हिन्दी वर्णमाला का आप अद्भुत अद्वितीय अविस्मरणीय क्रमबद्ध प्रयोग

 एक सुंदर प्रयास एक बार ध्यान से पढ़िएगा...

हिन्दी वर्णमाला का आप अद्भुत अद्वितीय अविस्मरणीय क्रमबद्ध प्रयोग 



       अ चानक

     आ कर मुझसे

     इ ठलाता हुआ पंछी बोला

     ई श्वर ने मानव को तो

     उ त्तम ज्ञान-दान से तौला

     ऊ पर हो तुम सब जीवों में

     ऋ ष्य तुल्य अनमोल

     ए क अकेली जात अनोखी

     ऐ सी क्या मजबूरी तुमको

     ओ ट रहे होंठों की शोख़ी

     औ र सताकर कमज़ोरों को

     अं ग तुम्हारा खिल जाता है

     अ: तुम्हें क्या मिल जाता है.?

     क हा मैंने- कि कहो

     ख ग आज सम्पूर्ण

     ग र्व से कि- हर अभाव में भी

     घ र तुम्हारा बड़े मजे से

     च ल रहा है

     छो टी सी- टहनी के सिरे की

     ज गह में, बिना किसी

     झ गड़े के, ना ही किसी

     ट कराव के पूरा कुनबा पल रहा है

     ठौ र यहीं है उसमें

     डा ली-डाली, पत्ते-पत्ते

     ढ लता सूरज

     त रावट देता है

     थ कावट सारी, पूरे

     दि वस की-तारों की लड़ियों से

     ध न-धान्य की लिखावट लेता है

     ना दान-नियति से अनजान अरे

     प्र गतिशील मानव

     फ़ रेब के पुतलो

     ब न बैठे हो समर्थ

     भ ला याद कहाँ तुम्हें

     म नुष्यता का अर्थ.?

     य ह जो थी, प्रभु की

     र चना अनुपम...

     ला लच-लोभ के 

     व शीभूत होकर

     श र्म-धर्म सब तजकर

     ष ड्यंत्रों के खेतों में

     स दा पाप-बीजों को बोकर

     हो कर स्वयं से दूर

     क्ष णभंगुर सुख में अटक चुके हो

     त्रा स को आमंत्रित करते

     ज्ञा न-पथ से भटक चुके हो।

     श्रे ष्ठ पथ पर बढ़े चलो। 

अंग्रेजी के अल्फाबेट्स पर बहुत कुछ पढ़ा होगा... पहली बार हिंदी में ।

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