जांच कमेटी के सदस्यों ने रोड बनाने में लावरवाही को साबित किया था...
चेतकपुरी रोड धंसकने के बाद निलंबित किए गए इंजीनियरों को बिना जांच के बहाल करने की तैयारी !
ग्वालियर। भ्रष्ट अफसरों को लेकर नगर निगम कितना गंभीर है इसका पता इससे ही लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों चेतकपुरी रोड धंसकने के बाद निलंबित किए गए इंजीनियरों की जांच की बात तो दूर अब तक आरोप पत्र भी जारी नहीं हो पाए है लेकिन उनकी बहाली की तैयारी शुरू हो गई है। 22 जुलाई को मेयर-इन-काउंसिल की बैठक के एजेंडे में इंजीनियरों के निलंबन की पुष्टि का बिंदु शामिल किया है, साथ ही निलंबित इंजीनियरों के समर्थकों ने एमआईसी के सदस्यों से कडी कुंदे लगाना शुरू कर दिए है।
जानकारों का मानना है कि एमआईसी के अधिकार क्षेत्र का मामला होने के कारण इस बिंदु को वापस करके इंजीनियरों की बहाली का रास्ता खोला जा सकता है। चेतकपुरी रोड धंसकने के मामले में स्थानीय स्तर पर उपयंत्री आशीष राजपूत को निलंबित कर दिया गया। इसके बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव के पहले प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट ने रोड का निरीक्षण कर सहायक यंत्री और प्रभारी कार्यपालन यंत्री सुरेश अहिरवार, नोडल अधिकारी पवन सिंघल और पीएचई के उपयंत्री व प्रभारी सहायक यंत्री महेंद्र प्रसाद अग्रवाल को निलंबित करने के निर्देश दिए।
इस मामले में बनाई गई जांच कमेटी के सदस्यों ने रोड बनाने में लावरवाही को साबित किया था। इसके बाद प्रभारी अधीक्षण यंत्री जेपी पारा को उक्त अधिकारियों को आरोप पत्र जारी कर उनकी जांच करना थी, लेकिन अभी तक उनके द्वारा उक्त कार्रवाई नहीं की गई है। बारिश की शुरूआत के साथ ही चेतकपुरी रोड धंसकना शुरू हो गई थी। स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज लाइन से लेकर रोड बनाने तक लगभग 18 करोड रुपए के इस प्रोजेक्ट को अधिकारियों और ठेकेदारों ने मिलकर पूरी तरह बर्बाद कर दियार्। इसे लेकर शिकायतें तो हो रही थी जिम्मेदारों के मिलीभगत के खेल के चलते शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया।
सड़क में हुए भ्रष्टाचार के मामले को देखते हुए प्रदेश सरकार की ओर से हमने ग्वालियर की जनता के हित में कड़ी कार्रवाई करते हुए आरोपी इंजीनियरों के निलंबन की कार्रवाई की थी। आगे की जिम्मेदारी महापौर उनके मंत्रिमंडल की है - तुलसीराम सिलावट, प्रभारी मंत्री
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