G News 24 : जब समुद्री डकैतों को घेरा भारतीय मार्कोस कमांडोज ने तो दुम दबाकर भाग गए

 हाईजैक किये गए जहाज में 15 भारतीयों भी थे, इन्हें बचाने इंडियन नेवी  ने दिखाया दम !

जब समुद्री डकैतों को घेरा भारतीय मार्कोस कमांडोज ने तो दुम दबाकर भाग गए 

नई दिल्ली।  इंडियन नेवी ने उत्तरी अरब सागर में लाइबेरिया के ध्वज वाले वाणिज्यिक जहाज के अपहरण के प्रयास पर बड़ी कार्रवाई की. भारतीय नौसेना के मार्कोस कमांडोज ने शुक्रवार को 15 भारतीयों सहित चालक दल के सभी 21 सदस्यों को रेस्क्यू कर लिया है. अब रेस्क्यू किए गए भारतीयों का पहला वीडियो सामने आया है. भारतीय नौसेना ने इन भारतीयों का एक वीडियो जारी किया है, जिसमें सभी के चेहरे पर मुस्कान देखा जा सकता है.

वीडियो में क्रू मेंबर को उत्साही सदस्यों को ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाते और भारतीय नौसेना को धन्यवाद देते हुए देखा जा सकता है. बता दें कि लगभग पांच से छह सशस्त्र समुद्री डाकुओं द्वारा लाइबेरिया के झंडे वाले जहाज को अपहरण करने का प्रयास करने के बाद किए गए त्वरित ऑपरेशन में मार्कोस कमांडो ने युद्धपोत INS चेन्नई से जहाज पर चढ़ने के बाद 15 भारतीयों सहित क्रू मेंबर के सभी 21 सदस्यों को बचा लिया.

यूके मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशंस पोर्टल पर एक संदेश भेजने के बाद नौसेना ने जहाज एमवी लीला नोरफोक की सहायता के लिए एक युद्धपोत, समुद्री गश्ती विमान पी -8 आई, हेलीकॉप्टर और एमक्यू 9 बी प्रीडेटर ड्रोन तैनात किए गए. कहा गया कि हथियार लिए अज्ञात लोग गुरुवार शाम को इसमें सवार हुए थे.

भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने कहा कि अग्रिम पंक्ति के युद्धपोत INS चेन्नई ने दोपहर 3:15 बजे मालवाहक जहाज को रोका और मार्कोस कमांडो ने इस पर ऑपरेशन चलाया. न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के अनुसार, कल शाम जब समुद्री डाकू मालवाहक जहाज पर चढ़े, तब से चालक दल के सभी सदस्य जहाज पर एक सुरक्षित कमरे में छिपे हुए थे.

G News 24 : केपटाउन में भारत ने 31 साल के इतिहास में पहली बार जीत दर्ज कराई !

 भारत सात विकेट से जीतकर 92 साल पुराना रिकॉर्ड धवस्त किया 

केपटाउन में भारत ने 31 साल के इतिहास में पहली बार जीत दर्ज कराई !

भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच टेस्ट सीरीज का दूसरा मैच टीम इंडिया ने सात विकेट से अपने नाम किया। इस मैच में जीत के साथ ही टीम इंडिया ने सीरीज 1-1 से ड्रॉ करा ली। सीरीज का पहला मैच दक्षिण अफ्रीका ने पारी और 32 रन से जीता था। इस मैच में जीत के साथ ही रोहित शर्मा दक्षिण अफ्रीका में सीरीज ड्रॉ कराने वाले दूसरे भारतीय कप्तान बन गए। इससे पहले 2011 में महेंद्र सिंह धोनी ने अफ्रीका में सीरीज ड्रॉ कराई थी। भारत ने 31 साल के इतिहास में पहली बार केपटाउन में कोई टेस्ट मैच जीता है।यह टेस्ट क्रिकेट के इतिहास का सबसे छोटा मैच रहा, जिसमें कोई टीम विजेता साबित हुई। यह मुकाबला सिर्फ 107 ओवर में खत्म हो गया। इसका मतलब है कि इस मुकाबले में सिर्फ 642 मान्य गेंदें (नो और वाइड बॉल को छोड़कर) की गईं। इससे पहले 1932 में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच मैच 109.2 ओवर में खत्म हो गया था। यह मैच ऑस्ट्रेलिया ने जीता था।

अपना अंतिम टेस्ट मैच खेल रहे डीन एल्गर ने जब टॉस जीतकर बल्लेबाजी को चुना तो उन्हें भी नहीं मालूम था कि यहां की पिच बल्लेबाजों के लिए बड़ी मुसीबत बनने जा रहा है। यहां तक भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने भी कहा कि अगर वह टॉस जीतते तो पहले बल्लेबाजी को चुनते। सिराज ने अपने दूसरे ओवर की दूसरी ही गेंद पर मार्करम (2) को स्लिप में कैच कराया। अगले ओवर में उन्होंने एल्गर (4) को बोल्ड कर दिया। 15 रन के अंदर द. अफ्रीका ने 4 विकेट खो दिए। बेडिंघम (12) और वेरेने (15) ने 19 रन जोड़े, लेकिन सिराज ने इन दोनों को भी आउट कर दिया। शार्दुल की जगह खेलने आए मुकेश कुमार और बुमराह ने लंच से पहले ही प्रथम टेस्ट में पारी और 32 रन से जीतने वाली अफ्रीकी पारी 55 पर समाप्त कर दी।

सिराज ने तीसरी बार टेस्ट क्रिकेट में पारी में पांच या उससे अधिक विकेट लिए। द. अफ्रीका तीसरी बार भारत के खिलाफ सौ से कम स्कोर पर आउट हुआ। 2015 में नागपुर में 79 और 2006 में जोहानिसबर्ग में यह टीम 84 रन पर आउट हुई। यह टेस्ट इतिहास में 11वां मौका था जब कोई टीम भारत के खिलाफ 100 से कम स्कोर पर आउट हुई। भारत ने अफ्रीकी टीम को 23.2 ओवर में समेटा, यह सबसे कम गेंदों में उसने किसी टीम को समेटने का अपना रिकॉर्ड तोड़ा। इससे पहले उसने द. अफ्रीका को ही जोहानिसबर्ग में 2006 में 25.1 ओवर में समेटा था। द. अफ्रीकी पारी में सिर्फ दो बल्लेबाज दोहरे अंकों में पहुंच सके।9.4 ओवर में द. अफ्रीकी स्कोर पार किया

शुरुआत भारत की भी अच्छी नहीं रही। यशस्वी (0) को रबादा ने बोल्ड किया, लेकिन रोहित ने तेजी से रन बनाए। भारत ने सिर्फ 9.4 ओवर में द. अफ्रीकी स्कोर को पार कर लिया। उन्होंने गिल के साथ 55 रन की साझेदारी निभाई। यहां रोहित 39 रन बनाकर बर्गर का शिकार बने। गिल ने विराट के साथ 33 रन की साझेदारी, लेकिन बर्गर ने उन्हें भी 36 रन पर आउट किया। बर्गर ने इसके बाद श्रेयस (0) को भी आउट कर दिया। बावजूद इसके चायकाल तक भारत चार विकेट पर 111 रन बनाकर मजबूत स्थिति में था। कोहली 20 और राहुल 0 पर थे।

चायकाल के बाद वह घटा तो भारत के साथ कभी नहीं हुआ। कोहली और राहुल स्कोर 153 रन तक ले गए। पहले नगीदी ने राहुल (8) को आउट किया। उसके बाद उन्होंने इसी ओवर में अश्विन की जगह खेल रहे रविंद्र जडेजा (0), जसप्रीत बुमराह (0) को आउट किया। रबादा ने अगले ओवर में कोहली (46) को आउट किया। इसके बाद सिराज रन आउट हो गए। अगली ही गेंद पर उन्होंने प्रसिद्ध कृष्णा को आउट कर पारी 153 रन पर समेट दी। रबादा, नगीदी, बर्गर ने तीन-तीन विकेट लिए।भारतीय बल्लेबाजों ने नहीं की देरी

मैच की चौथी पारी दूसरे दिन दूसरे सत्र के साथ शुरू हुई। भारत के सामने जीत के लिए 79 रन का लक्ष्य था और भारतीय बल्लेबाजों ने ज्यादा समय नहीं लिया। रोहित और यशस्वी ने पहली गेंद से ही आक्रामक बल्लेबाजी की। दोनों ने पहले विकेट के लिए 34 गेंद में 44 रन की साझेदारी की। यशस्वी 23 गेंद में 28 रन बनाकर आउट हो गए, लेकिन तब तक आधा काम हो चुका था। इसके बाद शुभमन गिल भी आउट हुए, लेकिन रोहित और कोहली भारत को जीत के करीब ले गए। अंत में विराट कोहली भी आउट हो गए, लेकिन श्रेयस ने विजयी रन बनाकर भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई।

G.NEWS 24 : राम मंदिर के खिलाफ षडयंत्र है ट्रांसपोर्ट हड़ताल !

प्राण प्रतिष्ठा के यज्ञ में आसुरी शक्तियों ने हड्डी डालना शुरू कर दिया है...

राम मंदिर के खिलाफ षडयंत्र है ट्रांसपोर्ट हड़ताल !

राम मंदिर के खिलाफ षडयंत्र है ट्रांसपोर्ट हड़ताल, मैंने आपसे पहले ही कहा था सावधान रहने की और षडयंत्र समझने की आवश्यकता है। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के यज्ञ में आसुरी शक्तियों ने हड्डी डालना शुरू कर दिया है। अब इसी से जुड़ी ट्रांसपोर्ट हड़ताल की "हड्डी प्लानिंग" को समझिए - 

  1. ट्रांसपोटर्स हड़ताल करेंगे तो आम जनता को हर वस्तु की तंगी होगी। पेट्रोल पंप पर लाइन लगेगी आदि इत्यादि। जनता परेशान होगी। यानी राम मंदिर की खुशियों में खलल पड़ेगा।
  2. इस देश की ट्रांसपोर्ट यूनियन पर किनका कब्ज़ा है? ये वही लोग हैं जो किसान आंदोलन के दौरान देश में अराजकता फैला रहे थे। सबसे ज़्यादा ट्रांसपोर्ट के व्यपार से कौन जुड़ा है? 
  3. देखिएगा, इस आंदोलन को सबसे ज़्यादा हवा कौन देंगे, वही दल जिनके रामद्रोही होने का पुराना रिकॉर्ड है। 
  4. अब पूरा टूलकिट गैंग ट्रक ड्राइवर की मजबूरी बताएगा। लेकिन वो ये नहीं बताएंगे कि सड़क पर वाहन चलाने वाले हम और आप जैसे 95% लोग हैं। नया कानून सब पर लागू होगा, फिर सिर्फ 5% को ही क्यों भड़काया जा रहा है ?
  5. ये टूलकिट गैंग ट्रक ड्राइवर्स का रोना बतायेगा, लेकिन ये उन लोगों का दर्द नहीं बाटेंगे जिनके अपने ट्रकों के पहिये के नीचे रौंदे गए हैं। 
  6. नए कानून करीब 10 दिन पहले पास हुए। हड़ताल अब क्यों ? राम मंदिर का डर इन असुर शक्तियों को भयभीत कर रहा है।
  7. आप खुद सोचिए, जब आप हाइवे पर वाहन चलाते हैं तो क्या ये ट्रक सबसे ज़्यादा कानून नहीं तोड़ते ? अपने अनुभव के आधार पर सोचिए। क्या इन पर लगाम नहीं लगाया जाना चाहिए ?

जान लीजिए, ये सब राम मंदिर के खिलाफ देश विरोधी और सनातन के दुश्मनों का षड्यंत्र है। अब आप वही गलती मत करना, जो आपने CAA विरोधी आंदोलन, किसान आंदोलन और पहलवान आंदोलन में की थी।

G.NEWS 24 : दूल्हा-दुल्हन ने मेहमानों से मांगा शादी का खर्च !

वेडिंग कार्ड पर तीन दिए विकल्प...

दूल्हा-दुल्हन ने मेहमानों से मांगा शादी का खर्च !

शादियां खुशियों से भरा पल होती हैं. ये न सिर्फ दूल्हा-दुल्हन के लिए खुशियां लेकर आती है बल्कि उनके परिवार वालों और रिश्तेदारों के लिए भी ये पल सबसे खास होता है, जिसमें वो भी खूब झूमते हैं, नाचते-गाते हैं. हालांकि शादियों में खर्चे भी बहुत होते हैं, ये तो आप भी जानते ही होंगे. आमतौर पर तो शादियों में होने वाले खर्चे लड़का और लड़की के घरवाले ही उठाते हैं, पर क्या हो अगर वो खर्चे मेहमानों से ही मांग लिए जाएं? जी हां, आजकल ऐसा ही एक मामला काफी चर्चा में है, जिसने लोगों को भी हैरान कर दिया है. आमतौर पर शादियों में आने के लिए मेहमानों को वेडिंग कार्ड के जरिए न्यौता भेजा जाता है, पर एक कपल ऐसा भी है. 

जिसने 300 पाउंड यानी 31 हजार रुपये से अधिक की कीमत का टैग लगाकर मेहमानों को निमंत्रण पत्र भेजा, जिसे देखते ही मेहमान भड़क गए. लोगों ने दूल्हा-दुल्हन को लालची करार दिया है और साथ ही उन्होंने शादी में आने से इनकार भी कर दिया. मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, ये मामला तब चर्चा में आया जब एक महिला को ये अजीबोगरीब निमंत्रण पत्र मिला, जिसके बाद उसने उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया. पोस्ट में उसने लिखा, ‘मेरे सबसे करीबी दोस्तों में से एक की शादी हो रही है और वह अपने मेहमानों से शादी में शामिल होने के लिए चार्ज ले रही है. मैं हमेशा से जानती थी कि वह थोड़ी चीप है, इसलिए मुझे उतना आश्चर्य नहीं हुआ, लेकिन ये सही तरीका नहीं है. 

हालांकि ऐसा लगता है कि मेरे जैसे 90 के दशक के लड़के-लड़कियों ने अपनी शादियों के लिए मेहमानों से अधिक से अधिक चार्ज लेना शुरू कर दिया है जो कि शर्मनाक है’. महिला ने बताया कि वेडिंग कार्ड पर तीन विकल्प दिए गए थे, जिसमें से पहला ये था कि ‘मैं शादी में शामिल होऊंगा’ और इसके लिए लिफाफा चार्ज करीब 5,400 रुपये लिखा हुआ था. इसके अलावा दूसरा विकल्प था कि ‘मैं सिर्फ समारोह में भाग लूंगा’ और तीसरा विकल्प था 'मैं शामिल नहीं हो पाऊंगा'.  महिला ने फिर आगे बताया कि असल में दूल्हा-दुल्हन मेहमानों से खाने से लेकर संगीत और सजावट सभी चीजों का चार्ज जोड़कर ले रहे थे. 

महिला ने खुलासा किया कि अगर मेहमान कार्यक्रम स्थल पर रुकना चाहते हैं तो उन्हें प्रति रात लगभग 8 हजार रुपये से अधिक का भुगतान करना होगा और ये चार्ज रात के खाने से पहले और शादी के दिन के बीच की रात और शादी के बाद की रात दोनों पर लागू होता है यानी कुल मिलाकर शादी में शामिल होने के लिए मेहमानों को करीब साढ़े 16 हजार रुपये से लेकर 31 हजार रुपये का भुगतान करना होगा. महिला ने बताया कि दूल्हा-दुल्हन के साथ उसकी 12 साल से दोस्ती है, लेकिन इसके बावजूद वह शादी में शामिल नहीं होगी, क्योंकि उसे लगता है कि मेहमानों से शादी का खर्च लेने का आइडिया बहुत ही घटिया है.

G.NEWS 24 : नए साल पर ISRO लॉन्च करेगा पहला पोलरिमेट्री मिशन !

नए साल पर मिलेगा बड़ा तोहफा...

नए साल पर ISRO लॉन्च करेगा पहला पोलरिमेट्री मिशन !

नए साल के मौके पर ISRO अपना नया मिशन X-ray Polarimeter Satellite, XPoSat को लांच करने जा रहा है. यह मिशन सिर्फ भारत का पहला डेडिकेटिज पोलारिमेट्री मिशन ही नहीं, बल्कि 2021 में लॉन्च किए गए नासा के इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर (IXPE) के बाद दुनिया का दूसरा है. इस मिशन के जरिए isro अंतरिक्ष में एक्स-रे स्रोतों के तीव्र ध्रुवीकरण की जांच करेगा. 1 जनवरी को इसरो बड़ा तोहफा देने जा रहा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने घोषणा की है कि एक्सपोसैट (XPoSat) मिशन पोलर सैटेलाइट लॉ़न्च व्हीकल (पीएसएलवी) का उपयोग करके सुबह 9:10 बजे लॉन्च होगा. 

XPoSat, 1 जनवरी 2014 को लॉन्च होगा और ये भारत का पहला polarimetry mission होगा. यह मिशन एक्स किरणों का डेटा कलेक्ट करके ब्लैक होल और न्यूट्रॉन तारों की स्टडी करेगा. XPoSat सेटेलाइट का लक्ष्य ब्रह्मांड में 50 सबसे चमकीले ज्ञात स्रोतों का अध्ययन करना है, जिसमें पल्सर, ब्लैक होल एक्स-रे बायनेरिज़, सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक, न्यूट्रॉन सितारे और गैर-थर्मल सुपरनोवा अवशेष शामिल हैं. यह स्पेक्ट्रोस्कोपिक और टाइमिंग डेटा को ध्रुवीकरण की डिग्री और कोणसे जोड़ देगा. 

XPoSAT को 500-700 किमी की गोलाकार निचली पृथ्वी कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इसका जीवनकाल कम से कम 5 वर्ष का होगा. XPoSat सेटेलाइट का लक्ष्य ब्रह्मांड में 50 सबसे चमकीले ज्ञात स्रोतों का अध्ययन करना है. इस मिशन के जरिए isro अंतरिक्ष में एक्स-रे स्रोतों के तीव्र ध्रुवीकरण की जांच करेगा. भारत का मिशन चंद्रयान-3 23 अगस्त, 2023 को सफल लैंडिंग किया था.  23 अगस्त शाम 5.45 बजे लैंडिंग हुई थी. हालांकि लैंडिंग में कई चुनौतियां भी थी. पहली चुनौती लैंडर की रफ्तार को नियंत्रित रखना. दूसरा लैंडर उतरते समय सीधा रहे. बता दें कि विक्रम जिस समय उतरेगाउस समय उसकी गति 2 मीटर प्रति सेकेंड थी.

G.NEWS 24 : अगले 10 दिनों में डालेंगे डकैती, रोक सको तो रोक लो !

भयंकर लूटपाट की चेतावनी जारी...

अगले 10 दिनों में डालेंगे डकैती, रोक सको तो रोक लो !

यूपी के बस्ती जिले में इन दिनों शोले मूवी के गब्बर डाकू की तरह के गिरोह के खौफ से लोग डरे हुए हैं. यह गिरोह बकायदा लूट से पहले पोस्टर चस्पा कर 10 दिनों में भयानक लूटपाट की चेतावनी देता है. बस्ती जिले के रूधौली और वाल्टरगंज थाना क्षेत्र में 'डाकू गैंग' के पोस्टर से ऐसा ही हड़कंप मचा हुआ है. रूधौली थाना क्षेत्र के विशुनपुरवा गांव में कई जगह पोस्टर लगे हैं, जिनमें 10 दिनों में भयंकर लूटपाट की चेतावनी जारी की गई है.

पोस्टर में लिखा गया है, विशुनपुरवा गांव में हमारी टीम की ओर से भयानक डाका डाला जाएगा, तुम लोग कितना रात में जागोगे. यह हमारी चेतावनी है, तुम सबके अंदर जितनी ताकत है लगा लो.' वाल्टरगंज थाना क्षेत्र के कोडरी गांव में भी इसी तरह का पोस्टर 'डाकू गैंग' के नाम से चस्पा किया गया है. उस पोस्टर में लिखा है, आने वाले 10 दिनों में हमारी टीम चुनिंदा घरों में भयानक लूटपाट करेगी. तुम सबके अंदर जितनी ताकत हो लगा लो. हम सब तुम्हारे गांव को लूट कर रहेंगे. 

इस तरह के पोस्टर को देखकर गांव के लोग डरे हुए हैं. गांव वाले लूट के डर से रात- रात भर पहरा देने को मजबूर हैं. 'डाकू गैंग' के हाथों लुटने के डर से गांव के लोग ठंड के बावजूद रात में पहरा दे रहे हैं. वहीं पुलिस की इन पोस्टरों की वजह से चक्करघिन्नी बनी हुई है. वह समझ नहीं पा रही है कि ये पोस्टर क्या वाकई किसी डाकू गैंग ने लगाए हैं या फिर किसी की शरारत हैं. इस संबंध में पुलिस जांच करने में लगी है. 

जिले के एएसपी ओपी सिंह ने बताया कि यह कुछ खुराफातियों का काम हो सकता है. जिनकका मकसद अफवाह फैलाकर समाज में अफरा तफरी की स्थिति पैदा करना है. उन्होंने जिले के लोगों से अपील की कि वे डरें नहीं और इस तरह के पोस्टर लगाने वाले असामाजिक तत्वों पर कड़ी नजर रखें. अगर उन्हें कहीं भी इस तरह की कोई जानकारी मिले तो उसे पुलिस के साथ शेयर करने में देरी न करें. 

G News 24 : दिसंबर का ये सप्ताह शोक साथ -शौर्य की अनुभूति भी करता है !

 गुरु साहब का पूरा परिवार 6 पूस से 13 पूस...

दिसंबर का ये सप्ताह शोक साथ -शौर्य  की अनुभूति भी करता है !

  • पूस का 13वां दिन नवाब वजीर खां ने फिर पूछा,बोलो इस्लाम कबूल करते हो ? 
  • 6 साल के छोटे साहिबजादे, फ़तेह सिंह ने नवाब से पूछा….  
  • अगर मुसलमाँ हो गए तो फिर, कभी नहीं मरेंगे न ?

 वजीर खां अवाक रह गया….

 उसके मुँह से जवाब न फूटा, तो साहिबजादे ने जवाब दिया कि, जब मुसलमाँ हो के भी मरना ही है , तो अपने धर्म धर्म की खातिर क्यों न मरें ?  दोनों साहिबजादों को ज़िंदा दीवार, में चिनवाने का आदेश हुआ...

दीवार चिनी जाने लगी । जब दीवार 6 वर्षीय फ़तेह_सिंह की गर्दन तक आ गयी तो 8 वर्षीय साहिबजादे जोरावर_सिंह रोने लगे तो  साहिबजादे फ़तेह ने पूछा, जोरावर रोता क्यों है ? जोरावर बोला, रो इसलिए रहा हूँ कि आया मैं पहले था पर देश, धर्म के लिए बलिदान तू पहले हो रहा है .

21 दिसम्बर से 27 दिसम्बर तक,इन्हीं 7 दिनों में गुरुगोविंद सिंह जी का पूरा परिवार बलिदान हो गया था। उसी रात माता गूजरी  ने भी ठन्डे बुर्ज में प्राण त्याग दिए। 

एक सप्ताह के भीतर ही धर्म के लिए राष्ट्र के लिए गुरु साहब का पूरा परिवार बलिदान हो गया । दोनों बड़े साहिबजादों, साहिबजादे अजीत_सिंह और साहिबजादे जुझार सिंह जी का बलिदान दिवस! और स्पष्ट कर दूँ...पहले पंजाब में इस हफ्ते सब लोग ज़मीन पर सोते थे क्योंकि माता गूजरी ने 25 दिसम्बर की वो रात दोनों छोटे साहिबजादों के साथ नवाब वजीर ख़ाँ की गिरफ्त में सरहिन्द के किले में ठंडी बुर्ज़ में गुजारी थी और 26 दिसम्बर को  दोनो बच्चे बलिदान हो गये थे।  27 तारीख को माता ने भी अपने प्राण त्याग दिए थे।

हम भारतीयों ने गुरु गोविंद सिंह जी के बलिदान को  400 साल पुराने इतिहास अपने जेहन में सदा रखना चाहिए। ये कभी नहीं भूलना नहीं चाहिए उन सभी ज्ञात-अज्ञात महावीर-बलिदानियों को जिनके कारण आज सनातन संस्कृति बची हुई है,…

G News 24 : श्री राम का भव्य मंदिर बने इसके लिए 28 साल पहले त्याग दिया था अन्न....

 कलयुग की शबरी उर्मिला चतुर्वेदी ने ...

श्री राम का भव्य मंदिर बने इसके लिए 28 साल पहले त्याग दिया था अन्न....

जबलपुर।  6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी  मस्जिद के विवादित ढांचे को गिरा  दिया गया था। उस वक्त हुए विवाद को लेकर जब खून खराबा हुआ तो उर्मिला चतुर्वेदी विचलित हो गई थीं। तब इन्होंने संकल्प लिया कि जब तक अयोध्या में राम के भव्य मंदिर का निर्माण शुरू नहीं हो जाता तब तक ये अन्न ग्रहण नहीं करेंगी। 

उर्मिला चुतर्वेदी मूलरूप से मध्य प्रदेश के जबलपुर के विजय नगर इलाके की रहने वाली हैं। बीते 30 साल से ये अन्न की बजाय सुबह में चाय, सीजनल फल, दूध और मठा ले रही हैं सिर्फ.. अयोध्या विवादित भूमि को लेकर कोर्ट का फैसला आया तब भी ये अपने फैसले पर अडिग रहीं और बोलीं कि वे अयोध्या में भगवान राम के मंदिर में उनके दर्शन के बाद ही अपना उपवास तोड़ूेंगी।। ऐसे पता नहीं कितने लोगो की आस्था को राम मंदिर का इंतजार है। 

G News 24 : चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल की हुई 'घर वापसी':इसरो

 चंद्रमा से पृथ्वी की कक्षा में लौटा...

चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल की हुई  'घर वापसी':इसरो

नई दिल्ली। ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर लिया है। इसरो ने एक ट्वीट के जरिए इसकी जानकारी दी। इसरो ने बताया कि एक अन्य प्रयोग में चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी की कक्षा में लाया गया है, जो कि एक और उपलब्धि है। वहीं इसरो का कहना है कि इससे चांद से वापस पृथ्वी लौटने की प्रक्रिया आसान होगी और हम आगे इस तरह के मिशन के लिए काम कर रहे हैं। इसरो आगामी अभियानों के लिए काम कर रहा है, जिसके लिए सॉफ्टवेयर तैयार किए जा रहे हैं। चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल अपने मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद पृथ्वी की कक्षा में लौट गया है। यह भारत की न केवल नए मिशन को लॉन्च करने की बल्कि उन्हें वापस लाने की क्षमता के मामले में भी बड़ी छलांग है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने विक्रम लैंडर को लेकर कहा कि चंद्रयान -3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा की कक्षा में परिक्रमा के बाद अब वापस पृथ्वी की कक्षा में ले जाया गया है। चंद्रयान-3 मिशन का प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास सॉफ्ट लैंडिंग करना था। इसके साथ ही इस मिशन में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर पर उपकरणों का उपयोग करके प्रयोग करना था। बता दें कि यह अंतरिक्ष मिशन 14 जुलाई 2023 को SDSC, SHAR से LVM3-M4 वाहन पर लॉन्च किया गया था। 23 अगस्त को विक्रम लैंडर ने चंद्रमा पर अपनी ऐतिहासिक लैंडिंग की और इसके बाद प्रज्ञान रोवर को तैनात किया गया।

इसरो ने कहा कि लैंडर और रोवर में वैज्ञानिक उपकरणों को निर्धारित मिशन के अनुसार 1 चंद्र दिवस तक लगातार संचालित किया गया था। चंद्रयान -3 मिशन के उद्देश्य पूरी तरह से पूरे हो गए हैं। वर्तमान में प्रोपल्शन मॉड्यूल पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है और 22 नवंबर को 1.54 लाख किलोमीटर की ऊंचाई को पार कर गया। इसरो ने बताया कि कक्षा की अवधि लगभग 13 दिन है। इसरो ने बताया कि प्रोपल्शन मॉड्यूल को चांद की कक्षा से वापस पृथ्वी तक लाने का प्रयोग आगामी मिशन की योजनाओं के लिए फायदेमंद होगा। इसके बाद मिशन में चांद से पृथ्वी तक वापस आना भी शामिल होगा। फिलहाल इस मॉड्यूल के लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। यह अभी शुरुआती स्टेज में है। 

G News 24 : दिल्ली पुलीस ने पांच और दस रुपए के नकली सिक्के बनाने वाले रैकेट का किया भंडाफोड़ !


 

G News 24 :कभी सोचा है ट्रेन में कंबल क्यों मिलता है !


 

G.NEWS 24 : एक बार फिर वर्ल्ड चैंपियन बन सकती है टीम इंडिया !

2011 से मिल रहे कई संयोग...

एक बार फिर वर्ल्ड चैंपियन बन सकती है टीम इंडिया !

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वर्ल्ड कप का फाइनल मैच होने वाला है. यह मैच अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला जाएगा. इस बार भारतीय टीम 12 साल बाद फाइनल में पहुंची है. इससे पहले भारतीय टीम जब फाइनल में पहुंची थी, तब टीम इंडिया वर्ल्ड चैंपियन बनी थी. अब भारतीय टीम एक बार फिर फाइनल में पहुंची है, और उम्मीद है कि टीम इस बार भी वर्ल्ड चैंपियन बनेगी. 2011 वर्ल्ड कप और 2023 वर्ल्ड कप में कई चीजें एक-जैसी हुई है, जिससे इस बात के संकेत मिलते हैं, कि इन दोनों वर्ल्ड कप का नतीजा भी एक ही होगा.

  • पहला संयोग - 2011 वर्ल्ड कप से ठीक एक साल पहले इंग्लैंड की टीम ने टी20 वर्ल्ड कप जीता था, और 2011 वर्ल्ड के सेमीफाइनल में नहीं पहुंच पाई थी. इस बार 2023 वर्ल्ड कप से भी ठीक एक साल पहले इंग्लैंड ने टी20 वर्ल्ड कप जीता था, लेकिन 2023 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में नहीं पहुंच पाई.
  • दूसरा संयोग - 2011 वर्ल्ड कप में युवराज सिंह ने आखिरी ग्रुप मैच में वेस्टइंडीज के खिलाफ नंबर-4 पर बल्लेबाजी करते हुए शतक बनाया था, और प्लेयर ऑफ द मैच बने थे. ठीक, उसी तरह 2023 वर्ल्ड कप में भी टीम इंडिया ने नीदरलैंड्स के खिलाफ आखिरी ग्रुप मैच खेला था, जिसमें नंबर-4 पर बल्लेबाजी करने आए श्रेयस अय्यर ने शतक बनाया, और प्लेयर ऑफ द मैच बने.
  • तीसरा संयोग - 2011 वर्ल्ड कप में बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज युवराज सिंह ने आयरलैंड के खिलाफ 5 विकेट चटकाए थे. इस बार 2023 वर्ल्ड कप में भी बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज रविंद्र जडेजा ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ 5 विकेट हासिल किए हैं.
  • चौथा संयोग - 2011 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम के पांच गेंदबाज, ज़हीर खान, आशीष नेहरा, मुनाफ पटेल, हरभजन सिंह, और युवराज सिंह ने पाकिस्तान के खिलाफ हुए मैच में 2-2 विकेट हासिल करके मैच जीता था. 2023 वर्ल्ड कप में भी पाकिस्तान के खिलाफ टीम इंडिया के पांच गेंदबाज जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज, हार्दिक पांड्या, कुलदीप यादव और रविंद्र जडेजा ने 2-2 विकेट हासिल करके मैच जीता है.
  • पांचवा संयोग - 2011 वर्ल्ड कप में विराट कोहली ने बांग्लादेश के खिलाफ हुए मैच में शतक बनाया था, जो वर्ल्ड कप में उनका पहला शतक भी था. इस बार 2023 वर्ल्ड कप में भी विराट कोहली ने बांग्लादेश के खिलाफ शतक लगाया था, और टीम इंडिया ने उस मैच को जीता था.

ऐसे में इन सभी संयोगों को देखकर ऐसा लग रहा है कि 2011 और 2023 वर्ल्ड कप के फाइनल मैच के संयोग भी मिलेंगे, और टीम इंडिया एक बार फिर वर्ल्ड कप की ट्रॉफी उठाएगी.

G.NEWS 24 : अयोध्या में बना नया विश्व रिकॉर्ड, जले 22 लाख 23 हजार दीये

विश्व में सबसे ज्यादा मिट्टी के दीये जलाने का विश्व कीर्तिमान...

अयोध्या में बना नया विश्व रिकॉर्ड, जले 22 लाख 23 हजार दीये

अयोध्या। छोटी दीपावली के एक दिन भागवान राम की नगरी में एक और नया विश्व रिकॉर्ड बन गया। यहां आज सरयू नदी के 51 तटों पर 22 लाख 23 हजार दीपक प्रज्वलित हुए। वहीं राम मंदिर के अंदर 50 हजार दिए प्रज्वलित किए गए। वहीं पूरे अयोध्या नगरी में 24 लाख से भी ज्यादा दीए जले। इसके साथ इस साल एक नया विश्व रिकॉर्ड बन गया है। इन दीयों को जलाने के लिए 25 हजार से भी ज्यादा वॉलंटियर्स ने भाग लिया। 

वहीं इस दौरान 50 से अधिक देशों को उच्चायुक्त और राजदूत अयोध्या में मौजूद रहे। वहीं इससे पहले आज दोपहर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक समेत कई बड़े नेता और अधिकारी राम नगरी पहुंच गए थे। यहां उन्होंने भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के स्वरूपों का तिलक किया। भगवान राम, सीता और लक्ष्मण एक हेलीकॉप्टर से आये थे। यहां से एक रथ से यह लोग अयोध्या के लिए रवाना हुए।

 इस रथ को सीएम योगी ने और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने भी खींचा। अयोध्या में दीपोत्सव जा यह कार्यक्रम गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो गया है। ये विश्व में सबसे ज्यादा मिट्टी के दीये जलाने का विश्व कीर्तिमान है। आज के कार्यक्रम ने अपना ही पिछले साल बनाया रिकॉर्ड तोड़ा है। पिछले साल दीपोत्सव कार्यक्रम में 15 लाख दीए जलाए गए थे तो वहीं इस बार पूरे अयोध्या में लगभग 24 लाख दीए जलाये गए।   

G.NEWS 24: 'पनीर के फूल' में छि‍पा है सेहत का खजाना !

कई आयुर्वेदिक दवाइयों में होता है इस्तेमाल...

'पनीर के फूल' में छि‍पा है सेहत का खजाना !

डाइबिटीज भी उन कई बीमारियों में से एक है जिसमें आपके शरीर के अदंर कई मैटाबॉलिक डिसऑर्डर उत्पन्न हो जाते हैं और ब्लड शुगर लेवल भी बढ़ने लगता है. ये कई कारणों से हो सकता है. जैसे की आपकी लाइफ स्टाइल और खाने की आदतें या फिर आपके परिवार में पहले से ये रोग रहा हो यानी जेनेटिक डिस्पोजिशन. इसके काफी सारे स्वास्थ संबंधी घाटे हैं जैसे की मोटापा और हृदय से जुड़े रोग. इसलिए डायबिटीज के मरीज को अपने खाने-पीने की आदतों का विशेष ध्यान रखने के लिए कहा जाता है. जिससे इसे खत्म ना सही कम से कम काबू में तो रखा ही जा सके. स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसके लिए कई तरह के प्राकृतिक उपाय सुझाते हैं जिनमें से एक है पनीर का फूल जिसे पनीर डोडा और और इंडियन रेनेट भी कहा जाता है. पनीर के फूल भारत, पाकिस्तान और अफ़गनिस्तान की धरती की ही पैदाइश है. इसे इसके औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है और ये डाइबिटीज से लड़ने में बेहद मददगार साबित होते हैं. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं और यदि आप डाइबिटीक हैं तो ये आपके काम आ सकता है. 

पनीर का फूल सोलानसेआए परिवार का एक फूल है जोकि मुख्यतः भारत में पाए जाते हैं, और कई आयुर्वेदिक दवाइयों में इस्तेमाल किया जाता है. ये खाने में मीठा होता है और इसमें शामक और मूत्रवर्धक गुण होते हैं. इसके अलावा ये अनिंद्रा, घबराहट, अस्थमा और डाइबिटीज से लड़ने में सहायक होता है. मैक्रोबायोटिक न्यूट्रीशनिस्ट और चिकित्सक शिल्पा अरोड़ा कहती हैं कि ये फूल इंसुलिन के बेहतर उपयोग के लिए पेनक्रियाज(अग्न्याशय) के बीटा सेल को हील करने का काम करता है. अगर कम मात्रा में ही सही पर इसे रोज लिया जाए तो ये ब्लड शुगर का लेवल बखूबी संतुलित रख सकता है. हालांकि हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी एक आहार डाइबिटीज के इलाज के लिए पर्याप्त नहीं है. इसके लिए आपको बिस्किट, कुकी, ब्रैड और अन्य प्रोसेस्ड फूड्स से किनारा करना होगा.

 पोषण विशेषज्ञ रितु अरोड़ा कहती हैं कि ये एक औषधि है जिसे डायबिटीज मैनेजमेंट के लिए प्रयोग किया जाता है. ये ना केवल हमारे शरीर में इंसुलिन की मात्रा को रेगूलेट करती है बल्कि हमारे पेनक्रियाज की उन बीटा सैल्स को भी रिपेयर करती है जो की इंसुलिन के उत्पादक होते हैं. टाइप-2 डाइबिटीज में पेन्क्रियाटिक आइलेट्स में मौजूद बीटा सैल्स के डैमेज होने के कारण हमारी बॉडी इंसुलिन का उत्पादन करना बंद कर देती है. ऐसे में हमारे शरीर को इस काम के लिए एक बाहरी स्रोत की आवश्यकता होती है. और तब पनीर का फूल हमारी इस काम में सहायता करता है. इसका उपयोग आसान है. 7 से 10 पनीर के फूलों को पूरी रात पानी में डाल कर छोड़ दें. फिर सुबह खाली पेट उस पानी को पी जाएं. संतुलित आहार और पनीर के फूल की मदद से हम निश्चित तौर पर इंसुलिन लेवल को कंट्रोल कर सकते हैं.

G.NEWS 24 : चोरों ने रावण को भी नहीं बक्शा !

चुरा ले गए आतिशबाज़ी...

चोरों ने रावण को भी नहीं बक्शा !

गुना के गोपालपुरा दशहरा मैदान पर होने जा रहे रावण दहन से पहले चोरों का कारनाम चर्चा में है। चोरों ने रावण दहन में इस्तेमाल होने वाली आतिशबाजी पर हाथ साफ कर दिया। रावण का पुतला बिना आतिशबाजी के खड़ा रह गया। बाद में समिति ने फिर से आतिशबाजी का इंतजाम कर रावण दहन किया। बता दें कि गुना में दशहरा पर्व के चलते रावण दहन का भव्य आयोजन किया जाता है। 

यह आयोजन गुना के गोपालपुरा दशहरा मैदान पर किया जाता है। यहां जनप्रतिनिधि और आला अधिकारियों की मौजूदगी के साथ बड़ी संख्या में लोग रावण दहन देखने पहुंचते हैं, लेकिन इस बार रावण दहन के पहले हैरान कर देने वाली घटना सामने आई। रावण दहन में इस्तेमाल होने वाली आतिशबाजी को चोरों ने निशाना बनाते हुए चोरी कर लिया। यह आतिशबाजी करीब 34 हजार रुपये की बताई जा रही है। चोरी की जानकारी उस वक्त लगी जब रावण दहन की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जाना था। 

तभी वहां देखा तो आतिशबाजी से भरे बैग गायब थे। दशहरा मैदान से हुई इस चोरी की सूचना आयोजन समिति को दी गई। वहीं इसकी शिकायत भी पुलिस में किए जाने की बात कही जा रही है। इसके बाद समिति ने फिर से आतिशबाजी की इंतजाम किया और रावण के पुतले को तैयार करवाया। रावण के पुतले का दहन तो हो गया, पर आतिशबाजी की चोरी की खबर चर्चा में है। 

G.NEWS 24 : एक स्कूल ऐसा भी जो फीस की जगह लेता प्लास्टिक की बोतलें !

असम का ये स्कूल एक मिसाल पेश कर रहा है...

एक स्कूल ऐसा भी जो फीस की जगह लेता प्लास्टिक की बोतलें !

आज के समय में शिक्षा एक व्यवसाय में तब्दील हो चुकी है। अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना, अच्छे स्कूल में पढ़ाना सब चाहते हैं लेकिन दिनोंदिन जिस तरह से निजी स्कूलों में फीस वृद्धि हो रही है उसने मध्यमवर्गीय आदमी को मुश्किल में डाल दिया है। कोई भी अपने बच्चे की शिक्षा के साथ समझौता नहीं करना चाहता, ऐसे में मोटी फीस भरना एक तरह की मजबूरी बन गई है। ऐसे में अगर हम आपको बताएं कि कहीं एक ऐसा स्कूल है जहां बच्चों से फीस के रूप में पैसे नहीं बल्कि प्लास्टिक की बोतलें ली जाती है, तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी। 

इस स्कूल के बारे में ट्विटर पर जानकारी शेयर की है नागालैंड के मंत्री तेमजेन इम्ना अलॉन्ग। ये असम के अक्षर फाउंडेशन  द्वारा संचालित किया जाने वाला एक स्कूल है। यहां बच्चे हर हफ्ते 25 प्लास्टिक की बोतल लाते हैं और उन्हें निशुल्क शिक्षा दी जाती है। दरअसल, प्लास्टिक से पर्यावरण हो होने वाले नुकसान को रोकने और प्लास्टिक रीसाइकलिंग के लिए इस स्कूल ने ये अनूठी पहल की है। स्कूल की स्थापना साल 2016 में परमिता शर्मा और माज़िन मुख्तार ने मिलकर की। निरक्षरता और प्लास्टिक वेस्ट..इन दो समस्याओं का उन्होने इतना बेहतरीन हल निकाला। असम के ये स्कूल एक तरफ को विद्यार्थियों को मुफ्त शिक्षा दे रहा है वहीं दूसरी तरफ प्लास्टिक रीसाइक्लिंग के जरिए पर्यावरण को बेहतर बनाने में भी सहयोग कर रहा है। 

यहां बच्चे जो प्लास्टिक की बोटलें लेकर आते हैं। इस प्लास्टिक का उपयोग ईंट, सड़कें और शौचालय बनाने के लिए भी किया जाता है। इतना ही नहीं, सीनियर छात्र यहां छोटे बच्चों को पढ़ाते हैं और इस तरह वो पैसे भी कमाते हैं। यहां स्कूली शिक्षा के साथ अन्य भाषाएं, प्लास्टिक रीसाइक्लिंग, बागवानी, बढ़ई के काम सहित और भी कई चीजं सिखाई जाती हैं। खास बात ये कि इस स्कूल में ड्रॉप रेट भी जीरो परसेंट हैं। ये स्कूल एक आदर्श है और जाहिर तौर पर यहां से पढ़कर जो बच्चे निकलेंगे वो भी समाज को एक नई सोच और दिशा देने का काम करेंगे।

G News 24 : लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु आज भी रहस्य बनी हुई है !

उनके बेटे ने एक बार प्रधानमंत्री कार्यालय की गाड़ी का उपयोग कर लिया तो उसका भुगतान अपने वेतन में से किया ...

लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु  आज भी रहस्य बनी हुई है !

भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जीवन आदर्श भी है और संघर्षपूर्ण भी। जब प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का निधन हुआ तो बड़ा सवाल ये आया कि भारत की सत्ता कौन संभालेगा? उस दौर में देश का विकास चुनौती था और सत्ता पर आसीन होने के लिए कई दिग्गज कतार में खड़े थे। उस समय तक लाल बहादुर शास्त्री को भारत के पूर्व गृह मंत्री के तौर पर जाना जाता था। फिर उन्हें देश की प्रधानमंत्री का पद मिला और उन्होंने अपने कार्यकाल में बेहतर कार्य किया।

2 अक्तूबर को महात्मा गांधी का जन्मदिन मनाते हैं। हालांकि इसी दिन लाल बहादुर शास्त्री का भी जन्मदिन होता है। उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्तूबर 1904 को लाल बहादुर शास्त्री का जन्म हुआ था। उन्हें बचपन में नन्हें कहकर पुकारा जाता था। जब शास्त्री महज डेढ़ साल के थे, तो उनके पिता का साया उठ गया। जिसके बाद उन्हें चाचा के साथ रहने भेज दिया गया। इस दौरान वह पढ़ने के लिए मीलों दूर पैदल चलकर जाया करते थे। जब शास्त्री 16 साल के थे, तो उन्होंने आजादी की जंग में शामिल होने का फैसला लिया और अपनी पढ़ाई छोड़ दी। 17 साल की उम्र में वह स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गिरफ्तार करके जेल भेज दिए गए, लेकिन नाबालिग होने के कारण आजाद हो गए।

उन्होंने देश की आजादी के लिए स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था और आजादी के सपने को पूरा करने के लिए पढ़ाई तक छोड़ दी। 17 साल की उम्र में पहली बार जेल गए। उनकी सादगी और जीवन से जुड़े कई किस्से काफी प्रेरणादायक हैं, लेकिन जीवन का अंत बहुत रहस्यमयी रहा। लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु आज भी रहस्य बनी हुई है, किन परिस्थितियों में उनकी मौत हुई और आज तक यह रहस्य उजागर क्यों नहीं हुआ। आइए जानते हैं देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

उनकी विनम्रता के किस्से

जब लाल बहादुर शास्त्री जी प्रधानमंत्री थे, तब वह किसी राज्य के दौरे पर निकले, लेकिन दौरा किन्हीं कारणों से आखिरी समय पर रद्द करना पड़ा। राज्य के मुख्यमंत्री ने शास्त्री जी को बताया कि उनके ठहरने के लिए फर्स्ट क्लास की तैयारी कराई जा रही है, इस पर शास्त्री जी ने उनसे कहा कि वह एक थर्ड क्लास के व्यक्ति हैं तो फर्स्ट क्लास के प्रबंधन की आवश्यकता नहीं है।

शास्त्री जी की ईमानदारी

पं. लाल बहादुर शास्त्री भारत के प्रधानमंत्री बने लेकिन उनका जीवन एक साधारण व्यक्ति जैसा रहा। वह कार्यकाल के दौरान मिले भत्ते और वेतन के सहारे पूरे परिवार का भरण पोषण करते थे। एक बार उनके बेटे ने  प्रधानमंत्री कार्यालय की गाड़ी का उपयोग कर लिया, इस पर शास्त्री जी ने सरकार के खाते में गाड़ी के निजी इस्तेमाल का पूरा भुगतान किया।

यह हैरानी की बात है कि देश के प्रधानमंत्री के पास न तो खुद का घर था और न ही कोई संपत्ति। जब लाल बहादुर शास्त्री का निधन हुआ तो उनके पास जमीन जायदाद नहीं बल्कि एक ऋण था, जो उन्होंने प्रधानमंत्री बनने पर फिएट गाड़ी खरीदने के लिए सरकार से लिया था। परिवार को लोन चुकाना था, जिसके लिए शास्त्री जी की पेंशन खर्च की गई थी।

लाल बहादुर शास्त्री का निधन बना रहस्य

शास्त्री जी का निधन रहस्य है। 11 जनवरी 1966 में लाल बहादुर शास्त्री का निधन उज्बेकिस्तान के ताशकंद में हुआ था। शास्त्री जी भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद के हालातों को लेकर समझौता करने ताशकंद में पाक राष्ट्रपति अयूब खान से मिलने गए थे। हालांकि पाक राष्ट्रपति से मुलाकात के कुछ घंटों बाद अचानक उनकी मौत हो गई। बताया जाता है कि उनके सेहत एकदम दुरुस्त थी। हालांकि मौत की वजह हृदयाघात को बताया गया। वहीं जब उनका पार्थिव शरीर भारत लाया गया तो प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, शास्त्री जी के शरीर पर घाव के निशान थे। लेकिन उनकी मौत की जांच के लिए बैठी राज नारायण जांच समिति ने कोई वैध नतीजे नहीं दिए। 

G.NEWS 24 : रेलवे ने 168 चूहों को पकड़ने के लिए खर्च कर दिए 69 लाख !

RTI एक्टिविस्ट ने मांगी थी जानकारी...

रेलवे ने 168 चूहों को पकड़ने के लिए खर्च कर दिए 69 लाख !

उत्तर रेलवे की लखनऊ डिवीजन ने पिछले तीन सालों में एक चूहा पकड़ने के लिए खर्च किए ₹41 हजार। पिछले तीन सालों में 69.50 लाख़ खर्च कर पकड़े 168 चूहे। चूहे पकड़ने के लिए रेल्वे ने हर साल 23.36 लाख़ खर्च किए। 2022 में 58 हज़ार में पकड़ा गया एक चूहा।

  • 2020 - 83 [27.9 हज़ार एक चूहा]
  • 2021 - 45 [51 हज़ार एक चूहा ]
  • 2022 - 40 [58 हज़ार एक चूहा]

हालांकि इसके बाद भी चूहों ने पार्सल विभाग साहित अलग-अलग विभागों में लाखों का नुकसान किया। मध्य प्रदेश के नीमच ज़िले के RTI एक्टिविस्ट चंद्रशेखर गौर के सावल पर रेलवे ने दिया जवाब। दरअसल, नीमच के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने चूहा पकड़ने के लिए रेलवे द्वारा खर्च की गई धनराशि की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांगी थी. जिसमें यह बड़ी जानकारी निकल कर सामने आई. 

बता दें कि उत्तर रेलवे में 5 मंडल हैं : दिल्ली, अंबाला, लखनऊ, फिरोजपुर और मुरादाबाद। इन सभी मंडलों ने चूहा पकड़ने पर हुए खर्च की जानकारी दी. इसी क्रम में रेलवे के लखनऊ मंडल ने भी यह जानकारी दी. हालांकि लखनऊ मंडल रेलवे के पास इस यह जानकारी स्पष्ट रूप से उपलब्ध नहीं है कि चूहों की वजह से कितना नुकसान हुआ. लेकिन 69 लाख रुपये खर्च कर महज 168 चूहों को पकड़ने वाली रेलवे की बात पर लोग तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं.

G.NEWS 24 : चंद्रयान और आदित्य L1 के बाद अब समुद्र के रहस्यों को खोजने की तैयारी !

इसरो का अगला मिशन ‘मत्स्य 6000’...

चंद्रयान और आदित्य L1 के बाद अब समुद्र के रहस्यों को खोजने की तैयारी !

23 अगस्त 2023 को चंद्रययान 3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचकर इतिहास रच दिया था. इस मिशन के पूरा होने के साथ ही चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरने वाला भारत पहला देश बन गया है. चांद पर पहुंचने के बाद भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सूरज की गुत्थियों को सुलझाने के लिए 2 सितंबर को आदित्य एल-1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. अब इसरो  समुद्र के रहस्यों को जानने के लिए भी पूरी तरह तैयार है. दरअसल पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के मंत्री किरेन रिजिजू ने 11 सितंबर को सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी कि इसरो का अगला मिशन समुद्रयान या ‘मत्स्य 6000’ है. इस यान को चेन्नई के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी में तैयार किया जा रहा है. ट्वीट के अनुसार इस यान के जरिए 3 इंसानों को समुद्र की 6000 मीटर की गहराई तक भेजा जाएगा. वहां पहुंचकर वैज्ञानिक समुद्र के स्रोतों और जैव-विविधता का अध्ययन कर सकेंगे. 

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्वीट करते हुए ये भी साफ कर दिया कि इस प्रोजेक्ट का समुद्री इकोसिस्टम पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि मिशन समुद्रयान एक डीप ओशन मिशन है, जिसे ब्लू इकोनॉमी को डेवलप करने के लिए किया जा रहा है. इससे समुद्र के अंदर की जो जानकारी मिलेगी, उससे कई लोगों को रोजगार मिलेगा. इससे समुद्री संसाधनों का इस्तेमाल होगा. ऐसे में इस खबर में समझते हैं कि ये अभियान क्या है, इसका भारत को क्या फायदा मिलेगा, किन देशों ने ऐसे मिशन को अंजान दिया है और इसके जरिए क्या बड़ी उपलब्धि हासिल होगी ? यह भारत का पहला मानवीय पनडुब्बी मिशन है, जिसमें वैज्ञानिक समुद्र की गहराई में 6000 मीटर तक जाकर विशेष उपकरणों और सेंसर्स के जरिए वहां की स्थितियों और संसाधनों पर रिसर्च करेंगे. यह अभियान भारत के लिए इसलिए बहुत जरूरी है क्योंकि इसके जरिए समुद्र के उन क्षेत्रों के बारे जाना जा सकेगा जिसके बारे में शायद कोई नहीं जानता या फिर दुनिया को बहुत ही कम जानकारी है और अभी तक केवल कुछ ही देशों में ऐसा कर पाने की क्षमता है. 

समुद्रयान अभियान के जरिए महासागरों की गहराइयों में निकल, कोबाल्ट, मैगनीज जैसे दुर्लभ खनिजों की खोज में मदद मिलेगी. यह मानव युक्त मिशन है इसलिए सीधे तौर पर इन खनिजों का परीक्षण और नमूना संग्रह हो सकेगा. समुद्रयान की डिजाइन को अंतिम रूप दे दिया गया है. इस मिशन को पूरा करने वाली मत्स्य 6000 नाम की इस सबमर्सिबल की टेस्टिंग बंगाल की खाड़ी में की जाएगी. पहले ट्रायल में इसे समुद्र के अंदर 500 मीटर तक की गहराई में भेजा जाएगा और साल 2026 तक ये सबमर्सिबल तीन भारतीयों को महासागर के 6000 मीटर की गहराई में ले जाएगा. इस मिशन को पूरा करने के लिए जिस 'मत्स्य 6000' का इस्तेमाल किया जाने वाला है वह दूर से संचालित किया जा सकेगा. इस सबमर्सिबल को गहराई तक ले जाने के लिए इसकी परत को 80 मिलीमीटर मोटी टाइटेनियम मिश्रित धातु से बनाया गया है और यह 12 घंटे के लिए लगातार काम कर सकेगा. 

हालांकि आपातकालीन स्थितियों में यह 96 घंटे तक काम कर सकता है. ये 6000 मीटर की गहराई पर समुद्र तल के दबाव से 600 गुना ज्यादा यानी 600 बार (दबाव मापने की इकाई) प्रेशर झेल सकती है. इसका व्यास 2.1 मीटर है. मिशन चंद्रयान भारत के 'डीप ओसीन' मिशन का हिस्सा है जो ब्लू इकोनॉमिक पॉलिसी के अनुकूल है. इस नीति को लक्ष्य महासागरों और समुद्रों के संसाधनों की सदुपयोग करना है. इस मिशन में निकल, कोबाल्ट, मैग्जिम जैसे दुर्लभ खनिजों की खोजे जाएंगे. कोबाल्ट, लिथियम, तांबा और निकल बैटरी वाली गाड़ियों में इस्तेमाल होते हैं. स्टील इंडस्ट्री के लिए मैग्जिम भी बेहद महत्वपूर्ण है. साल 2023 तक भारत को 5 गुना लिथियम और 4 गुना कोबाल्ट की जरूरत होगी. ई गाड़ियों की तेज होती मांग और संसाधनों की कमी के बीच ये मिशन काफी महत्वपूर्ण है. 

बता दें कि भारत छठवां देश है जिसने मानव सबमर्सिबल बनाई है. भारत से पहले रूस, अमेरिका, जापान, फ्रांस और चीन भी मानवयुक्त सबमर्सिबल बना चुका है. केंद्र सरकार की ब्लू इकोनॉमी पहल के तहत डीप ओशन मिशन साल 2021 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा शुरू की गई थी. इस मिशन पर पांच साल में 4,077 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और मिशन समुद्रयान भी इस डीप ओशन मिशन का हिस्सा है. दरअसल देश की जीडीपी का 4 प्रतिशत हिस्सा ब्लू इकोनॉमी से जुड़ा हुआ है. ये 95 प्रतिशत व्यापार में मददगार है और देश की लगभग 30 प्रतिशत आबादी समुद्र पर निर्भर है. ‘मत्स्य 6000’ को पूरे दो सालों में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है. फिलहाल वह इसका परीक्षण किया जा रहा है. दरअसल साल 2023 के जून महीने में अटलांटिक ओशन में टाइटन नाम की एक सबमर्सिबल डूब गई थी. जिसमें पांच अरबपतियों की मौत हो गई थी. 

इस घटना को ध्यान में रखते हुए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने ‘मत्स्य 6000’ की डिजाइन की जांच करने का फैसला किया है. पनडुब्बी और सबमर्सिबल ये दोनों ही पानी के अंदर चलने वाला यान हैं, लेकिन इन दोनों के ही डिजाइन से लेकर काम और उद्देश्य में काफी फर्क है. आसान भाषा में समझें तो पनडुब्बी एक तरह का जलयान है जो पानी की सतह और नीचे दोनों पर काम कर सकता है. पनडुब्बी को चलाने के लिए बिजली या डीजल इंजन का इस्तेमाल किया जाता है. आकार की बात करें तो आमतौर पर पनडुब्बियां बड़ी होती हैं और इस रानी और सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है. जबकि सबमर्सिबल की बात करें तो यह एक तरह का वॉटरक्राफ्ट है जिसे डिजाइन ही सिर्फ और सिर्फ पानी के नीचे चलाने के लिए किया गया है. सबमर्सिबल का आकार छोटा होता है और यह कुछ सीमित लोगों को ही पानी के अंदर ले जा सकता है. सबमर्सिबल का इस्तेमाल ज्यादातर रिसर्च के कामों के लिए किया जाता है. 

G.NEWS 24 : सांसद, विधायक और पार्षद के लिए भी परीक्षा अनिवार्य हो : अश्विन उपाध्याय

हमें अनपढ़ नेता नहीं बेस्ट जनप्रतिनिधि चाहिए...

सांसद, विधायक और पार्षद के लिए भी परीक्षा अनिवार्य हो : अश्विन उपाध्याय

सर्वोच्च न्यायालय के चर्चित अधिवक्ता एवं पीआइएल मैन के रूप में पूरे देश में पहचाने जाने वाले अश्विन उपाध्याय ने कहा है कि जिस तरह अधिकारियों, डॉक्टर, जज सभी के चयन के लिए योग्यता की परीक्षा होती है इसी तरह से सांसद, विधायक और पार्षद के लिए भी योग्यता की परीक्षा आयोजित की जाना चाहिए। उपाध्याय यहां जाल सभागृह में संस्था अभ्यास मंडल के 65 वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित किए गए कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हर बीमारी का इलाज है। ऐसी कोई बीमारी नहीं जिसका कोई इलाज नहीं। हमारे शरीर की बीमारी के इलाज के लिए डॉक्टर होता है। जो की परीक्षा के माध्यम से चयनित किया जाता है। फिर शिक्षा प्राप्त करता है और डॉक्टर बनता है। हमारे देश में सांसद, विधायक, पार्षद समाज के डॉक्टर हैं। 

समाज की बीमारियों का उपचार करना उनकी जिम्मेदारी है लेकिन यह लोग इलाज नहीं कर रहे हैं बल्कि बीमारी को बढ़ावा दे रहे हैं। जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद और मजहब वाद को बढ़ाने का काम यह लोग कर रहे हैं। जहां पर वोट और नोट होता है वहां पर यह लोग काम करते हैं। आज पूरी दुनिया की दो प्रतिशत जमीन हमारे पास है, 4% पानी हमारे पास है लेकिन आबादी 20% हमारे पास है। उपाध्याय ने कहा कि इन विषयों पर कहीं चर्चा नहीं होती है। समस्या पर चर्चा होती है, समस्या के कारण पर कभी चर्चा नहीं होती। देश में जनसंख्या के विस्फोट पर कभी चर्चा नहीं होती। हमारे देश को, हमारे समाज को अच्छा डॉक्टर चाहिए। 

देश के लिए बेस्ट क्वालिटी के लोग सांसद, विधायक, पार्षद के पद पर चाहिए लेकिन वेस्ट क्वालिटी के लोग आ रहे हैं। सेना में जाने वाले व्यक्ति का चयन एनडीए की परीक्षा से, वकील के कार्य के लिए आने वाले व्यक्ति का चयन क्लेट की परीक्षा से, बैंक के मैनेजर का काम करने वाले व्यक्ति का चयन दूसरी परीक्षा से होता है। इस तरह से सांसद, विधायक, पार्षद के लिए भी लेजिस्लेटर एलिजिबिलिटी टेस्ट शुरू किया जाना चाहिए। हमारे संविधान के निर्माता बाबा साहब अंबेडकर ने कहा था कि हमें अनपढ़ जनप्रतिनिधि नहीं चाहिए। हमें बेस्ट टैलेंट चाहिए। उस समय पर कानून में सांसद, विधायक के लिए न्यूनतम शिक्षा का प्रावधान किया जाना था लेकिन हकीकत यह थी की आजादी के आंदोलन में भाग लेने वाले नेताओं ने पढ़ाई छोड़ दी थी। 

इस कारण से न्यूनतम योग्यता का प्रावधान नहीं किया गया। इसी तरह से इन पदों के लिए अधिकतम आयु का भी प्रावधान किया जाना था। उस समय भी यह समस्या थी कि देश की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले लोगों में बहुत से लोग अधिक उम्र के हो गए थे। जिसके चलते हुए यह प्रावधान नहीं किया गया। उस समय यह कहा गया कि आने वाले समय में संसद के द्वारा इस दिशा में कानून बनाया जाएगा। उपाध्याय ने कहा कि हमारे देश में कानून बनाने का काम संसद और विधानसभा के द्वारा किया जाता है। यह देश का सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है। इस कार्य को करने वाले लोगों का कोई क्वालिफिकेशन तय नहीं है। 

यदि हम सांसद, विधायक, पार्षद के लिए टेस्ट शुरू कर देंगे तो उससे पूरा कूड़ा कचरा साफ हो जाएगा। जिस तरह से इंदौर के लोगों ने इंदौर को स्वच्छ किया है। इस तरह से देश की लोकसभा, विधानसभा और नगर निगम भी स्वच्छ हो जाएगी। देश की शिक्षा की व्यवस्था की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हम बच्चों को शिक्षा में ऐसी चीज पढ़ रहे हैं जिससे उनका कोई लेना-देना नहीं है। हमारे वेद में अष्टांग योग दिया हुआ है इसे शिक्षा में शामिल कर दीजिए। देश के लोगों में योग और संस्कार आ जाएंगे। देवी अहिल्या के सपनों का भारत बनाने के लिए यह एक जरूरी और महत्वपूर्ण पहल होगी। नया परिणाम प्राप्त करने के लिए हमें नया काम करना होगा। 

हमारी शिक्षा की वैदिक और गुरुकुल की पुरानी व्यवस्था को एक बार फिर लागू करना होगा। हर स्कूल में सूर्य नमस्कार कराया जाना चाहिए। हर क्लास के बच्चे के लिए योग और प्राणायाम को अनिवार्य करना होगा। यदि हमने ऐसा कर दिया तो हमारा स्वास्थ्य का 25% बजट कम हो जाएगा। यदि हमने अष्टांग योग को लागू कर दिया तो 25% अपराध कम हो जाएंगे। कार्यक्रम के प्रारंभ में अभ्यास मंडल के अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता, उपाध्यक्ष अशोक कोठारी, मुरली खंडेलवाल ने अतिथि का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन माला सिंह ठाकुर ने किया। इस अवसर पर अभ्यास मंडल के द्वारा आयोजित की गई विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए गए। अतिथियों और कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आए लोगों के द्वारा 65 दीपक प्रज्वलित किए गए।