G.News 24 : टूट गया सूरज का हिस्सा, वैज्ञानिक है हैरान और परेशान

Disaster is about to come on earth! 

Scientists are shocked by the broken part of the sun !

Astronomers have always been interested in understanding the Sun. Researchers have so far gathered a lot of information about the Sun and many mysteries are yet to be revealed. These days a movement in the Sun has surprised the scientists. According to the researchers, a large part of the Sun broke away from its surface and created a tornado-like vortex around the North Pole. Solar flares are often seen around the Sun, but people are worried about the phenomenon scientists have seen recently. Is troubling Let us tell you that these solar flares affect the communication on the earth to a great extent. The flame of one such fire has surprised the researchers.

खगोलविदों की हमेशा से सूर्य को समझने में दिलचस्पी रही है. रिसर्चर्स अब तक सूर्य के बारे में कई जानकारियां जुटा चुके हैं और कई रहस्यों से पर्दा उठना अभी भी बाकी है. इन दिनों सूर्य में हुई एक हलचल ने वैज्ञानिकों को चकित कर दिया है. रिसर्चर्स की मानें तो सूर्य का एक बड़ा हिस्सा अपनी सतह से टूट गया और उत्तरी ध्रुव के चारों ओर बवंडर जैसा भंवर बना लिया.सूर्य के आसपास अक्सर सौर ज्वालाएं देखने को मिलती हैं लेकिन वैज्ञानिकों ने हाल ही में जो घटना देखी है उससे लोगों को चिंता सता रही है. बता दें कि धरती पर संचार को यह सौर ज्वालाएं काफी हद तक प्रभावित करती हैं. ऐसी ही एक आग की ज्वाला ने रिसर्चर्स को हैरान कर दिया है l 

Now scientists are trying to find out how this happened, the video of this incident has surprised those who are related to space science. The event was captured by NASA's James Webb telescope and shared on Twitter by space weather forecaster Dr. Tamita Skov last week. People are worried about it. Let us tell you that these solar flares affect the communication on the earth to a great extent. However, scientists are very worried to know what effect it will have on the earth after it breaks.

अब वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि यह कैसे हुआ, इस घटनाक्रम के वीडियो ने स्पेस साइंस से नाता रखने वालों को हैरान कर दिया है. गौरतलब है कि यह घटना नासा के जेम्स वेब टेलीस्कोप द्वारा पकड़ी गई और पिछले सप्ताह अंतरिक्ष मौसम भविष्यवक्ता डॉ तमिता स्कोव द्वारा ट्विटर पर साझा की गई थी.सूर्य के आसपास अक्सर सौर ज्वालाएं देखने को मिलती हैं लेकिन वैज्ञानिकों ने हाल ही में जो घटना देखी है उससे लोगों को चिंता सता रही है. बता दें कि धरती पर संचार को यह सौर ज्वालाएं काफी हद तक प्रभावित करती हैं. हालांकि इसके टूटने के बाद धरती पर इसका क्या असर पड़ेगा यह जानने के लिए वैज्ञानिक बेहद चिंतित हैं l 

The part of the sun that broke apart has started to look like a huge vortex. Let us tell you that flames often arise on the surface of the Sun, which are called solar flares. These flames go very far. Dr Skov said in a later tweet that research on the Solar Polar Vortex shows that it took about 8 hours to circulate the pole at about 60 degrees latitude i.e. the maximum range of horizontal wind speed in this event was 96 kilometers per hour. Could be seconds. Scott McIntosh, a solar physicist at the US National Center for Atmospheric Research who has been observing the Sun for decades, told Space.com that he had never seen such a 'vortex'.

सूर्य का जो हिस्सा टूटकर अलग हुआ वह विशाल भंवर की तरह नजर आने लगा है. आपको बता दें कि सूर्य के सतह पर अक्सर आग की लपटें उठती हैं जिसे सौर ज्वाला कहते हैं. ये आग की लपटें काफी दूर तक जाती हैं. डॉ स्कोव ने बाद के एक ट्वीट में कहा कि Solar Polar Vortex पर रिसर्च से पता चलता है कि इसे लगभग 60 डिग्री अक्षांश पर ध्रुव को परिचालित होने में लगभग 8 घंटे लगे थे यानी इस घटना में क्षैतिज हवा की गति की अधिकतर सीमा 96 किलोमीटर प्रति सेकंड हो सकती है. यूएस नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च के सौर भौतिक विज्ञानी स्कॉट मैकिन्टोश, जो दशकों से सूर्य का अवलोकन कर रहे हैं, उन्होंने स्पेस डॉट कॉम को बताया कि उन्होंने कभी ऐसा 'भंवर' नहीं देखा था l 

Space scientists are now collecting more information about it and analyzing it to present a clear picture. Although our Sun is observed around the clock, it has thrown surprises like the many powerful flares this month, which have disrupted communications on Earth.

अंतरिक्ष वैज्ञानिक अब इसके बारे में अधिक जानकारी इकट्ठा करने लगे हुए हैं और एक स्पष्ट तस्वीर पेश करने के लिए विश्लेषण कर रहे हैं. हालांकि हमारे सूर्य पर चौबीसों घंटे नजर रखी जाती है लेकिन यह इस महीने कई शक्तिशाली फ्लेयर्स की तरह आश्चर्यचकित करता है, जिसने पृथ्वी पर संचार को बाधित कर दिया है l

G.News 24 : राजनेताओं को शासन द्वारा दी जाने वाले वेतन भत्तों एवं सुविधाओं पर लगे लगाम

सही मायने में आमजन और देश का विकास करना है तो...

राजनेताओं को शासन द्वारा दी जाने वाले वेतन भत्तों एवं सुविधाओं पर लगे लगाम

सांकेतिक तस्वीर

मेरा भी गजब है एक जो देश के लिए अपनी जान की बाजी लगाकर सरहदों पर बिना सर्दी, गर्मी, बरसात देखें बिना, अपने घर परिवार को छोड़कर देश की सुरक्षा में लगे हुए हैं l और जो रिटायर हो गए वे आज अपनी पेंशन/ओल्ड पेंशन के लिए संघर्ष कर रहे हैं l वही राजनेता जो कुछ पैसे की दम पर तो कुछ वाक् कला की दम पर जनता को बहला-फुसला कर उनका वोट हासिल कर नेता बन जाते हैं l और जिन्हे जनता नकार देती है उन्हें उनके साथी नेता दूसरे रास्ते से राज्यसभा/विधानसभा या किसी निगम में नेता स्थापित करवा देते है l

है ना वाकई में मेरा देश महान ! और उसका गजब संविधान ! जो बिना किसी श्रम के एक आम व्यक्ति को नेता बना देता है, ,बावजूद इसके की वह नेता बनने लायक है या नहीं ! वह देश चला सकता है या नहीं ! उसने इसकी योग्यता है कि नहीं फिर भी उसे सरपंच ,पार्षद,महापौर विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक बना देता है फिर चाहे वह पढ़ा-लिखा  हो या अनपढ़ इसकी परवाह संविधान ने नहीं की गई है l अगर की गई होती तो उसके कुछ मापदंड अवश्य तय किए गए होते ! 

अब बात करते हैं नेताओं एवं सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं पर 

एक और सैनिकों को मिलने वाली है जब तक सैनिक ड्यूटी पर रहता है तब तक तो उसे तो राशन पानी फ्री मिलता है लेकिन उसके परिवार का क्या ? ये  कोई पूछने वाला नहीं ! ड्यूटी के दौरान सीने पर गोली खाता है एक सैनिक तभी शहीद कहलाता है l और एक नेता घर पर भी मर जाए तो उसे शहीद का दर्जा हासिल हो जाता है l है न मेरा देश ग़जब ! एक नेता जब एकबार किसी संवैधानिक पद पर आसीन भर हो जाय फिर चाहे वो मात्र एक दिन के लिए ही क्यों न हो l उसके बाद उसे और उसके परिवार को बांग्ला-गाड़ी पानी,बिजली,टेलीफ़ोन,सड़क,रेल,बस, हवाई यात्रा की असातीत फ्री सुविधा,सुरक्षा सुविधा,अनगिनत नौकर -चाकर की फौज, आजीवन दोहरी/तिहरी पेंशन आदि तमाम सुबिधायें एकदम फ्री मिलना ही हैं lयहाँ हम पूछना चाहते हैं कि जब सामान्य कर्मचारियों को केवल नौकरी पर रहने के दौरान आवास भत्ता मिलता है और पेंशन ही मिलती है और उच्च अधिकारीयों को इस सबके अलावा वाहन ,बंगला और सीमित नौकर चाकर मिलते है l और यही सब हमारे सैनिक और पुलिस जवानो को मिलता है तो फिर नेताओं को दोहरी/तिहरी पेंशन क्यों ?

 लेकिन एक सैनिक और उसके परिवार की सुध लेने वाला कोई नहीं है l वहीं एक सैनिक अगर पूरी नौकरी कर भी पाया और उसके बाद रिटायर हो गया तो  उसे पेंशन के लिए संघर्ष करना पड़े ये आम बात है l और जब सैनिक सर्दी गर्मी बरसात किये बिना अपने परिवार को छोड़कर वार्डर पर होता है तब परिवार एकदम अकेला होता है l तब उसके परिवार को भी उसकी जरूरत महसूस होती है l त्योहारों पर सैनिक वार्डर पर और पुलिस देश के भीतर  कानून व्यवस्था बनाने में लगी होती है उसे आम पब्लिक की भी सुन्नी होती है और परिवार की भी इसके बावजूद भी वह कभी उफ़ तक नहीं करता लेकिन नेता तो भैया नेता उन्हें तो सारी सुविधाएं भी वीआईपी चाहिए चाहे उनके लिए वाहन हो, बंगले हो, सुरक्षा व्यवस्था हो, नल बिजली पानी यातायात के लिए वाहन हो या हवाई सफर ओ या रेलवे का सब कुछ फ्री चाहिए l

भत्ते निर्धारित कर लेते हैं l जबकि आम कर्मचारियों अधिकारियों के लिए वेतन भत्ते देने के नाम पर इनके पास बजट का अभाव हो जाता है l अगर नेताओं को सभी सुविधाएं मुफ्त मिलती हैं तो वेतन भत्ता क्यों टेंशन क्यों पेंशन चलो समझ में आती है वेतन भत्ते की हमारा प्रश्न है कि वेतन भत्ता क्यों क्या राजनीति कोई व्यवसाय है जिसके बदले में पैसा चाहिए ही चाहिए और अगर यह व्यवसाय नहीं है राजनीति में एक सामान्य व्यक्ति आने के बाद करोड़पति अरबपति कैसे हो जाता है यह किस प्रकार का बिजनेस है जो इतनी तेजी से बढ़ता है यह भी समाज को जवाब चाहिए देश को जवाब चाहिए अगर नेता जवाब नहीं दे सकते थे इस संवैधानिक पर रहने का कोई अधिकार नहीं है ना ही अपने आपको समाज सेवक समाजसेवी कहलाने का अधिकार इन्हें  है l 

देश की जनता के द्वारा टेक्स के रूप में दिया गया  80  प्रतिशत अरबों रुपया इन नेताओं और इनको दी जाने वाली सुविधाओं पर खर्च हो रहा है l केवल 20 पैसा देश के विकास कार्यों में लग पाता है l जिस दिन देश का 80 प्रतिशत पैसा विकास पर और आमजन के हित में खर्च होने लगेगा और इन नेताओ के वेतन भत्तों पर लगाम लगनी शुरू हो जाएगी तो इनका काम 20 प्रतिशत चलाने की नौवत आ जाएगी उस दिन देश और आमजन की दिशा और दशा दोनों बदल जाएँगी l साथ ही सुख -सुविधाओं पर जब लगाम लग जाएगी तो पैसे की दम पर सत्ता के रास्ते चुनाव जितने वालों पर और सत्ता के बहाने मिलने वाली सुविधाओं पर जब लगाम लग जाएगी तो सही मायने में देश को जन सेवक मिल सकेंगे l  क्योंकि फिर पैसों और सुविधाओं के ना के बराबर हो जाने पर लालची किस्म के लोग स्वतः ही सत्ता से किनारा करने लग जाएंगे क्योंकि ये बात तो भलीभाँति सभी जानते हैं कि ये लोग जनता की सेवा करने नहीं बल्कि जनता से अपनी सेवा करवाने और पैसा व प्रॉपर्टी बनाने सत्ता  में आते है l हो सकता है कुछ लोगों को मेरा लेख पसंद ना आये l पर में इसकी परवाह नहीं करता में केवल अपना काम कर रहा हूँ l जय हिन्द l

G.News 24 :जबकि पत्रकार की जरुरत पड़ती है सबको

 लेकिन  एक पत्रकार की जरूरत को नहीं समझता कोई …!

जबकि पत्रकार की जरुरत पड़ती  है सबको

  1. जब किसी दबंग व्यक्ति द्वारा आपके अधिकार का हनन किया जाता है तब आपको एक पत्रकार की जरूरत पड़ती है।
  2. जब प्रशासन के किसी कर्मचारी द्वारा आप परेशान किये जाते हैं तब आपको एक पत्रकार की जरूरत पड़ती है।
  3. जब आप अपनीं बात प्रशासन तक पहुंचना चाहते हैं तब आपको एक पत्रकार की जरूरत पड़ती है।
  4. जब कोई लेखपाल, कोटेदार, प्रधान या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा आपका हक छीननें की कोशिश की जाती है तब आपको एक पत्रकार की जरूरत पड़ती है।
  5. जब आप किसी राजनेता, अधिकारी के साथ किसी विशेष कार्यक्रम को करते हैं तब आपको एक पत्रकार की जरूरत पड़ती है।
  6. जब आपको समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर भगानें की चिंता होती है तब आपको एक पत्रकार की जरूरत पड़ती है।
  7. जब आप खेती करते हैं और  किसी कारणवश आपकी फसल का नुकसान हो जाता है तब आपको अपनी बात प्रशासन तक पहुंचाने के लिए आपको पत्रकार की जरूरत पड़ती है।
  8. घर पर बैठ कर पूरे विश्व में क्या हो रहा है ये जाननें के लिए एक पत्रकार के लेख की जरूरत पड़ती है। 
  9. जब आपको किसी भी सरकारी योजनां का फायदा नहीं मिल पाता तब आपको अपनीं बात रखनें के लिए एक पत्रकार की जरूरत पड़ती है। 
  10. जब भी कोई घटना-दुर्घटना होती है तो भी पत्रकार याद आते है।

इन सवालों के जबाब स्वयं को आप दीजिये और फिर पत्रकारों के विषय में कुछ सोचिए ! हम ये नहीं कहते कि, सभी पत्रकार अच्छे हैं लेकिन सब के सब गलत होते है यह गलत बात है। एक बिना सेलरी पर काम करनें वाला व्यक्ति आपको पूरा दिन और कभी कभी तो पूरी रात जागकर, तो कभी धूप, तो कभी बरसात में भीगकर आपको खबर उपलब्ध कराता है तो क्या उसे सम्मान और सहयोग मिलनें का अधिकार है या नहीं आप को सोचना है !

प्रदेश की जनता लगातार कर्ज तले दबती जा रही है और मामा हैं कि कर्ज लेते ही जा रहे हैं

प्रदेश सरकार ने अभी तक करीब 3 लाख करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है   

प्रदेश की जनता लगातार कर्ज तले दबती जा रही है और मामा हैं कि कर्ज लेते ही जा रहे हैं 

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में जनता लगातार कर्ज तले दबती जा रही है। करीब 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक के कर्ज के बोझ तले दबी सरकार ने एक बार फिर कर्जा लिया है। इस बार सरकार ने 2 हजार करोड़ रुपये का लोन लिया है। इन पिछले 13 दिनों में यह तीसरी बार है जब सरकार कर्ज ले रही है। प्रदेश के मंत्री और अफसर मालामाल हो रहे हैं और सरकार कर्ज में डूबती जा रही है| सबाल यह उठ रहा है की आखिर पैसा जा कहां रहा है| प्रदेश में न रोजगार है और विकास कार्य पूरी तरह ठप्प पड़े हैं| दरअसल यह कर्ज 7.88 प्रतिशत ब्याज के दर से लिया गया है। साल 2023 तक सरकार इसे चुकाएगी। शिवराज सरकार ने इससे पहले 14 अक्टूबर और 20 अक्टूबर को कर्ज लिया था। दोनों बार सरकार ने 1 हजार करोड़ रुपये का ऋण लिया था। लेकिन इस बार 2 हजार करोड़ रुपये का लिया गया है। इस तरह शिवराज सरकार बीते 2 सप्ताह के अंदर 4000 करोड़ का कर्ज ले चुकी है।

बताया जा रहा है कि मध्यड प्रदेश सरकार गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रही है। राज्य सरकार पर 3 लाख 29 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। हालांकि प्रदेश सरकार का कुल वार्षिक बजट भी इतना नहीं है। इसका मतलब यह निकलता है कि अब राज्य के कुल बजट से ज्यादा सरकार ने कर्जा ले रखा है। भारी-भरकम कर्ज के चलते सूबे की शिवराज सरकार को हर साल बड़ी रकम ब्याज के तौर पर चुकाना पड़ रहा है। बता दें कि पहले से 3 लाख करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ तले दबी शिवराज सरकार ने एक बार फिर भारतीय रिजर्व बैंक से कर्ज लिया है। इस साल अब तक करीब 8 हजार करोड़ रुपए का ऋण ले चुकी है। प्रदेश सरकार पर अब तक जो 3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है उसमें राष्ट्रीय बचत योजना से 3756 करोड़ रुपए का ऋण शामिल है। 31 मार्च 2022 की स्थिति में सरकार पर कुल 3 लाख 3 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। 

जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 4 तक ऋण ले सकती है। सरकार के पास 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण लेने की पात्रता है, लेकिन अभी तक सरकार ने आठ हजार करोड़ का ही ऋण लिया है। वहीं विपक्ष भी लगातार मांग कर रही है कि ईस आर्थिक स्थिति पर सरकार श्वेत पत्र जारी करे, ताकि वित्तीय प्रबंधन की स्थिति स्पष्ट हो सके। जिसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को कई पत्र लिख चुके हैं। लेकिन इसे लेकर वित्त मंत्री जगदीव देवड़ा ने बताया कि योजनाओं के संचालन के लिए हर सरकार को कर्ज की आवश्यकता होती है। साथ ही विकास और जन कल्याणकारी योजनाओं के लिए कर्ज लिया जाता है।

गुड़िया ने कई लोगों की जिंदगी को किया बर्बाद

दुनिया की सबसे शापित Doll !

गुड़िया ने कई लोगों की जिंदगी को किया बर्बाद

मूवीज में आपने अक्सर शापित गुड़िया जैसी चीज के बारे में सुना होगा. लेकिन फ्लोरिडा के ईस्ट मार्टेलो म्यूजियम में वाकई में एक ऐसी शापित गुड़िया है जिसकी वजह से कई लोगों को डरावनी घटनाओं का सामना करना पड़ा. 1906 में एक नौकर ने ये गुड़िया रॉबर्ट यूजीन ओटो नाम के बच्चे को दी थी. बताया जाता है कि इस नौकर ने आपसी रंजिश के चलते इस गुड़िया पर काला जादू कर दिया था. रॉबर्ट इस डॉल को बेस्ट फ्रेंड मानने लगा. बच्चा गुड़िया के साथ ही खेलता था और उसी के साथ सोता था. रॉबर्ट गुड़िया को डॉल नहीं बल्कि असली इंसान ही समझने लगा था.

रॉबर्ट ने ध्यान दिया कि उसका कमरा गंदा रहने लगा और चीजें बिखरी हुईं रहने लगीं. जब रॉबर्ट ने अपने माता-पिता (Parents) से कहा कि कमरा वो नहीं बल्कि डॉल उथल-पुथल करती है तो पैरेंट्स ने इस बात पर यकीन न करते हुए बच्चे को खूब डांटा भी था. एक रात रॉबर्ट ने देखा कि डॉल कुर्सी पर बैठकर उसे घूर (Stare) रही है और तभी चीजें हवा में उड़ने लगीं और दरवाजे बार-बार खुलने-बंद होने लगे. लेकिन जैसे ही रॉबर्ट के माता-पिता उसकी चीख सुनकर कमरे में पहुंचे तब तक सब कुछ शांत हो चुका था. 

पड़ोसियों के मुताबिक उन्होंने गुड़िया को घर में चलते-फिरते देखा है और बातचीत करते हुए भी सुना है. रॉबर्ट के कमरे से अक्सर अजीबोगरीब आवाजें आती थीं. रॉबर्ट के मुताबिक गुड़िया गुस्से (Anger) में फर्नीचर भी तोड़ दिया करती थी. रॉबर्ट के घर के साथ अब उनके पड़ोसियों के साथ भी इस तरह की डरावनी घटनाएं होने लगीं. इसके बाद गुड़िया को एक बॉक्स में बंद कर दिया गया जिससे ये घटनाएं थम गईं. धीरे-धीरे रॉबर्ट बड़ा हुआ और अपने घर गृहस्थी में व्यस्त हो गया. रॉबर्ट शादी (Marriage) कर अपनी पत्नी के साथ नए घर में शिफ्ट हो गया और गुड़िया समेत कुछ सामान अपने नए घर में लेकर चले गया. 

इस घर में रॉबर्ट ने गुड़िया के लिए एक अलग सा कमरा बनाया. इस सबसे उसकी पत्नी (Wife) काफी परेशान रहती थी. पत्नी ने रॉबर्ट को कमरा बंद करके गुड़िया से मिलने की रिक्वेस्ट की. धीरे-धीरे गुड़िया की हरकतें दोबारा से शुरू हो गईं. घर में चलना और कमरे से अजीबोगरीब आवाज आना, फिर से सबको परेशान करने लगा. 1974 में रॉबर्ट की मृत्यु (Death) के बाद घर को दूसरे परिवार ने खरीद लिया. इस परिवार की बच्ची ने बताया कि गुड़िया जिंदा और उसे मारना चाहती है. 1994 में इस गुड़िया को म्यूजियम में डोनेट कर दिया गया था. 

म्यूजियम में रखी गई है डॉल

कई बार शीशे के डब्बे में रखी गई गुड़िया के अलावा बाकी सारी चीजें बिखरी हुई मिलतीं और बच्चों के रोने की आवाजें आतीं. इस सबके बाद म्यूजियम में गुड़िया के लिए एक अलग कैबिन बनवाया गया. कहा जाता है कि अगर इसकी परमिशन के बिना तस्वीर खींची जाती है तो ये गुड़िया शाप दे देती है. एक टूरिस्ट ने जब रॉबर्ट द डॉल की तस्वीर उससे बिना पूछे ली तो कैमरे से सारी फोटोज गायब हो चुकी थीं. इस गुड़िया की कहानी वाकई में काफी डरावनी है.

छप्पन का अजीबोगरीब आंकड़ा

दो आंकड़े तो जग जाहिर हैं, एक छत्तीस का और दूसरा...

छप्पन का अजीबोगरीब आंकड़ा

भारत में सब कुछ अलग होता है। आंकड़े भी। दो आंकड़े तो जग जाहिर हैं।एक छत्तीस का और दूसरा छप्पन का। छप्पन का आंकड़ा स्वाभाविक है कि छत्तीस के आंकड़े से बड़ा होता है।ये आंकड़े अकेले भी जीवित रहते हैं और दो लोगों के बीच भी। छत्तीस के आंकड़े से अकेले छत्तीसगढ़  का ही नहीं बल्कि पूरे देश से ताल्लुक है। छत्तीस का आंकड़ा सनातन है।इसका वजूद त्रेता, द्वापर और कलियुग में भी मिलता है।इस आंकड़े के असंख्य उदाहरण हैं। महाभारत से लेकर रूस -यूक्रेन युद्ध तक इसी छत्तीस के आंकड़े के प्रमुख सह उत्पाद है। दीपावली के दूसरे दिन पड़वा को गोधन (गोवर्धन) पूजा के साथ ही हमारे यहां 'अन्नकूट' का श्रीगणेश हो जाता है। भगवान को सभी नये अन्न और शाक मिलाकर तरकारी बनती है। समर्थन में कढी,चावल भी पकाए जाते हैं। फिर पूड़ी तो होती ही है। गरीब की ओर से भगवान को यही छप्पन (56)भोग है। भगवान को खुश करने के लिए खास लोगों की ओर से जो छप्पन भोग लगाया जाता है,वो आम आदमी के बूते की बात नहीं। 

छप्पन भोग में जा चीजें शामिल होती हैं उनमें  (जलेबी), धृतपूर (मेसू), वायुपूर (रसगुल्ला), चंद्रकला (पगीहुई), दधि (महारायता), स्थूली (थूली), कर्पूनाड़ी (लौंगपूरी), खंडमंडल (खुरमा), भक्त (भात), सूप (दाल), गोधूम (दलिया), परिखा, सुफलाढया सौंफयुक्त, दधिरूप (बिलसारू), मोदक (लड्डू), शाक (साग), सौधान (आधानौ अचार), मंडका (मोठ), पायस (खीर), परिष्टाश्च (पूरी), शतपत्र (खजला), सधिद्रक (घेवर), चक्राम (मालपुआ), चिल्डिका (चोला), दधि (दही), गोघ्रत, मंडूरी (मलाई), प्रलेह (चटनी), सदिका (कढ़ी), दधिशाकजा (दही की कढ़ी), सुफला (सुपारी), सिता (इलायची), हैयंगपीनम (मक्खन), फल, तांबूल, मोहनभोग, लवण, कषाय, मधुर, तिक्त, कटु, अम्ल, सिखरिणी सिखरन, अवलेह (शरबत), बालका (बाटी), इक्षु खेरिणी (मुरब्बा), त्रिकोण (शर्करा युक्त), बटक (बड़ा), मधु शीर्षक (मठरी), फेणिका (फेनी), कूपिका, पर्पट (पापड़), शक्तिका (सीरा), लसिका (लस्सी), सुवत, संघाय मोहन प्रमुख हैं।

भगवान को ये महाभोग अर्पित करने के बाद इसे मिश्रित कर आम जनता को प्रसाद वितरित किया जाता है। हमारे पडौसी शुक्ल दद्दा अन्नकूट का मतलब अलग बताते हैं।वे कहते हैं कि अन्नकूट महोत्सव में जाओ तो कूट, कूटकर खाओ।वे बताते हैं कि ये प्रसाद पेट से ऊपर अर्थात भूख से ज्यादा खाना चाहिए।ये सुपाच्य होता है। बचपन में शुक्ल दद्दा ने आधा पेट खाया तो वापसी में घर पर मार पड़ी।तब से शुक्ल जी का पूरा परिवार अन्नकूट प्रसादी कूट, कूटकर ही खाते हैं। कोई परोसा (घर ले जाने के लिए प्रसाद) दे दे तो कभी इंकार नहीं करते। अन्नकूट के लिए हमारी श्रीमती जी सात समंदर पार भी जाने को तैयार रहतीं हैं।शहर में तो अन्नकूट का निमंत्रण ठुकराने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। यदि अन्नकूट का कोई अवसर चूक जाए तो श्रीमती जी को महिनों तक अफसोस होता है। बहरहाल ये बात तो हुई अन्नकूट की, लेकिन सियासत में भी पिछले कुछ सालों से 56का आंकड़ा लोकप्रिय है।

अब जिसका सीना 56 इंच का होता है उसी को डान कहा जाता है। हमारे यहां तो जनता चौकीदार भी 56 इंच के सीने वाले को चुनते हैं। जिनके पास सीने का साइज़ छोटा होता है वे 56 इंच का फोल्डिंग औजार जेब में रखते हैं। जहां तक बात छत्तीस के आंकड़े की है तो ये आंकड़ा तो आपको अपने घर, आसपड़ोस, दफ्तर,और राजनीतिक दलों के बीच मिल जाएगा। जहां छत्तीस का आंकड़ा नहीं, वहां न कोई रहस्य नहीं,रोमांच नहीं। यहां तक कि टीवी सीरियल तक में बिना 36 के आंकड़े के कोई पटकथा पूरी नहीं होती।अब तो भले ही दुनिया ,'ग्लोबल गांव ' बन गया है किन्तु जब तक दो मुल्कों के बीच 36 का आंकड़ा न हो तब तक मजा ही नहीं आता। मैंने तय किया है कि राष्ट्र हित मे मै अपनी नई किताब 36 और 56 के आंकड़े पर ही केंद्रित रखूंगा,ताकि एक  साथ अनेक मित्रों को संतुष्ट कर सकूं। इन आंकड़ों के बिना देश, दुनिया में सब आधा -अधूरा है !

- राकेश अचल

फोटो ऑफ़ द डे

पंजाब का विकास या इस्लामीकरण !

फोटो ऑफ़  डे

किसी काम से सरहिंद के पास से निकलना हुआ। वहाँ बने एक ऐतिहासिक गेट के नीचे से गुजरते हुए उस पर लिखे शब्दों पर नज़र पड़ते ही सहसा गाड़ी के ब्रेक लग गए। शब्दों को पढ़कर मन बड़ा विस्मित हुआ। अगर गलत नही हूँ तो इस गेट पर आज से पहले सेठ टोडर मल यादगारी गेट लिखा देखता था। यह वही सेठ टोडर मल थे जिनके बारे में शायद हम बुजुर्गों से सुनते आए थे कि इन्होनें गुरु गोबिंद सिंह जी के लाडलों के शवों के अंतिम संस्कार के लिए उनके पार्थिव शरीर के बराबर मुगल तानाशाह को सोने की गिन्नियाँ दी थी। 

सुनते थे कि तानाशाह की शर्त के मुताबिक गिन्नियाँ पड़ी (horizontal) नही बल्कि खड़ी (vertical) होनी चाहिए थीं। लेकिन उस शर्त को भी स्वीकारते हुए टोडर मल ने सोने की गिन्नियों को खड़ी (vertical) चिनवा दिया था। शरीर के बराबर गिन्नियों की संख्या और कीमत को आज के हिसाब से बनाया जाए तो हज़ारों करोड़ में संख्या बन जाएगी। 

आज के आदमी की बात की जाए तो जेब से किसी जरूरतमंद को अगर 10 का नोट भी निकालकर देता है तो उसकी मनस्थिति किसी धन्ना सेठ से कम नही होती होगी। इस गेट के नीचे से आते जाते सेठ टोडर मल का नाम लिखा देखकर न केवल दिल में अनायास ही उनके प्रति श्रद्धा भाव भर जाते थे।अपितु दिल में गरीबों-जरूरतमंदों के प्रति भाव भी पैदा करता था। 

लेकिन आज दिल यह देखकर बहुत मायूस हुआ कि गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज सच्चे बादशाह के जिस चेले सेठ टोडर मल का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाना चाहिए था, उस गेट पर स्याही से भी लिखे नाम को मिटा डाला गया।उनके नाम को साफ करके अब उसे नवाब शेर मुहम्मद खां यादगारी गेट बना दिया गया है। सियासत बहुत बेहया होती है, इसका इल्म तो था, लेकिन आज स्पष्ट भी देखने को मिल गया। सेठ टोडर मल की आत्मा इस कृत्य को देखकर बहुत अचंभित हो रही होगी। ये खालीस्तान के नाम पर इस्लामीकरण हो रहा है।

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आप जानते हैं की आप किस नंबर के नागरिक हैं !

प्रोटोकॉल के अनुसार देश में 26 तरह के नागरिक होते हैं, क्या…

आप जानते हैं की आप किस नंबर के नागरिक हैं !

राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो  गया  है। क्या आपको मालूम है कि जो राष्ट्रपति पद पर रहते हुए देश के पहले नागरिक होते हैं, वो रिटायर होने के बाद किस नंबर के नागरिक बन जाते हैं। वैसे आपको ये भी बता दें कि देश के आम नागरिक 27वें नंबर पर हैं। उनसे ऊपर देश के उच्च पदासीन या रिटायर हुए लोग होते हैं। इसमें राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री और राज्यपाल सभी शामिल होते हैं। रिटायर होने के बाद पूर्व राष्ट्रपति प्रोटोकॉल में 5वें नंबर के नागरिक होते हैं। 

देश को द्रौपदी मुर्मू के रूप में नया राष्ट्रपति मिल चुका है। उन्होंने चुनावों में यशवंत सिन्हा को हराया। 25 जुलाई को उन्होंने कार्यभार ग्रहण कर लिया है। इसके बाद क्या आपको मालूम है कि पद से हटने के बाद पूर्व राष्ट्रपति देश में किस नंबर के नागरिक बन जाते हैं। प्रोटोकॉल के अनुसार देश में 26 तरह के नागरिक होते हैं। ये सभी खास पद पर आसीन लोग होते हैं। गृह मंत्रालय में इसकी सूची बनी हुई है कि देश में किन बड़े पदों पर आसीन लोग किस नंबर के नागरिक हैं। ये हम सभी को मालूम है कि देश का राष्ट्रपति राष्ट्र का पहला नागरिक होता है। लेकिन रिटायर होते ही स्थितियां बदल जाती हैं। 

  • देश के पहले नागरिक – राष्ट्रपति, जो अब द्रौपदी मुर्मू होंगी..!
  • दूसरा नागरिक – देश के उप राष्ट्रपति
  • तीसरा नागरिक – प्रधानमंत्री, यहां नरेंद्र मोदी देश के तीसरे नंबर के नागरिक हैं
  • चौथे नागरिक – राज्यपाल (संबंधित राज्यों के)
  • पांचवें नागरिक– देश के पूर्व राष्ट्रपति (फिलहाल इस स्थिति में पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल हैं और रिटायर होने के बाद रामनाथ कोविंद होंगे)
  • पांचवें नागरिक (A) – देश के उप प्रधानमंत्री
  • छठे नागरिक – भारत के मुख्य न्यायधीश और लोकसभा के अध्यक्ष.
  • सातवें नागरिक – केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री ( संबंधित राज्यों के), योजना आयोग के उपाध्यक्ष (वर्तमान में नीति आयोग), पूर्व प्रधानमंत्री, राज्यसभा और लोकसभा में विपक्ष के नेता
  • सातवां (A) – भारत रत्न पुरस्कार विजेता
  • 08वें नागरिक – भारत में मान्यता प्राप्त राजदूत, मुख्यमंत्री (संबंधित राज्यों से बाहर के) गवर्नर्स (अपने संबंधित राज्यों से बाहर के)
  • 09वें नागरिक – सुप्रीम कोर्ट के जज, 9 A – यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) के चेयरपर्सन, चीफ इलेक्शन कमिश्नर, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक
  • 10वें नागरिक – राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन, उप मुख्यमंत्री, लोकसभा के डिप्टी स्पीकर, योजना आयोग के सदस्य (वर्तमान में नीति आयोग), राज्यों के मंत्री (सुरक्षा से जुड़े मंत्रालयों के अन्य मंत्री)
  • 11वें नागरिक – अटार्नी जनरल (एजी), कैबिनेट सचिव, उप राज्यपाल (केंद्र शासित प्रदेशों के भी शामिल)
  • 12 वें नागरिक– पूर्ण जनरल या समकक्ष रैंक वाले कर्मचारियों के चीफ
  • 13वें नागरिक – राजदूत
  • 14वें नागरिक – राज्यों के चेयरमैन और राज्य विधानसभा के स्पीकर (सभी राज्य शामिल), हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस (सभी राज्यों की पीठ के जज शामिल)
  • 15वें नागरिक – राज्यों के कैबिनेट मिनिस्टर्स (सभी राज्यों के शामिल), केंद्र शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य कार्यकारी काउंसिलर (सभी केंद्र शासित राज्य) केंद्र के उपमंत्री
  • 16वें नागरिक – लेफ्टिनेंट जनरल या समकक्ष रैंक का पद धारण करने वाले स्टाफ के प्रमुख अधिकारी
  • 17वें नागरिक – अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष, अनुसूचित जाति के राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष, अनुसूचित जनजाति के राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश (उनके संबंधित न्यायालय के बाहर), उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश (उनके संबंधित अधिकार क्षेत्र में)
  • 18वें नागरिक – राज्यों (उनके संबंधित राज्यों के बाहर) में कैबिनेट मंत्री, राज्य विधान मंडलों के सभापति और अध्यक्ष (उनके संबंधित राज्यों के बाहर), एकाधिकार और प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार आयोग के अध्यक्ष, उप अध्यक्ष और राज्य विधान मंडलों के उपाध्यक्ष (उनके संबंधित राज्यों में), मंत्री राज्य सरकारों (राज्यों में उनके संबंधित राज्यों), केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्री और कार्यकारी परिषद, दिल्ली (उनके संबंधित संघ शासित प्रदेशों के भीतर) संघ शासित प्रदेशों में विधान सभा के अध्यक्ष और दिल्ली महानगर परिषद के अध्यक्ष, उनके संबंधित केंद्र शासित प्रदेशों में।
  • 19वें नागरिक – संघ शासित प्रदेशों के मुख्य आयुक्त, उनके संबंधित केंद्र शासित प्रदेशों में राज्यों के उपमंत्री (उनके संबंधित राज्यों में), केंद्र शासित प्रदेशों में विधान सभा के उपाध्यक्ष और मेट्रोपॉलिटन परिषद दिल्ली के उपाध्यक्ष
  • 20वां नागरिक– राज्य विधानसभा के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन (उनके संबंधित राज्यों के बाहर)
  • 21वां नागरिक – सांसद
  • 22वां नागरिक– राज्यों के डिप्टी मिनिस्टर्स (उनके संबंधित राज्यों के बाहर)
  • 23वां नागरिक– आर्मी कमांडर, वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ और इन्हीं की रैंक के बराबर के अधिकारी, राज्य सरकारों के मुख्य सचिव, (उनके संबंधित राज्यों के बाहर), भाषाई अल्पसंख्यकों के आयुक्त, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आयुक्त, अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य, अनुसूचित जातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग के सदस्य, अनुसूचित जनजाति के लिए राष्ट्रीय आयोग के सदस्य
  • 24वां नागरिक – उप राज्यपाल रैंक के अधिकारी या इन्हीं के समक्ष अधिकारी
  • 25वें नागरिक – भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव
  • 26वें नागरिक – भारत सरकार के संयुक्त सचिव और समकक्ष रैंक के अधिकारी, मेजर जनरल या समकक्ष रैंक के रैंक के अधिकारी
  • 27वें नागरिक – आम लोग।

पद और अधिकार का misuse कर निकाला वेतन एवं एरियर

मूल पदस्थापना का पता नहीं विभाग ने दिया दूसरे कार्यालय का प्रभार एवं वित्तीय अधिकार…

पद और अधिकार का दुरुपयोग कर निकाला वेतन एवं एरियर

ग्वालियर। बृजेष चतुर्वेदी। ग्वालियर संयुक्त संचालक स्कूल शिक्षा विभाग मैं पूर्व संयुक्त संचालक अरविंद सिंह का स्थानांतरण ग्वालियर से होशंगाबाद होता है और उज्जैन से आरके उपाध्याय का स्थान पर ग्वालियर आदेश प्राप्त होने पर आरके उपाध्याय ग्वालियर में कार्यभार ग्रहण कर लेते हैं परंतु 4 वर्षों से ग्वालियर में जमे रहने के कारण अरविंद सिंह को ग्वालियर से इतना लगाव हो गया कि वह ग्वालियर छोड़ना नहीं चाह रहे थे।

श्रीसिंह ग्वालियर छोड़कर नहीं गए और विभाग उनका स्थानांतरण आदेश निरस्त कर दिया जिस पर आरके उपाध्याय माननीय न्यायालय की शरण में चले गए माननीय न्यायालय द्वारा श्री उपाध्याय को स्थगन आदेश दे दिया गया तथा अरविंद सिंह को कार्यमुक्त कर दिया परंतु विभाग द्वारा न्यायालय के स्थगन आदेश की भावना को दरकिनार कर दिसंबर 2020 में अरविंद सिंह का कार्यमुक्ति आदेश निरस्त कर दिया 8 अक्टूबर 2020 से दिस 17 दिसंबर 2020 तक की अवधि में अरविंद सिंह अनुपस्थित रहे और 17 दिसंबर 2020 को कार्य मुक्ति आदेश निरस्त होने पर दोबारा संयुक्त संचालक कार्यालय ग्वालियर में उपस्थित हो गए । 

लेकिन 24 मार्च 2021 को माननीय उच्च न्यायालय  द्वारा आरके उपाध्याय के पक्ष में फैसला दिया  विभाग ने इस फैसले का भी सम्मान नहीं किया और लोक शिक्षण संचनालय भोपाल के अप्रैल के आदेश में अरविंद सिंह को विधि प्रकोष्ठ ग्वालियर का प्रभार दे दिया गया साथ ही वित्तीय अधिकार भी दे दिए इसका फायदा उठाते हुए अरविंद सिंह ने 8 अप्रैल 2020 से 17 दिसंबर 2020 तक के बिना स्वीकृत अवकाश का वेतन वह एरियर आहरण कर लिया । 

यहां सोचने वाली बात है की संयुक्त संचालक कार्यालय से अंतिम वेतन प्रमाण पत्र होशंगाबाद के लिए जारी होता है तो फिर ग्वालियर से इनका वेतन आहरण कैसे हो गया और संयुक्त संचालक विधि प्रकोष्ठ का प्रभार इनके पास था तो मूल पदांकन कहा था ? क्योंकि अरविंद सिंह को प्रभार दिया गया था ना कि स्थानांतरण किया गया था ! इसका जवाब विभाग व शासन किसी के पास नहीं है ! क्या  विभाग उन्हें बचाने में इसीलिए वित्तीय अनियमितता जैसी बड़ी घटना के बाद भी विभाग मौन बना बैठा है ऐसा प्रतीत होता है कि श्री सिंह ने ये कारनामा विभाग व शासन की सहमति से किया है।  

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्वालियर में रहते हुए अरविंद सिंह ने आश्चर्यचकित करने वाली कई कारनामों को अंजाम दिया है जैसे नवंबर 2019 में ग्वालियर संभाग के श्योपुर जिले के 40 विद्यालयों का एक ही दिन में ऑडिट और ग्वालियर संभाग में अनुकंपा नियुक्ति 4 पद रिक्त के विरोध लगभग 24 नियुक्तियां जैसे कारनामों को भी अंजाम दिया है जिसकी सूचना लोक शिक्षण संचनालय तक पहुंच गई परंतु अरविंद सिंह पर कोई कार्रवाई नहीं हुई बल्कि उन्हें बचाया गया।

Viral : जब सड़कों पर भैंस घुमाने निकले ऊर्जा मंत्री...

प्रदेश में बिजली संकट, ग्वालियर में 

जब सड़कों पर भैंस घुमाने निकले ऊर्जा मंत्री...

प्रदेश में बिजली संकट गहराता जा रहा है और प्रदेश के ऊर्जा मंत्री सड़कों पर भैंस घुमा रहे हैं। सोमवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है। जिसमें ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर सड़क पर भैंस की चेन लेकर उसे ले जा रहे हैं। यह वीडियो रविवार रात का बताया जा रहा है, लेकिन इस संबंध में ऊर्जा मंत्री से बात नहीं हो पाई है। पर सोशल मीडिया पर यह वीडियो प्रदेश में ऊर्जा संकट से जोड़कर काफी चर्चित हो रहा है। रविवार रात को ही ऊर्जा मंत्री तोमर ग्वालियर लौटे हैं। इस दौरान उन्होंने सोमवार सुबह बहोड़ापुर में विद्युत केन्द्र का निरीक्षण भी किया है। पर उनका सड़कों पर भैंस चराना एक बार फिर चर्चा में हैं।पूरे देश के पावर प्लांटों में कोयले की कमी का संकट का असर अब मध्यप्रदेश में भी दिखने लगा है। मध्य प्रदेश में भी बिजली संकट की आहट हो चुकी है।

बिजली संकट से प्रदेश को बाहर निकालने के लिए प्रदेश सरकार अथक प्रयास कर रही है। इसी बीच प्रदेश के ऊर्जामंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर जिन पर ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी है उनका सड़कों पर भैंस लेकर घूमते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है। वैसे तो सिंधिया समर्थक भाजपा नेता व ऊर्जामंत्री प्रद्युम्न सिंह हमेशा अपने अनोखे अंदाज और सादा व्यक्तित्व के लिए चर्चित रहते हैं। कभी वह श्मशान घाट मंे सफाई करने तो कभी उफनते सीवर चेंबर में उतरने के लिए चर्चित रहते हैं। पर इस बार उनका अनोखा अंदाज लोगों को कम ही रास आ रहा है। क्योंकि मौका ही कुछ अलग है। प्रदेश ऊर्जा संकट के दौर से गुजर रहा है और ऊर्जामंत्री सड़कों पर भैंस लेकर घूमते निकल रहे हैं। सोमवार रात को यह वीडियो सामने आया है।बताया जा रहा है यह एक रात पहले का है। इस संबंध में ऊर्जामंत्री से बात करना चाही तो नहीं हो सकी है।

  • सोशल मीडिया पर सामने आया ऊर्जामंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का यह वीडियो सिर्फ 30 सेकंड का है। इसमें वह एक भैंस की लगाम अपने हाथ में थामे हुए हैं। पीछे एक समर्थक अन्य भैंस की रस्सी को पकड़े हैं। सड़क पर अंधेरे में ट्रैफिक को हटाते हुए जा रहे हैं। उनकी सेवा में तैनात रहने वाला बल उनके पीछे-पीछे जा रहा है। सड़क पर निकलते समय वह हंसी ठिठौली भी करते जा रहे हैं। पर ऊर्जा संकट के दौर में ऐसे उनका भैंस लेकर सड़क पर घूमना इस बाद सोशल मीडिया पर पॉजिटिव नहीं माना जा रहा है। पावर प्लांटों में कोयले के देशव्यापी संकट का असर मध्यप्रदेश में भी दिखने लगा है। 
  • प्रदेश में दो दिन पहले तक की यह स्थिति थी कि सिर्फ 592 हजार टन कोयला बचा है। खरगोन में कोयला पूरी तरह समाप्त हो चुका है। गाडरवाड़ा में भी सिर्फ एक दिन का कोयला बचा है। इससे प्रदेश में बिजली संकट पैदा होगा। इसके बावजूद, ऊर्जा मंत्री का दावा है कि प्रदेश में बिजली संकट नहीं होने दिया जाएगा। मध्यप्रदेश जनरेशन कंपनी के सबसे बड़े श्री सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट में दो दिन का कोयला बचा है। प्रदेश में बिजली की डिमांड 10 हजार मेगावॉट तक पहुंच रही है। 
  • इसकी तुलना में प्रदेश में थर्मल, जल, सोलर व विंड से महज 3900 मेगावॉट ही बिजली का उत्पादन हो पा रहा है। शेष बिजली सेंट्रल पावर से ली जा रही है। इससे पहले भी ऊर्जामंत्री अपने अनोखे अंदाज के लिए सोशल मीडिया पर चर्चित रहते हैं। इससे पहले सीवर में उतरकर सफाई करने। बिजली के ट्रांसफार्मर पर चढ़कर सफाई करने, शमशान घाट में श्रमदान करने के साथ-साथ जमीन पर बैठकर लोगों की शिकायत सुनने के उनके अंदाज के चलते वह सोशल मीडिया पर चर्चित रह चुके हैं।

ये अद्भुत जनसेवक हैं जिन्होंने चुना उन्हें ही करते हैं परेशान !

चुनावी सफलाता और सत्ता की चाबी मिलते ही ये जनप्रतिनिधि जो स्वयं को कहते तो जनसेवक हैं, लेकिन इन जनसेवकों का हालातों से मुंह मोड़ना इनकी आदत में शुमार हो चला हैं..?? क्या अब सियासत हमारी व्यवस्था पर इस हद तक हावी हैं कि हम सभी के लिये बनाए गये नियम इन जनसेवकों पर लागू नहीं होते..?? क्या हम और हमारा शहर प्रदेश और देश की तक़दीर और तस्वीर  ऐसे लोगों के हाथों का खिलौना बन चुकी हैं.. लेकिन ये जनसेवक चुनाव जीतने के बाद सत्ता मिलने पर जनता की कितनी सेवा करते हैं सभी जानते हैं। 

क्या हमारे इन कर्णधारों पर उस कोरोना की गाइडलाइंस लागू नहीं होती.. जिसने अनेक ज़िंदगियों पर उम्र पूरी होने से पहले मौत की मुहर लगवा दी..? क्या स्वागत और वंदन के दौरान धारा 144 के उल्लंघन का मामला इन पर नहीं बनता ? जहां आमजन चार आदमी से ज्यादा इकट्ठे हो जाएं तो स्थानीय प्रशासन धारा 144,188 के तहत कार्रवाई करवाते हुए उनके खिलाफ f.i.r.करवाकर उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाने का इंतजाम कर देता है। विपक्षी पार्टी के सांसद विधायक व पार्षद जनता के हितों की मांग को लेकर कोई धरना प्रदर्शन करें तो इनके साथ-साथ उनके सभी कार्यकर्ताओं पर भी केस दर्ज कर लिए जाते हैं तो फिर इन जनसेवकों के साथ उदार व्यवहार क्यों ? क्या सत्ता हासिल करने के साथ ही इन्हें कानून के साथ खिलवाड़ करने का लाइसेंस मिल जाता है ? ऐसे तमाम सवाल है जो इन दिनों अंचल के आम जन के मन में उठ रहे हैं ?

दरअसल केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बुधवार से अंचल का तीन दिवसीय दौरा शुरू कर रहे है । इसके लिये ग्वालियर मेंं दो सौ स्थानों पर भीड़ भरे स्वागत की तैयारियां, अवकाश पर गए corona को फिर से वापस काम पर बुलाने की तैयारी तो नहीं हैं।

केंद्रीय मंत्री श्रीमंत सिंधिया ग्वालियर के ही निवासी हैं और प्रत्येक ग्वालियर वासी उनका दिल से सम्मान करता हं् फिर सत्ताधारी पार्टी के द्वारा इस प्रकार का प्रपंच क्यों किया जा रहा है वह भी कोविड जैसी महामारी के द्वारा फैलने की आशंका के बीच।  उनके स्वागत की तैयारी के लिये इस प्रकार की रैली का आयोजन कर भीड़ जुटाना कहां की अकल बंदी का काम है ?

शहर के दो सैकड़ा से भी अधिक स्थानों पर स्वागत की तैयारी करने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं के द्वारा शहर के बाज़ारों.. मुख्य मार्गों और रोड़ शो के तयशुदा रास्तों पर होर्डिंग्स.. बैनर्स.. पोस्टर्स की भरमार संपत्ति विरूपण अधिनियम को खुली चुनौती दी जा रही हैं । सिंधिया के स्वागत की भव्यता और दिव्यता की ज़िम्मेदारी उनके दो मज़बूत सिपाहियों के उन कांधों पर हैं जिन्हें केबिनेट मंत्री का भारी दायित्व मिला हुआ हैं!अपने राजनैतिक संरक्षक के सत्कार में दोनों ही तन-मन-धन से सक्रिय हैं। सड़कों पर सैलाब लाने की ऐसी तैयारी को देख कर तो ऐसा ही लग रहा है कि ग्वालियर ने कोविड-19 जैसी किसी महामारी का कभी सामना ही नहीं हुआ है। रातों-रात स्मार्ट सिटी ग्वालियर की उन सड़कों का पैच वर्क कार्य कर गड्ढों का नामोनिशान मिटा दिया गया है जिन से होकर श्रीमंत का काफिला गुजरेगा। 

लेकिन शहर के तमाम हिस्सों में चाहे वह हनुमान घाटी से शब्द प्रताप आश्रम विनय नगर मार्ग,मेंटल मेंटल हॉस्पिटल से उरवाई गेट मार्ग, फूलबाग चौराहे से किला गेट मार्ग हाथी जैसे तमाम सड़कें खुदी पड़ी है कीचड़ से लबालब है इन सड़कों पर वाहन चलाना तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल है। हां लेकिन जिन सड़कों से होकर श्रीमंत की रैली निकलेगी उन सड़कों की क़िस्मत यकायक चमक गई हैं.. जो अपने गड्ढों के बीच जीवित होने के सुबूत मांगते हुए दम तोड़ रही थीं।

हालांकि सिंधिया जी के दौरे को कोविड प्रोटोकॉल सहित अन्य बिंदुओं पर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की मुख्य बेंच जबलपुर में चुनौती दी गई है । इस मामले में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है। ग्वालियर के एक नागरिक डोंगर सिंह ने कोरोना गाइड लाइन और कोरोना की संभावित तीसरी लहर का हवाला देते हुए केंद्रीय मंत्री के दौरे के विरूद्ध मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की मुख्य बेंच जबलपुर में एक जनहित याचिका दायर की है। जिसमें कोरोना गाइड लाइन और कोरोना की संभावित तीसरी लहर का ज़िक्र किया गया है। याचिका में मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन, गृह विभाग के प्रमुख सचिव, ग्वालियर , मुरैना के कलेक्टर और एसपी को पार्टी बनाया गया है। 

याचिकाकर्ता डोंगर सिंह ने कोरोना से जुड़े पिछले तमाम दिशा निर्देशों का संदर्भ देते हुए सिंधिया के दौरे में कोरोना गाइड लाइन के पालन की अपेक्षा जताई हैं और कोविड नियमों का उल्लंघन होने की दशा में विधि सम्मत कार्रवाई की अपील भी की है। लेकिन जब तक अदालत कोई निर्णय देगी तब तक रैली संपन्न हो चुकी होगी। इस रैली के दौरान जो ट्रैफिक रुकेगा उसमें लोगों को तमाम तरह की परेशानियां भी होंगीं। इस परेशानी का कारण सिर्फ और सिर्फ स्वयं को जनसेवक कहने वाले यह जनप्रतिनिधि है जो जन सेवक कम जन को प्रताड़ित करने वाले ज्यादा सिद्ध हो रहे हैं जो कभी  धरना प्रदर्शनों से तो कभी रैलियां निकालकर लोगों को बेवजह परेशान करते हैं।

ख़ास बात ये भी हैं कि कांग्रेस भी इस मामले में विरोध के अपने स्वर बुलंद कर रही हैं। लेकिन कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन को देखकर तो यही लेखक लग रहा है कि यह एक सांकेतिक विरोध प्रदर्शन है क्योंकि जो समय कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन के लिए चुना है उस समय में तो श्रीमंत की रैली शहर के अंदर दाखिल नहीं हो पाएगी। ऐसे में कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन क्या मायने रखता है? वैसे भी जिसने ऐसे स्वागत की नियम तोड़ती परंपरा को शहर में हमेशा जीवित रखा हो, उस पार्टी से विरोध प्रदर्शन की क्या उम्मीद की जा सकती है ? लंबे अर्से तक यही कांग्रेस महल के साथ रहते हुए धारा 144 को धता बताती रही हैं जो अब इसकी दुहाई दे रही हैं.. क्योंकि अब भी सिंधिया की सियासत वहीं हैं लेकिन पार्टी बदल चुकी है.. आज कांग्रेस जिस स्वागत परंपरा से प्रभावित दिख रही है, वह परंपरा और आदत तो उसी की देन है। अब सरकार की ऐसी दोहरी नीति के विरुद्ध विपक्षी दलों ने दस दिनी तक ग्वालियर में पदयात्रा का फ़ैसला लिया है ताकि जनता को सच्चाई से रूबरू कराया जा सकें । 

रवि यादव

12 साल का बच्चा स्कूल खुलवाने कोर्ट पहुंचा

जज बोले-पढ़ाई पर ध्यान दें, कोरोना का खतरा भी अभी टला नहीं…

12 साल का बच्चा स्कूल खुलवाने कोर्ट पहुंचा 

नई दिल्ली। कोरोना के कारण डेढ़ साल से ज्यादा समय से ज्यादातर स्कूल बंद हैं। ऐसे में एक 12 साल के बच्चे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र व राज्य सरकारों को स्कूल खुलवाने के निर्देश मांग की। इस पर सोमवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने बच्चे से कहा, ‘पढ़ाई पर ध्यान दें। अभी बच्चों को वैक्सीन नहीं लगी है। कोरोना का खतरा टला नहीं है। वहीं, जहां हालात सामान्य हो रहे हैं, वहां राज्य सरकारें स्कूल खोल रही हैं।’ बेंच ने पूछा, ‘जिस तरह के हालात केरल और महाराष्ट्र में हैं क्या स्कूल खोला जा सकता है?’ 

जजों ने याचिकाकर्ता बच्चे के वकील से कहा, ‘हम ये नहीं कहते कि याचिका कितनी गलत है। या फिर प्रचार पाने के लिए लगाई गई है। लेकिन बच्चों को ऐसी नौटंकी में शामिल नहीं होना चाहिए।’ इसके बाद याचिकाकर्ता ने अर्जी वापस ले ली। बच्चे ने कहा था कि ऑनलाइन पढ़ाई कारगर नहीं है। बच्चे तनाव का शिकार हो रहे हैं। गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को उच्च जोखिम वाली श्रेणी में रखने और काेरोना टीकाकरण में प्राथमिकता देने की मांग की गई है। दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में इसके लिए याचिका लगाई है। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने केंद्र से दो हफ्ते में जवाब मांगा है। आयोग की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि केंद्र ने गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के टीकाकरण के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। 

लेकिन अब कहा जा रहा है कि टीकाकरण का उन पर कुछ प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में नीति स्पष्ट होनी चाहिए। जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने एक अन्य मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से दिव्यांगों के टीकाकरण के लिए उठाए कदमों पर जवाब मांगा। आगे की योजनाओं की जानकारी मांगी है। गैरसरकारी संगठन ‘इवारा’ के वकील पंकज सिन्हा ने कहा, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा है कि अधिकतम कवरेज के लिए घर-घर टीकाकरण होना चाहिए। झारखंड और केरल ने ऐसा किया है।

Cast के सामने Qualification का कोई मोल नहीं !

मीडिया की नजर में इस बन्दे में कोई और खासियत नहीं…

जाति के सामने योग्यता का कोई मोल नहीं !

चरणजीत सिंह चन्नी ये नाम आज खूब सुर्खियों में है। मीडिया केवल इस बात पर जोर दे रहा है कि ये पंजाब का पहला दलित मुख्यमंत्री है। क्या इसके अलावा मीडिया की नजर में इस बन्दे में कोई और खासियत नही है। चलो फिर मैं बताता हूं इस दलित की खासियत। राजनीतिक तोर पर चरणजीत सिंह DAV कॉलेज में स्टूडेंट यूनियन का प्रधान रहा। फिर 3 बार MC बना। 3 बार विधायक बना जिसमे एक बार निर्दलीय चुनाव जीता। 

एक बार पंजाब सरकार में तकनीकी मंत्री भी रहा। चन्नी पंजाब यूनिवर्सिटी से LLB पास है। इसके बाद इन्होंने MBA किया और अब ये पंजाब यूनिवर्सिटी से PHD कर रहे है तो शिक्षा के क्षेत्र में भी ये पीछे नही है। एक पढ़े लिखे इंसान है। यूनिवर्सिटी की बास्केटबॉल का खिलाड़ी रहा है चरणजीत सिंह । इंटर यूनिवर्सिटी मुकाबले में ये तीन बार गोल्ड मेडलिस्ट है। इन विषयों पर बात न कर के गुलाम मानसिकता व जातिवादी सोच के लोग केवल इनकी जाति की बात कर रहे है। 

पंजाब में अनुसूचित  समाज की ताकत व जागरूकता ने कांग्रेस को मजबूर किया कि वो इस समाज के एक नेता को मुख्यमंत्री बनाये। और फिर उसे आने वाले समय में चुनाव भी तो लड़ना है तो उसका इस समाज का वोट कहीं खिसक ना जाए यही सोचकर कांग्रेस ने एक दलित को मुख्यमंत्री बनाया है। कांग्रेस अपना काम कर रही है तुम अपने आप को मजबूत करने का काम करो।

VVIP दौरे से पहले कुछ घंटों की मेहनत से पेंचवर्क कर सुधारा

महीनों से गड्डों में तब्दील हुई सड़कों को...

VVIP दौरे से पहले कुछ घंटों की मेहनत से पेंचवर्क कर सुधारा 

ग्वालियर। शहर की सड़कों की रिपेयरिंग पैच वर्क और वे साफ-सुथरी चमचमाती हुई तभी नजर आती हैं। जब किसी भी वी- वी आईपी का मूवमेंट शहर में होता है ऐसा ही इन दिनों ग्वालियर में हो रहा है। कितने ही दिनों से शहर की सड़कों अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही थी। लोग शहर की सड़कों में बने गड्ढों से परेशान थे। इन गड्ढों कारण कई लोग तो दुर्घटना का शिकार भी हो चुके हैं। 

कीचड़ और धूल मिट्टी से भरी पड़ी इन सड़कों पर चलने वाले लोग और उनके आसपास रहने वाले लोग तमाम
बीमारियों के शिकार बन रहे हैं थे। लेकिन अब इन सड़कों के गड्ढे रात दिन मजदूर लगाकर भरवाए जा रहे हैं उनके ऊपर डांबर भी डलवाया जा रहा है जिससे माननीय मंत्री जी को शहर की सड़कों की दुर्दशा का ठीक से आकलन ना लग पाए। राज्यसभा सांसद नगरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी के नगर आगमन पर शहर की सड़कों की दशा और दिशा बदली जा रही है इसके लिए निगम का आमला रात-दिन एक किए हुए हैं। 

लेकिन सड़क पर लगाये जा रहे ये पैबंद क्या वास्तविकता को छुपा सकते हैं। यह कैसी शासन व्यवस्था है कि एक तरफ एक विधायक जनता के हित के मुद्दों को लेकर मसलन बिजली पानी सड़क जैसे मुद्दों को लेकर अगर नगर निगम मुख्यालय के गेट पर धरना देता है तो कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन बताकर उसके व उसके कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया जाता है। 

वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार के मंत्री के आगमन पर भव्य स्वागत की तैयारियां शहर में की जा रही हैं क्या स्वागत सत्कार के दौरान एकत्रित होने वाली भीड़ के कारण कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन नहीं होगा ? और यदि होगा तो क्या इसी प्रकार का मुकदमा मंत्री जी और उस स्वागत सत्कार में शामिल होने वाले कार्यकर्ताओं के खिलाफ शासन प्रशासन दर्ज करेगा ? यह एक यक्ष प्रश्न है जिसका जवाब शायद ना में ही मिलेगा।

भोपाल में BJP कार्यकर्ताओं ने PM मोदी के 71वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर काटा 71 फीट लंबा केक

आज से शुरू होगा 20 दिवसीय जनसंपर्क अभियान…

BJP कार्यकर्ताओं ने PM मोदी के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर काटा 71 फीट लंबा केक

मध्यप्रदेश के भोपाल में लालघाटी चौराहा पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 71वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर 71 फीट लंबे वैक्सीन के आकार का केक काटा। वैक्सीन के आकार में बनाए गए यह केक सभी के आकर्षण का केंद्र बना रहा। देश के अन्य हिस्सों से भी इसी तरह की कुछ खबरें सामने आईं। एक ओर उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी का निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में भी भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने गुरुवार को दिये जलाए और 71 किलो के लड्डू का भोग लगाया। 

वहीं बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के पूर्व वीस जीसी त्रिपाठी और भाजपा सांसद रूपा गांगुली की मौजूदगी में काशी संकल्प नामक एक पुस्तक का विमोचन भी किया गया। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के मौके पर भारतीय जनता पार्टी की ओर से शुक्रवार से 20 दिवसीय जनसंपर्क अभियान शुरू किया जा रहा है। यह अभियान सात अक्तूबर तक जारी रहेगा। पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं से इस दौरान कोरोना टीकाकरण के प्रचार-प्रसार के लिए कहा है। ऐसे में देश में शुक्रवार को रिकॉर्ड तोड़ टीकाकरण होने की उम्मीद जताई जा रही है।

SpaceX ने रचा इतिहास, पहली बार आम नागिरकों को अंतरिक्ष में भेजा

मशहूर बिजनेसमैन एलन मस्क की कंपनी…

SpaceX ने रचा इतिहास, पहली बार आम नागिरकों को अंतरिक्ष में भेजा

मशहूर बिजनेसमैन एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स ने इतिहास रच दिया है। इस कंपनी ने अंतरिक्ष पर्यटन के क्षेत्र में एक नई उपलब्धि हासिल करते हुए 4 आम नागिरकों को अंतरिक्ष में भेजा है। स्पेस एक्स ने भारतीय समय के मुताबिक सुबह 5 बजकर 32 मिनट पर अपने रॉकेट को नासा के फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस रिसर्च सेंटर से लॉन्च किया। स्पेस एक्स के इस रॉकेट का कंट्रोल एस्पेस एक्स के पास है। 

तीन दिन के इस अभियान को इंस्पिरेशन 4 नाम दिया है। इस अभियान के दौरान चारों अंतरिक्ष पर्यटक धरती से 575 किमी की ऊंचाई पर तीन दिनों तक रहेंगे। 2009 के बाद पहली बार इंसान धरती से इतनी ऊंचाई पर होगा। इससे पहले मई 2009 में वैज्ञानिक हबल टेलिस्कोप की मरम्मत के लिए धरती से 541 किलोमीटर की ऊंचाई पर गए थे। आपको बता दें कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की ऊंचाई 408 किमी है और यहां पर अंतरिक्ष यात्रियों का आना-जाना लगा रहता है। 

दुनिया के अंतरिक्ष अभियान के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब एक रॉकेट किसी पेशेवर अंतरिक्ष यात्री को नहीं बल्कि शौकिया चालक दल के साथ अंतरिक्ष में रवाना हुआ है। स्पेस एक्स के साथ जो चार लोग अंतरिक्ष की सैर पर गए हैं उनमें दो महिला और दो पुरुष हैं।  इसे एलन मस्क के अंतरिक्ष पर्यटन को लेकर शुरू किए गए अभियान की अहम उपलब्धि माना जा रहा है।

India पहले की तरह ही अफगानों के साथ खड़ा रहेगा : जयशंकर

गंभीर मानवीय संकट के बीच भारत ने अफगानों को दिलाया भरोसा…

भारत पहले की तरह ही अफगानों के साथ खड़ा रहेगा : जयशंकर

नयी दिल्ली। अफगानिस्तान में गंभीर मानवीय संकट के बीच भारत ने अफगानों को भरोसा दिलाया कि वह उनके साथ खड़ा रहेगा। भारत ने अफगानिस्तान को सहायता करने वाले देशों को निर्बाध पहुंच प्रदान किये जाने और समाज के सभी वर्गों को राहत सामग्री के बिना भेदभाव के वितरण की भी जरूरत बताई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान एक अहम और चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है और वहां बेहतर माहौल बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक साथ आना चाहिए। 

अफगानिस्तान में मानवीय हालात पर संयुक्त राष्ट्र की उच्चस्तरीय बैठक में डिजिटल तरीके से अपने संक्षिप्त संबोधन में विदेश मंत्री ने गरीबी के बढ़ते स्तर के खतरे पर भी जोर दिया और कहा कि इसका क्षेत्रीय स्थिरता के लिए विनाशकारी असर हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारत ने अफगानिस्तान के भविष्य में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका का सतत समर्थन किया है। उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान के प्रति भारत का दृष्टिकोण हमेशा इसके लोगों के साथ हमारी ऐतिहासिक मित्रता द्वारा निर्देशित होता रहा है, आगे भी ऐसा ही रहेगा।’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘आज मैं इस बात को रेखांकित करना चाहता हूं कि भारत अफगान जनता के साथ खड़े रहने को तैयार है जैसा वह पहले रहा है। 

इसे तेजी से और प्रभावी तरीके से करने के लिए हमारा मानना है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यथासंभव अनुकूल माहौल बनाने के लिए साथ आना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज के हालात में जो चुनौतियां हैं, उनमें साजो-सामान संबंधी भी है। इसलिए जरूरी है कि मानवीय सहायता प्रदान करने वालों को अफगानिस्तान से निर्बाध तथा सीधा संपर्क प्रदान किया जाना चाहिए।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में राहत सामग्री पहुंच जाएगी तो दुनिया अफगान समाज के सभी वर्गों में मानवती सहायता के भेदभाव रहित वितरण की स्वाभाविक रूप से अपेक्षा रखेगी। जयशंकर ने कहा कि वैश्विक आम-सहमति बनाने के लिए देशों के छोटे-छोटे समूहों के बजाय एक बहुपक्षीय मंच हमेशा प्रभावशाली रहता है। 

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा हालात में व्यापक बदलाव और इसके परिणाम स्वरूप मानवीय जरूरतों में भी परिवर्तन देखा गया है। विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान के करीबी पड़ोसी के रूप में वहां के घटनाक्रम पर भारत नजर रख रहा है। उन्होंने कहा कि यात्रा और सुरक्षित आवाजाही का मुद्दा मानवीय सहायता में अवरोध बन सकता है जिसे तत्काल सुलझाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो लोग अफगानिस्तान में आना और बाहर जाना चाहते हैं, उन्हें बिना किसी रुकावट के ऐसी सुविधाएं दी जानी चाहिए।

फसल बचाने के लिए महिलाओं ने कराई नाबालिग लड़कियों की नग्न Parade

बनिया गांव में तो महिलाओं ने हद ही कर दी…

फसल बचाने के लिए महिलाओं ने कराई नाबालिग लड़कियों की नग्न परेड

दमोह। ग्रामीण अंचलों में अधिकांश लोग खेती पर निर्भर हैं और बारिश नहीं होने से धान की फसलें सूख रही हैं इसलिए गांव-गांव अखंड कीर्तन और महिलाएं खेर माता मंदिर में माता को गोबर से थोपकर और मिदरिया को मूसर में बांधकर टोटका कर रही हैं। दमोह जिले के जबेरा ब्लॉक की अमदर ग्राम पंचायत के ग्रामीण अंचल बनिया गांव में तो महिलाओं ने हद ही कर दी महिलाओं ने गांव की नाबालिग लड़कियों को पूरा नग्न कर उन्हें मूसल में बांधकर पूरे गांव में घुमाया उनका कहना है कि ऐसा करने पर बारिश हो जाती है इस मामले को संज्ञान में लेते हुए आयोग ने कलेक्टर को 10 दिन में जवाब देने के लिए कहा है। 

जिले की जबेरा ब्लॉक के बनिया गांव में तीन दिन पहले अंधविश्वास से जुड़ा एक मामला सामने आया था। इसमें बारिश के लिए गांव की महिलाओं ने छोटी-छोटी बच्चियों को निर्वस्त्र कर उन्हें गांव में भ्रमण कराया था और उसके बाद गांव के खेर माता मंदिर में उन बच्चियों से देवी मां की प्रतिमा पर गोबर छपवा दिया था। मामला सामने आने के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संज्ञान लेते हुए कलेक्टर को नोटिस जारी कर दिया। कलेक्टर को नोटिस जारी होने के तत्काल बाद प्रशासन हरकत में आ गया है और मामले की सच्चाई जानने गांव पहुंच गया।

पंचायत सचिव जागेश्वर राय ने बताया कि मामले की जानकारी लेने पुलिस व महिला बाल विकास के अधिकारी गांव पहुंचे थे। उन्होंने महिलाओं से इस मामले में जानकारी ली। महिलाओं ने अपनी गलती पर क्षमा मांगते हुए दोबारा कभी भी ऐसा कोई कृत्य नहीं करने की शपथ ली है। अधिकारियों ने गांव में पंचनामा तैयार किया है, जिसे वरिष्ठ अधिकारियों तक भेजा जाएगा।

सचिव जागेश्वर राय ने बताया कि जब अधिकारी गांव पहुंचे और महिलाओं से बात की तो उन्होंने कहा- यह पुरानी परंपरा है। बारिश नहीं होने के कारण सभी परेशान हैं, फसलें खराब हो रही हैं, इसलिए उन्होंने सोचा कि यह पुराना टोटका कर लिया जाए। उन्हें नहीं मालूम था कि ऐसा करना अपराध की श्रेणी में आता है। जब अधिकारियों ने मामले की गंभीरता की जानकारी दी तो महिलाओं ने कहा कि वह अपने द्वारा किए गए इस कृत्य के लिए माफी चाहती हैं। अनजाने में जो कुछ हुआ है, उसे उन्हें क्षमा किया जाए। वह जीवन में फिर कभी इस तरह की कुरीतियों को नहीं मानेंगे।

पुलिस की ओर से गांव पहुंची जबेरा TI इंद्रा ठाकुर बच्चों की निर्वस्त्र करने से जुड़े मामले में अपना अलग ही पक्ष बता रही हैं। उनका कहना है कि इस मामले में जिस तरह का प्रस्तुतीकरण दिया गया है, सत्यता उसके बिल्कुल विपरीत है। उन्होंने गांव जाकर वीडियो की सत्यता जानी तो उन्हें यह स्पष्ट हो गया कि जानबूझकर गांव की बच्चियों को निर्वस्त्र नहीं किया गया था।

गांव की महिलाएं बारिश के लिए एक धार्मिक कार्य कर रही थीं, जिसके तहत गांव की खेर माता में मौजूद प्रतिमा को गोबर का लेप किया जाता है। उस समय कुछ बच्चियां निर्वस्त्र होकर समीप ही नहर में नहा रही थीं और महिलाओं ने उन्हें बुलाकर वह धार्मिक कार्य करवाया था, जिसे गलत ढंग से प्रस्तुत किया गया है। हालांकि, TI ने यह बात भी कबूल की कि उन्होंने गांव की महिलाओं को दोबारा ऐसा कार्य नहीं करने की हिदायत दी है।

Note : G.News 24  का उद्देश्य अंधविश्वास (Superstition) फैलाना नहीं है, बल्कि ऐसी रूढ़ियों से लोगों को आगाह करना है कि इस तरह का कृत्य मानवाधिकार का उल्लंघन हैं।

कांग्रेसियों ने निकाली Gas Cylinder की शव यात्रा !

महंगाई के खिलाफ हल्ला बोल…

कांग्रेसियों ने निकाली गैस सिलेण्डर की शव यात्रा !

भाजपा सरकार में हो रही महंगाई के खिलाफ कांग्रेस ने रैली निकाली। रैली पूरे शहर में निकाली गई। रैली के दौरान गैस सिलेण्डर की शव यात्रा निकाली गई। इस मौके पर रैली में शामिल महिला कांग्रेसियों ने सब्जी की माला पहनी थी। रैली पुरानी कलेक्ट्रेट पर जाकर समाप्त हुई। वहां राज्यपाल के नाम कार्यपालिक मजिस्ट्रेट को महंगाई के खिलाफ ज्ञापन सौंपा गया। यहां बता दें, कि इस रैली में बताया गया कि लगातार दो वर्षों तक चले लॉकडाउन ने आम आदमी की नौकरी व धंधा सब चौपट कर दिया है। 

इसके बावजूद हर चीज के दाम निरंतर बढ़ रहे हैं। इस मौके पर रैली का नेतृत्व कर रहे जिलाध्यक्ष दीपक शर्मा ने बताया कि पिछले 15 महीनों में रसोई गैस के दाम 368. 50 पैसे बढ़ चुके हैं। इसके बावजूद पेट्रोल व डीजल के दामों में निरंतर बढ़ोत्तरी हो ही रही है। उन्होंनें ने बताया कि भाजपा सरकार लूटने का काम कर रही है। इस सरकार में आम आदमी पिस रहा है। उसे घर चलाना मुश्किल हो रहा है। यात्रा के दौरान महंगाई व सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की गई।