मोदी की मध्यप्रदेश यात्रा ने आदिवासी वर्ग को निराश किया: कमलनाथ

 नृत्य, संगीत, टीकाकरण और कांग्रेस को कोसने में ही लगे रहे

मोदी की मध्यप्रदेश यात्रा ने आदिवासी वर्ग को निराश किया: कमलनाथ

 


प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने सोमवार को कहा कि मध्यप्रदेश के भोपाल के जंबूरी मैदान में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस समारोह पर 100 करोड़ से अधिक खर्च कर दिए। इसके बाद भी इस आयोजन ने प्रदेश की जनता व आदिवासी वर्ग को बुरी तरह से निराश किया। 

उन्होंने कहा कि उम्मीद थी कि मोदी जी इस यात्रा पर भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल भी जाएंगे, जहां 6 दिन पहले आगज़नी में मासूमों की मौत हो गई थी। पीड़ित परिवारों से भी मिलेंगे, लेकिन जाना तो दूर उन्होंने इस दर्दनाक घटना पर एक शब्द भी नहीं बोला। कमलनाथ ने कहा कि इस आयोजन से आदिवासी वर्ग को बड़ी सौगातों की उम्मीद थी, पर एक भी सौगात नहीं मिली। उम्मीद थी कि मोदी जी अपने 7 साल के शासन में आदिवासी वर्ग के हित में उनकी सरकार के कार्यों, फैसलों, योजनाओं की बात करेंगे। 

लेकिन वह तो नृत्य, संगीत, टीकाकरण और कांग्रेस को कोसने में ही लगे रहे। उन्होंने अपने भाषण में पूर्व की सरकारों पर आरोप लगाए, जबकि आदिवासी वर्ग अच्छी तरह से इस सच्चाई को जानता है कि इंदिरा गांधी की सरकार ने आदिवासियों के हित में कई क्रांतिकारी निर्णय लिए। केंद्र की मनमोहन सरकार ने वर्ष 2006 में वन अधिकार अधिनियम लागू कर आदिवासियों के हित में सशक्त निर्णय लिया था।  कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कितने शर्म की बात है कि मध्य प्रदेश में पिछले 17 वर्ष से भाजपा की सरकार है।

 आज 17 वर्षों बाद प्रदेश के 30 लाख परिवारों को जल जीवन मिशन योजना के माध्यम से नल से जल देने के सपने दिखाए जा रहे हैं। मोदी जी कह रहे हैं कि कई आदिवासी बाहुल्य जिले अभी तक पिछड़े हैं। मोदी सरकार में ही वर्ष 2018 में नीति आयोग ने देश के 101 अति पिछड़े जिलों की सूची जारी की थी। इसमें मध्य प्रदेश के 7 जिले शामिल थे। इनमें मुख्यमंत्री का गृह जिला विदिशा, आदिवासी बाहुल्य जिला बड़वानी, गुना, खंडवा, छतरपुर, दमोह और राजगढ़ जिले शामिल थे। यह सच्चाई भी उन्हीं की सरकार ने उजागर की थी।

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