WHO के भारत में 47 लाख मौतों के दावे पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने जताई कड़ी आपत्ति

अलग-अलग देशों द्वारा मुहैया कराए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक…

WHO के भारत में 47 लाख मौतों के दावे पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने जताई कड़ी आपत्ति

नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि पूरी दुनिया में पिछले दो वर्षों में लगभग 1.5 करोड़ लोगों ने या तो कोरोना वायरस से या स्वास्थ्य प्रणालियों पर पड़े इसके प्रभाव के कारण जान गंवाई। हालांकि, यह आकंड़ा अलग-अलग देशों द्वारा मुहैया कराए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 60 लाख मौत के दोगुने से अधिक है। ज्यादातर मौतें दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और अमेरिका में हुईं। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयियस ने इस आंकड़े को ‘‘गंभीर’’ बताते हुए कहा कि इससे देशों को भविष्य की स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने के लिए अपनी क्षमताओं में अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित होना चाहिए। डब्ल्यूएचओ के तहत वैज्ञानिकों को जनवरी 2020 और पिछले साल के अंत तक मौत की वास्तविक संख्या का आकलन करने की जिम्मेदारी दी गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक 1.33 करोड़ से लेकर 1.66 करोड़ लोगों की मौत या तो कोरोना वायरस या स्वास्थ्य सेवा पर पड़े इसके प्रभाव के कारण हुई। जैसे कि कोविड मरीजों से अस्पताल के भरे होने के कारण कैंसर के मरीजों को इलाज नहीं मिल पाया। यह आंकड़ा देशों की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों और सांख्यिकी मॉडलिंग पर आधारित है। 

डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 से सीधे तौर पर मौत का विवरण नहीं मुहैया कराया है। येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में संक्रामक रोग विशेषज्ञ अल्बर्ट कू ने कहा, ‘‘किसी संख्या के बारे में निष्कर्ष पर पहुंचना जटिल काम है, लेकिन डब्ल्यूएचओ के ये आंकड़े यह समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि हमें भविष्य की महामारी का मुकाबला कैसे करना चाहिए और किस तरह की तैयारी रखनी चाहिए।’’ भारत में मौतों का आंकड़ा 47 लाख बताया गया है। यह संख्या आधिकारिक आंकड़ों से करीब 10 गुना अधिक है। भारत सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों पर कड़ी आपत्ति जताई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि संस्था ने भारत की चिंताओं को बिना समझे ही अतिरिक्त मृत्यु दर अनुमान जारी कर दिया। जिन मॉडल की वैधता ही सवालों के घेरे में है, उस पर आधारित आंकड़े भी सही नहीं होंगे। भारत ने कहा कि संस्था ने कहां से ये आंकड़े एकत्रित किए हैं। किन एजेंसियों ने ये आंकड़े उपलब्ध करवाए हैं, इसमें पारदर्शिता जरूरी है। उनकी मेथोडोलॉजी क्या है, इस पर भी उचित जानकारी नहीं मिली है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि बार-बार पूछे जाने पर डब्लूएचओ ने 17 राज्यों के नाम बताए। लेकिन यह जानकारी नहीं दी है कि ये आंकड़े कब से कब तक के हैं। 

दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान, प. बंगाल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, यूपी, एमपी, पंजाब, तमिलनाडु, असम, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़ और बिहार से आंकड़े संग्रहित करने का दावा किया है। भारत सरकार ने कहा कि हमने तो 2021 का आंकड़ा जारी ही नहीं किया है। हमारा पूरा आंकड़ा रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया से आता है। भारत ने इस पर भी आपत्ति जताई है कि हमें टीयर 2 में रखा गया है, जबकि कई छोटे देशों को डब्लूएचओ ने टीयर 1 में रखा है। वहां पर तो आंकड़ा एकट्ठा करने का तरीका भी सही नहीं था। भारत जैसे देशों ने कोविड-19 से हुई मौतों के आकलन की पद्धति को लेकर सवाल उठाए हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में भारत सरकार ने नए आंकड़े जारी किए, जिससे पता चला कि पिछले साल की तुलना में 2020 में 474,806 अधिक मौतें हुईं। भारत ने 2021 के लिए मौत का अनुमान जारी नहीं किया। ब्रिटेन के एक्सेटर विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. भरत पंखानिया ने कहा कि खासकर गरीब देशों में कोविड-19 से हुई मौतों के बारे में सटीक संख्या का पता कभी नहीं चल सकेगा। उन्होंने कहा कि दीर्घावधि में कोविड-19 से अधिक नुकसान हो सकता है।

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