स्वार्थ और अहंकार को वैश्विक संघर्ष की जड़...
'हम कभी बंट गए थे, लेकिन उन्हें भी मिला लेंगे', इशारों-इशारों में बोले मोहन भागवत !
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत ने आजादी के बाद बिखरने की भविष्यवाणियों को गलत साबित किया. उन्होंने स्वार्थ और अहंकार को वैश्विक संघर्ष की जड़ बताया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार (15 सितंबर) को इंदौर में आयोजित एक पुस्तक विमोचन समारोह में बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि भारत उन तमाम भविष्यवाणियों को गलत साबित कर रहा है, जिनमें कहा गया था कि आजादी के बाद यह देश टिक नहीं पाएगा.
भागवत ने दिया ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री का उदाहरण
भागवत ने ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल का उदाहरण देते हुए कहा, “चर्चिल ने कहा था कि ब्रिटिश शासन के खत्म होने के बाद भारत बिखर जाएगा और टिक नहीं पाएगा, लेकिन भारत ने उन्हें गलत साबित कर दिया. हम न केवल आगे बढ़े बल्कि मजबूती से एकजुट होकर खड़े हैं.”
संघ प्रमुख ने ब्रिटेन को दिखाया आईना
संघ प्रमुख ने इशारों-इशारों में ब्रिटेन को आईना दिखाते हुए कहा कि आज इंग्लैंड खुद विभाजन की स्थिति में खड़ा है, जबकि भारत मजबूत होकर विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है. उन्होंने आगे कहा, “हम कभी बंट गए थे, लेकिन भविष्य में हम उसे भी फिर से जोड़ लेंगे. भारत आगे बढ़ेगा, बंटेगा नहीं.”
भारत की प्राचीन विरासत पर क्या बोले मोहन भागवत?
मोहन भागवत ने भारत की प्राचीन विरासत पर जोर देते हुए कहा कि जब भारत हजारों वर्षों तक विश्वगुरु था, तब दुनिया में किसी प्रकार का बड़ा टकराव नहीं हुआ. उन्होंने कहा, “आज वैश्विक संघर्षों की जड़ निजी स्वार्थ हैं. कोई खुद को श्रेष्ठ मानता है और यही अहंकार समस्याओं को जन्म देता है. भारत की विशेषता यह है कि यहां आस्था तर्क, ज्ञान और प्रत्यक्ष प्रमाण पर आधारित है.
"श्रद्धा और विश्वास के आधार पर चलता है जीवन"
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जीवन श्रद्धा और विश्वास के आधार पर चलता है. उन्होंने कहा कि जिन्हें पहले जड़वादी कहा जाता था, वे भी अब इस तथ्य को मानने लगे हैं. भागवत ने बताया कि दुनिया में आज संघर्ष और टकराव का मुख्य कारण लोगों के भीतर का अहंकार और स्वार्थ है. हर कोई सिर्फ यही सोचता है कि वही आगे बढ़े और दूसरा न बढ़ पाए. इसी कारण आपसी टकराव बढ़ रहा है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पहले गला काटने या जेब काटने का काम केवल दरजी करते थे, लेकिन अब ऐसा करने का काम पूरी दुनिया कर रही है.
0 Comments