टमटम,आटो वाले तिराहे-चौराहों पर बे-तरतीब तरीके से वाहन खड़े करके लगाते है जाम...
टमटम,आटो से के कारण चरमराई शहर की यातायात व्यवस्था !
ग्वालियर। महानगर में लगातार बढती वाहन संख्या के कारण अब सडकें भी सिकुडी हुई जान पडती है। महानगर के हालात इतने खराब हो चुके हैं। उस पर महानगर में चल रहे वैध अवैध टमटम और आटो एवं अन्य वाहन शहर की यातायात व्यवस्था के बिगाडने में जिम्मेदार है। महानगर में कई स्थानों पर सडक किनारे बने हुये यात्री प्रतीक्षालय अब मात्र शो पीस से बने हुये है। टमटम या आटो चालक किसी यात्री को जाने वाला है देख भर लें तुरंत ही उसके पास पहुंच कर उनसे आटो टमटम में बैठने के लिए पूछते है और वहीं यात्री के पास तब तक मंडराते रहते है जब तक उन्हें स्पष्ट ना हो जाये कि यात्री अब उनके वाहन में बैठने वाला नहीं है। कई बार तो टमटम और आटो चालक यात्री को बैठाने के लिए बीच सडक पर अपना वाहन तक अडा देते है।
इससे पीछे से आने वाले वाहन चालक का टकराने का खतरा बना रहता है। आटो टमटम चालक नियमों की अनदेखी कर यात्री को बैठाने और उतारने के लिये वाहन कहीं भी खडा कर देते है। वहीं तब तक सडक पर खडे रहते है जब तक पैसों का लेन देन नहीं हो जाये। वाहनों के बीच सडक पर खडे रहने से पीछे से आ रहे वाहनों का खतरा बना रहता है। इससे सडक पर जाम की स्थिति बन जाती है। जाम को खुलवाने के लिये पुलिस के सिपाही अधिकारी भी नदारत रहते है। कभी कभी अन्य वाहन चालकों में टकरा जाने की स्थिति में लडाई झगडा भी हो जाता है।
महानगर के सभी व्यस्ततम मार्गो पर यातायात नियंत्रण हेतु लाल, पीली, हरी लाइटें जरूर लगी है। जैसे ही यी यातायात लाइट लाल होती है वैसे ही सभी वाहन चालक एक के पीछे एक बेतरतीव तरीके से खडे हो जाते है। वहीं टमटम और आटो चालक लाइन तोडकर लगाने के बजाय जल्दी जाने की फिराक में सडक छोडकर बीच में खडे हो जाते है। इससे दाहिने और बायें ओर मुडने वाले वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पडता है। वह आटो टमटम चालक के निकलने के बाद ही अपने स्थान से आगे गंतव्य की ओर जा पाते है।
महानगर की यातायात व्यवस्था सुधारने के लिये वाहन चालकों की कार्यशाला आदि की कोई व्सवस्था पुलिस विभाग द्वारा नहीं की जा रही है। जबकि पुलिस को चाहिये कि वह तत्काल ही कार्यशालाआं का आयोजन करे वहीं गली मोहल्ले में पहुंचकर शिविर लगाकार वाहन चालकों को जागरूक करें और स्कूली बच्चों को भी यातायात कि नियमों की जानकारी देते हुये उनसे सख्ती से पालन करने की अपील करे। यदि पुलिस आम नागरिकों को 80 प्रतिशत भी जागरूक कर लेगी तो महानगर की यातायात व्यवस्था में जरूर ही सुधार आयेगा।










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