नवजात शिशु के लिए विशेष महत्वपूर्ण है फर्स्ट गोल्डन मिनट : डॉ. गोयल

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नवजात शिशु के लिए विशेष महत्वपूर्ण है फर्स्ट गोल्डन मिनट : डॉ. गोयल

स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. संजय गोयल ने इस अवसर पर कहा कि नवजात शिशु के लिए फर्स्ट गोल्डन मिनट (जन्म के बाद का पहला मिनट) अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि इस पहले मिनट में निर्धारित  प्रोटोकॉल के तहत सावधानी के साथ शिशु की देखभाल हो जाए तो शिशु का जीवन बचाने के साथ-साथ उसे तमाम गंभीर व्याधियों से भी बचाया जा सकता है। डॉ. गोयल ने कहा कि पहले मिनट में खासतौर पर यह देखना होता है कि शिशु ठीक ढंग से श्वाँस ले रहा है कि नहीं । शिशु कितनी देर बाद रोया । उन्होंने कहा यदि शिशु को तुरंत ऑक्सीजन न मिले तो उसके मस्तिष्क के कई सैल जीवन भर के लिये मृत हो जाते हैं। नवजात शिशु से संबंधित इन सभी सावधानियों एवं उपायों का प्रशिक्षण इस करारनामे के तहत दिया जायेगा।

 डॉ. गोयल ने कहा कि नवजात शिशु की देखभाल से संबंधित चिकित्सक, पैरामेडीकल स्टाफ के साथ-साथ जन सामान्य को जागरूक करने की जरूरत है, जिससे सुरक्षित संस्थागत प्रसव हों और नवजात शिशु की उचित देखभाल हो सके। प्रशिक्षण कार्यक्रम को भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी डॉ. सुजीत सिंह, आईएपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. पियूष गुप्ता, आईएपी एनएनएफ, एनआरपी व एफजीएम के चेयरमेन डॉ. सी पी बंसल, एनएचएम मध्यप्रदेश के अधिकारी डॉ. पंकज शुक्ला, कैंसर चिकित्सालय एवं शोध संस्थान के निदेशक डॉ. बी आर श्रीवास्तव एवं सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा सहित राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर के आईएपी के अन्य पदाधिकारियों ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अशोक बांगा ने किया। 

मध्यप्रदेश शासन एवं आईएपी के संयुक्त तत्वावधान में कैंसर चिकित्सालय एवं शोध संस्थान के शीतला सहाय ऑडिटोरियम में नवजात शिशु पुनर्जीवन कार्यक्रम के तहत आयोजित हुई प्रशिक्षण कार्यशाला में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए 48 शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। प्रशिक्षण में देश भर के सुप्रतिष्ठित संस्थानों से आए शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञों के 19 फैकल्टी मेम्बर्स ने विभिन्न सत्रों में नवजात शिशुओं का जीवन एवं उन्हें तमाम व्याधियों से बचाने के तरीके बताए। मसलन अगर शिशु श्वांस नहीं ले रहा है तो बैग मास्क द्वारा श्वांस कैसे दी जाए, छाती का फुलाव सही नहीं होने पर श्वांस सहायता, बैग मास्क से सही गति व दबाव से 30 सेकंड तक श्वांस देना, अगर शिशु स्वत: श्वांस नहीं ले पा रहा है तो मदद के लिए पुकारें, ऑक्सीजन लगाएं व हृदय गति गिनें ।

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