एक साथ 5100 से अधिक प्रतिभागियों ने किया सस्वर गीता पाठ...
अलौकिक आध्यात्मिक ऊर्जा एवं दिव्य धुनों से सराबोर हुआ ग्वालियर
ग्वालियर। जब 5100 से अधिक प्रतिभागियों ने एक साथ सस्वर श्रीमद्भगवत गीता के 15वे अध्याय का पुरुषोत्तमयोग: पाठ किया तो ऐसा आभास हुआ मानो सम्पूर्ण ग्वालियर अलौकिक अध्यात्मिक ऊर्जा एवं दिव्य धुनों से सराबोर हो गया है। अवसर था गीता जयंती 01 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के तहत जीवाजी विश्वविद्यालय के विशाल खेल मैदान में आयोजित हुए सामूहिक गीता पाठ का। युगावतार भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गीता के माध्यम से दिए गए मानव कल्याण के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर सम्पूर्ण प्रदेश के साथ ग्वालियर जिले में भी गरिमामय ढंग से गीता जयंती मनाई गई।
इसी के तहत जीवाजी विश्वविद्यालय में भव्यता के साथ सामूहिक गीता पाठ का आयोजन किया गया। राज्य शासन के संस्कृति विभाग एवं विश्व गीता प्रतिष्ठानम् द्वारा जिला प्रशासन एवं नगर निगम के सहयोग से यह आयोजन हुआ। इस अवसर पर कलेक्टर रुचिका चौहान, जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रोफेसर राजकुमार आचार्य, जिला पंचायत की उपाध्यक्ष प्रियंका सिंह, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सोजान सिंह रावत, नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय, भाजपा जिला अध्यक्ष जयप्रकाश राजौरिया व राजेन्द्र पाल सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, गीता प्रतिष्ठान के विचारक पं. विष्णु शर्मा, गीता मर्मज्ञ, प्रबुद्धजन मंचासीन थे।
इस पवित्र आयोजन में परशुराम कल्याण बोर्ड के प्रतिनिधिगण, विद्यार्थियों, आचार्यों, साधकों, इस्कॉन संस्था, प्रबुद्धजनों और विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी हरिओम चतुर्वेदी व अपर आयुक्त नगर निगम प्रदीप तोमर सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी भी मौजूद थे। आरंभ में ब्रम्हनाद, ध्यान साधना, सरस्वती वंदना, ईश वंदना व गुरू वंदना हुई। साथ ही दीप प्रज्ज्वलन एवं शंख ध्वनि के साथ सामूहिक गीता पाठ शुरू हुआ। श्रीमद्भगवत गीता के सामूहिक पाठ से ऐसा दृश्य निर्मित हुआ मानो पूरा परिसर शांति, सद्भाव और धर्म का शाश्वत संदेश दे रहा है।
कार्यक्रम के दौरान गीता के पवित्र एवं मार्गदर्शक मंत्र लयबद्ध स्वर में गूँजते रहे, जिससे उपस्थित सभी जनों को आध्यात्मिक आनंद, एकाग्रता और सकारात्मक ऊर्जा का अद्भुत अनुभव हुआ। गीता के 15वे अध्याय के मंत्रों के सामूहिक पाठ के बाद इसका अनुवाद भी प्रस्तुत किया गया। सामूहिक गीता पाठ में भाग लेने आए प्रबुद्ध जनों व विद्यार्थियों का कहना था कि श्रीमद्भगवत गीता न केवल एक धर्मग्रंथ है, बल्कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मार्गदर्शन देने वाला शाश्वत ज्ञान है। इस आयोजन से भारतीय संस्कृति, धर्म, और कर्तव्य-निष्ठा के मूल्य सुदृढ़ होंगे। उपस्थित लोगों ने इस अनुभव को जीवन में शांति, सद्गुण और सकारात्मक सोच भरने वाला बताया। कार्यक्रम के समापन के अंत में सस्वर गीता आरती का गायन हुआ।










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