शिष्य को अपने गुरू के प्रति बताये हुये कर्त्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए : निगमायुक्त

गुरू पर्णिमा के अवसर पर व्यख्यान माला का आयोजन…

शिष्य को अपने गुरू के प्रति बताये हुये कर्त्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए : निगमायुक्त

ग्वालियर। मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग एवं शासकीय ललित कला महाविद्यालय, ग्वालियर के संयुक्त तत्वाधान में गुरूपूर्णिमा के अवसर पर गुरू-शिष्य परम्परा और उनके आपसी सानिध्य की वर्तमान स्थितियों को लेकर आज नृत्य, संगीत एवं रूपंकर कला केन्द्रित व्याख्यान वक्ता शशिप्रभा तिवारी, नई दिल्ली द्वारा दिया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि नगर निगम आयुक्त किशोर कन्याल द्वारा मॉं सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं वक्ता शशिप्रभा तिवारी, नई दिल्ली का शॉल एवं श्रीफल से सम्मान किया गया।

इस अवसर पर निगमायुक्त श्री कन्याल ने आजादी के 75 वे अमृत महोत्सव के तहत आयोजित इस आयोजन में गुरु की महानता के प्रति आदर करने की सांस्कृतिक पहल के बारे बताया और कहा कि युवा कलाकारों को कलाओं के प्रति समर्पित भावना के साथ कार्य करते रहना चाहिये। गुरू हमेंशा विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा देने का प्रयास करता है और शिष्य को अपने गुरू के प्रति बताये हुये कर्त्तव्यों का निर्वहन करना चाहिये तथा कलाकार हमेशा अपनी कल्पनाओं के माध्यम से कला को प्रदर्शित करता है। चाहें वह संगीत हो चाहंे ललित कला हो अपने मुख्य अतिथि के रूप में उद्बोधन दिया। 

इसके साथ ही युवाओं को स्वच्छता अभियान की महत्ता के बारे में जानकारी दी तथा सभी से इस अभियान में जुड़ने का आह्वान किया। मुख्य वक्ता शशिप्रभा तिवारी ने कहा कि नृत्य, संगीत एवं रूपंकर कला एक-दूसरे के बिना अधूरे है। लय एवं ताल हमेशा ग्रामीण परिवेश से प्रारंभ होती है सभी कलाओं में चाहें वह संगीत, चाहें वह नाट्क, चाहें वह ललित कला हो। एक -दूसरे समन्वय से ही कला की उत्पत्ति होती है। सुर-ताल का भी संगम वर्तमान में युवा पीढ़ी को आगे बढ़कर समर्पित भाव से  कार्य को निरंतर वढ़ाते रहना चाहिये। किसी भी कलाकार को धैर्य के साथ करना चाहिये।

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