पदोन्नति में आरक्षण के लिए विधेयक लाने की तैयारी

 प्रदेश सरकार द्वारा विधानसभा के सत्र में प्रस्तुत जा सकता है विधेयक…

पदोन्नति में आरक्षण के लिए विधेयक लाने की तैयारी 

भोपाल । बीते 6 साल से मध्य प्रदेश में अधिकारियों और कर्मचारियों की पदोन्न्ति पर रोक लगी है पदोन्नति में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और सेवानिवृत्ति से पहले भी पदोन्नति न मिल पाने के कारण कर्मचारी राज्य सरकार से नाराज हैं। यह नाराजगी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सरकार को भारी न पड़े इसलिए विधानसभा के 13 सितंबर से शुरू होने वाले सत्र में विधेयक लाकर पदोन्नति में आरक्षण नियम-2022 लागू करने की तैयारी चल रही है।

पदोन्नति में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। ऐसे में पदोन्नति में आरक्षण देने के नए नियम बनाने और उन्हें लागू करने की कोशिश को लेकर कर्मचारी सरकार से खासे नाराज हैं। 

सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संस्था (स्पीक) के अध्यक्ष केएस तोमर पहले ही कह चुके हैं कि हमारे सुझावों पर ध्यान दिए बगैर एकतरफा नियम बनाए गए हैं। सरकार इन्हें लागू करती है, तो स्पीक कोर्ट में याचिका दायर करेगी। उधर, सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले आरक्षित वर्ग को लुभाने के लिए विधेयक लाकर नए नियम लागू करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। विधानसभा से विधेयक पारित होने के बाद नियमों को कानूनी मान्यता मिल जाएगी इसलिए सरकार को दूसरे पक्ष के कोर्ट जाने का भी डर नहीं है।

ये हैं पदोन्नति के नए नियम

सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए 'मध्य प्रदेश लोक सेवा (पदोन्नति) नियम-2022" तैयार किए हैं। बताया जा रहा है कि इन नियमों में आरक्षित वर्ग के पद उपलब्ध न होने पर एससी, एसटी और अनारक्षित वर्ग को मिलाकर संयुक्त सूची बनाने एवं उसमें से पदोन्नति देने का प्रविधान किया गया है। वहीं आरक्षित वर्ग के पदों के लिए लोक सेवक उपलब्ध न होने पर ये पद रिक्त ही रखे जाएंगे।

संयुक्त सूची से एससी और फिर एसटी वर्ग के कर्मचारियों को पहले पदोन्नति दी जाएगी। यदि किसी आरक्षित वर्ग के पद पहले से भरे हैं तो सभी रिक्त पदों को शामिल करते हुए संयुक्त चयन सूची में शामिल कर्मचारियों के नाम योग्यता के क्रम में रखे जाएंगे। आरक्षित वर्ग के लिए पर्याप्त कर्मचारी उपलब्ध न होने पर पद तब तक रिक्त रखे जाएंगे, जब तक संबंधित वर्ग का कर्मचारी न मिल जाए। इसमें रोस्टर व्यवस्था रहेगी और प्रविधान के अनुरूप आरक्षण तय रहेगा। उल्लेखनीय है कि पदोन्नति पर रोक होने से सवा छह साल में 70 हजार से ज्यादा कर्मचारी बिना इसका लाभ पाए सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

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