बेकार पड़ी सरकारी परिसंपत्ति के मैनेजमेंट के लिए हुआ लोक परिसंपत्ति विभाग का गठन

14 परिसंपत्तियों की नीलामी से मिले 150 करोड़…

बेकार पड़ी सरकारी परिसंपत्ति के मैनेजमेंट के लिए हुआ विभाग का गठन

 

भोपाल। प्रदेश में बेकार पड़ी सरकारी परिसंपत्तियों खोज कर उन्हें नीलम कराने और शासन के खजाने में पैसा लाने के मामले में प्रदेश के 27 जिलों की परफॉर्मेंस बेहद खराब है। प्रदेश के अशोकनगर, बड़वानी, छतरपुर, दतिया, धार, ग्वालियर, खरगोन, सागर, उज्जैन, सीहोर सहित करीब 27 जिलों ने एक भी प्रॉपर्टी की जानकारी शासन को नहीं भेजी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस संबंध में सभी जिलों में मौजूद परिसंपत्तियों को खोजने के काम में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। राज्य शासन ने लोक परिसंपत्ति के मैनेजमेंट के लिए लोक परिसंपत्ति विभाग का गठन किया है। इसको लेकर पिछले दिनों सभी कलेक्टरों ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए थे कि अपने जिलों की आधा दर्जन परिसंपत्तियों को चिन्हित कर विभाग के पोर्टल पर दर्ज कराएं।

लेकिन पिछले डेढ़ माह में प्रदेश के 27 जिलों ने पोर्टल पर एक भी परिसंपत्ति को दर्ज नहीं कराया गया है। जानकारी के मुताबिक इन जिलों में सागर, सीहोर, सिवनी, शहडोल, शाहजहापुर, शिवपुरी, उज्जैन, उमरिया, विदिशा, निवाड़ी, पन्ना, रायसेन, नीमच, नरसिंहपुर, खरगोन, खंडवा, हरदा, ग्वालियर, डिंडोरी, धार, दतिया, छतरपुर बैतूल, बड़वानी अशोकनगर, अनूपपुर, आगर मालवा जिले शामिल है इन जिलों ने एक भी प्रॉपर्टी की जानकारी अभी तक शासन को नहीं भेजी है। प्रदेश में लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग ने 2020 से अब तक कुल 14 सरकारी परिसंपत्तियों को नीलाम किया है। इससे करीब डेढ़ सौ करोड रुपए सरकार को अर्जित हुए हैं।

विभिन्न जिला द्वारा अभी तक करीब 377 परिसंपत्तियों पोर्टल पर रजिस्टर्ड कराई गई है, इनमें इंदौर, दमोह बस डिपो, सीधी बस डिपो सहित कई परिसंपत्तियों को नगर पालिका को सौंपा गया है। इनमें सबसे ज्यादा जबलपुर में आठ, इंदौर और मंडला में 7-7, सीधी,राजगढ़, भिंड, दमोह, शिवपुरी, बालाघाट में 5-5, मंदसौर में चार, देवास, कटनी, मुरैना, रतलाम में 3-3, अलीराजपुर, गुना, होशंगाबाद, रीवा, सतना, सिंगरौली में दो दो संपत्तियों को रजिस्टर्ड कराया गया है। दरअसल शासन द्वारा विभिन्न विभागों की अनुपयोगी परिसंपत्तियों की तमाम जानकारियां पोर्टल पर उपलब्ध कराई जा रही है। इसके बाद इसे लेकर गाइडलाइन तय की जाती है। और उसका अध्ययन किया जाता है कि क्या इसका व्यावसायिक उपयोग किया जा सकता है। इसके आधार पर इन्हें या तो किसी अन्य विभाग को या फिर नीलाम किया जाता है और उससे राशि अर्जित की जाती है।

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