G News 24 : मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग के तहत हुआ “मीडियेशन” पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन !

 माधव विधि महाविद्यालय एवं प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट ऑफ़ रिसर्च एंड मैनेजमेंट ग्वालियर के बीच... 

मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग  के तहत हुआ “मीडियेशन” पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन !

ग्वालियर। माधव विधि महाविद्यालय एवं प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट ऑफ़ रिसर्च एंड मैनेजमेंट ग्वालियर के बीच हुए मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग  के तहत  दोनों संस्थानो के संयुक्त तत्वावधान में “मीडियेशन” पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया । इस अवसर पर प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एंड रिसर्च के विधि विभाग की प्राचार्य प्रोफ़ेसर डॉ. राखी सिंह चौहान ने छात्र छात्राओं को बताया कि मीडियेशन एक स्वैच्छिक एवं गोपनीय प्रक्रिया है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति दो पक्षकारों के बीच आज के विवाद की वजह समझते हुए ऑन में पारस्परिक समझौते के आधार पर समाधान निकालता है। जिसे मध्यस्थ/ सुलह अधिकारी कहा जाता है, यह व्यक्ति दोनों पक्षकारों के विवाद को निष्पक्ष रूप से सुलझाने की कोशिश करता है तथा प्रक्रिया को गोपनीय रखता है। मध्यस्थता के माध्यम से किये गये निपटारे में कोई भी पक्षकार हारता नहीं है। दोनों ही विजयी जैसी स्थिति में होते हैं ।

डॉ राखी सिंह चौहान ने कहा कि मध्यस्था नया कॉन्सेप्ट नहीं है,अपितु इसका  संबंध हमारे धर्म एवं संस्कृति से हैं। कुरुक्षेत्र के युद्ध में जहाँ एक और भगवान श्रीकृष्ण जी ने कौरवों और पांडवों के बीच मध्यस्थता की भूमिका निभाई वहीं दूसरी ओर श्री राम जी एवं रावण के बीच हनुमान जी ने भी मध्यस्थता की भूमिका निभाने का प्रयास किया ।उन्होंने कहा प्राचीन काल में भी पंचायतों के माध्यम सेसमझौते एवं सुलह के माध्यम से विवादों का समाधान निकाला जाता था। 

छात्र छात्राओं को आगे संबोधित करते हुए उन्होंने मत दस्ता के दो प्रकार बताए... 

1.प्री लिटिगेशन मेडियेशन,  

2.पोस्ट लिटिगेशन मेडियेशन

डॉक्टर चौहान जी ने कहा कि वैकल्पिक समाधान पद्धति का दिल है मेडियेशन में समय की बचत के साथ साथ रिश्तों में मिठास धुलती है।

इस कार्यक्रम में महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ नीति पांडे ने कहा कि मेडियेशन विवादों का निपटारा करने हेतु एक शांतिपूर्ण प्रक्रिया है,जिसमें एक तीसरा निष्पक्ष व्यक्ति पक्षकारों को उनके अपने समाधान के आधार पर विवाद को निपटाने में सहायता करता है ना कि निर्णय देता है। डॉक्टर पांडे ने कहा कि जब पक्षकार सेटलमेंट पर हस्ताक्षर कर देते हैं तो मेडिटेशन 223 के तहत यह पक्षकारों पर ठीक उसी प्रकार बाध्यकर होता है जैसे न्यायालय की डिक्री।

इस विषय पर विद्यार्थियों ने अत्यंत उत्सुकता/जिज्ञासा दिखाते हुए अपने प्रश्न पूछे तथा डॉ. राखी सिंह चौहान जी ने उनका बहुत ही सरल माध्यम से उत्तर दिया । कार्यक्रम के संयोजक डॉक्टर राजेन्द्र धाकड़ ने कार्यक्रम का संचालन एवं कार्यक्रम का आभार सहायक प्राध्यापक श्रीमती रोली श्रीवास्तव ने किया तथा कार्यक्रम की रूपरेखा डॉ सपना दुबोलिया ने रखी।

Reactions

Post a Comment

0 Comments