जिहाद की नींव हिलाने वाली पिता-पुत्र की जोड़ी

हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन...

जिहाद की नींव हिलाने वाली पिता-पुत्र की जोड़ी 

हरिशकंर जैन और विष्णु शंकर जैन का पूरा परिचय आपको आगे देंगे। लेकिन पहले 30 साल पुरानी एक घटना की जानकारी देना आवश्यक है। साल 1992 में जब बाबरी ढांचा तोड़ दिया गया तब श्री रामलला की पूजा बंद हो गई थी क्योंकि पूरे परिसर को ही सील कर दिया गया था। उसके पहले बाबरी ढांचे के अंदर मौजूद श्री रामलला की पूजा हो रही थी। ये हरि शंकर जैन ही थे जिन्होंने इस बात को समझा कि अगर वो जगह सील हो गई और श्रीराम लला की पूजा बंद हो गई तो हमारा दावा उस जमीन पर कमजोर हो जाएगा इसलिए हरि शंकर जैन सुप्रीम कोर्ट गए और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि हिंदुओं को श्रीराम लला के पूजा के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है क्योंकि भगवान श्री राम ना सिर्फ हिंदुओं के आराध्य है बल्कि भारत के संविधान के पन्नों पर ही भगवान श्री राम का चित्र अंकित है। उनकी जोरदार अपीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट को श्रीरामलला की पूजा कि इजाजत देनी पड़ी और जन्मभूमि की सील को हटाया गया और दोबारा श्री राम जन्मभूमि की पूजा शुरू हुई। ये पूजा 30 सालों से लगातार होती रही। इस बात का केस पर बहुत प्रभाव पड़ा और हिंदुओं का पक्ष अत्यंत मजबूत हो गया जिसके बाद श्री राम जन्म भूमि मामले में अंतत: हिंदुओं की विजय हुई। 

  • ठीक ऐसा ही 30 साल बाद हुआ जब ज्ञानवापी ढांचे के अंदर वजूखाने में शिवलिंग की प्राप्ति हुई। पूरा देश भावुक हो उठा... लोगों ने अपने घरों में दीप जलाए कि महादेव स्वयं साक्ष्य बनकर प्रकट हो गए हैं। लेकिन उस दिन शिवलिंग प्राप्त होने के तुरंत बाद सुबह 10 बजे ही विष्णु शंकर जैन हिंदू पक्ष के सभी वकीलों के साथ अदालत गए और फौरन शिवलिंग के साक्ष्य को सील करने का आदेश प्राप्त किया। जिसके बाद उस कथित मस्जिद के वजूखाने को सील कर दिया गया और अब तक वो सील ही है। ये हिंदू पक्ष की पहली बड़ी और महान विजय है जिसका श्रेय इस पिता पुत्र  की जोड़ी को जाता है। अब जरा सोचिए क्या दिलचस्प संयोग है हरि शंकर जैन ने 1992 में जन्मभूमि की सील हटवाकर जिहादियों के होश उड़ा दिए थे और 2022 में विष्णु शंकर जैन ने ज्ञानवापी में सील लगवाकर जिहादियों के होश उड़ा दिए। हर हर महादेव। 
  •  सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट हरि शंकर जैन का जन्म 27 मई 1954 को हुआ था और उनके बेटे विष्णु शंकर जैन का जन्म 9 अक्टूबर 1986 को हुआ था। जो लोग ज्योतिष में रुचि रखते हैं उनके लिए एक और खास बात दोनों पिता पुत्र का लकी नंबर 9 है। यानी अगर दोनों की जन्मतारीख को जोड़ें तो 9 अंक आता है। एक खास बात और दोनो के नाम एक दूसरे का पर्यावाची है हरि और विष्णु। पहले दोनों ने श्री राम का केस लड़ा जो विष्णु के अवतार हैं और अब दोनों भगवान शंकर का केस लड़ रहे हैं यानी पिता पुत्र ने अपने नाम को सार्थक कर दिया है।
  • साल 1976 में हरिशंकर जैन ने लॉ प्रैक्टिस शुरू की थी। पहले लखनऊ कोर्ट फिर हाईकोर्ट और फिर हरि शंकर जैन सुप्रीम कोर्ट के वकील बन गए। उधर विष्णु शंकर जैन ने भी साल 2010 में कानून की पढ़ाई पूरी कर ली और तब से पिता का साथ देने लगे। 
  • 2016 में विष्णु शंकर जैन सुप्रीम कोर्ट के भी वकील बन गए। राम जन्म भूमि के केस में ही विष्णु शंकर जैन पहली बार सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट के रूप में पेश हुए। दोनों पिता पुत्र श्री राम जन्मभूमि केस की लीगल टीम का हिस्सा रहे। 
  • भोपाल में हुए अपने एक भाषण में विष्णु शंकर जैन ने बताया कि बाबरी मस्जिद के पक्षकार यानी मुसलमानों ने एक तरह से हरि शंकर जैन के सामने ब्लैंक चेक रख दिया था ... यानी मुंह मांगा पैसा ले लो और हमारी तरफ से केस लड़ो लेकिन हरि शंकर जैन ने ऐसे प्रस्ताव को ठुकरा दिया और धर्म के साथ अपनी अंतरात्मा के साथ खड़े हुए। 
  • एक और प्रसंग का वर्णन करते हुए विष्णु शंकर जैन ने बताया कि एक बार उनके पिता की हालत काफी खराब थी उनको अस्थमा का अटैक आया था... वेंटिलेटर नहीं मिल रहा था... अचानक हरि शंकर जैन ने अपने बेटे को बुलाया। विष्णु जैन को लगा कि पिता जी कोई जरूरी बात बताना चाहते हैं जो उनकी सेहत के विषय में है। लेकिन हरि शंकर जैन ने यूपी के किसी केस में कागज लगाने के लिए कहा कि ये जरूरी काम कर लो नहीं तो हिंदू पक्ष का केस गिर जाए। धन्य है ऐसे महापुरुष जिनको जीवित देखने का सौभाग्य हम सभी 100 करोड़ हिंदुओं को प्राप्त हुआ है। मैं तो कहूंगा ये मनुष्य रूप में साक्षात महादेव के रुद्रगढ़ है जो धरती पर मलेच्छों को धूल चटाने के लिए अवतरित हुए हैं । 
  • विष्णु शंकर जैन ने ज्ञानवापी केस में अपनी तार्किक क्षमता का जबरदस्त परिचय दिया है। दरअसल 1991 के वर्शिप एक्ट को लेकर मुस्लिम पक्ष पूरे देश में उछल कूद मचा रहा था कि ज्ञानवापी की कथित मस्जिद का कैरेक्ट चेंज नहीं कर सकते हैं लेकिन विष्णु जैन ने ये कहकर पूरा मामला ही पलट दिया कि पहले ये तय होना जरूरी है कि आखिर ज्ञानवापी का असली कैरेक्टर क्या है ?  उन्होंने ये दावा किया कि ज्ञानवापी के मामले में तो 1991 का एक्ट उनके फेवर में है। इस दलील के बाद मुस्लिम पक्ष की पूरी जमीन ही खिस गई। आप सोचिए ये बात इतनी महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि 1990 से बनारस के वरिष्ठ वकील विजय शंकर रस्तोगी ज्ञानवापी का केस लड़ रहे हैं लेकिन वर्शिप एक्ट की ही वजह से केस पेंडिंग पड़ा है। आज इस लेख के माध्यम से मैं विजय शंकर रस्तोगी जी को भी उनकी सनातन सेवाओं के लिए प्रणाम करता हूं।
  • दोनों जैन पिता पुत्र अब तक 102 केस लड़ चुके हैं जो सनातन धर्म की अस्मिता से जुड़े हुए हैं। 1990 से ही मथुरा का केस हरिशंकर जैन लड़ रहे हैं। कुतुब मीनार और कुव्वत उल इस्लाम कथित मस्जिद का केस भी हरिशंकर जैन ने फाइल किया हुआ है। जब अखिलेश राज में सपा सरकार ने आतंकवादियों के केस वापस लेने की कोशिश की तब भी हरिशंकर जैन ने ही केस लड़ा था और अखिलेश सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की फटकार लगी थी। 
  • दोनों पिता पुत्र कई हिंदू संगठन भी चलाते हैं। विष्णु शंकर जैन हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस के प्रवक्ता हैं। हरिशंकर जैन भगवा रक्षा वाहिनी के संस्थापक हैं। हरिशंकर जैन हिंदू साम्राज्य पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। हरिशंकर जैन कट्टर हिंदुत्ववादी हैं। 31 जुलाई 2017 को  हरिशंकर जैन ने ट्विटर पर लिखा था... चरमपंथ को धारण करके ही कोई कम्युनिटी अपने धर्म को बचा सकती है। सहिष्णुता अभिशाप और अधार्मिकता है कठोरता और चरमपंथ धर्म की रक्षा के लिए आवश्यक है।

Comments