पंचायत चुनावों में नेताओं से ज्यादा क्रांति बाबा की डिमांड

हर विधानसभा की चौपाल पर संजय बेचैन की चर्चा…

पंचायत चुनावों में नेताओं से ज्यादा क्रांति बाबा की डिमांड 

मध्यप्रदेश के साथ पूरे ग्वालियर चम्बल सम्भाग में भी चुनाव का जोर चल रहा है  हर प्रत्यासी अपना गणित फिट करता घूम रहा है ऐसे में हर गाँव में एक शख्श की चर्चा हर कहीं सुनने मिल रही है। वो शख्श न तो कोई मंत्री है , न विधायक , न किसी भी राजनैतिक दल का सदस्य ही है फिर भी जबर्दस्त चर्चा मैं हैं.  क्रांति बाबा के नाम से पहचाने जाने वाले संजय बेचैन। जी हाँ ये वो नाम है जिसको लेकर हर गाँव की चौपाल और गलियों में जबर्दस्त चर्चा है कहा तो ये तक जा रहा है जिस गाँव में क्रांति बाबा पहुंच गये उस गाँव में प्रत्याशी के चित्त से पट्ट होते देर नहीं लगेगी। हर प्रत्याशी जो भी गाँव के सरपंच से लेकर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रहा है। 

उसका मानना है कि गाँव में संजय बेचैन उनके समर्थन में मात्र एक घंटे को भी  आ जाये तो बात बन जाए और चुनाव चुटकियों में निकल जाए.  जिन चुनावों में किसी नेता की डिमांड होना थी वहां एक क्रांतिकारी बाबा को आखिर क्यों लोग अपने पक्ष में लाना चाह रहे हैं ? उसका सीधा कारण संजय बेचैन का गरीबों आदिवासियों के हित में किया गया संघर्ष और त्याग ही है वे पिछले एक दशक से भी अधिक समय से गरीब और आदिवासियों के साथ होने वाले अन्याय के विरुद्ध मुखर होकर बोलते ही नहीं बल्कि सडकों पर उतरकर संघर्ष तक करते रहते हैं जिससे हर कोई उन्हें गरीबों का मसीहा बोलता। फिलहाल संजय बेचैन चुनावों में क्या रणनीति अपनाते हैं ये स्पष्ट नहीं हो पाया है।

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