G NEWS 24 : संगीत एवं कला के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगा विश्वविद्यालय : विधानसभा अध्यक्ष श्री तोमर

राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय का 18वाँ स्थापना दिवस समारोह...

संगीत एवं कला के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगा विश्वविद्यालय : विधानसभा अध्यक्ष श्री तोमर

ग्वालियर। विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि संगीत एवं कला के क्षेत्र में ग्वालियर की पहचान पवित्र तपोभूमि के रूप में है। संगीत के महान मनीषियों ने यहाँ पर संगीत की साधना कर ग्वालियर की पहचान सम्पूर्ण विश्व में स्थापित की। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि संगीत एवं कला विश्वविद्यालय इस परंपरा को आगे बढ़ाकर संगीत के क्षेत्र में नए – नए कीर्तिमान व आयाम स्थापित करेगा। विधानसभा अध्यक्ष श्री तोमर राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के 18वे स्थापना दिवस समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने भरोसा दिलाया कि संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के अधोसंरचनागत विकास कार्यों एवं अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति कराई जायेगी। श्री तोमर ने कार्यक्रम में मौजूद कुलगुरू को भोपाल आने का निमंत्रण दिया और कहा कि मुख्य सचिव एवं विभागीय प्रमुख सचिव व वित्त विभाग से समन्वय बनाकर विश्वविद्यालय के कामों को मंजूरी दिलाई जायेगी।

 मंगलवार को भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान (आईआईटीटीएम) के सभागार में आयोजित हुए स्थापना दिवस समारोह में अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीयुत श्रीधर पराड़कर, संगीत एवं कला विश्वविद्यालय की कुलगुरू प्रो. स्मिता सहस्त्रबुद्धे मंचासीन थीं। समारोह में जहाँ स्वर लहरियां गूँजीं वहीं राग, ताल, नृत्य के संगम और श्रीकृष्ण की लीला के नृत्यमय मंचन ने समा बांध दिया। कार्यक्रम में आईआईटीटीएम के निदेशक आलोक शर्मा, वरिष्ठ समाजसेवी यशवंत इन्द्रापुरकर, विश्वविद्यालय कार्यपरिषद के सदस्य चंद्रपाल सिंह सिकरवार, कुलसचिव अरूण सिंह चौहान व वित्त नियंत्रक आशुतोष खरे सहित विश्वविद्यालय के आचार्य व विद्यार्थी एवं संगीत कला रसिक मौजूद थे। विधानसभा अध्यक्ष श्री तोमर ने कहा कि सुखद संयोग है कि आज महान संगीत कला पोषक महाराजा मानसिंह तोमर की जन्म जयंती और उनके नाम से स्थापित संगीत एवं कला विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस है। 

उन्होंने कहा खुशी की बात है कि आज ही के दिन यानि 19 अगस्त 2008 को ग्वालियर में एक साथ कृषि विश्वविद्यालय एवं संगीत कला विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। श्री तोमर ने इस अवसर पर सभी को इस विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस की बधाई व शुभकामनायें दीं। साथ ही कहा कि महाराजा मानसिंह तोमर ने शास्त्रीय संगीत की ध्रुपद गायकी को विशेष बढ़ावा दिया। उनकी राज्यसभा तानसेन व बैजू बावरा जैसे महान संगीत मनीषियों से सुशोभित थी। ग्वालियर की समृद्ध संगीत परंपरा को हस्सू-हद्दू खाँ, हाफिज अली, बाबा साहब पूँछवाले, लक्ष्मण शंकर राव पंडित एवं अमजद अली खाँ सहित अन्य संगीतज्ञों ने आगे बढ़ाया। हस्सू-हद्दू खाँ की समाधि स्थल ग्वालियर में ध्रुपद केन्द्र भी संचालित हो रहा है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्रीयुत श्रीधर पराड़कर ने कहा कि ग्वालियर की पहचान संगीत के कारण है। 

उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के आचार्यों व विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे संगीत के क्षेत्र में ग्वालियर की प्रतिष्ठा को और आगे बढ़ाने का काम करें। विश्वविद्यालय की कुलगुरू प्रो. स्मिता सहस्त्रबुद्धे ने स्वागत उदबोधन दिया एवं विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने इस शहर और देश का नाम दुनियाभर तक संगीत व कला के माध्यम से पहुंचाया है। साथ ही जानकारी दी कि विश्वविद्यालय के 15 एमओयू विभिन्न संस्थानों के साथ हुए हैं। आरंभ में अतिथियों ने माँ सरस्वती एवं महाराजा मानसिंह तोमर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर स्थापना दिवस समारोह का शुभारंभ किया। विधानसभा अध्यक्ष श्री तोमर ने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में लगाई गई चित्रकला प्रदर्शनी का अवलोकन किया और कलाकृतियां बनाने वाले विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया। आभार प्रदर्शन कुलसचिव अरुण चौहान द्वारा किया गया। 

संचालन सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने किया। स्थापना दिवस समारोह में कार्तिक कला अकादमी इंदौर की कलाकारों ने वरिष्ठ कथक गुरू डॉ. सुमित्रा हरमलकर के निर्देशन में “कृष्णायन” – नृत्य रूपक का मनोहारी मंचन में प्रस्तुत श्रीकृष्ण लीला से सभी का मन मोह लिया। इस अकादमी के 15 कलाकारों ने 50 मिनट की प्रस्तुति में कथक के माध्यम से श्रीकृष्ण लीला का मंचन किया। साथ ही चतुरंग के माध्यम से कृष्ण और गोपियों का अद्भुत होली राग दिखाया। इससे पहले प्रथम पूज्य भगवान गणेश वंदना की प्रस्तुति दी। इस दौरान विवि के छात्र छात्राओं ने भी मन को मोहने वाली प्रस्तुतियां दीं। डॉ. मनीष करवड़े के निर्देशन में तैयार कर सुयश दुबे ने एकल तबला वादन प्रस्तुत करते हुए तीन ताल में कायदा, टुकड़े, चक्रदार फरमाइशी आदि पेश किया। उनके साथ अब्दुल हमीद ने लहरा संगति दी। कथक विभाग की विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत चतुरंग भारतीय शास्त्रीय संगीत के चार प्रमुख अंगों — साहित्य, सरगम, तराना और तिरवत — का सुंदर समन्वय था। 

इसे राग भीमपलासी और ताल चौताल (१२ मात्राएँ) में संयोजित किया गया। संगीत संयोजन कत्थक आचार्य गुरु पं. राजेन्द्र कुमार गंगानी जी का रहा तथा नृत्य-निर्देशन डॉ. अंजना झा, विभागाध्यक्ष, कत्थक नृत्य विभाग द्वारा किया गया। इसी क्रम में स्वर वाद्य के छात्रों द्वारा डॉ. श्याम रस्तोगी के निर्देशन में तैयार ग्रामोत्सव को राग मिश्र खमाज मे केहरवा और तीनताल की लयात्मकता के साथ सितार, मोहन वीणा, गिटार, बांसुरी, हारमोनियम, सिंथेसाइजर जैसे स्वर वाद्य और तबला, ढोलक जैसे अवनद्ध वाद्यों की अद्भुत प्रस्तुति भी देखने को मिली। राग सिंधु, ताल आदि पर भरतनाट्यम की प्रस्तुति हुई। डॉ. गौरीप्रिया के निर्देशन में तैयार यह नृत्य भगवान मुरूगन को समर्पित रहा। नाट्य एवं रंगमंच के छात्र ऐश्वर्य दुबे द्वारा मिमिक्री भी की गई। कार्यक्रम में संगीत संकाय के विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना व कुलगीत का गायन भी किया गया। इसके अलावा संगीत, नृत्य एवं नाट्य रंगमंच संकाय के विद्यार्थियों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दीं। 

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