वैक्सीनेशन के साथ जागरूकता से खत्म होगा Covid-19 : डाॅ. माथुर

कार्यशाला के भागीदारों ने अपने अनुभव भी बताऐ...

वैक्सीनेशन के साथ जागरूकता से खत्म होगा Covid-19 : डाॅ. माथुर

ग्वालियर। वैक्सीनेषन के साथ साथ जन जागरूकता से ही खत्म होगा कोरोना का भय उक्त आशय के विचार डाॅ. अनिल माथुर, उप कुल सचिव,  आईटीएम विश्वविद्यालय ने जन सम्प्रेषण अभियान को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। आप लोग निश्चित रूप से समाज को बचायेंगे और आपका भविष्य भी उज्जवल होगा ऐसी मेरी कामना है। श्री माथुर ने यह बात युवा विज्ञान परिषद मध्य प्रदेश, द्वारा राष्टीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद, के  सहयोग एवं मार्गदर्शन में सुख सागर, पाटनकर बाजार में आयोजित कोविड-19 महामारी से बचाव और उपचार के प्रति ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक जागरूकता लाने वाला जन सम्प्रेषण अभियान में कही। कार्यशाला को वरिष्ठ पत्रकार एवं समाज सेवी श्री जयंत तोमर ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नाट्य विद्या जन सम्प्रेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में सम्प्रेषण के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने भरत मुनि के नाट्य शास्त्र और पश्चिमी थियेटर की हस्तियों का जिक्र करते हुए कहा कि नाटक के लिए जुनुन का होना बहुत जरूरी है। 

कार्यशाला में प्रशिक्षण के लिए उपस्थित विशेषज्ञ रोहित जैन ने प्रतिभागियों को कोविड -19 के बचाव और उपचार के लिए स्क्रिप्ट डवलप करने में मदद की और साथ ही साथ कोविड को लेकर समाज में व्याप्त अंधविश्वासों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने नाटक की तैयारी कराते हुए बताया कि सर्व प्रथम कथा सार को देखना आना चाहिए उसके बाद उस कथा सार पर प्रस्तुति साथ ही ध्यान रहे कि अभिनेता को अपनी बात जन सामान्य को कैसे समझानी है और उनके सामने किस तरह का लक्ष्य समूह है इसका ध्यान रखना चाहिए। लेखन कार्य में भी हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम कोविड-19 के बारे में जो भी जानकारी दे रहे हैं वह बिलकुल सही होना चाहिए। लेखक को नई कहानी लिखते समय आम आदमी का ध्यान में रखना चाहिए क्योंकि कहानी में देश काल परिस्थिति का ध्यान रखना जरूरी है। निर्देशन करते हुए उन्होंने अपनी बात को सरल भाषा में और कुछ व्यंगात्मक तरीके से र्किठन विषय को भी सरल रूप में समझाने के  ही निर्देशन का कार्य होता है। उन्होंने प्रतिभागियों को लेखन कार्य, निर्देशन की कुछ बारीकियां बताईं इसके पश्चात कहानी को दृष्य में कैसे विभाजित किया जाता है बताया। उसके बाद प्रतिभागियों को दृश्य में ब्लाॅकिंग करना सिखाया। 

प्रतिभागियों से लिए गये अनुभव में श्रेया झा ने कहा कि मुझे बहुत सीखने को मिला सभी लोगों का व्यवहार एकदम दोस्त जैसा है। कार्यशाला के चतुर्थ दिवस की शुरूआत परिषद के सचिव सुनील आनंद के कार्यशाला के माध्यम से किस प्रकार हम लोक माध्यम और डिजिटल माध्यम का उपयोग करते हुए आम आदमी तक संक्रमण रोगों से बचने के लिए महत्वपूर्ण वैज्ञानिक जानकारियों का प्रचार प्रसार करेंगे खासकर कोरोना काल एवं इसके बाद वाले समय में। ईशानी बैनर्जी ने कार्यशाला के अनुभवों के बारे में बताया कि जब में यहां पर आई थी तो मुझमें बिलकुल काॅन्फिडेंश नहीं था किन्तु थोडे ही समय में मेरा आत्म बल बढ़ा है। मैंने अपने आप को प्रस्तुत ही नहीं किया बल्कि अपने द्वारा अभिनय करने का भी बहुत अच्छा प्रयास किया। सिमरन कारडा ने कहा कि कार्यशाला में नया सीखने को मिला। यह बहुत ही रचनात्मक है, हमारा काॅन्फिडेंस डवलप हो रहा है और नई नई जानकारियों थियेटर के बारे में मिल रही हैं। श्रीमति रेनू झंवर ने निर्देशन में बताया कि किस प्रकार  पंच, डाॅयलाॅग डिलेवरी अभिनय को प्रभावशाली बनाते हैं।

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