Don’t Underestimate The Power Of Digital Media

15 अगस्त के अवसर पर जारी होने जा रहे विज्ञापन में डिजिटल मीडिया के लिए कोई जानकारी नहीं...
Don’t Underestimate The Power Of Digital Media 

ग्वालियर। साथियों प्रिंट मीडिया के लिए मध्यप्रदेश शासन ने 15 अगस्त के विज्ञापन जारी करने की घोषणा कर दी है। इसमें भी ऐसे समाचार पत्र पत्रिकाएं शामिल हैं जो अभी तक विज्ञापन लिस्ट में शामिल नहीं नहीं थे। एक अच्छी पहल है और इस पहल में शामिल है दैनिक साप्ताहिक पाक्षिक और मासिक समाचार पत्र पत्रिकाएं । कोविड-19 के चलते इन दिनों मीडिया जगत की हालत खराब है। विज्ञापन कहीं से मिल नहीं रहे। रेवेन्यू जनरेट हो नहीं रहा है ऐसे में रिपोर्टर्स पत्रकारों कैमरामैन फोटोग्रार एवं अन्य मीडिया से जुड़े कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़े हुए हैं। शासन का यह निर्णय उन्हें फौरी तौर से कुछ आर्थिक राहत देने वाला है। लेकिन यहां एक सोचनीय पहलू यह भी है कि प्रिंट मीडिया के अलावा  प्रदेश में लोकल वह छोटे स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी है, सोशल मीडिया भी है और यह मीडिया का एक ऐसा सशक्त माध्यम है जो खबरों को सूचनाओं को तत्काल आम जन तक पहुंचाने का कार्य करता है। तो फिर ऐसे सशक्त माध्यम की अनदेखी मध्यप्रदेश शासन भला कैसे कर सकता है। 

शासन के द्वारा आखिर इस मीडिया के लिए मध्य प्रदेश शासन की तरफ से 15 अगस्त का विज्ञापन जारी करने के लिए कोई प्रक्रिया तैयार क्यों नहीं की गई है। प्रदेश शासन की वेबसाइट पर अभी जो जानकारी दी उपलब्ध कराई जा रही है वह उसमें केवल प्रिंट मीडिया के लिए गाइडलाइन दी गई है जिनके आधार पर 15 अगस्त का विज्ञापन जारी किया जाना है ऐसी कोई गाइड गाइड लाइन अभी तक प्रदेश शासन की तरफ से लोकल इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया के लिए क्यों नहीं की गई है। इसके अलावा डिजिटल मीडिया के रजिस्ट्रेशन वाला लिंक भी प्रदेश शासन की वेबसाइट से हटा दिया गया है। अब प्रश्न यह उठता है की क्या शासन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लोगों को पत्रकार नहीं मानता या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व सोशल मीडिया के खबरों की सार्थकता पर मध्यप्रदेश शासन को विश्वास नहीं है। क्या शासन को लोकल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया डिजिटल और सोशल मीडिया की जरूरत नहीं है। हम डिजिटल मीडिया के लोग शासन की खबरों को शासन के द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न प्रोजेक्टस, स्कीमों आदि का प्रचार प्रसार करने में करने में पूरी तन्मयता से लगे रहते हैं। 

महामारी के दौर में अपनी जान की परवाह किए बगैर करोना काल में भी रात दिन हमारे साथी लगे हुए हैं एक एक पल की खबरों,घटनाओं से शासन प्रशासन व प्रदेशवासियों को अवगत कराने में, उसके बाद भी शासन ने डिजिटल मीडिया को एकदम से उपेक्षित करते हुए हाशिए पर रख दिया है यही कारण है की 15 अगस्त जैसे अवसर पर भी डिजिटल मीडिया के लिए कोई विज्ञापन नीति नहीं बनाई गई है। हमारे जो लोकल टीवी चैनल वेबसाइट आदि डिजिटल मीडिया के माध्यम शासन की पल-पल की जानकारी लोगों तक पहुंचाने का कार्य करते हैं उन्हें कि उनकी इस प्रकार की अनदेखी ठीक नहीं है। डिजिटल मीडिया के मेरे पत्रकार भाइयों से भी आग्रह है कि अगर शासन, प्रशासन की संस्थाएं,  विभिन्न सरकारी विभाग 15 अगस्त डिजिटल मीडिया से जुड़े हुए लोकल टीवी चैनल्स वेबसाइट्स को विज्ञापन नहीं देते हैं तो सरकारी विभागों शासन प्रशासन की खबरों उनकी योजनाओं की जानकारी अपने प्लेटफार्म चलाने से पहले एक बार विचार अवश्य करें। 

डिजिटल मीडिया की उपेक्षा का खामियाजा शासन प्रशासन दोनों को ही उठाना पड़ सकता है क्योंकि आप केवल प्रिंट मीडिया राष्ट्रीय चैनलों के सहारे अपनी खबरों को सूचनाओं को आमजन तक नहीं पहुंचा सकते हैं। इस कार्य में डिजिटल मीडिया बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का निर्वहन करता है। डिजिटल मीडिया की इस प्रकार उपेक्षा करना शासन के लिए आने वाले समय में कई मुश्किलें पैदा कर सकता है। आने वाले समय में उपचुनाव हैं, इन चुनावों पर डिजिटल मीडिया कितना प्रभाव छोड़ेगा ये शासन को उसी समय समझ में आएगा। जब चुनाव के परिणाम आएंगे। क्योंकि परिवार तो हमारे भी हैं जरूरतें हमारी भी हैं। शासन यदि विज्ञापन नीति नहीं बदलता है तो हम एकजुटता दिखाएं और आगामी चुनावों में शासन प्रशासन को डिजिटल मीडिया की ताकत से भलीभांति परिचित करवाने का कार्य करें।यह कोई धमकी नहीं है एक हकीकत है जो फलीभूत हो सकती है यदि इसी प्रकार डिजिटल मीडिया के लोग उपेक्षित होते रहे तो...

                                                                                                          रवि यादव

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