मांग नहीं मानने पर हाईकोर्ट में याचिका लगायेंगे...
समान कार्य-समान वेतन की मांग कोल में लेकर कर्मचारियों ने भोपाकिया प्रदर्शन !
भोपाल। रविवार को भोपाल में बैंक मित्र, पंचायत चौकीदार, पम्प ऑपरेटर, अंशकालीन भृत्य, राजस्व सर्वेरूर, आउटसोर्स और अथाई कर्मचारी एक मंच पर एकत्रित हुए। सभी संगठनों ने मिलकर तुलसीनगर स्थित डॉ. भीमराव अम्बेडकर पार्क में प्रदर्शन किया है। ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स, अस्थाई, अंशकालीन, ग्राम पंचायत कर्मचारी संयुक्त मोर्चा मध्यप्रदेश के बैनर तले हो रहे इस आन्दोलन को महाक्रांन्ति रैली का नाम दिया है।
उन्होंने कहा है कि मध्यप्रदेश में पूरा सरकारी सेक्टर अब ठेकेदारों और आउटसोर्स कम्पनियों के हवाले कर दिया गया है। सरकारी व्यवस्थायें, स्थाई कर्मचारियों के बजाय अस्थाई आउटसोर्स कर्मचारियों से चलाई जा रही है। क्लास 3 और 4 जैसे पद, जिन पद सबसे अधिकारी सरकारी नौकरियां होती थी। अब सभी आउटसोर्स कर दिये गये है। बैंक सेवा केन्द्रों में भी निजी कम्पनियां काम कर रही है। पंचायतों में जो चौकीदार तैनात किये हैं। उन्हें महज 3 हजार रूपये प्रतिमाह वेतन मिलता है। इसी प्रकार सीएम राइज स्कूलों, वल्लभ भवन और सतपुड़ा भवन जैसी प्रमुख जगहों पर भी सभी नियुक्तियां आउटसोर्स के माध्यम से की जा रही है।
हाईकोर्ट में लगायेंगे याचिका
वासुदेव शर्मा ने कहा है कि सरकार को ठेकेदारों और आउटसोर्स कम्पनियों से खास प्रेम है। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक सभी कर्मचारियोें को समान कार्य के लिये समान वेतन मिलना चाहिये। मध्यप्रदेश में न्यूनतम वेतन देश में सबसे कम है। जिसे बढ़ाकर 21 हजार रूपये प्रतिमाह किया जाना चाहिये। लाखों कामगारों के साथ जो अन्याय हो रहा है। उसी के विरोध में हम एकत्र हुए हैं।
25 साल की नौकरी में वेतन 25 हजार रूपये
प्रदर्शन में आये रामनिवास केवट ने बताया है कि वह पिछले 25 वर्षो से ग्राम पंचायत में चौकीदारी का काम कर रहे हैं। उन्होंने महज 300 महीने का वेतन से शुरूआत की थी। आज 25 साल बाद भी उन्हें केवल 2 हजार महिना वेतन मिलता है। वह भी समय पर नहीं दिया जाता है। आमतौर पर 5-6 माह की देरी से भुगतान होता है। रामनिवास के परिवार में पत्नी, 3 बच्चे और बुजुर्ग पिता है। वह कहते है, बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाना और पूरे परिवार का भरण-पोषण करना बेहद कठिन हो गया है। चौकीदार के साथ्-साथ मजदूरी भी करनी पड़ती है। कई बार खाने-पीने में भी संकट आ जाता है। एक बार तो ऐसा भी हुआ था जब घर मेहमान आये गये थे तो घर में आटा तक नहीं था।
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