गोली मारने के आदेश देने का अधिकार किसे होता है...
हिमंत बिस्वा सरमा ने फिर दिए शूट एट साइट के ऑर्डर !
धुबरी के प्रसिद्ध मंदिर प्रसिद्ध हनुमान मंदिर के बाहर गाय का सिर मिलने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. अब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इसमें बड़ा बयान दिया है. मुख्यमंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि 'धुबरी में एक विशेष वर्ग हमारे मंदिरों को क्षति पहुंचाने की नीयत से सक्रिए हो चुका है. मैंने शूट एट साइट का आदेश दिया है'.
आपको बता दें कि 8 जून रविवार को सुबह मंदिर के बाहर गाय का सिर मिलने के बाद स्थानीय स्तर पर इसको लेकर काफी बवाल हुआ था. स्थानीय लोगों ने मुख्य सड़क को बंद कर टायर जलाकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. मामला तूल पकड़ता देख धुबरी के डिप्टी कमिश्नर और पुलिस सुपरिटेंडेंट ने लोगों को समझाकर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया था. अब मुख्यमंत्री ने खुद शूट एट साइट के ऑर्डर दिए हैं तो चलिए, आपको बताते हैं कि गोली मारने के आदेश देने का अधिकार किसे होता है.
सूट एट साइट का आदेश ज्यादातर ऐसे मौकों पर दिया जाता है, जब स्थिति बद से बद्दतर हो और यह आखिरी विकल्प हो. भारत के कानून के अनुसार राज्य सरकार के पास इसे जारी करने की शक्ति होती है. इसे आमतौर पर हिंसा या संवेदनशील स्थिति को ध्यान में रखकर जारी किया जाता है. कई मामलों में इसको मौके पर मौजूद मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी भीड़ को गैर-कानूनी घोषित करके यह ऑर्डर जारी कर सकते हैं जिसमें पुलिस अपने बचाव के लिए उचित कदम उठा सकती है.
इसमें भीड़ या प्रदर्शन कर रहे लोगों को हटाने के लिए फायर आर्म्स का उपयोग होता है. टियर गैस, रबर बुलेट, लाठीचार्ज, वॉटर कैनन या हिंसक होने पर गोली का भी यूज किया जा सकता है. हालांकि, इस दौरान लिए जाने वाले सभी फैसले कानूनी प्रक्रिया में रहकर लिए जाते हैं.
असम का धुबरी जिला खबरों की सुर्खियों में रहता है. हालांकि 8 जून के बाद यह काफी ज्यादा सुर्खियों में है. ऐसा आरोप लगाया जा रहा है कि धार्मिक हिंसा भड़काने के लिए वार्ड नम्बर 3 में स्थिति प्रसिद्ध हनुमान मंदिर के बाहर गाय का सिर काटकर रखा गया था. घटना के बाद क्षेत्र में काफी तनाव की स्थिति बनी हुई है. तनाव को देखते हुए कर्फ्यू भी लगाया गया था.
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