G.News 24 : सरकारी स्कूल न होते तो गरीबों के बच्चे शायद कभी न पढ़ पाते !
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर पूरे देश के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय जगत ने भी किया योग, शहर से प्रदेश और देश आई योगा की कुछ तस्वीरें इस दिन को यादगार और बेहतर बनाती हैं।
अमेरिका के एक NRI ने, जो किसी अमेरिकन कम्पनी का CEO भी है, उसने भारतीय मैप को RE-DESIGN किया है, अपने कर्मचारियों को समझाने के लिए, कि सिर्फ जनसंख्या के अनुसार हिन्दुस्तान के प्रत्येक प्रदेश (STATE WISE) की जनसंख्या विश्व के किस देश के लगभग समान है। उस NRI ने भारत के मैप में हर प्रदेश के नाम की जगह (जैसे- उत्तर प्रदेश की जनसंख्या ब्राजील की जनसंख्या के बराबर) उस देश का नाम लिख दिया है बस। साथ ही उसने अपने कर्मचारियों को यह भी समझाया कि हिन्दुस्तान की सत्ता सम्भालने का मतलब है कि हिन्दुस्तान का प्रधानमंत्री एक साथ कितने देशों की जनसंख्या को सम्भाल रहा है। IT'S SUPERB
बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर की मूर्ती बदला रंग...
काला कलर हटवा कर दिया गोल्डन
ग्वालियर। विधायक डॉ सतीश सिकरवार के निर्देशानुसार बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर पार्क में बाबा साहब की प्रतिमा पर काला कलर हटवा कर गोल्डन कलर करवाया गया एवं पार्क की रंगाई पुताई का निरक्षण चतुर्भुज धनोलिया, सुधीर मंडेलिया, राजेश तोमर द्वारा किया गया।
News of the day…
कंधे पर गैती लेकर सीएम शिवराज श्रमदान करने पहुंचे
झाबुआ जिले में हाथीपावा की पहाड़ी पर चल रहे हलमा में श्रमदान करने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान गैती लेकर पहुंचे। उन्होंने कहा कि हमला अद्भुत परंपरा है। इसके बाद उन्होंने यहां ग्रामीणों के साथ श्रमदान किया। शनिवार शाम से दो दिवसीय हलमा(सामूहिक श्रमदान) की शुरुआत हुई है। कल गोपालपुरा हवाई पट्टी पर शिवगंगा के इस आयोजन का शुभारंभ राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने किया था।
वाह क्या बात है ! शगुन में 1 रुपया लेकर की शादी…
दूल्हे ने दहेज में मिले ₹11 लाख, और गहने लौटाए
पाली। राजस्थान के नागौर जिले के हुडिल गांव में एक अनूठा मामला सामने आया। दूल्हे ने टीके में मिले 11 लाख 51 हजार रुपए लौटा दिए और एक रुपया व एक नारियल में सात फेरे लिए। दूल्हे ने दहेज लोभियों को आईना दिखाया। जब दूल्हे ने टीके की राशि लौटाई तो दुल्हन के पिता की आंखों में आंसू छलक आ आए। दूल्हे ने शगुन के रूप में महज एक रुपया और नारियल लिया। यह नजारा देखकर सभी चकित रह गए। यह शादी गांव ही नहीं, आसपास के क्षेत्रों में भी चर्चा का विषय बन गई।
दरअसल, जैतारण तहसील के सांगावास तंवरो की ढाणी निवासी अमर सिंह तंवर की शादी 22 फरवरी को नागौर जिले के हुडील गांव निवासी प्रेम सिंह शेखावत की बेटी बबिता कंवर से हुई थी। यहां अमर सिंह तंवर ने कहा कि उन्हें दहेज नहीं चाहिए। राजपूत समाज के लोगों सहित सभी ने इस पहल की प्रशंसा की। तंवरो की ढाणी सांगावास से अमर सिंह तंवर की बारात हुडिल जिला नागौर गई थी। वहां टीके की रस्म के लिए 11 लाख 51 हजार भेंट किए गए, लेकिन तंवर राजपूत समाज को संदेश देने के लिए टीके की रस्म को वापस लौटा दिया।
तीन पीढ़ियों से सेना से रहा है दूल्हे के परिवार का रिश्ता
परिवार में भंवर सिंह तंवर आर्मी ऑफिसर के बेटे अमर सिंह तंवर आर्मी सिपाही के पद पर तैनात हैं। अमर सिंह वर्तमान में उत्तराखंड के देहरादून क्षेत्र में सिपाही के पद पर कार्य करते हैं। इनका परिवार तीन पीढ़ियों से सैनिक के रूप में कार्य करते हुए देश सेवा कर रहा है। टीका वापस लौटाने वाले अमर सिंह के पिता भंवर सिंह आर्मी में सूबेदार मेजर थे और दादा बहादुर सिंह ने भी भारत-पाक युद्ध 1971 और भारत-चीन युद्ध 1965 में देश की सेवा की थी।
तंवर राजपूत समाज की ओर से समस्त राजपूत समाज को अपील की गई है कि समाज में टीके की प्रथा को बंद करें, ताकि किसी गरीब परिवार पर लड़की बोझ नहीं बने। उन्होंने बताया कि जब हुडिल नागौर में प्रेम सिंह शेखावत की पुत्री बबीता कंवर के विवाह के अवसर पर टीके की रस्म की राशि वापस लौटाया तो लड़की के पिता की आंखों में आंसू छलक पड़े। वहीं समाज के लोगों ने तालियां बजाकर स्वागत किया।
राज्य सूचना आयुक्त का फिर एक ऐतिहासिक निर्णय। सभी प्राइवेट स्कूल RTI के दायरे में अब खत्म होगी मनमानी, साथ ही जानकारी को गलत ढंग से रोकने पर शिक्षा विभाग के दो अधिकारियों पर ₹20,000 का लगाया जुर्माना।
निडर साहसी एक ऐसा बालक जो अपने वजन के बराबर के मगरमच्छ के बच्चे को बेताल’ की तरह लटका कर ले रहा है ये बच्चा, सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है…
सिंथेटिक केमिकल से बर्तन साफ पर कैंसर जैसी बीमारियों हो रही है...
जिसे लोग अक्सर फेक देते हैं वही चूल्हे की राख अमेजोन पर 289 की मिल रही है 250 ग्राम !
चूल्हे की राख से हमारे पूर्वज बर्तन मांजते थे, तो कुछ जाहिल लोग पहले उन्हें अवैज्ञानिक कहकर उसका मजाक बनाया गया.केमिकल वाले डिशवाश के प्रयोग की आदत डाली, जो कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बना।
आज वही चूल्हे की राख अमेज़न जैसी कंपनी 1800 रुपये किलो बेच रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया अमेरिका में एक रिसर्च में यह पाया गया कि जिन सिंथेटिक केमिकल से बर्तन साफ करते हैं उससे लीवर कैंसर होने का खतरा कई गुना ज्यादा पड़ जाता है, हमारे पूर्वज बहुत वैज्ञानिक थे, वह चूल्हे की राख से बर्तन साफ करते थे, जो पूरी तरह से हानिकारक केमिकल से रहित होती है।
पहले हमारे पूर्वजों के ज्ञान विज्ञान को अवैज्ञानिक कहकर मजाक उड़ाया तथा आज विदेशी कंपनियां अट्ठारह सौ रुपए किलो हमें चूल्हे की राख बेच रही है।
Story & Photo of the Day
ट्रेन नम्बर 15017 डाउन काशी एक्सप्रेस में भुसावल इटारसी के बीच खण्डवा के टीटीआई श्री ऋषि कुमार सोनकर ड्यूटी पर थे। खण्डवा से ट्रेन चलने के बाद जब वे टिकट चेक कर रहे थे तब एक यात्री ने आकर बताया कि B4 कोच के टॉयलेट में एक पर्स रखा है।
टीटीआई सोनकर ने वहाँ जाकर पर्स देखा और आसपास खड़े यात्रियों से पूछताछ की किन्तु कुछ पता नहीं चला। फिर उन्होंने पर्स देखा तो उसमें आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, स्मार्ट कार्ड आदि दिनेश सिंह के नाम के थे और ₹5000/- नगद राशि भी थी। सोनकर जी ने रेलवे द्वारा प्रदत्त HHT में दिनेश नाम की खोज की तब ट्रेन में करीब 13 दिनेश नाम के यात्री दिखाई दिए। कोच B5 बर्थ नंबर 57 के यात्री दिनेश सिंह उम्र 67 दस्तावेजों में लिखे नाम से मिल रहा था।
सोनकर जी B5 में उक्त यात्री के पास पहुंचे और पूछताछ की। उनका पर्स टॉयलेट में गिर गया गया था , ये उन्हें पता ही नहीं था। पूछताछ से यात्री को पता चला कि पर्स उसके पास नहीं है। सूचना देनेवाले यात्री के साथ सोनकर जी उसे पर्स टॉयलेट में मिलने के बारे में बताया। सभी यात्रियों के समक्ष पर्स और राशि इसी दिनेश सिंह की है, पुष्टि हो जाने के बाद , पर्स उन्हें सौंप दिया।
यात्री ने TTI ऋषि कुमार सोनकर को हार्दिक धन्यवाद दिया और रेलवे का आभार व्यक्त किया। वहाँ उपस्थित अनेक यात्रियों ने भी रेल मदद सहित अनेक सोशल मीडिया साइट्स पर सोनकर जी के इस कार्य की प्रशंसा करते हुए रेलवे को धन्यवाद दिया।
बहुत लोग ब्राह्मण और पंडित के बीच अंतर नहीं जानते...
वर्णो को जाति में जानबूझ कर बदला गया या उस दौर में ये समय की मांग थी !
ब्राह्मण और पंडित किसी जाति का नाम है या दोनों ही एक है या फिर दोनों में से कोई भी जाति नहीं है ! जानने का प्रयास करें l बहुत लोग ब्राह्मण और पंडित के बीच अंतर नहीं जानते। ज्यादातर लोग पंडित और ब्राह्मण को एक ही समझते हैं। इसे एक जाति के रूप में माना जाता है। आइए जानते हैं क्या ब्राह्मण और पंडित किसी जाति का नाम है। क्या दोनों ही एक है या फिर अलग-अलग जातियां हैं। या फिर दोनों में से कोई भी जाति नहीं है। वर्णो को जाति में जानबूझ कर बदला गया या उस दौर में ये समय की मांग थी ! एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते है l
ब्राह्मण एक वर्ण है जाति नहीं
सरसंघ चालक मोहन भागवत के द्वारा रविदास जयंती के अवसर पर दिया गया एक बयान इन दिनों चर्चा में है l उसी पर कुछ जरूरी बातें जिन्हें जानना सबके लिए जरूरी है l भारतवर्ष में जब कर्म के आधार पर वर्ण विभाजन किया गया तब पहली बार ब्राह्मण शब्द का उपयोग किया गया। "ब्रह्मं जानाति सः ब्राह्मणः ,यह ऋषित्व-परणीति।अर्थात वह व्यक्ति जो ब्रह्म को जानता है एवं जिसके अंदर ऋषित्व उपस्थित है, वही ब्राह्मण है। यानी ऐसा व्यक्ति जो अपने आसपास मौजूद सभी प्राणियों के जन्म की प्रक्रिया और उसके कारण को जानता है, जिसके अंदर लोक कल्याण की भावना हो ऐसा व्यक्ति ब्राह्मण कहलाता है।
यह एक वर्ण है, जाति नहीं है। उसी प्रकार कर्म (काम) के आधार पर अन्य वर्णों का निर्धारण होता चला गया। जिसे बाद में समय के साथ स्वार्थवश विकृत करते हुए कुछ चालक लोगों ने जाति व्यवस्था में का नाम दे दिया गया। अति प्राचीन (पाषाण काल ) और उसके बाद के मध्य भारत में जाति व्यवस्था जैसी कोई चीज नहीं थी l ये तो मध्यकाल के विकसित दौर में निर्मित हुई है l
कोई भी व्यक्ति पंडित बन सकता है क्योंकि ये कोई जाति नहीं उपाधि है
भारतवर्ष में जब विश्वविद्यालय नहीं थे। योग्यता का निर्धारण शास्त्रार्थ के दौरान प्रदर्शन पर निर्भर करता था तब विशेषज्ञों का एक समूह सर्वश्रेष्ठ एवं योग्य व्यक्ति का चयन करता था। ऐसे व्यक्ति को पंडित कहा जाता था। सरल शब्दों में ऐसा व्यक्ति जो किसी विषय विशेष का ज्ञाता हो। जिसने उस विषय पर अध्ययन किया हो एवं कुछ नया खोज निकाला हो उसे पंडित कहा जाता था। पंडित एक उपाधि है।
आप इसे पीएचडी के समकक्ष मान सकते हैं। यह उपाधि केवल हिंदुओं की पूजा पद्धति में पारंगत या विशेषज्ञों को नहीं दी जाती थी बल्कि उनके अलावा किसी भी प्रकार की कला में दक्षता हासिल करने के बाद, रिसर्च करें और कुछ नया खोज निकाले तो उसे पंडित कहा जाता था। संगीत आदि कलाओं में पंडित की उपाधि आज भी पीएचडी से अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। शास्त्रों के अलावा शस्त्र विद्या की शिक्षा देने वाला योद्धा भी पंडित (आचार्य) कहलाता था।
यातायात में बाधक बन रहे...
पॉइंट पर तैनात एएसआई ने हटाए टूटे पड़े पत्थर
शिंदे की छावनी चौराहे की छतरी जोकि लाल बलुआ पत्थर से निर्मित की गई थी उस छतरी को रात्रि में वाहन द्वारा क्षतिग्रस्त कर दिया गया है। उस छतरी का मलवा सड़क पर पड़ा हुआ है जो वाहन चालकों के लिए मुसीबत बन रहा है इस परेशानी को देखकर स्वयं ट्रैफिक पॉइंट में तैनात पुलिसकर्मियों द्वारा साफ किया जा रहा है। जबकि यह कार्य नगर निगम को करना चाहिए था।
मध्यप्रदेश की बदलती राजनैतिक सियासत...
मुख्यमंत्री शिवराज व दिग्विजय सिंह की एक रोचक तस्वीर बनी चर्चा का विषय
भोपाल l तस्वीर बेहद रोचक है इसलिए चर्चा का विषय बन गई। ये तस्वीर राजधानी भोपाल के राजाभोज एयरपोर्ट की है। तस्वीर में बेहद सादगी भरे अंदाज में शिवराज सिंह चौहान और दिग्विजय सिंह कुछ संवाद कर रहे हैं। सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारे तक आज सुबह से ही एक तस्वीर बेहद चर्चाओं में है। दरअसल इस तस्वीर में सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एयरपोर्ट में बैठे हैं। तस्वीर बेहद रोचक है इसलिए चर्चा का विषय बन गई।
ये तस्वीर राजधानी भोपाल के राजाभोज एयरपोर्ट की है। तस्वीर में बेहद सादगी भरे अंदाज में शिवराज सिंह चौहान और दिग्विजय सिंह कुछ संवाद कर रहे हैं। बता दें कद्दावर नेता शरद यादव का निधन हुआ है। जिनका पार्थिव देह आज विशेष विमान से भोपाल आना था। लिहाजा अंतिम दर्शन के लिए शिवराज सिंह और दिग्विजय सिंह दोनों ही नेता राजाभोज एयरपोर्ट में इंतजार कर रहे थे। इसी दौरान शिवराज सिंह चौहान और दिग्विजय सिंह की एक रोचक तस्वीर सामने आई है। और अब इस तस्वीर को सोशल मीडिया में लोग तेजी से शेयर कर रहे हैं। लोगों ने रोचक कैप्शन के साथ तस्वीर को साझा किया है। कुछ लोग लिख रहे हैं कि आखिर दिग्विजय सिंह और शिवराज सिंह चौहान के बीच क्या संवाद हुआ होगा।
बता दें मध्य प्रदेश की सियासत में दिग्विजय सिंह एक ऐसा नाम है। जो हमेशा चर्चाओं में रहता है। फिर चाहे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा हो या फिर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का कोई धरना प्रदर्शन या फिर मप्र की सियासत से जुड़ा हुआ कोई मसला। ऐसा कोई मामला नहीं होता जिससे दिग्विजय सिंह का किरदार अछूता रहता हो। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब सूबे में कमलनाथ की सरकार थी तब भी दिग्विजय सिंह को सुपर सीएम बताया जाता रहा है।
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