Mask और दूरी, दोनों जरूरी

एक बार फिर सबको किया आगाह…

मास्क और दूरी, दोनों जरूरी

ऐसा बार-बार देखने में आया है कि सरकार की ओर से सख्ती में जरा सी छूट मिलते ही सड़कों पर कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ने लगती हैं। चाहे पार्कों या बाजारों में पहुंचने वालों की भीड़ हो या पहाड़ों पर उमड़ने वाला सैलानियों का सैलाब। वैसे बात सामान्य लोगों की ही नहीं है। जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग भी अपने आचरण से कोई मिसाल नहीं पेश कर पा रहे। महाराष्ट्र कोरोना की दूसरी लहर से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में था। अभी भी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे लोगों से संयम बरतने और कोरोना प्रोटोकॉल का पूरी निष्ठा से पालन करने की अपील करते रहते हैं। लेकिन पिछले दिनों एक केंद्रीय मंत्री के अप्रिय बयान के बाद उनकी पार्टी के लोग ही सड़कों पर निकल आए। मुख्यमंत्री और शिवसेना नेतृत्व ने उन्हें रोकने की कोई कोशिश नहीं की। 

यही स्थिति दूसरी तरफ भी है। पिछले दिनों बीजेपी के लोग महाराष्ट्र में मंदिर खुलवाने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे नजर आए। उधर, राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस सार्वजनिक रूप से दही हांडी मनाने पर अड़ी हुई थी। जब अपने धर्म, अपनी संस्कृति और अपनी राजनीति को लेकर जिम्मेदार राजनीतिक दल इस तरह का आचरण करेंगे तो सामान्य लोगों से कैसे यह उम्मीद की जाए कि वे संयम बनाए रखें और कहीं भीड़ न लगाएं? बहरहाल, हम सबको यह समझना ही होगा कि खतरा किसी एक को नहीं सबको है। 

इस बीच टीकाकरण के अभियान में तेजी जरूर आई है, जो एक अच्छी बात है। अगस्त में पूरे महीने का दैनिक टीका औसत 59.29 लाख रहा, जो जुलाई के दैनिक औसत (43.41 लाख) से 36.5 फीसदी ज्यादा है। यही नहीं, अगस्त के आखिरी सप्ताह में तो दैनिक औसत 80 लाख डोज से भी ऊपर रहा। आने वाले दिनों में इसमें और तेजी आने की उम्मीद की जा रही है। बावजूद इसके, आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा टीकाकरण के सुरक्षा घेरे से बाहर है। नए म्यूटेंट्स का खतरा अलग है। इकॉनमी दूसरी लहर का झटका झेलने के बाद बड़ी मुश्किल से संभलती दिख रही है। ऐसे में तीसरी लहर के बेकाबू होने का जोखिम कतई मोल नहीं लिया जा सकता। जरूरी है कि हम सब इस बात को समझें और सतर्कता में कोई कमी न आने दें।

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