G News 24 : उपराष्ट्रपति श्री जगदीश धनकड़ ने चलते मानसून सत्र के बीच दिया इस्तीफा !

 उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफे के बाद,अब आगे क्या ...

 उपराष्ट्रपति श्री जगदीश धनकड़ ने चलते मानसून सत्र के बीच दिया इस्तीफा !

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे गए पत्र में धनखड़ ने इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों को वजह बताया है। उन्होंने कहा कि वे चिकित्सा सलाह का पालन करते हुए और स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने के लिए, भारत के उपराष्ट्रपति पद से, संविधान के अनुच्छेद 67(क) के अंतर्गत, तत्काल प्रभाव से अपना इस्तीफा दे रहे हैं।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने अपनी चिट्ठी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रिपरिषद का भी शुक्रिया जताया। उन्होंने आगे कहा, "जब मैं इस प्रतिष्ठित पद को छोड़ रहा हूं, तो मैं भारत के वैश्विक उत्थान और उसकी अद्भुत उपलब्धियों पर गर्व से भर जाता हूं, और उसके उज्ज्वल भविष्य में मेरी पूर्ण आस्था है।"

ऐसे में यह जानना अहम है कि अगर भारत में उपराष्ट्रपति अचानक अपना पद छोड़ देते हैं तो इस पद को लेकर आगे क्या होता है ? भारत में अब तक कितने उपराष्ट्रपति रहे हैं, जो अलग-अलग वजहों से अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं ? चूंकि उपराष्ट्रपति संसद के उच्च सदन- राज्यसभा का सभापति होता है, ऐसे में धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब यह जिम्मेदारी कौन संभालेगा ? आइये जानते हैं...

स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दें उपराष्ट्रपति तो आगे क्या...

भारत के उपराष्ट्रपति का कार्यकाल आमतौर पर शपथग्रहण के बाद से पांच साल की अवधि का होता है। हालांकि, इस दौरान वे कभी भी राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए अपना पद छोड़ सकते हैं। हालांकि, जब उपराष्ट्रपति का पद उनके इस्तीफे, मृत्यु या किसी अन्य कारण से खाली होता है तो इस पद को भरने के लिए जल्द से जल्द चुनाव कराया जाना जरूरी होता है। इस चुनाव में जो भी उपराष्ट्रपति चुना जाएगा, वह पूरे पांच साल के कार्यकाल के लिए पद संभालेगा। 

भारत में कितने उपराष्ट्रपति कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए....

भारत में जगदीप धनखड़ से पहले सिर्फ दो उपराष्ट्रपति ही अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं। इनमें एक नाम है देश के तीसरे उपराष्ट्रपति वराहगिरी वेंकट गिरी (वीवी गिरी) का, वहीं दूसरा नाम कृष्ण कांत का है जिनका कार्यकाल के बीच में ही निधन हो गया था। 

पहले भी  दो उपराष्ट्रपति ही अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं...

1. वीवी गिरी (मई 1967-मई 1969)

1969 में तत्कालीन राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के निधन के बाद उपराष्ट्रपति पद छोड़ दिया था और राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा था। उन्हें राष्ट्रपति चुनाव में जीत भी मिली थी। हालांकि, उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने वाले वे पहले उपराष्ट्रपति थे।

2. कृष्ण कांत (अगस्त 1997-जुलाई 2002)

1997 में उपराष्ट्रपति बनने वाले कृष्ण कांत का 27 जुलाई 2002 को उपराष्ट्रपति रहते हुए दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। वे 75 वर्ष के थे। वे भारत के इकलौते उपराष्ट्रपति हैं, जिनका कार्यकाल के दौरान निधन हो गया था। 

राज्यसभा में अब कौन संभालेगा सभापति का पद...

उपराष्ट्रपति के पास संसद के उच्च सदन- राज्यसभा के सभापति पद की भी जिम्मेदारी होती है। सीधे शब्दों में कहें तो उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। हालांकि, उपराष्ट्रपति की गैरमौजूदगी में सभापति का पद खाली होने की स्थिति में राज्यसभा के उपसभापति अस्थायी कार्यकारी सभापति के तौर पर पद संभालते हैं। 

आमतौर पर यह जिम्मेदारी उपसभापति पर तब ही आती है, जब उपराष्ट्रपति या तो राष्ट्रपति की जगह कुछ समय के लिए कार्यकारी राष्ट्रपति के तौर पर जिम्मेदारी संभालने लगें या उपराष्ट्रपति किसी कारण से अपने पद से इस्तीफा दे दें। इस स्थिति में राज्यसभा के उपसभापति तब तक राज्यसभा में कार्यकारी सभापति की भूमिका में रहते हैं, जब तक नए उपराष्ट्रपति का चुनाव नहीं हो जाता। मौजूदा समय में राज्यसभा के उपसभापति का पद जनता दल- यूनाइटेड के हरिवंश नारायण सिंह के पास है। ऐसे में वे ही राज्यसभा के कार्यकारी सभापति के तौर पर जिम्मेदारी निभाएंगे। 

उपराष्ट्रपति पद को लेकर आगे क्या होगा...

उपराष्ट्रपति पद खाली होने के बाद अगले उपराष्ट्रपति चुने जाने की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी कराए जाने का प्रावधान है। चुनाव आयोग अब इस पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करेगा। संविधान के अनुच्छेद 66 के मुताबिक, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों- लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की ओर से गुप्त मतदान द्वारा किया जाता है। 

उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान होता कैसे है...

संविधान के अनुच्छेद 66 में उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया का जिक्र है। यह चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति से किया जाता है। इसमें वोटिंग सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम से होती है। आसान शब्दों में इस चुनाव के मतदाता को वरीयता के आधार पर वोट देना होता है। मसलन वह बैलट पेपर पर मौजूद उम्मीदवारों में अपनी पहली पसंद के उम्मीदवार को एक, दूसरी पसंद को दो और इसी तरह से अन्य प्रत्याशियों के आगे अपनी प्राथमिकता नंबर के तौर पर लिखता है। ये पूरी प्रक्रिया गुप्त मतदान पद्धति से होती है। मतदाता को अपनी वरीयता सिर्फ रोमन अंक के रूप में लिखनी होती है। इसे लिखने के लिए भी चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए खास पेन का इस्तेमाल करना होता है। 

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