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G.NEWS 24 : MP में लोकसभा चुनाव में 6 सीटों पर चुनाव लड़ेगी SUCI कम्युनिस्ट पार्टी : प्रताप सामल

पार्टियां गठजोड़ झूठे वादों और नोटों की गड्डियां लेकर मैदान में उतरेंगे...

MP में लोकसभा चुनाव में 6 सीटों पर चुनाव लड़ेगी SUCI कम्युनिस्ट पार्टी : प्रताप सामल


ग्वालियर। सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया कम्युनिस्ट (एसयूसीआई) ने भाजपा और कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में भी दोनों पार्टियां गठजोड़ झूठे वादों और नोटों की गड्डियां लेकर मैदान में उतरेंगे। उक्त आरोप  एसयूसीआई कम्युनिस्ट के राज्य सचिव प्रताप सामल सहित अनेक नेताओं ने लगाया। प्रताप सामल ने कहा भारत की जनता एक और संस्कृति चुनाव का सामना कर रही है। जिसमें सत्ताधारीय विपक्षी पार्टियां करोड़ों रुपए खर्च करेंगी माक्र्सवादी होने के नाते हम जानते हैं कि लोकतंत्र के तमाम हो हल्ला के बावजूद पूंजीवादी व्यवस्था में एक पार्टी दूसरे जीती है। 

सामंतवाद राजतंत्र के खिलाफ पूंजीवादी उभार के दिनों में जनता के गणतंत्र की स्थापना के ऐलान के साथ संसदीय लोकतंत्र सामने आया था। उस समय उसकी जो भी प्रगतिशील भूमिका थी वह आज लुप्त हो चुकी है। पार्टी नेताओं ने मध्य प्रदेश में 6 सीटों पर अपने प्रत्याशियों को खड़ा करने का ऐलान किया है। जिसमें ग्वालियर से रचना अग्रवाल, गुना शिवपुरी से मनीष श्रीवास्तव, सागर से रामावतार शर्मा, जबलपुर से सचिन जैन, भोपाल से मुदित भटनागर और इंदौर से अजीत पवार पार्टी के मुख्य उम्मीदवार होंगे। 

उन्होंने बताया कि यह सभी उम्मीदवार पिछले वर्षों में राज्य की आम जनता की दुख तकलीफों से जुड़े रहकर उनकी समस्याओं के खिलाफ जुझारू जन आंदोलन संगठित करने में शामिल रहे हैं। साथ ही यह वर्तमान भ्रष्ट राजनीति के विपरीत अपने निजी जीवन में भी ईमानदारी और लगन के साथ मेहनतकश वर्ग के हित में क्रांतिकारी राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासत है हमारे चुनाव लडऩे का मुख्य उद्देश्य लोगों तक अपनी बात पहुंच कर उन्हें राजनीतिक रूप से जागरूक करना है।

G News 24 : "हम तीसरे विश्वयुद्ध से एक कदम दूर,अभूतपूर्व चुनावी जीत के बाद बोले पुतिन

 व्लादिमीर पुतिन 5वीं बार बने रूस के राष्ट्रपति, बिना किसी विपक्षी नेता के 88% वोट चुनाव में मिले...

"हम तीसरे विश्वयुद्ध से एक कदम दूर,अभूतपूर्व चुनावी जीत के बाद बोले पुतिन !

मॉस्को। व्लादिमीर पुतिन लगातार पांचवीं बार रूस के राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत गए हैं. उन्होंने करीब 88 प्रतिशत वोटों के साथ चुनाव में जीत दर्ज की है. रूस के केंद्रीय चुनाव आयोग ने सोमवार को कहा कि देश में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में व्लादिमीर पुतिन ने जीत दर्ज की है. उन्होंने रिकॉर्ड वोट पर्संटेज के साथ राष्ट्रपति पद का पांचवां कार्यकाल हासिल किया है. 71 साल के पुतिन 1999 से एक बार भी चुनाव नहीं हारे. रूस के केंद्रीय चुनाव आयोग ने सोमवार को कहा कि करीब 100 फीसदी क्षेत्रों में पड़े मतों की गिनती कर ली गई है और पुतिन को 87.29 फीसदी वोट मिले हैं. आयोग की प्रमुख एला पैम्फिलोवा ने कहा कि पुतिन के लिए करीब 7.6 करोड़ लोगों ने मतदान किया है, जो उन्हें हासिल अब तक के सबसे ज्यादा वोट हैं. ये चुनाव में पुतिन की जीत देश की राजनीतिक व्यवस्था पर उनके नियंत्रण को रेखांकित करती है. पुतिन के सामने नाममात्र के सिर्फ तीन उम्मीदवार थे. यूक्रेन युद्ध का विरोध करने वाले किसी भी व्यक्ति को पुतिन के खिलाफ चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी गयी थी.

2000 में बने थे पहली बार राष्ट्रपति

बता दें कि व्लादिमीर पुतिन दिसंबर 1999 से राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के तौर पर रूस का नेतृत्व कर रहे हैं. वह पहली बार साल 2000 में रूस के राष्ट्रपति बने थे. 2008 तक वो इस पद पर रहे. 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति मेदवेदेव ने अपनी पार्टी से पुतिन को एक बार फिर राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए नॉमिनेट करने को कहा. इसके बाद 2012 के चुनाव में पुतिन ने जीत हासिल की. तब से अब तक वो राष्ट्रपति पद पर हैं.

2036 तक रूस के राष्ट्रपति रह सकते हैं पुतिन

रूसी संविधान में लिखा है कि कोई भी व्यक्ति लगातार दो बार से ज्यादा राष्ट्रपति नहीं बन सकता है. इसके चलते 8 मई 2008 को पुतिन ने अपने पीएम दिमित्री मेदवेदेव को रूस का राष्ट्रपति बनवाया और खुद पीएम बन गए. नवंबर 2008 में दिमित्री ने संविधान संशोधन कर राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 से बढ़ाकर 6 साल कर दिया. इसके बाद 2012 में पुतिन फिर से रूस के राष्ट्रपति बन गए. जनवरी 2020 में पुतिन ने संविधान संशोधन के जरिए दो कार्यकाल तक राष्ट्रपति रहने की सीमा खत्म कर दी. इसी के साथ पुतिन के 2036 तक राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता साफ हो गया.

हमारे पास बहुत काम हैं- व्लादिमीर पुतिन

मतदान खत्म होने के बाद व्लादिमीर पुतिन ने वॉलन्टियर्स से कहा, "हमारे पास बहुत काम हैं, लेकिन मैं सबसे यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि जब हम एकजुट थे, तो कोई भी हमें डराने, हमारी इच्छाशक्ति और हमारे आत्म-विवेक को दबाने में कामयाब नहीं हुआ." उन्होंने कहा, "वे अतीत में नाकाम रहे और वे भविष्य में भी असफल होंगे."

यूक्रेन में जंग की आलोचना करने पर थी रोक

चुनाव के दौरान पुतिन और यूक्रेन में जंग की सार्वजनिक तौर पर आलोचना करने पर रोक थी. स्वतंत्र मीडिया को पंगु बना दिया गया था. पुतिन (71) के सबसे मुखर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी एलेक्सी नवलनी की पिछले महीने आर्कटिक जेल में मौत हो गई. उनके अन्य आलोचक या तो जेल में हैं या निर्वासन में हैं.

कई राष्ट्राध्यक्षों ने दी बधाई

उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन और होन्डुरास, निकारागुआ और वेनेजुएला के राष्ट्रपतियों ने पुतिन को उनकी जीत पर बधाई दी. वहीं, सोवियत संघ के विघटन के बाद अस्तित्व में आए मध्य एशियाई देशों- तज़ाकिस्तान और उज़्बेकिस्तान के नेताओं ने भी पुतिन को मुबारकबाद दी है. पश्चिमी देशों ने चुनाव को दिखावटी बताकर खारिज कर दिया. ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड कैमरून ने सोशल मीडिया मंच ‘X' पर लिखा, "यूक्रेनी क्षेत्र में अवैध तरीके से चुनाव कराने के बाद रूस में चुनाव संपन्न हो गए हैं. चुनाव में मतदाताओं के पास विकल्पों की कमी थी. कोई स्वतंत्र ओएससीई निगरानी भी नहीं थी. यह वैसा नहीं है जैसा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव दिखता है.


G News 24 : आजम खान को डूंगरपुर मामले में 7 साल की सजा !

  बाकी दोषियों को पांच-पांच साल की सजा ...

आजम खान को डूंगरपुर मामले में 7 साल की सजा !

समाजवादी पार्टी के सीनियर नेता आजम खान को रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई है। बाकी दोषियों को पांच-पांच साल की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने यह सजा डूंगरपुर मामले में सुनाई। कोर्ट ने IPC धारा 427,504,506,447 और 120 B के तहत आजम खान को दोषी करार दिया था। इस मामले में आजम खान, पूर्व पालिकाध्यक्ष अजहर अहमद खां, ठेकेदार बरकत अली, रिटायर्ड सीओ आले हसन दोषी पाए गए हैं। आज चोरों को सज़ा हुई। इस दौरान आजम खान की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सीतापुर जेल से पेशी हुई।

लोगों के मकानों पर बुलडोजर भी चलवाकर ध्वस्त कर दिया गया था

सपा शासनकाल में डूंगरपुर में आसरा आवास बनाए गए थे। इस जगह पर पहले से कुछ लोगों के मकान बने हुए थे। आरोप था कि सरकारी जमीन पर बताकर वर्ष 2016 में तोड़ दिया गया था। इस मामले में पीड़ितों ने लूटपाट का आरोप भी लगाया था। वर्ष 2019 में भाजपा सरकार आने पर रामपुर के गंज थाने में इस मामले में करीब एक दर्जन अलग-अलग मुकदमें दर्ज कराए गए थे। आरोप लगाया कि सपा सरकार में आजम खां के इशारे पर पुलिस ने आसरा आवास बनाने के लिए उनके घरों को जबरन खाली कराया था। वहां पहले से बने मकानों पर बुलडोजर भी चलवाकर ध्वस्त कर दिया गया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट से भी लगा झटका

जेल में बंद सपा नेता आज़म खान को जौहर ट्रस्ट की जमीन लीज मामले में  इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। जौहर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट की चुनौती वाली याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। ट्रस्ट ने यूपी सरकार के लीज को रद्द करने वाले फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में दी चुनौती थी। जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की डबल बेंच ने यह फैसला सुनाया। बेंच ने यूपी सरकार के ट्रस्ट की लीज को रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा है। 

ट्रस्ट की याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 18 दिसंबर 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। यूनिवर्सिटी ट्रस्ट की रिट याचिका में विश्वविद्यालय से जुड़े लीज डीड को रद्द करके भूमि को जब्त करने के उत्तर प्रदेश सरकार के कदम को चुनौती दी गई थी। यूपी सरकार की तरफ से इस मामले में दाखिल एसआईटी रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर तत्काल प्रवेश की याचिका सूचीबद्ध करने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई की थी।

G News 24 : जिस राजीव कुमार के लिए ममता बन जाती थीं 'ढाल',उसे अब EC ने DGP पद से हटाया !

 5 साल पहले जिसके लिए धरने पर बैठी थीं ममता... 

जिस राजीव कुमार के लिए ममता बन जाती थीं 'ढाल',उसे अब EC ने DGP पद से हटाया !


लोकसभा चुनाव 2024 की रणभेरी बज चुकी है. देश में 19 अप्रैल से 7 चरणों में वोटिंग होगी और नतीजों का ऐलान 4 जून को होगा. लेकिन घोषणा के बाद चुनाव आयोग एक्शन में आ गया है. आयोग ने बंगाल के डीजीपी राजीव कुमार समेत 6 राज्यों-गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और उत्तराखंड के गृह सचिवों को हटा दिया. इसके अलावा मिजोरम के प्रशासनिक सचिव को भी हटा दिया गया है. लेकिन बंगाल के डीजीपी को हटाए जाने की काफी चर्चा हो रही है. वह इसलिए क्योंकि डीजीपी राजीव कुमार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बेहद करीबी सिपहसालार माने जाते हैं. राजीव कुमार के कारण ममता बनर्जी की केंद्र की मोदी सरकार से तकरार हो चुकी है और 'दीदी' ने रात भर सड़क पर धरना दिया था. आइए आपको बताते हैं कौन हैं राजीव कुमार. 

इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) के 1989 बैच के अधिकारी राजीव कुमार को पिछले साल दिसंबर में बंगाल का डीजीपी नियुक्त किया गया था. इससे पहले वह डिपार्टमेंट ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी में प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पद पर काम कर रहे थे. जब मनोज मालवीय बंगाल के डीजीपी के पद से रिटायर हुए तो तुरंत राजीव कुमार को डीजीपी बनाए जाने का आदेश जारी हो गया. ममता सरकार के इस कदम ने सिर्फ विपक्षी बीजेपी को ही नहीं बल्कि टीएमसी में भी बहस छेड़ दी थी. सवाल उठा था कि राजीव कुमार पिछले चार वर्षों से आईटी सचिव थे और उन्हें अचानक राज्य का डीजीपी कैसे बना दिया गया? राजीव कुमार बंगाल के क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीआईडी) में एडिश्नल डीजीपी के तौर पर सेवा दे चुके हैं. सीबीआई ने राजीव कुमार पर एसआईटी की अगुवाई करते हुए शारदा घोटाले की जांच के दौरान सबूतों को दबाने और छुपाने का आरोप लगाया था. घोटाले की छानबीन करने के लिए राज्य सरकार ने एसआईटी गठित की थी. शारदा घोटाला 2013 में सामने आया था और शारदा चिट फंड में निवेश करने वाले बड़ी संख्या में आर्थिक रूप से तबाह हो गए थे.

धरने पर बैठ गई थीं ममता

सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. तीन फरवरी 2019 को जब सीबीआई की टीम घोटाले से संबंध में पूछताछ करने के लिए कुमार के घर गई थी तो उसे रोका गया और मुख्यमंत्री बनर्जी  मोदी सरकार पर विपक्ष के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए धरने पर बैठ गई थीं. उस वक्त राजीव कुमार कोलकाता के पुलिस कमिश्नर थे.उत्तर प्रदेश के रहने वाले राजीव कुमार जब STF के हेड थे, तब माओवादियों और अपराधियों के खिलाफ ऑपरेशन काफी चर्चा में रहे थे. बतौर जांचकर्ता और गजब का इन्फॉर्मेशन नेटवर्क होने के कारण उन्होंने लालगढ़ आंदोलन के बड़े नाम छत्रधर महतो को पकड़ा था.  साल 2009 से लेकर 2011 तक माओवादियों के खिलाफ नकेल कसने में भी उनकी अगुआई वाली एसटीएफ की अहम भूमिका रही थी.

नीरज कुमार ने की थी तारीफ

दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने अपनी किताब 'डायल डी फॉर डॉन' में 2001 में अमेरिका में 9/11 के हमले और खादिम जूता कंपनी के सीईओ पार्थ प्रतिम रॉय बर्मन के हाई-प्रोफाइल अपहरण मामले के बाद उस वक्त सीआईडी के सीनियर सुप्रीटेंडेंट के रूप में काम कर रहे राजीव कुमार की जांच की तारीफ की थी. साल 2011 में जब लेफ्ट को हराकर ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी सत्ता में आई थी, तब राजीव कुमार को कम अहम पद देने की कोशिशें की गई थीं, लेकिन वरिष्ठ पुलिस अफसरों की दखलअंदाजी के कारण ऐसा नहीं हो पाया. साल 2012 में जब बिधाननगर पुलिस कमिश्नरेट बना तो राजीव कुमार को पहला कमिश्नर बनाया गया था. साल 2016 के विधानसभा चुनावों में चुनाव आयोग ने उनको हटाने का फैसला किया था. लेकिन बाद में जब ममता सरकार दूसरी बार सत्ता में आई तो उनको फिर से बहाल कर दिया गया था.

G News 24 : 'गजवा-ए-हिंद नहीं भगवा-ए-पाक होगा'

 पाकिस्तानी बोले इंडिया हिंदू मुल्क है. हम इसे ज्यादा दिमाग में नहीं रखते... 

'गजवा-ए-हिंद नहीं भगवा-ए-पाक होगा'

                                                                    फाइल फोटो 

पाकिस्तान की महिला यूट्यूबर अनम शेख ने भारतीय स्टैंड-अप कॉमेडियन के एक वीडियो पर लोगों से खास बातचीत की है. इस दौरान पाकिस्तानी लोगों को भारत के खिलाफ काफी अनाप-सनाप बकते हुए सुना गया. अनम की ओर से जो वीडियो लोगों को सुनाया गया उसमें भारतीय स्टैंड-अप कॉमेडियन को कहते हुए सुना जा सकता है, 

''एक पाकिस्तानी लड़की ने मुझे डीएम करते हुए पूछा, आपकी हिम्मत कैसे हुई हमारे पाकिस्तान को मुर्दाबाद बोलने की. सब्र करों हम जल्द ही गजवा ए हिंद करेंगे. मैंने गूगल किया और इसका मतलब जानना चाहा. सर्च करने पर पता चला एक दिन पुरे भारत पर राज करेंगे. मैंने जवाब देते हुए कहा जैसे पाकिस्तान के मौजूदा हालात हैं और हमारे यहां का माहौल... प्रधानमंत्री हमारा... रातो रात भगवा ए पाक हो जाएगा.''

हम इंडिया को ध्यान में रखते ही नहीं

भारतीय कॉमेडियन के इस बयान को सुनने के बाद एक पाकिस्तानी शख्स ने जवाब में कहा ये इंडिया हिंदू मुल्क है. हम इसे ज्यादा दिमाग में रखते ही नहीं हैं. वह हिंदू मुल्क है. हमारा मुस्लिम मुल्क है. यूट्यूबर ने सवाल किया कि भारत में पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमान हैं. इसपर शख्स ने कहा वहां के लोगों को इस बारे में कुछ पता नहीं है. भारत के मुसलमान हिंदुओं के साथ रह-रहकर हिंदू बन गए हैं. वहीं दूसरे शख्स ने कहा पाकिस्तानियों का दुनिया में दबदबा है. महिला यूट्यूबर ने पूछा कैसा दबदबा ? इसपर शख्स ने कहा अल्लाह ताला ने वह केवल हमें दिया है. हमारे कौम में जो बात है, वह किसी और कौम में नहीं है.

भारत दुश्मन नहीं है हमारा

एक अन्य शख्स ने कहा भारत हमारा दुश्मन नहीं है. उन्हें भी हमें अपना दुश्मन नहीं समझना चाहिए. उधर के लोग भी काफी समझदार और पढ़ें लिए हैं. वह काफी तरक्की कर रहे हैं.

G News 24 : भाई आ गया मेरा, अब शहर की खैर नहीं…

 अवैध हथियार लहराते हुए बदमाश बोले ...

भाई आ गया मेरा, अब शहर की खैर नहीं…, 

ग्वालियर। बदमाशों द्वारा सोशल मीडिया पर अवैध हथियारों का प्रदर्शन और पुलिस को खुली चुनौती देना में ट्रेंड सा बन गया है. ऐसा ही मामला ग्वालियर में एक बार फिर सामने आया है. जहां दो बदमाशो का तमंचे पर धमकी देते हुए रौब जमाने का वीडियो वायरल हुआ है. इस वीडियो में दो बदमाश चलती हुई कार में अवैध हथियारों के साथ नजर आए. मामला पुलिस के संज्ञान में आने के बाद जांच शुरू कर दी है. मामला सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो देखने मिला. जिसमे कार के अंदर बैठे दो बदमाश अवैध हथियार लहराते हुए  बदमाश बोल रहे है भाई आ गया मेरा, अब शहर की खैर नहीं.

पुलिस को खुली चुनौती

बदमाशों में पुलिस का ख़ौफ़ मानों खत्म सा नजर आया. यही वजह है कि बदमाशों ने पहले अवैध हथियारों के साथ वीडियो बनाया फिर उसे सोशल मीडिया एकाउंट पर अपलोड कर पुलिस को खुली चुनौती भी दी. बदमाशों ने पोस्ट किए वीडियो पर लिखा कि “भाई आ गया मेरा अब शहर की खैर नहीं.” वायरल वीडियो जी सोशल मीडिया अकाउंट पर अपलोड किया गया है वह छोटू कठेरिया नाम से है जो कि ग्वालियर के घास मंडी इलाके का रहने वाला बताया गया है.

जांच में जुटी पुलिस

छोटू कठेरिया पर पहले भी अवैध हथियारों के मामले में दर्ज है. फिलहाल क्राइम ब्रांच वायरल वीडियो की जांच के साथ यह जानकारी जुटा रही है कि वायरल वीडियो नया है या पुराना. क्राइम ब्रांच के एडिशनल एसपी सियाज केएम का कहना है कि वायरल वीडियो में दिख रहे हैं बदमाश की पहचान की जा रही है, ताकि सख्त कार्रवाई करके मैसेज दिया जा सके.

G News 24 : CJI चंद्रचूड़ ने भरी कोर्ट में लगा दी वकील की क्लास !

 मुझ पर चिल्लाओ मत...' 

CJI चंद्रचूड़ ने भरी कोर्ट में लगा दी वकील की क्लास !

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट  ने सोमवार 18 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bonds) से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से कहा कि वह यूनीक बॉन्ड नंबर्स के इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी हर जानकारी 21 मार्च तक दे. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ मामले पर सुनवाई के दौरान वकील मैथ्यू नेदुम्पारा पर भड़क गए. CJI ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स पर सुनवाई के दौरान नेदुम्पारा से कहा, "आप मुझपर चिल्लाइए मत. अगर आपको याचिका दाखिल करनी है, तो एप्लिकेशन दीजिए. हम यहां आपकी सुनवाई के लिए नहीं बैठे हैं."

नेदुम्पारा ने सुनवाई के दौरान कहा कि पूरा फैसला नागरिकों के पीठ पीछे दिया गया. नेदुम्पारा इस दौरान लगातार बोलते रहे. इस दौरान जस्टिस बी आर गवई ने कहा, "क्या आपको मानहानि का नोटिस चाहिए?" CJI ने कहा, "हम आपके लिए अपवाद नहीं बना सकते हैं. ये फैसला सबके लिए है. आप यहां तब आए जब फैसला दिया जा चुका है. हम अभी आपकी सुनवाई नहीं कर सकते हैं. इसी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष अधीश अग्रवाल ने स्वत: संज्ञान के लिए याचिका दाखिल की. इसपर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "मिस्टर अग्रवाल आप एक सीनियर वकील के अलावा SCBA के अध्यक्ष भी हैं. आपको प्रोसेस की पूरी जानकारी है. आपने मुझे लेटर भी लिखा है. ये सब पब्लिसिटी के लिए है. इसको रहने दीजिए. मैं इसपर कुछ कहना नहीं चाहता हूं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- "21 मार्च की शाम 5 बजे तक SBI के चेयरमैन एक एफिडेविट भी दाखिल करें कि उन्होंने सारी जानकारी दे दी है. SBI जानकारियों का खुलासा करते वक्त सिलेक्टिव नहीं हो सकता. इसके लिए आप हमारे आदेश का इंतजार न करें." CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- "SBI चाहती है कि हम ही उसे बताएं किसका खुलासा करना है, तब वे बताएंगे. ये रवैया सही नहीं है.इलेक्टोरल बॉन्ड के यूनीक नंबर्स न होने पर कोर्ट ने 16 मार्च को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को नोटिस देकर 18 मार्च तक जवाब मांगा था. कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी SBI से मिली जानकारी तुरंत अपलोड करने का निर्देश दिया है.

15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर लगाई गई थी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को फैसला देते हुए राजनीतिक फंडिंग के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- "यह स्कीम असंवैधानिक है. बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है. यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है."

इलेक्टोरल बॉन्ड एक तरह का प्रॉमिसरी नोट होता है. इसे बैंक नोट भी कहते हैं

इलेक्टोरल बॉन्ड एक तरह का प्रॉमिसरी नोट होता है. इसे बैंक नोट भी कहते हैं. इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से खरीद सकती है. इस स्कीम को 2017 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश किया था. 2 जनवरी 2018 को केंद्र सरकार ने इसे नोटिफाई किया. अरुण जेटली ने इसे पेश करते वक्त दावा किया था कि इससे राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाली फंडिंग और चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी. साथ ही ब्लैक मनी पर कंट्रोल होगा. जबकि, इसका विरोध करने वालों का कहना था कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान जाहिर नहीं की जाती है, इससे ये चुनावों में ब्लैक मनी के इस्तेमाल का जरिया बन सकते हैं.