जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी,कार्रवाई नहीं करने पर LNIPE पर एक लाख की कॉस्ट लगाई है...
LNIPE में शारीरिक शोषण मामले में HC ने पूर्व कुलपति पर लगाया 41 लाख का जुर्माना !
ग्वालियर। देश के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित खेल शिक्षण संस्थान एलएनआईपीई में ग्वालियर की महिला प्रशिक्षिका के शारीरिक शोषण के मामले में हाईकोर्ट ने पूर्व कुलपति डॉ. दुरेहा को 35 लाख का जुर्माना लगाया है। साथ ही सरकार को 5 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया। जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं करने पर एलएनआईपीई पर एक लाख की कॉस्ट लगाई है।
यहां कार्यरत एक योग शिक्षिका के शारीरिक शोषण के मामले में एलएनआईपीई (लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन) के पूर्व कुलपति डॉ. दिलीप दुरेहा को हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने 35 लाख क्षतिपूर्ति अदा करने का आदेश दिया है। जस्टिस मिलिंद रमेश फड़के ने अपने फैसले में कहा कि संस्थान की ही एक महिला शिक्षक ने डॉ. दुरेहा पर मानसिक और शारीरिक शोषण करने का आरोप लगाया था। लंबी लड़ाई के बाद आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन हुआ, जिसने जांच में डॉ. दुरेहा को दोषी पाया।
इसके बावजूद एलएनआईपीई प्रशासन ने मामले की अनदेखी की और ऐसे व्यक्ति को संस्थान के प्रशासनिक दायित्व सौंपे रखा, जो उस पद के योग्य नहीं था। हाईकोर्ट ने एलएनआईपीई पर एक लाख की कॉस्ट लगाई है और मध्यप्रदेश शासन को पीड़िता को 5 लाख की क्षतिपूर्ति देने का आदेश भी दिया है। इस तरह पीड़िता को 41 लाख की क्षतिपूर्ति मिलेगी। महिला प्रशिक्षिका ने बताया कि वह 2019 से अब तक कार्रवाई के लिए 50 से अधिक आवेदन दे चुकी हैं। इसी तरह के शोषण के कारण एक अन्य महिला शिक्षक को नौकरी तक छोड़नी पड़ी। दुष्कर्म और छेड़छाड़ के केस भी दर्ज हुए हैं, जो बेहद चिंताजनक हैं।
एडवोकेट योगेश चतुर्वेदी ने बताया कि पीड़िता ने 2019 में तत्कालीन कुलपति डॉ. दुरेहा के खिलाफ सबसे पहले शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि सुबह 7 बजे क्लास जाते समय डॉ. दुरेहा ने उन्हें अनुचित तरीके से छुआ और पीठ के नीचे हाथ रखा। महिला ने विरोध जताया और तत्काल वहां से चली गई। उन्होंने इसकी शिकायत संस्थान से लेकर मंत्रालय तक की। महिला प्रशिक्षिका ने गंभीर आरोप लगाए कि डॉ. दुरेहा उन पर शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बनाते थे और मना करने पर नौकरी से निकालने व करियर बर्बाद करने की धमकी देते थे। महिला ने पुलिस में भी शिकायत दर्ज कराई, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। वहां से संरक्षण मिलने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें शिक्षण संस्थान में सुरक्षित व भयमुक्त वातावरण की मांग और क्षतिपूर्ति की गुहार की गई।
कोर्ट ने कहा कि डॉ. दुरेहा को 35 लाख की क्षतिपूर्ति इसलिए देनी पड़ेगी क्योंकि महिला प्रशिक्षिका दो वर्षों तक नौकरी नहीं कर सकीं, उन्हें वेतन नहीं मिला, मानसिक तनाव झेलना पड़ा और उनकी सामाजिक छवि भी धूमिल हुई। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वेतन न मिलने का कारण तत्कालीन कुलपति द्वारा किया गया पत्राचार था। मध्यप्रदेश सरकार को 5 लाख की क्षतिपूर्ति इसलिए देनी पड़ेगी क्योंकि पुलिस ने शिकायत के बावजूद तीन वर्षों तक एफआईआर दर्ज नहीं की और यह भी सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही दर्ज हो सकी। इस देरी के कारण महिला प्रशिक्षिका को अतिरिक्त मानसिक और सामाजिक पीड़ा सहनी पड़ी।










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