रीवा रियासत के दौरान अपराधियों को यहां काला पानी की सजा दी जाती...
MP में एक शहर बन जाएगा इतिहास! जमींदोज होंगे 22 हजार घर,50 हजार लोग होंगे विस्थापित !
मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले का सबसे पुराना शहर मोरवा, अब यादों में रह जाएगा. 5-6 दशक से यहां अपनी जड़े जमा चुके रहवासियों को NCL के प्रोजेक्ट की वजह से विस्थापन का सामना करना पड़ेगा. रीवा रियासत के दौरान यहां काला पानी की सजा दी जाती, उसके बाद इस शहर ने ऊर्जाधानी तक का सफर तय किया. लेकिन अब यहां के 22 हजार घर टूटने जा रहे हैं. इसे इस दौर का एक बड़ा शहरी विस्थापन बताया जा रहा है।
मध्यप्रदेश के एक और बड़े शहर का अस्तित्व जल्द ही खत्म होने जा रहा है, इस शहर का नामो निशान हमेश के लिए मिट जाएगा. प्रदेश के सिंगरौली के मोरवा शहर का विस्थापन किया जा रहा है. यहां के करीब 50 हजार लोगों को नए स्थानों पर बसाने की कवायद की जा रही है. मोरबा के विस्थापन को नगरीय क्षेत्र का सबसे बड़े विस्थापनों में से एक बताया जा रहा है. इसमें करीब 35 हजार करोड़ रुपए का मुआवजा देने का अनुमान जताया गया है.
कोयले का भंडार से खाली हो रहा शहर
सिंगरौली के मोरवा में कोयले का अकूत भंडार है. इस शहर की जमीन के नीचे 2,724 मिलियन टन कोयला दबा पड़ा है. केंद्र सरकार इसके खनन की मंजूरी दे चुकी है, जिसके लिए सिंगरौली शहर की 1485 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जा रही है. नार्दर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड यहां कोयले के विशाल भंडार का खनन करेगी. इसके लिए एनसीएल को कोल इंडिया बोर्ड की मंजूरी मिल चुकी है. कोयला निकालने के लिए विशेष रूप से सिंगरौली के मोरवा इलाके से लोगों को हटाया जाएगा. क्षेत्र के करीब 22 हजार मकानों, दुकानों व अन्य इमारतों को तोड़ दिया जाएगा.
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