G News 24 : श्री अचलेश्वर मंदिर का कुप्रबंधन दूर नहीं किया तो भक्त करेंगे धरना प्रदर्शन :महेन्द्र भदकारिया

 कमिश्नर एवं कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन...

श्री अचलेश्वर मंदिर का कुप्रबंधन दूर नहीं किया तो भक्त करेंगे धरना प्रदर्शन :महेन्द्र भदकारिया

ग्वालियर। ग्वालियर ही नहीं बल्कि देशभर के शिवभक्तों में श्रद्धा व आस्था का केंद्र श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर के भक्तों ने आज ग्वालियर के संभागायुक्त एवं कलेक्टर को ज्ञापन पत्र देकर कहा कि मन्दिर प्रशासन के वर्तमान प्रबन्धन से शिवभक्तों को जो अपेक्षाएं थीं, वे पूर्ण नहीं हुई हैं। कई कमियां रह गई हैं जिन्हें दूर किए बिना सभी श्रद्धालुओं को सुविधा एवं राहत मिलना असंभव है। यहां की व्यवस्थाओं को और अधिक परिमार्जित, लोकाकर्षक, भारतीय धार्मिक परंपराओं के अनुरूप बनाने की प्रबल आवश्यकता है। बाबा अचलनाथ के भक्तों ने वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को मंदिर की व्यवस्थाओं को सुधारने एवं भविष्य में होने वाले कार्यों को अपेक्षा अनुरूप बनाने के लिए उपयोगी सुझाव दिए। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को भी इसी आशय का ज्ञापन पत्र दिया गया है।

 श्री अचलेश्वर मंदिर न्यास के पूर्व सूचना सचिव महेन्द्र भदकारिया के नेतृत्व में अनिल पुनियानी सहित बड़ी संख्या में भक्तों ने कलेक्टर एवं संभागीय आयुक्त को दिए ज्ञापन में मांग की कि महाकाल, उज्जयिनी में बने "महाकाल लोक" की ही तरह ग्वालियर के इस सुविख्यात श्री अचलेश्वर महादेव मन्दिर पर भी "अचल लोक" बनाया जाए।  पिछले एक - डेढ़ दशक में ग्वालियर की जनसंख्या वृद्धिदर लगभग दोगुनी हो गई है। पूर्व में ग्वालियर की आबादी 10 से 15 लाख थी जो तेजी से रफ्तार पकड़ रही है। जाहिर है कि भविष्य में यहां आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद काफी बढ़ेगी। हमारा आग्रह है कि भविष्य की इन चुनौतियों को दृष्टिगत रखते हुए मंदिर पर भक्तों की सुविधा के लिए विहंगम व्यवस्थाएं की जाएं। जाए। ले-आउट प्लान में मंदिर भवन के आठ गेट बनाए जाने थे जबकि वर्तमान स्थिति में सिर्फ चार गेट ही बनाए गए हैं। श्रावण मास के सोमवार एवं महाशिवरात्रि, नववर्ष जैसे अवसरों पर श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर में हजारों ही नहीं बल्कि एक लाख से भी ज्यादा लोगों की भीड़ उमड़ती है। इस भीड़ को देखते हुए यहां अधिकाधिक आधारभूत सुविधाएं जुटाना जरूरी है।

 पूर्व सूचना सचिव महेन्द्र भदकारिया एवं अन्य भक्तों ने कहा कि मंदिर में लम्बे समय से कार्यरत पुराने कर्मचारियों की न तो छंटनी की जाए और न ही उन्हें प्रताड़ित किया जाए। प्रबंधन के मनमाने कार्यों का विरोध करने वाले पुराने कर्मचारियों को हटाकर अपने कठपुतली नुमा कर्मचारियों की भर्ती करने का षडयंत्र रचा जा रहा है जिसे रोका जाए। मंदिर में कार्यरत कर्मचारियों के साथ अपने तेरे जैसा भेदभाव बरत कर उन्हें कुंठित न किया जाए। हालांकि श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर के पुनर्निर्माण एवं जीर्णोद्धार कार्य का एक बड़ा चरण पूर्ण हो चुका है लेकिन मंदिर परिसर में प्रतिदिन आने वाले हजारों श्रद्धालुओं की सुविधा, सुरक्षा एवं भवन की मजबूती के लिए कई निर्माण कार्य अभी होना बाकी है। देश के बड़े बड़े मंदिरों में भी दीप जलाने की अनुमति है लेकिन अचलेश्वर मंदिर पर दीप जलाने से रोकना भक्तों की आस्थाओं का अपमान है। यह दीप निर्माण से जुड़े प्रजापति समाज के पारंपरिक व्यवसाय पर भी चोट है। हमारा आग्रह है कि मंदिर परिसर में "दीप भवन" बनाया जाए। हमारा आग्रह है कि आसमानी बिजली से सुरक्षा के लिए भवन पर तड़ित चालक लगाया जाए।  बरसाती पानी की सुरक्षित निकासी एवं भूजल स्तर बढ़ाने के लिए यहां वॉटर हार्वेस्टिंग किया जाए। परिसर में पानी की सदैव उपलब्धता बनी रहे, इसलिए वाटर टैंक बनाया जाए, इसके लिए यहां काफी जगह है। परिसर व श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए यहां पर्याप्त संख्या में अग्निशमन यंत्र लगाए जाएं। परिसर के चारों ओर मौजूदा अस्थायी बेरिकेडिंग के बजाए पत्थर की नक्काशीदार बाउंड्री निर्मित की जाए।

 ज्ञापन पत्र में कहा गया है कि तत्कालीन मंदिर प्रशासन द्वारा प्रतिदिन गायों को रोटी, कुत्तों को भोजन, पक्षियों के लिए दाना-पानी, गायों की प्यास बुझाने के लिए पानी की टँकी व जरूरतमंदों को दैनिक उपयोग की वस्तुएं भेंट करने के साथ ही अखतीज जैसे अवसरों पर प्रतिवर्ष सामूहिक विवाह सम्मेलनों के आयोजन जैसी सर्वहितकारी परम्पराएं प्रारंभ की गई थीं जो वर्तमान मंदिर प्रबंधन द्वारा बंद कर दी गई हैं। हमारा विनम्र आग्रह है कि उक्त परंपराओं को पुनः आरंभ किया जाए।

चुनाव प्रक्रिया तत्काल प्रारंभ करें-  भदकारिया ने कहा कि श्री अचलेश्वर मंदिर लंबे समय से प्रशासकीय नियंत्रण में है। इस कारण कई बार भक्तों की सुविधानुसार निर्णय नहीं हो पाते हैं। हम चाहते हैं कि यहां चुनाव प्रक्रिया तत्काल प्रारंभ कर बाबा के भक्तों की इच्छानुसार अपना नया नेतृत्व चुनने का अवसर दिया जाए ताकि ऊपर से थोपे गए जबरिया नेतृत्व से मुक्ति मिल सके और मंदिर प्रबंधन में लोकतांत्रिक परंपराओं का समावेश हो सके।

भंडारे का स्तर सुधारें- यह भी कहा गया कि मंदिर में बेसहारा प्रभुजियों एवं भिक्षुकों के लिए प्रतिदिन चल रहे भंडारे का स्तर सुधारकर इसे सम्मानजनक बनाया जाए। अभी तो भंडारे की हालत यह है कि दो दो रोटी, थोड़ी सी दाल और चुटकी भर चावल देकर औपचारिकता पूरी कर दी जाती है। ऐसा न किया जाए। भंडारे के नाम पर मखौल रोका जाए। भक्तों द्वारा मंदिर में चलने वाले भंडारे, भोग एवं पूजा पाठ में दी जाने वाली सहयोग राशि की दरें एकदम से बढ़ा दी गई हैं। इसे कम या संतुलित किया जाए ताकि कमजोर आर्थिक स्थिति वाले भक्त भी मंदिर संचालन से जुड़ी व्यवस्थाओं में सहयोगी बन सकें। श्री अचलेश्वर मंदिर न्यास में कितनी धनराशि की कब-कब आवक जावक हुई है, इसे नए प्रबंधन द्वारा अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। न्यास में पूर्व में जो भी जांचें चल रही थीं, उन संपूर्ण जांचों को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। इस कारण पूर्व में हुए कदाचरण की जिम्मेदारी अभी तक निर्धारित नहीं हो सकी है। 

किसी भी तरह का कर न लगे- महेंद्र भदकारिया एवं अन्य भक्तों ने कहा कि मंदिर में दर्शन के लिए किसी भी तरह का जजिया कर लागू नहीं किया जाए। सभी के लिए एक समान दर्शन व्यवस्था लागू रहे। 1947 के पूर्व के जो भी कानून हैं, वह लागू न हों। सामाजिक समरसता को अमल में लाते हुए बिना किसी भेदभाव के सभी वर्गों को मंदिर में पूजा पाठ करने का अवसर मिले। मंदिर के किसी भी कर्मचारी को परेशान नहीं किया जाए।

धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे...

 भदकारिया ने चेतावनी दी कि यदि मंदिर के वर्तमान प्रबंधन ने जिला प्रशासन के निर्देशों के अनुपालन में व्यवस्थाओं में सुधार एवं भक्तों की भावनाओं के अनुरूप कार्यप्रणाली में परिवर्तन नहीं किया तो सभी भक्तगण मजबूरी में धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे लेकिन यह स्थिति प्रशासन के हस्तक्षेप से टाली जा सकती है। 

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