा की नमाज के बाद होगी, दिल्ली के 14वें शाही इमाम की दस्तारबंदी

 जामा मस्जिद दिल्ली के शाबान बुखारी होंगे 14वें शाही इमाम...

 25 फरवरी को ईशा की नमाज के बाद होगी, दिल्ली के 14वें  शाही इमाम की  दस्तारबंदी

दिल्ली। दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने अपना उत्तराधिकारी चुन लिया है. शाबान बुखारी ऐतिहासिक जामा मस्जिद के 14वें शाही इमाम बनेंगे. 25 फरवरी को उनकी दस्तारबंदी के लिए तमाम नामचीन हस्तियों को न्योता पहुंच गया है. अहमद बुखारी ने अपने न्‍योते में लिखा है कि शाही इमाम के अपने बेटे को उत्तराधिकारी बनाने की रवायत रही है. सदियों पुरानी परंपरा निभाते हुए अहमद बुखारी अपने बेटे के सिर पर इमामत की पगड़ी बांधेंगे. हालांकि, अभी इमामत का जिम्‍मा अहमद बुखारी के कंधों पर ही रहेगा.

17वीं सदी में बनकर तैयार हुई जामा मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने करवाया था. पहले इमाम सैयद अब्दुल गफूर शाह बुखारी ने मस्जिद का उद्घाटन किया. बुखारी खानदान दावा करता है कि शाहजहां ने कहा था कि जामा मस्जिद की इमामत हमेशा पहले इमाम के परिवार में ही रहेगी.

बुखारी खानदान की विरासत के वारिस हैं

दिल्‍ली में ही पले-बढ़े शाबान, बुखारी खानदान की विरासत के वारिस हैं. एमिटी यूनिवर्सिटी से सोशल वर्क में मास्टर्स डिग्री रखने वाले शाबान को 2014 में नायब इमाम बनाया गया था. वह इस्लामी धर्मशास्त्र में आलिम और फाजिल हैं. इस्लाम के बारे में उनकी ज्यादातर तालीम मदरसा जामिया अरबिया शम्सुल उलूम, दिल्ली से हुई है. उनके परदादा सैयद अब्दुल गफूर शाह बुखारी को बादशाह शाहजहां ने जामा मस्जिद का पहला इमाम नियुक्त किया था. परिवार का दावा है कि बादशाह ने आदेश दिया था कि इमामत उसी परिवार में बनी रहेगी. अजीज-उर-रहमान ने अपनी किताब में लिखा है कि जामा मस्जिद के बाकी सभी इमाम सैयद अब्दुल गफूर शाह बुखारी के वंशज रहे हैं. शाही इमाम के उत्तराधिकारी को नायब इमाम कहा जाता है. 

अब तक जामा मस्जिद के कुल 13 इमाम हुए हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं:

  • 1. अब्दुल गफूर शाह बुखारी
  • 2. अब्दुल शकूर शाह बुखारी
  • 3. अब्दुल रहीम शाह बुखारी
  • 4. अब्दुल गफूर शाह बुखारी थानी
  • 5. अब्दुल रहमान शाह बुखारी
  • 6. अब्दुल करीम शाह बुखारी
  • 7. मीर जीवन शाह बुखारी
  • 8. मीर अहमद अली शाह बुखारी
  • 9. मोहम्मद शाह बुखारी
  • 10. अहमद बुखारी
  • 11. हमीद बुखारी
  • 12. अब्दुल्ला बुखारी
  • 13. अहमद बुखारी प्रथम (14 अक्टूबर 2000 - अब तक)

शाही इमाम एक उपाधि है जो बादशाह शाहजहां ने दी थी !

2014 में जब अहमद बुखारी ने अपने बेटे को नायब नियुक्त किया, तब मामला अदालत तक पहुंच गया था. जनहित याचिकाएं दाखिल कर इमामत पर बुखारी खानदान के दावे को चुनौती दी गई थी. दलील दी गई कि जामा मस्जिद दिल्ली वक्फ बोर्ड की संपत्ति थी और इसके कर्मचारी के रूप में सैयद अहमद बुखारी अपने बेटे को नायब नियुक्त नहीं कर सकते. उस समय अहमद बुखारी ने अदालत में कहा था कि "शाही इमाम एक उपाधि है जो जामा मस्जिद के पहले इमाम (हजरत सैयद अब्दुल गफूर शाह बुखारी) को बादशाह शाहजहां ने दी थी और उन्होंने यह भी कहा था कि उक्त जामा मस्जिद की इमामत केवल उनके परिवार में ही जारी रहेगी. चूंकि यह एक प्रथा और परंपरा है और इसका सदियों से किसी भी कानून के साथ टकराव नहीं है, इसलिए किसी को भी जामा मस्जिद के इमाम के लिए शाही इमाम की उपाधि/सम्मान का उपयोग करने से नहीं रोका जाना चाहिए. बुखारी ने दावा किया कि 'जामा मस्जिद वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं है, यह एक वक्फ संपत्ति है जिसका स्वामित्व अल्लाह में निहित है. उन्होंने कहा था कि न तो वह और न ही उनके पूर्ववर्ती शाही इमाम दिल्ली वक्फ बोर्ड के कर्मचारी थे. HC से हरी झंडी के बाद नवंबर 2014 में शाबान बुखारी की दस्तारबंदी हुई. 

इस से पहले नवंबर 2014 में शाबान बुखारी को नायब इमाम घोषित किया गया.

शाही इमाम कोई आधिकारिक पद नहीं मगर बुखारी खानदान उसपर हक जताता रहा है. फिर भी शाही इमाम का मुस्लिम समाज में काफी सम्मान है. राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों में भी जामा मस्जिद के शाही इमाम का दखल रहा है. 1977 में जामा मस्जिद के इमाम रहे अब्दुल्ला बुखारी ने जनता पार्टी को समर्थन दिया और 1980 में कांग्रेस को समर्थन दिया. उसके बाद तो एक सिलसिला सा चल पड़ा।  

उत्तर भारत में प्रचलित दस्तारबंदी एक तरह की सांस्कृतिक परंपरा है

दस्तारबंदी एक तरह की सांस्कृतिक परंपरा है जो उत्तर भारत में प्रचलित है. यह किसी को जिम्मेदारी (अधिकार नहीं) सौंपने का प्रतीक है. 'दस्तारबंदी' शब्द फारसी से आया है जिसका मतलब पगड़ी बांधना होता है. दस्तारबंदी के दौरान, कोई सम्‍मानित व्‍यक्ति या धर्मगुरु संबंधित व्यक्ति के सिर पर पगड़ी बांधता है. दुआएं पढ़ी जाती हैं. यह परंपरा खासतौर पर सिर्फ जामा मस्जिद के इमाम से जुड़ी नहीं है. सिखों में भी दस्तारबंदी होती है. गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब के सामने लड़के को पहली बार पगड़ी पहनाई जाती है, उसे दस्तारबंदी कहते हैं.

दिल्ली की जामा मस्जिद का इतिहास

शाहजहां ने 1644 से 1656 के बीच शाहजहांनाबाद (पुरानी दिल्‍ली) में भव्य जामा मस्जिद का निर्माण कराया था. मस्जिद के सामने लाल किला और सुनहरी मस्जिद पड़ती है. मस्जिद का उद्घाटन 23 जुलाई, 1656 को उज्बेकिस्तान के बुखारा से आए सैयद अब्दुल गफूर शाह बुखारी ने किया था. उन्हें शाहजहां ने मस्जिद का शाही इमाम बनने के लिए खास तौर पर बुलवाया था. 1857 में मुगल साम्राज्य का पतन होने तक सारे बादशाह यहीं इबादत करने आते थे. अंग्रेजों ने कुछ साल के लिए यहां इबादत पर रोक लगा दी थी. मुस्लिमों का आक्रोश बढ़ा तो 1862 में मस्जिद का कंट्रोल उन्हें वापस कर दिया गया. यह आज भी भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में गिनी जाती है. जामा मस्जिद दो बार हमले का शिकार बनी है. अप्रैल 2006 में जुमे की नमाज के बाद यहां दो धमाके हुए थे. सितंबर 2010 में मोटरसाइकिल सवार एक बंदूकधारी ने दो ताइवानी पर्यटकों को निशाना बनाया था. तमाम आतंकी साजिशों में भी मस्जिद को टारगेट करने का प्लान बना जिसके बारे में एजेंसियां समय-समय पर खुलासे करती रही हैं.

शाहजहां और जामा मस्जिद की इमामत

शाहजहां की तमन्ना भारत की सबसे महत्वपूर्ण मस्जिद बनाने की थी. जामा मस्जिद उसी आरजू का नतीजा है. रमीन हज्‍जनर्फ अपनी किताब Building of the Jama Masjid in Delhi (1650-1656) में लिखते हैं कि शाहजहां ने तय किया था कि जामा मस्जिद के इमाम उनके साम्राज्य के सबसे अहम धर्मगुरु होंगे. शाही इमाम का मतलब ही है बादशाह द्वारा नियुक्त किए गए इमाम. मुगलकाल में जामा मस्जिद के शाही इमाम का कद क्या था, इसका अंदाजा इस बात से लगाइए कि औरंगजेब से लेकर बहादुर शाह द्वितीय तक, सारे बादशाहों की ताजपोशी उन्होंने करवाई.

G News 24 : 2025 में अलौकिक महाकुंभ में हिंदू आचार संहिता जारी होगी !

 अब महिलाएँ कर सकती हैं यज्ञ...

2025 में अलौकिक महाकुंभ में हिंदू आचार संहिता जारी होगी !

साल 2025 भी बस्ती के लिए खास रहने वाला है। अगले वर्ष असंबद्ध महाकुंभ में हिंदू आचार संहिता जारी होने वाली है, जिसमें महिलाओं को विशेष अधिकार प्राप्त है। काशी की विद्वत परिषद ने कई विद्वानों की मदद से हिंदू आचार संहिता तैयार की है। यह आचार संहिता वर्ष 2025 में महाकुंभ में जारी होने जा रही है। इस कर्म एवं कर्तव्य प्रधान संहिता के लिए स्मृतियों का आधार बनाया गया है। कहा जा रहा है कि 351 साल बाद हिंदू आचार संहिता बनी है। जिस पर महाकुंभ में महारानी और महामंडले वालर का अंतिम संस्कार होगा। इसके बाद देश की जनता से नई हिंदू आचार संहिता का आग्रह किया जाएगा।

4 साल में तैयार हुई है नई हिंदू आचार संहिता

इस आचार संहिता को तैयार करने के लिए काशी विद्वत परिषद ने यूनेस्को की 70 विद्वानों की टीम बनाई थी, फिर इस टीम ने 4 साल में नई हिंदू आचार संहिता की तैयारी की। अमर उजाला की खबर के अनुसार, इस नई हिंदू आचार संहिता को तैयार करने के लिए कर्म और कर्तव्य प्रधान स्मृतियों को आधार बनाया गया है। इसमें श्रीमद्भागवत गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों के अंश भी शामिल हैं। साथ ही मनु स्मृति, पराशर स्मृति और देव स्मृति का भी आधार बनाया गया है।

महिलाएं करगी यज्ञ

नई हिंदू आचार संहिता में मठों को मठों में बिठाना, पूजा-अर्चना करने के लिए समान नियम दिए गए हैं, जिससे एकरूपता रहती है। इसके अलावा महिलाओं को भी अनुज्ञापन को लेकर अधिकार दिए गए हैं। अशौचावस्था के समय को ठीक करने के लिए महिला वेद अध्ययन भी करगी और यज्ञ अनुशीलन कर मित्रता करेगी।

मृत्यु के बाद नीचे दिए गए भोज के लिए न्यूनतम 16 की संख्या निर्धारित की गई है

दिन की बजाय रात की शादी को बढ़ावा दिया गया है। वहीं जनमादिन की दीक्षा के लिए भारतीय परंपरा का पालन करने पर जोर दिया गया है। इसके अलावा विधवा विवाह की व्यवस्था भी शामिल है। समय को देखते हैं षोडश संस्कारों को भी सरल बनाया गया है। उदाहरण के लिए मृत्योनि के बाद जाने वाले भोज के लिए न्यूनतम 16 की संख्या निर्धारित की गई है।

देश भर में बंटीगी सरकार

नई हिंदू आचार संहिता की मॉक महाकुंभ में पुश्तों की मांग और फिर इन देश भर में भी बचेगा। इसके लिए पहली बार में ही हिंदू आचार संहिता की 1 लाख की सामग्री।

G News 24 : G News 24 : उषा दीदी तीन दिन 7 से 9 फरवरी तक अलग अलग विषयों पर देंगी व्याख्यान

 आज 7 फरवरी को दिव्यधाम झूलेलाल कॉलोनी समाधिया कॉलोनी में ...

उषा दीदी तीन दिन 7 से 9 फरवरी तक अलग अलग विषयों पर देंगी व्याख्यान  

ग्वालियर।  प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंटआबू से इंटरनेशनल मोटीवेशनल स्पीकर प्रेरक वक्ता राजयोगिनी बीके ऊषा दीदी मंगलवार की शाम ग्वालियर आईं। स्थानीय केंद्र पर उनका आत्मीय स्वागत किया गया। उससे पूर्व शिवपुरी लिंक रोड़ पर स्थित जी एस ए कॉलोनी पर भी जोरदार स्वागत हुआ इस मौके पर बीके आदर्श दीदी, बीके प्रहलाद, बीके महिमा, बीके डॉ गुरचरन, बीके जीतू बीके पवन, बीके सुरभि, बीके रोशनी, राजेन्द्र अग्रवाल, संतोष बंसल राजेश आहूजा, रेखा अरोरा संतोष गुप्ता  आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

प्रहलाद भाई ने बताया कि ऊषा दीदी 7 फरवरी को सुबह 8 से 10 बजे तक सकारात्मक चिंतन से सकारात्मक परिवर्तन, शाम 5 से 7 बजे तक खुशियों को अवसर दो, 8 फरवरी 2024 सुबह 8 से 10 बजे तक तनाव मुक्त जीवन, शाम 4 से 5 बजे तक ब्रह्माकुमारी बहनों का दिव्य समर्पण समारोह तथा 6 से 7:30 बजे तक आध्यात्मिक सशक्तिकरण  विषय पर सभी को संबोधित करेंगी। उपरोक्त सभी कार्यक्रम चैम्बर ऑफ कॉमर्स के राजमाता विजयाराजे सिंधिया सभागार में होंगे। 9 फरवरी को प्रभु उपहार भवन माधौगंज में शाम को 4 से 5:30 बजे तक संस्थान से जुड़े श्रद्धालुओं के लिए तथा 6 से 7:30 बजे तक एक पब्लिक कार्यक्रम रहेगा, जिसका विषय है सफल जीवन का आधार गीता सार, हर मुश्किल का हल। 

तीनों ही दिन बीच के समय मे तीन अलग अलग नए भवनों में राजयोग ध्यान केंद्रों का उद्घाटन भी ऊषा दीदी करेंगे। इस अवसर पर जोनल निदेशिका राजयोगिनी बीके अवधेश दीदी भी साथ रहेंगी।  7 फरवरी को दिव्यधाम झूलेलाल कॉलोनी समाधिया कॉलोनी, 8 को वैकुण्ठ धाम मुरार सेवाकेंद्र (टप्पा तहसील के पास) तथा 9 को शक्ति भवन न्यू कलेक्ट्रेट के सामने विद्या विहार सिटी सेंटर सेवाकेंद्र ग्वालियर तथा भोपाल ज़ोन की बहनों से मालनपुर स्थित केंद्र पर स्नेह मुलाकात करेंगी। बीके रूखमणी बहन, बीके चेतना बहन, बीके ज्योति सहित ग्वालियर की सभी बहने उपस्थित रहेंगी।

G News 24 : ग्वालियर की संगत को 3 दिन तक मिलेगा राजयोगिनी बीके उषा दीदी का आशीर्वाद !

 7 से 9 फरवरी तक अंतर्राष्ट्रीय प्रेरक वक्ता उषा दीदी शहर में...  

ग्वालियर की संगत को 3 दिन तक मिलेगा राजयोगिनी बीके उषा दीदी का आशीर्वाद !

ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय माउंटआबू से अंतर्राष्ट्रीय प्रेरक वक्ता राजयोगिनी बीके ऊषा दीदी 7, 8 एवं 9.फरवरी को सकारात्मक परिवर्तन का वर्ष थीम पर आयोजित हो रहे कार्यक्रम में शिरकत करने ग्वालियर में रहेंगी। 7 फरवरी को  सुबह 8 से 10 बजे तक सकारात्मक चिंतन से सकारात्मक परिवर्तन, शाम 5 से 7 बजे तक खुशियों को अवसर दो, 8 फरवरी 2024 सुबह 8 से 10 बजे तक तनाव मुक्त जीवन, शाम 4 से 5 बजे तक ब्रह्माकुमारी बहनों का दिव्य समर्पण समारोह तथा 6 से 7:30 बजे तक आध्यात्मिक सशक्तिकरण  विषय पर सभी को संबोधित करेंगी। 

यह सभी कार्यक्रम चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स के श्रीमंत विजयाराजे सिंधिया सभागार में होंगे। जबकि 9 फरवरी 2024 को प्रभु उपहार भवन माधौगंज में शाम को 4 से 5:30 बजे तक संस्थान से जुड़े श्रद्धालुयों के लिए तथा 6 से 7:30 बजे तक एक पब्लिक कार्यक्रम रहेगा जिसका विषय है। सफल जीवन का आधार गीता सार, हर मुश्किल का हल। तीनों ही दिन बीच के समय मे तीन अलग अलग नए भवनों में राजयोग ध्यान केंद्रों का उद्घाटन भी दीदी जी के द्वारा किया जायेगा इस अवसर पर जोनल निदेशिका राजयोगिनी बीके अवधेश दीदी भी साथ रहेंगी| 

7 फरवरी को दिव्य धाम झुलेलाल कॉलोनी समाधिया कॉलोनी, 8 को वैकुण्ठ धाम मुरार सेवाकेंद्र (टप्पा तहसील के पास) तथा 9 को शक्ति भवन न्यू कलेक्ट्रेट के सामने विद्या विहार सिटी सेंटर सेवाकेंद्र ग्वालियर। साथ ही भोपाल ज़ोन म.प्र की समस्त बहनों से मालनपुर स्थित केंद्र पर स्नेह मुलाकात करेंगी।

उषा दीदी भारत में राजस्थान के माउंट आबू में ब्रह्माकुमारीज के वैश्विक मुख्यालय पर सेवारत हैं

ब्रह्माकुमारी उषा दीदी का जन्म अफ्रीका में हुआ। सन 1974 में उनका परिचय ब्रह्माकुमारियों से हुआ। ब्रह्माकुमारियों के आध्यात्मिक दर्शन और व्यावहारिक मेडिटेशन से प्रभावित होकर, उन्होंने इन शिक्षाओं का अभ्यास किया और उन्हें अपने जीवन में धारण किया। इस क्रम में उन्होंने महान आंतरिक परिवर्तन का अनुभव करते हुए इसकी उपयोगिया को समझा और सन 1980 में विश्व की आध्यात्मिक सेवा के लिए सम्पूर्ण समर्पित कर दिया। वर्तमान समय राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी उषा दीदी भारत में राजस्थान के माउंट आबू में ब्रह्माकुमारीज के वैश्विक मुख्यालय पर सेवारत हैं। आप एक वरिष्ठ राजयोग मैडिटेशन शिक्षिका, स्व-प्रबंधन प्रशिक्षिका, आध्यात्मिक सलाहकार और प्रेरक वक्ता के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहीं है।

आपके द्वार दो पुस्तके भी लिखीं गयीं है – 1. ‘सेल्फ मैनेजिंग लीडरशिप’ – हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओँ में। 2. ‘अध्यात्म की ओर’- हिंदी में। दो अन्य पुस्तकें प्रकाशित होने की प्रक्रिया में हैं।

आप भारतीय टी.वी. चैनलों और वेब चैनलों में एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व के रूप में जानी जाती हैं। उनके व्याख्यान यूट्यूब पर लाखों की तादाद में देखे जाते हैं। परमपिता परमात्मा के वरदानों से उन्होंने अपनी समस्त ऊर्जा और विशेषताओं को एक सार्थक और सकारात्मक स्वरूप प्रदान किया है। 1980 से 1992 के बीच वे मुंबई और हैदराबाद केंद्रों से जुड़ी रहीं। संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय युवा वर्ष 1985 में इन्होने  "भारत एकता युवा पदयात्रा " के अंतर्गत मुंबई से दिल्ली पैदल मार्च करते हुए दूर-दराज के गाँवों से लेकर कस्बों और शहरों तक आध्यात्मिक ज्ञान का संदेश जन जन तक पहुँचाने का पुण्य कार्य किया है। आपको भारत के कई औद्धयोगिक समूहों द्वारा उच्च रैंकिंग अधिकारियों और प्रबंधन कर्मचारियों के लिए व्यवस्थित स्व-प्रबंधन नेतृत्व पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए आमंत्रित किया गया| आपने विभिन्न कॉर्पोरेट क्षेत्रों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, चिकित्सा संघों, सामाजिक संगठनों और प्रबंधन संघों में हजारों प्रस्तुतियां दी हैं। 

आपको 2012 में भारतीय जनसंपर्क परिषद द्वारा "हॉल ऑफ फेम" जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों के साथ विभिन्न संगठनों और संघों द्वारा सम्मानित किया गया है। आपको थाईलैंड सरकार द्वारा आमंत्रित किया गया है और "नैतिक पुरस्कार 2019" एवं एक शांति पदक से सम्मानित किया गया है। सितंबर 2019 में उन्हें यू .एस. ए. के लॉस एंजिल्स में आध्यात्मिक कल्याण के राजदूत के रूप में सम्मानित किया। फिलीपींस की राजकुमारी द्वारा इन्हें प्रतिष्ठित पुरस्कार G.O.D (The Global Order Of Dignitaries) से सम्मानित किया गया। हाल ही में उन्हें विक्रमशीला हिंदी विद्यापीठ भागलपुर बिहार के द्वारा विद्यावाचस्पति के रूप में डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई है। बी.के. उषा की वाक्पटुता और आध्यात्मिक उपलब्धियों के लिए उनके सरल और स्पष्ट दृष्टिकोण ने उन्हें राजयोग पर व्याख्यान और टिप्पणियों को रिकॉर्ड करने के लिए प्रेरित किया है। आपके व्याख्यान भारत और विदेशों में विभिन्न टीवी चैनलों पर प्रसारित किए जाते हैं। उनके लोकप्रिय व्याख्यान यूट्यूब पर हिंदी और अंग्रेजी में सुने गए। अनेकानेक कार्यशालाओं, सेमिनारों और टीवी कार्यक्रमों ने सैकड़ों पेशेवरों, युवाओं और यहां तक कि बच्चों को भी प्रेरणा दी है। इससे अध्यात्म, ध्यान और जीने के तरीके के प्रति उनके दृष्टिकोण को आकार देने में मदद मिली है। 

साथ ही आपने मानसिक तनाव, अवसाद, चिंता, व्यसनों, कम आत्मसम्मान और कई अन्य मानसिक मुद्दों पर काबू पाने के लिए लोगो को प्रोत्साहित किया है। आपने आध्यात्मिक मूल्यों के महत्व पर बल देते हुए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मेलनों और सेमिनारों में भाग लिया है। आपने भारत के महान महाकाव्यों- रामायण और श्रीमद्भगवद्गीता पर शोध किया है और एक अनूठी प्रस्तुतियों का निर्माण किया है। यह प्रस्तुतियाँ भारत और विदेशों में इसके आध्यात्मिक महत्व और आधुनिक जीवन शैली में व्यावहारिक अनुप्रयोग से संबंधित दिखाई गई हैं। जिसने पूरी तरह से अलग नजरिए से लोगों को आकर्षित किया है और इसके महत्व का एहसास कराया है। ब्रहमाकुमारी उषा दीदी दुनिया भर में कई लोगों के लिए एक दोस्त, दार्शनिक और मार्गदर्शक हैं।

G News 24 : मंदिर के कपाट खुलने के बाद 24 घंटे में ही भर गए मंदिर में लगे 10 दान पात्र !

 मंगलवार को जनता के लिए राम जन्मभूमि...

मंदिर के कपाट खुलने के बाद 24 घंटे में ही भर गए मंदिर में लगे 10 दान पात्र !

अयोध्या।  अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा (22 जनवरी) के दिन रामलला को तीन करोड़ से अधिक का चढ़ावा मिला. श्रद्धालुओं ने पहले दिन से ही दिल खोलकर भगवान रामलला के प्रति अपनी आस्था जाहिर की और करोड़ों रुपए दान में दिए. सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि रामलला मंदिर के परिसर में लगे सभी 10 दान काउंटर को प्राण प्रतिष्ठा के दिन खोला गया था, जिसके बाद उसकी गिनती की गई और दान की कुल रकम 3 करोड़ 17 लाख रुपए हुई. इसके अलावा, राम भक्तों ने प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर ऑनलाइन भी रामलला को दान भेजा था.

इस बीच, प्राण प्रतिष्ठा के अगले दिन 23 जनवरी को 5 लाख से ज्यादा राम भक्तों ने रामलाल के दर्शन किए, जबकि 24 जनवरी को 2 लाख से ज्यादा भक्तों ने रामलला के दरबार में हाजिरी लगाई. प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद भव्य मंदिर के कपाट मंगलवार सुबह आम लोगों के लिए खोल दिए गए. 23 जनवरी को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के मद्देनजर कई बार भीड़ काबू से बाहर होती दिखी, लेकिन पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों ने स्थिति को तुरंत संभाल लिया और लोगो को कतार में खड़ा करवाकर भगवान राम के दर्शन कराए.

जनता के लिए राम जन्मभूमि मंदिर के कपाट खुलने से कुछ घंटे पहले ही लोग कतार में खड़े हो गए. प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए सुरक्षा में जो सुरक्षा बल तैनात किए गए थे, उन्हें बहाल करना पड़ा और अयोध्या शहर की ओर जाने वाली सभी सड़कों पर बैरिकेडिंग कर दी गई. मंगलवार की सुबह केवल पैदल यात्रियों को अंदर जाने की अनुमति थी, लेकिन दोपहर होते-होते पैदल यात्रियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया.

लगभग सभी श्रद्धालु अयोध्या के आसपास के जिलों विशेषकर बस्ती, गोंडा, बाराबंकी, सुल्तानपुर और अंबेडकरनगर से हैं. प्राण प्रतिष्ठा समारोह के तुरंत बाद जैसे ही यातायात प्रतिबंधों में ढील दी गई, विभिन्न निकटवर्ती क्षेत्रों से लोग आधी रात ही अयोध्या की ओर चल पड़े. भीड़ में अयोध्या के निवासी और विभिन्न मंदिरों के साधु भी शामिल थे.

अयोध्या पुलिस और अयोध्या प्रशासन ने बहुत ही प्रबंधित और पेशेवर तरीके से भीड़ को संभाला और भक्तों के लिए राम मंदिर में दर्शन के लिए सुरक्षित मार्ग बनाए, लेकिन भीड़ मिनट दर मिनट बढ़ती देखी गई, जिससे प्रशासन और पुलिस बल में हड़कंप मच गया. पुलिस महानिरीक्षक, अयोध्या, प्रवीण कुमार ने कहा, ‘राम लला के दर्शन के लिए अयोध्या में बड़ी भीड़ उमड़ी है, हमारा पुलिस बल भक्तों को प्रबंधित करने के लिए चौबीसों घंटे व्यस्त है.


G News 24 : BJP मात्र 1000 रुपये में करवाएगी रामलला के दर्शन आना-जाना, रहना और खाना सब फ्री !

 रामलला के दर्शन को लेकर बीजेपी का विशेष अभियान ... 

BJP मात्र 1000 रुपये में करवाएगी रामलला के दर्शन आना-जाना, रहना और खाना सब फ्री !

अयोध्या में भगवान रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। रामभक्त अपने आराध्य प्रभु श्रीराम के दर्शन के लिए बेसब्र हो रहे हैं। लाखों की संख्या में राम भक्त अयोध्या में मौजूद हैं। वहीं, आज से बीजेपी का 'श्री राम जन्म-भूमि दर्शन' अभियान शुरू होने जा रहा है। इसकी शुरुआत आज पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा करेंगे। इसके तहत हर लोकसभा से 6 हजार भक्तों को रामलला दर्शन के लिए अयोध्या ले जाया जाएगा। ये अभियान 25 मार्च तक चलेगा।

BJP ने किया 25 हजार श्रद्धालुओं के रहने का इंतजाम

भक्तों को केवल एक हजार रुपये में अयोध्या आने-जाने, रहने-खाने और दर्शन की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। यदि आप भी भगवान राम के दर्शन करना चाहते हैं, तो आप भी केवल एक हजार रुपये खर्च कर यह सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। बीजेपी ने अपने सभी सांसदों, विधायकों, मंत्रियों और संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र से उन सभी लोगों को अयोध्या ले जाने की व्यवस्था करें, जो लोग भगवान राम के दर्शन करना चाहते हैं। वहीं, अयोध्या में बीजेपी ने 25 हजार श्रद्धालुओं के रहने का इंतजाम किया हुआ है। इन जगहों पर राम भजन, कीर्तन और रामलीला जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों भी आयोजित करने की तैयारी है।  

VHP भी 5000 कार्यकर्ताओं को कराएगा दर्शन

बीजेपी एक नेता के मुताबिक 1000 रुपये की राशि केवल इसलिए रखी गई है, जिससे केवल गंभीर लोग ही भगवान राम के दर्शनों के लिए इस योजना का लाभ उठाएं। पूरे देश के सभी राज्यों से राम भक्तों को अयोध्या ले जाकर उन्हें दर्शन कराने की तैयारी है। विश्व हिंदू परिषद अपने स्तर पर लगभग 5000 कार्यकर्ताओं को अयोध्या ले जाकर भगवान राम के दर्शन करने की योजना बना रहा है।

रामलला के दर्शन को बेताब हुआ जनसैलाब

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के कपाट भक्तों के लिए खुल गए हैं। आज दर्शन का दूसरा दिन है। सुबह की मंगला आरती और भोग के बाद सुबह 7 बजे से राम भक्त अपने प्रभु के दर्शन कर सकेंगे। भगवान रामलला के दर्शन के लिए  मंदिर के बाहर लाखों की संख्या में मौजूद हैं जो अपने रामलला की एक झलक पाने को बेताब है। भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए अयोध्या में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। साथ ही दूसरे शहरों से आने वाली बसों को फिलहाल रोक दिया गया है। सीएम से लेकर अफसर तक भक्तों से शांति और धैर्य की अपील कर रहे हैं।

पहले दिन 5 लाख लोगों ने किए दर्शन

आज राम लला के दर्शन का दूसरा दिन है, मंदिर के बाहर रात से ही भक्तों की भीड़ है। मंगलवार को पहले दिन करीब 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने रामलला के दर्शन किए लेकिन अभी भी लाखों लोग अपने प्रभु के इंतजार में है। राम भक्तों की एक ही आशा है कि किसी भी तरह उन्हें अपने प्रभु के दर्शन हो जाएं। रामभक्त पूरी तैयारी के साथ अयोध्या पहुंचे हैं, वो एक हफ्ते तक इंतजार करने को तैयार हैं। इस बीच रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने रामभक्तों से अपील की है कि वो थोड़ा संयम बरतें, रामलला के दर्शन सबको मिलेंगे।

बीजेपी ने अपने सभी सांसदों, विधायकों, मंत्रियों को दिए निर्देश 

बीजेपी ने अपने सभी सांसदों, विधायकों, मंत्रियों और संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र से उन सभी लोगों को अयोध्या ले जाने की व्यवस्था करें, जो लोग भगवान राम के दर्शन करना चाहते हैं।

G News 24 : अयोध्या में हो गई रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा अब आमजन के लिए खुला मंदिर

 पीएम मोदी ने चांदी का छत्र चढ़ाया और रामलला को बस्त्र किये भेंट ...

अयोध्या में हो गई रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा अब आमजन के लिए खुला मंदिर 

अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हो गई है। अब आमजन के लिए खुला मंदिर खुल गया है। श्रीराम विग्रह के प्रथम दर्शन भी हो गए। पीएम मोदी ने आरती के साथ पूजा पूरी की, उनके साथ गर्भगृह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक डॉ. मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद रहे।

संकल्प लेकर पूजा शुरू की और आरती के बाद किया षाष्टांग प्रणाम

मंदिर के गर्भगृह में मोदी पहुंचे और उन्होंने प्राण-प्रतिष्ठा पूजा के लिए संकल्प लेकर आचमन और पवित्रिकरण किया। इसके बाद पूजा शुरू हुई। फिर पीएम मोदी ने अपने हाथ से कुशा और शलाका खींचा। मंत्रोच्चार के साथ श्री रामलला के चरणों में जल छोड़ा, फिर अक्षत और पुष्प चढ़ाए। इसके बाद नैवेद्य लगाकर आरती के साथ पूजा पूरी की। इसके बाद रामलला को साष्टांग प्रणाम किया और संतों का आशीर्वाद लिया।  अब प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंडप में वसोधारा पूजन किया । ऋग्वेद और शुक्ल यजुर्वेद की शाखाओं का होम और परायण हुआ । इसके बाद शाम को पूर्णाहुति हुई  और देवताओं का विसर्जन किया गया। 

मंत्रोच्चार से रामलला को जगाया, मंगल ध्वनि से शुरू हुई प्राण-प्रतिष्ठा

सुबह मंत्रोच्चार के साथ रामलला को जगाया गया। इसके बाद वैदिक मंत्रों के साथ मंगलाचरण हुआ। 10 बजे से शंख समेत 50 से ज्यादा वाद्य यंत्रों की मंगल ध्वनि के साथ प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम शुरू हुआ। दोपहर 12.29 बजे प्राण-प्रतिष्ठा की मुख्य विधि शुरू हुई। 84 सेकेंड में ही मूर्ति में प्राण स्थापना हो गई।