Student करेंगे उद्योगों की visit, सीखेंगे प्रबंधन

सूर्या रोशनी के साथ हुए एमओयू साइन…

छात्र करेंगे उद्योगों की विजिट, सीखेंगे प्रबंधन

ग्वालियर। अब जीवाजी विश्वविद्यालय के छात्र- छात्राएं संबंधित उद्योगों में जाकर ट्रेनिंग ले सकेंगे और वहां के मैनेजमेंट स्किल को सीख सकेंगे। इसका फायदा उन संबंधित उद्योगों को भी होगा। इसके लिए दो एमओयू मंगलवार को जीवाजी विश्वविद्यवालय के टंडन हॉल में साइन हुए। इनमें पहला एमओयू जेयू और गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड कंपनी के साथ रहा, जबकि दूसरा जेयू का सूर्या रोशनी के साथ रहा। इनमें जीवाजी विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति  प्रो. संगीता शुक्ला ने हस्ताक्षर किए, जबकि गोदरेज कंपनी की ओर से एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट(एचआर) अविनाश मिश्रा, सूर्या रोशनी लिमिटेड की ओर से कंपनी के कंसल्टेंट  और जीएम(एचआर) मुकुल चतुर्वेदी ने हस्ताक्षर किए। 

इस अवसर पर जेयू की ओर से कुलाधिसचिव प्रो. उमेश होलानी, कुलसचिव डॉ. सुशील मंडेरिया, वित्त नियंत्रक सगीरा सिद्दीकी, फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट के डीन प्रो. योगेश उपाध्याय सहित प्रो. अविनाश तिवारी, डॉ. स्वर्णा परमार आदि मौजूद रहे । कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने कहा कि ऐसे प्रयास लगातार हो सकें जिनसे छात्रों में इनोवेशन करने की इच्छा जागृत हो सके। वे अपने आइडिया को क्रियान्वित कर सकें। इसके साथ ही छात्रों का ग्रुप तैयार किया जाए और उन्हें इंडस्ट्री की विजिट कराई जाए। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री में होने वाले प्रोग्राम्स से छात्र अपडेट हो सकें साथ ही उन्हें उन प्रोग्राम या ट्रेनिंग से संबंधित सर्टिफिकेट भी दिए जाएं। मैनेजमेंट विभाग के डीन प्रो. योगेश उपाध्याय ने कहा कि इन एमओयू से इंडस्ट्रियल प्रोग्राम का आदान- प्रदान करने में मदद मिल सकेगी।

एमओयू के खास बिंदु-

  • इन एमओयू से विश्वविद्यालय के छात्र व शिक्षकों के साथ संबंधित उद्योगों के कर्मियों को भी फायदा मिल सकेगा। वे आपस में प्रशिक्षण ले सकेंगे। व्यावहारिक ज्ञान का आदान- प्रदान होगा।
  • छात्र- छात्राएं संबंधित इंडस्ट्री में जाकर विजिट कर सकते हैं और ट्रेनिंग भी कर सकेंगे।
  • उन्हें संबंधित इंडस्ट्री के मैनेजमेंट सिस्टम को सीखने में मदद मिल सकेगी। 
  • अपने इनोवेटिव आइडिया को एक्टिव करने में उन्हें सहायता मिलेगी।
  • छात्रों का स्किल डवलपमेंट हो सकेगा। 
  • छात्र- छात्राओं को प्लेसमेंट में मदद मिलेगी। 
  • विश्वविद्यावलय को उनके अनुभव का लाभ मिलेगा और संबंधित उद्योग या संस्था को विश्वविद्यालय के शोध का लाग भी मिल सकेगा।

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