G News 24 : आतंकवाद पर पाकिस्‍तान के दोहरे चरित्र को दुनिया को समझाने के बाद 5 प्रतिनिधिमंडल लौटे वापस !

 कुल 07 डेलीगेशन भारत की तरफ से भेजे गए थे 7 में से 5 लौटे ! 

आतंकवाद पर पाकिस्‍तान के दोहरे चरित्र को दुनिया को समझाने के बाद 5 प्रतिनिधिमंडल लौटे वापस !

नई दिल्‍ली। 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत सरकार की तरफ से प्रतिनिधिमंडल अलग-अलग देशों में भेजे गए हैं. ये डेलीगेशन आतंकवाद पर पाकिस्‍तान के दोहरे चरित्र को दुनिया के सामने रख रहे हैं. कुल सात डेलीगेशन भारत की तरफ से भेजे गए थे जिनमें से पांच भारत लौट आए हैं जबकि दो अभी आना बाकी हैं. डेलीगेशन के दो चेहरे इन दिनों काफी चर्चा में हैं, कांग्रेस के नेता शशि थरूर और AIMIM के लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी.

ओवैसी अल्‍जीरिया, सऊदी अरब, कुवैत और बहरीन गए थे और यहां पर उन्‍होंने पाकिस्‍तान का असली चेहरा इन मुसलमान देशों के सामने रखा है. ओवैसी फिलहाल भारत लौट आए हैं और उनके गृहनगर हैदराबाद में उनके पोस्‍टर भी लग गए हैं. हालांकि ओवैसी को इन पोस्‍टर्स से खासा ऐतराज है और जब उनसे इससे जुड़ा सवाल पूछा गया तो उन्‍होंने अपने ही अंदाज में इसका जवाब दिया. 

'यह कोई सियासी मामला नहीं' 

ओवैसी जिस प्रतिनिधिमंडल का हिस्‍सा थे, उसकी अगुवाई बीजेपी सांसद जयंत पांड्या कर रहे थे.औवेसी ने हैदराबाद में लगे पोस्‍टर को लेकर बड़े ही सहज अंदाज में जवाब दिया. ओवैसी ने कहा, 'यह मेरे लिए शर्मिंदा करने वाली बात है और यह सही नहीं है कि इस तरह का पोस्‍टर लगाना चाहिए. यह बकवास है, क्‍यों लगा रहे हैं आप?' उन्‍होंने आगे कहा कि यह किसी एक का मसला नहीं है बल्कि 130 करोड़ लोगों से जुड़ा है. यह कोई सियासी मसला भी नहीं है. यह गलत है और नहीं लगना चाहिए. ओवैसी ने अपनी आलोचनाओं पर कहा कि मुझे इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता है. 

अपनी विजिट के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में अंतरराष्‍ट्रीय भागीदारों को जानकारी दी, जो 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया थी.  उन्होंने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के बारे में रोशनी डाली और साथ ही इन देशों के प्रमुख नेताओं से भी बातचीत की. अल्जीरिया में ओवैसी ने पाकिस्तान की आलोचना की और उसे 'आतंकवाद का केंद्र' बताया. 

ओवैसी ने कहा कि पाकिस्तान और दाएश और अल-कायदा में आतंकवादी समूहों के बीच कोई भी वैचारिक अंतर नहीं है.ये सारे संगठन मानते हैं कि उन्हें धार्मिक आजादी मिली हुई है जो पूरी तरह से गलत है. इस्लाम किसी भी व्यक्ति की हत्या की अनुमति नहीं देता है और दुर्भाग्य से, यही उनकी विचारधारा है.

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