JU में आयोजित हुआ निःशुल्क चिकित्सा परामर्श शिविर…
बिना साइड इफेक्ट के इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत बनाता है होम्योपेथिक ट्रीटमेंट : डाॅ. शर्मा
ग्वालियर। आजकल मौसम में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है। हमारी बाॅडी इतनी तेजी से इस तरह के बदलाव को स्वीकार नहीं कर पाती। इसी कारण कई तरह की बीमारियां हमें होने लगती हैं। इन सबसे बचने के लिए हमें अपनी प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत रखना होगा साथ ही अपने खान- पान और दिनचर्या को भी संयमित रखना होगा। होम्योपैथी में इम्युनिटी पाॅवर को मजबूत बनाए रखने वाला ट्रीटमेंट है। दूसरी बात होम्योपैथी दवाओं का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। इस पैथी में सभी बीमारियांे का सफलतम इलाज संभव है। यह बात होम्योपैथिक चिकित्सक डाॅ. दीपमाला शर्मा ने कही।
मौका था मंगलवार को जीवाजी विश्वविद्यालय के हेल्थ सेंटर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जेयू और रोटरी क्लब ग्वालियर तानसेन की ओर से लगे निःशुल्क चिकित्सा परामर्श शिविर का। शिविर का शुभारंभ जेयू की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने किया। शिविर में अलग- अलग विशेषज्ञ चिकित्सकों ने करीब 200 से अधिक मरीजों को निःशुल्क परामर्श दिया साथ ही शिविर में आए मरीजों को दवाएं भी वितरित की गईं।
इस अवसर पर रेक्टर प्रो. उमेश होलानी, कुलसचिव प्रो. आनंद मिश्रा, कैंप कोआॅर्डिनेटर प्रो. जीबीकेएस प्रसाद सहित प्रो. नलिनी श्रीवास्तव, प्रो. एमके गुप्ता, डाॅ. केके सिजोरिया आदि मौजूद रहे। आयुर्वेदिक चिकित्सक डाॅ. मीनाक्षी पाल ने कहा कि आयुर्वेद हमारे देश की ही प्राचीन पद्धति है। चाहे बीमारी किसी भी तरह की हो आयुर्वेद में उनका सफलतम इलाज है। बदलते खान- पान व दिनचर्या, बढ़ते प्रदूषण औश्र मौसम में बदलाव के कारण महिलाओं में भी निः संतानता, एनीमिया, लिकोरिया, जोड़ों में दर्द, ब्लड प्रेशर, स्तन कैंसर जैसी कई तरह की बीमारियां होने लगी हैं।
आयुर्वेदिक पद्धति द्वारा इन सबका सफलतम इलाज किया जा सकता है। फिजियोथैरेपिस्ट डाॅ. अल्का चैहान ने कहा कि वर्तमान में फिजियोथैरेपी का क्रेज काफी बढ़ता जा रहा है। इसका कारण है कि इस थैरेपी में बिना दवाओं के केवल बाॅडी मूवमेंट और एक्सरसाइज के द्वारा कई तरह की बीमारियों का ट्रीटमेंट सफलतापूर्वक किया जा सकता है। आजकल लकवा, जोड़ों में दर्द, फेसियल पैरालिसिस जैसी बीमारियां बाॅडी में ज्यादा हो रही हैं। इन सबको सही करने में फिजियोथैरेपी के बेहतर परिणाम निकलकर आ रहे हैं। यही कारण है कि फिजियोथैरेपी का क्रेज पहले से अधिक बढ़ा है।
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