शहीद संतों की स्मृति में हुआ अखिल भारतीय कवि सम्मलेन का आयोजन...
किये जो कर्म अब वे सब हमारे काम आएंगे, हमारी साधनाओं के सुखद परिणाम आएंगे : डा. मनीषा
ग्वालियर। सिद्ध पीठ गंगादास की बड़ी शाला में सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में महारानी लक्ष्मीबाई के साथ शहीद हुए संतों की स्मृति में पीठाधीश स्वामी रामसेवक दास महाराज के पावन सानिध्य में चल रही श्रीमदभागवत कथा में बुधवार को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव और गोवर्धन पूजा का प्रसंग महाराज मदनमोहन दास के श्रीमुख द्वारा सुनाया गया। कथा के माध्यम से प्रकर्ति पूजा का संदेश देकर महाराज मदनमोहन दास ने कहा की आज हम सब प्रकृति से छेड़ छाड़ कर रहे है इस लिए लिए आज प्रकृति भी विपरीत होती जा रही है इस लिए प्रभु ने गोवर्धन पर्वत की पूजा करा कर यह संदेश जन मानस को यह संदेश दिया की हमें प्रकृति की पूजा एवं रक्षा करना चाहिए और हर किसी को जीवन में वृक्ष जरूर लगाना चाहिए। इसके बाद रात्रि 8 बजे से श्री संत शहीद स्मृति समारोह के अंतर्गत अखिल भारतीय कवि सम्मलेन का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मथुरा के बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने - कोई दिल टूट जाता है किसी के मुस्कुराने से, कोई दिल चैन पाता है उसी के मुस्कुराने से..., अलीगढ़ के अभय सिंह "अभय" ने - जी रहे हैं ज़िन्दगी सहमे डरे से, अमन के भी भाव हैं देखो मरे से..., रामनगर एटा के कृष्ण मुरारीलाल "मानव" ने - नैनन से नीर बहे मुख से न कुछ कहे, उद्धभव को देखके ही अधर काँपने लगे..., अलीगढ़ के भुवनेश चौहान "चिंतन" ने - यश कीर्ति मिले सम्मान मिले, बस मां का गौरव ज्ञान मिले…, जिहैरा एटा के फ़रीद अल्वी ने - में अर्पण गीत में ग़ज़लों में राधेश्याम लिखता हूँ, उन्हीं से नेह रखता हूँ उन्हीं का नाम लिखता हुआ..., सेंवढ़ा दतिया के रामस्वरूप "स्वरुप" ने - जो शहीद हो गए वतन पर सौ सौ नमन करूँ…, महेश मंजुख "संगकार" ने - अमृत था गंगा का पानी दूषित बना रहे, इसको मूरख गुरु ज्ञानी बनकर गुरु गुण पढ़ा रहे सबको…, माता प्रसाद शुक्ल ने - रानी लक्ष्मीबाई देश पर हुई बलिदान, और आज हम कुर्सी पर हो रहे हैं मेहरबान…, डॉ. मनीषा गिरी "मनमुग्ध" ने - किये जो कर्म अब वे सब हमारे काम आएंगे, हमारी साधनाओं के सुखद परिणाम आएंगे…, दिव्या सिंह यादव ने - जन जन के जननायक जनगणमन का जय जयगान करो, वन्दे मातरम वन्दे मातरम वन्दे मातरम ध्यान करो…, और कार्यक्रम के संयोजक रंजीत शर्मा "रंग' ने - में उस पगडण्डी का मुसाफिर हूँ मुझे भी है, में उस वीराने का दीवाना हूँ जलना मुझे भी आता है…, पंक्तियों के साथ अपना काव्यपाठ किया।
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