कुुुुुछ प्राईवेट विद्यालय संचालक नियमों को धता बताते हुए कर रहे हैं विद्यालयों का संचालन

स्कूल शिक्षा विभाग में ठीक नहीं चल रहा है सब कुछ.....

कुछ प्राईवेट विद्यालय संचालक नियमों को धता बताते हुए कर रहे हैं विद्यालयों का संचालन

यहां आपके सामने हम कुछ विद्यालयों के नाम उन्हें मान्यता जारी न करने के प्रतिवेदन पत्र

फोटो में दिखा रहे हैं। जिन्हें देखकर सारा माजरा आपकी समझ में आ जायेगा


ग्वालियर।
स्कूल शिक्षा विभाग के डीईओ ऑफिस ग्वालियर की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार विभाग की लापरवाही के चलते तमाम प्राइ्र्रवेट विद्यालयों का संचालन वगैर मान्यता और एनओसी लिये ग्वालियर में किया जा रहा है। ये विद्यालय यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों की ठीक प्रकार से मैपिंग भी नहीं कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इन विद्यालयों  की जानकारी शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को नहीं है। उन्हें और संबंधित विभाग को ऐसे विद्यालयों की जानकारी व कायदा लिखित रूप में अधिनस्थ कर्मचारियों द्वारा लगातार दी जाती रही है। लेकिन इसके बावजूद बिना मान्यता और एनओसी के ऐसे स्कूल संचालित हो रहे हैं और जिम्मेदार विभाग और उसके अधिकारी एक दूसरे को पत्र लिखकर पत्र-पत्र खेल रहे हैं। 

सूत्रों व आरटीआई से मिली जानकारी से इस सत्यता का पता चलता है कि किस प्रकार जिन लोगों पर इन स्कूलों के निरीक्षण करके अपनी रिर्पोट पूरीसत्यता के साथ संबंधित विभाग को सोंपी जाने के बाद संबंधित विभाग के अधिकारियों को भी एक बार जमीनी हकीकत पता करने के लिये ऐसे स्कूलों का मौके पर जाकर सत्यापन करना चािहये लेकिन अधिकारी हैं कि अपने आॅफिस के चेंबरों से बाहर ही निकलना नहीं चाहते हैं। इन्हें इनके बीआरसीसी  जो रिर्पोट बनाकर दे देते हैं उसी को सही मानते हुए विद्यालयों की मान्यता और एनओसी जारी कर देते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तो यहां सब कुछ लेनदेन के आधार पर होता है। फिर चाहे बीआरसीसी या जनशिक्षक मान्यता या एनओसी के लिये विद्यालय के फेवर में अनुशंसा करे या ना करे कोई मायना नहीं रखता है। उनके द्वारा लगाये गये आॅब्जेक्शन को साइडलाइन कर ठंडे वस्ते मे डाल दिया जाता है। और ऐसे विद्यालयों को बिना मान्यता और एनओसी के संचानन की खुली छूट मिल जाती है फिर बच्चों के भविष्य के साथ जो भी हो।

यहां आपके सामने हम कुछ विद्यालयों के नाम उन्हें मान्यता जारी न करने के प्रतिवेदन पत्र

फोटो में दिखा रहे हैं। जिन्हें देखकर सारा माजरा आपकी समझ में आ जायेगा

प्राईवेट विद्यालयों को मान्यता देने से पहले बीआसीसी के द्वारा उसके क्षेत्र में संचालित होनेे वाले विद्यालयों का मौके पर जाकर निरीक्षण कर अपनी जय बिन्दुओं के आधार पर रिर्पोर्ट बनानी होती है उसी रिर्पोट के आधार पर विद्यालय की मान्यता और एनओसी जारी की जाती है। बस यहीं से शुरू होता है लेनदेने का खेल। कुछ बीआरसीसी मौके का फायदा उठाते हुए जैसा विद्यालय संचालक चाहते हैं वैसी रिर्पोट तैयार कर विभाग में अपनी अनुशंसा लगाकर भेज देते है। ग्वालियर शहर के कुछ शासकीय विद्यालयों की स्थिती  प्राइवेट की अपेक्षा बहुत ही दयनीय है जिनके बारें में जी न्यूज 24 कई बार ख़बरें चला चूका है लेकिन इसके बावजूद बीआरसीसी ने इन स्कूलों का मौका मुआयना तक करना उचित नहीं समझा l खासकर  मोरार क्रमांक  2 के अंतर्गत संचालित कुछ शासकीय  विद्यालयों की व्यवस्थाएं बहुत ही दयनीय स्थिति में है l स्कूलों में उचित साफ सफाई नहीं है बैठक व्यवस्था ठीक नहीं है l स्टाफ की मॉनीटर्रिंग जैसी कोई व्यवस्था नहीं है l 

वहीं ठीक इसके विपरीत कुछ ऐसे बीआरसीसी भी हैं जो मौके को नकारते हुए हकीकत को सामने रखते हुए अपनी रिर्पोट बनाकर विभाग में भेज देते हैं। वे न सिर्फ अपनी रिर्पोट भेजते है बल्कि विभाग और उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर सूचित भी करते है कि आमुक विद्यालय शासन के नियमों का पालन नहीं कर रहा है उसे विद्यालय को मान्यता और एनओसी जारी ना की जाये। इसके बाद भी ऐसे विद्यालयों का संचालन होता रहता है,यहां पढ़ने वाले बच्चों की मैपिंग भी लगातार गड़बड़ होती रही है। ऐसे में क्या उस बीआरसीसी या जन शिक्षक का मनोबल नहीं गिरता कि उसने ईमानदारी से अपना कार्य किया और विभाग ने उसकी रिर्पोट को निराधार मानते हुए विद्यालय के खिलाफ कोई कार्यवाही नहेीं की। क्या आगे से वह फिर इसी निष्ठा से कार्य करेगा इस पर शासन को विचार करना चाहिये।

इस प्रकार से संचालित होने वाले प्रदेश में न जाने कितने विद्यालय होगें जो नियम कायदों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे है और बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे है।आगे भी लगातार शिक्षा के स्तर में सुधार हो इसके लिए हम नाकारा जिम्मेदारों को अपने समाचारों के द्वारा तब तक बे नकाब करते रहेंगे,जब तक वे अपना कार्य ठीक से नहीं करने लगते है  l 


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