शोक रहित और ममता रहित साधक को ही प्राप्त होता है परमात्मा : स्वामी प्रेमानंद

गौ सेवार्थ एवं पर्यावरण रक्षार्थ चल रही है श्रीमद् भागवत महापुराण कथा…

शोक रहित और ममता रहित साधक को ही प्राप्त होता है परमात्मा : स्वामी प्रेमानंद 

मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी गौशाला आदर्श गौशाला लाल टिपारा मुरार में गौ सेवार्थ एवं पर्यावरण रक्षार्थ चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा के द्वितीय दिवस में स्वामी प्रेमानंद जी महाराज ने कहा-परमात्मा सर्वव्यापक है। वह शोक रहित और ममता रहित साधक को ही प्राप्त होता है। ध्यान परमात्मा को जानने का सर्वश्रेष्ठ साधन है। शुकदेव जी परम ध्यानी और परम त्यागी हैं।शुकदेव जी जैसे परमहंस भटके हुए लोगों को यथार्थ ज्ञान का प्रकाश करने के लिए ही जगत में आते हैं। बिना परमहंस संतों के जगत को सही दिशा प्राप्त होना असंभव है। 

द्रोपदी चरित्र का वर्णन करते हुए स्वामी जी ने बताया भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को कृष्णा नाम दिया था, क्योंकि द्रोपदी के हृदय में वैर नहीं था। बदला लेने की भावना नहीं थी‌। वैर परमात्मा से विलग करता है प्रेम परमात्मा से जोड़ता है। विरोधी और मूर्ख का भी भला सोचो तो भगवान आपका मंगल करेंगे। सबसे बड़ा दुख है कि मनुष्य जीवन पाकर भी जीव परमार्थ केलिए जीवन ना जी कर भोग के लिए जीवन जीता है। सबसे बड़ा परमार्थ गौ माता की सेवा है।गाय से ही सृष्टि का अस्तित्व है।जिस दिन गाय नहीं उस दिन सृष्टि नहीं।इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को तन,मन,धन से गाय की सेवा अवश्य करनी चाहिए। 

यह मनुष्य का परम कर्तव्य है। जो गौ सेवा नहीं करता वह भगवान को प्रिय हो ही नहीं सकता।हर देवता,ऋषि का संबंध गौमाता से है फिर बिना गोसेवा किए वे कैसे प्रसन्न हो सकते हैं? और हमें सुखी होने का आशीर्वाद कैसे दे सकते हैं? इस अवसर पर जरूरतमंद लोगों के करीब 50 आयुष्मान कार्ड बनाए गए एवं स्वास्थ्य शिविर में डॉक्टर देवेंद्र कमल द्वारा 50 से अधिक रोगियों का आवाज परीक्षण कर उन्हें निशुल्क दवा वितरित की गई तथा आने वाले सभी अतिथियों को पर्यावरण हितेषी थैले निशुल्क बांटे गए आज की कथा में मुख्य रूप से उच्च न्यायालय मजिस्ट्रेट दीपक अग्रवाल जी उपस्थित रहे l

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