ठाकुरजी के गीतों को भाव से गाने वाले हो जाते हैं भव सागर से पार

 

दंदरौआ धाम हनुमान मंदिर परिसर में श्रीमद्भागवत कथा का छठवां दिन…

ठाकुरजी के गीतों को भाव से गाने वाले हो जाते हैं भव सागर से पार


ग्वालियर। महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें गाये जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है वह भव सागर से पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। यह बात दीनदयाल नगर स्थित दंदरौआ धाम हनुमान मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह महारास का प्रसंग सुनाते हुए व्यास पीठ पर विराजमान कथावाचक पं.हरिओम कृष्ण महाराज ने कही। 

दीनदयाल नगर स्थित दंदरौआ धाम हनुमान  मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा का रसपान कराते हुए शुक्रवार को भागवताचार्य जी के द्वारा रास के पांच अध्याय का वर्णन किया। उन्होंने कथा में े भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना उधव गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुक्मणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण कथा का वर्णन किया गया। कथा के दौरान आचार्य ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला के द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ। जीव और ब्रह्म के मिलने को ही महारास कहते प्रभु की प्रत्येक लीला रास है। 

हमारे अंदर प्रति क्षण रास हो रहा है, सांस चल रही है, तो रास भी चल रहा है। यही रास महारास है। श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह का आयोजन हुआ, जिसे बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। रुकमणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया। भारी संख्या में भक्तगण दर्शन हेतु शामिल हुए पूरा प्रांगण श्रद्धालुओं से पूर्णरूपेण भरा था और सभी पुष्प वर्षा के साथ खूब झूम और नाच कर रहे थे। कथा के दौरान श्री आरबी चतुर्वेदी सहित बडी संख्या में क्षेत्र के नागरिकगण उपस्थित रहे।

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