भाई-बहन के प्यार का प्रतीक भाई दूज आज

इन 3 शुभ मुहूर्त पर बहनें करें भाई को तिलक…

भाई-बहन के प्यार का प्रतीक भाई दूज आज

आज भाई-बहन के प्यार का प्रतीक भइया दूज का त्योहार है । कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। आज के दिन बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगा कर भाई के कल्याण की कामना करती है, साथ ही भाई अपनी बहन को कुछ उपहार  देता है। आज भाई को अपनी बहन के घर पर भोजन करना चाहिए । पद्मपुराण के अनुसार जो व्यक्ति इस दिन अपनी बहन के घर भोजन करता है, वो साल भर किसी झगड़े में नहीं पड़ता और उसे शत्रुओं का भय नहीं होता है, यानि हर तरह के संकट से भाई को छुटकारा मिलता है। जानिए भाई दूज का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। ऋगवेद में वर्णन है कि यमुना ने भी अपने भाई यम को इस दिन खाने पर बुलाया था, इसीलिए इस दिन को यम द्वितिया के नाम से भी जाना जाता है ।  ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक हर रिश्ते का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है । रिश्तों में बहन का सम्बन्ध बुध ग्रह से है । बुध का सम्बन्ध कैलकुलेटिव एप्टीट्यूड, व्यावसायिक कुशलता और वाणी आदि से होता है । अगर आपका बुध अच्छा हो तो, ये सारी चीज़ें अच्छी हो जाती हैं । बहन बुध है तो ज्योतिष शास्त्र में भाई को मंगल माना जाता है और मंगल ऊष्मा का प्रतीक है। 

भाई दूज का शुभ मुहूर्त -

पहला मुहूर्त है : सुबह 6:45 से 8:05

दूसरा मुहूर्त : सुबह 9:25 से 10:45 

तीसरा मुहूर्त : दोपहर बाद 1:26 से शाम 7:07 तक  

भाई के मुंह कि दिशा कि तो आज सुबह  चंद्रमा वृश्चिक राशि मे 12 अंश पर होगा और शाम तक वृश्चिक  राशि मे ही 19 अंश तक गोचर करता  रहेगा | तो पूरे दिन भाई को ऐसे बिठाना है कि उनका मुंह उत्तर दिशा मे रहे  लेकिन दोपहर बाद 2:46 से 4:07 तक उत्तर दिशा मे शूल रहेगा  अस्तु उस समय भाई का मुंह उत्तर पश्चिम कि ओर कर देना चाहिए | भाईदूज के दिन सभी बहनें सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद पूजा की थाली तैयार करें। इस थाली में रोली, चावल, मिठाई, नारियल, घी का दीया, सिर ढकने के लिए रूमाल आदि रखें | इसके साथ ही घर के आंगन में आटे या चावल से एक चौकोर आकृति बनाएं और गोबर से बिल्कुल छोटे-छोटे उपले बनाकर उसके चारों कोनों पर रखें और पास ही में पूजा की थाली भी रख लें। अब उस आकृति के पास भाई को आसन पर बिठा दें और भाई से कहें कि वो अपने सिर को रूमाल से ढक ले। अब दीपक जलाएं और भाई दूज की कथा सुनें। फिर भाई के माथे पर रोली, चावल का टीका लगाएं और उसे मिठाई खिलाएं। साथ ही भाई को नारियल दें। 

इसके बाद भाई अपनी बहन को कुछ उपहार स्वरूप जरूर दें। इससे भाई-बहन के बीच प्यार और सम्मान बढ़ता है। इस दिन बिहार में दवात पूजा की परंपरा है। भइया दूज की पूजा के दौरान कलम की पूजा भी जरूर करनी चाहिए और पूजा के बाद श्री चित्रगुप्त को स्मरण करना चाहिए। साथ ही उनसे हाथ जोड़कर उस कलम को आशीर्वाद के रूप में प्राप्त करने का भाव करना चाहिए | इस प्रकार पूजा की गई कलम अमोघ हो जाती है | उस कलम से लिखने पर दैवीय सहायता प्राप्त होती है और आपको अपने कार्यों में सफलता मिलती है। आप चाहें तो एक से ज्यादा कलम की पूजा भी कर सकते हैं और आने वाले पूरे साल उससे काम करके लाभ पा सकते हैं। इसके अलावा दीपावली की रात जो किताब आपने पढ़कर बंद की थी, उसे आज के दिन खोलना चाहिए और उसकी रोली-चावल से पूजा करनी चाहिए। उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर या 'श्री गणेशाय नम:' लिखकर श्री गणेश भगवान का ध्यान करना चाहिए और उन्हें प्रणाम करके पढ़ना चाहिए।

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