बाबा की सवारी के दौरान हिंगोट युद्ध प्रदर्शन से मकान में लगी आग

महाकाल की सवारी में बड़ी दुर्घटना टली...

बाबा की सवारी के दौरान हिंगोट युद्ध प्रदर्शन से मकान में लगी आग

उज्जैन। बाबा महाकाल रविवार-सोमवार की रात हरिहर मिलने के लिए पालकी में सवार होकर निकले. उनके लौटते समय एक बड़ी घटना होने से बच गई. सवारी मार्ग में प्रतिबंधात्मक आदेश के बावजूद हिंगोट युद्ध को कुछ श्रद्धालुओं द्वारा छेड़ा गया, जिससे एक घर मे आग लग गई. बमुश्किल क्षेत्रीय लोगों ने काबु पाया. बेकाबू कुछ उत्पातियों पर पुलिस ने लाठियां भांजी. पूरी घटना कैमरा में कैद हो गई. मौके पर मौजूद डीएम, एसएसपी ने संज्ञान लिया है और एसएसपी ने कहा उत्पातियों को चिन्हित किया है कार्रवाई करेंगे. एडीएम संतोष टैगोर ने बताया कि भगवान महाकाल की रात्रि में निकलने वाली सवारी के गोपाल मंदिर से लौटते समय हिंगोट युद्ध होता है. 

इसके लिए दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 (1) के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए गए थे. इसके बाद भी कुछ लोगों ने कुछ लोगों ने हिंगोट युद्ध को छेड़ने की कोशिश की, जिस कारण एक मकान में आग लग गई. जब मकान में आग लगी तो मौके पर कोई फायर कर्मी मौजूद नहीं था. बेकाबू भीड़ को काबू करने के लिए पुलिसकर्मियों ने लाठियां भांजी. कुछ श्रद्धालुओं ने आरोप लगाया कि हम आग बुझा रहे थे, लेकिन पुलिसकर्मियों ने हमें मारा. हालांकि एसएसपी ने उत्पात मचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है. अर्ध रात्रि में आयोजित होने वाले हरिहर मिलन के लिए बाबा महाकाल की सवारी ठीक 11 बजे महाकाल मंदिर के सभा मंडप से पूजन अर्चन के बाद निकली.

इस दौरान मुख्य द्वार पर बाबा को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और पूरे रास्ते में कलर व फूलों की अद्भुत रंगोली बनाई गई. तोप घुड़ सवार, ढोल, नगाड़े, पुलिस बैंड के साथ बाबा महाकाल द्वारकाधीश गोपाल मंदिर पहुंचे. यहां वो हरिहर से मिलकर रात करीब 1 बजे वापस मंदिर लौटे. मान्यता है कि हरि हरमिलन के बाद बाबा महाकाल कृष्ण रूप में विराजमान भगवान विष्णु कों 8 माह के लिए श्रष्टि का भार सौप पाताल लोक साधना के लिए चले जाते हैं. उज्जैन ही ऐसा तीर्थ जहां भगवान खुद वैष्णव और शिव धर्म के एक होने का खास संदेश देते हैं. भगवान शिव विष्णु को श्रष्टि का भार सौंपते वक़्त बेल पत्र की माला पहनाते है और भगवान विष्णु शिव को तुलसी की माला.

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