आखिर इस लापरवाही के लिए कहां से आती है इतनी हिम्मत...
सचमुच एमपी गजब है,जिले का ही बना डाला मृत्यु पंजीयन प्रमाण पत्र !
इंदौर। मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग का टैग लाइन है-एमपी अजब है, सबसे गजब है। हालांकि इसे बनाया गया था एमपी की खासियत बताने के लिए, लेकिन यहां के सरकारी विभाग इसे दूसरे ही अर्थों में चरितार्थ कर रहे हैं। अब देखिए न एक तहसीलदार महोदय के हस्ताक्षर से भिंड जिले का मृत्यु पंजीयन पत्र जारी हो गया। इसका साफ अर्थ है कि यहां लापरवाही इतनी है कि कोई भी व्यक्ति किसी का भी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा सकता है।
एक नजर डालिए, जरा इस मृत्यु पंजीयन पत्र पर
नाम- भिंड, पिता का नाम- भिंड, माता का नाम- भिंड, मृत्यु स्थान- भिंड (घर) पर दिनांक 08/11/2018 को हुआ है। अत: आदेश द्वारा निर्देशित करता हूं कि श्री भिंड, पुत्र भिंड के मृत्यु को मृत्यु रजिस्टर में दर्ज किया जाए। भिंड के तहसीलदार मोहन लाल शर्मा ने 5 मई 2025 को ये मृत्यु पंजीयन आदेश जारी किया है।
लोक सेवा केंद्र में दिया था आवेदन
उल्लेखनीय है कि भिंड के चतुर्वेदी नगर निवासी गोविंद ने 5 मई को लोक सेवा केंद्र में आवेदन दिया था। नियमानुसार लोक सेवा केंद्र से दस्तावेजों का वेरिफिकेशन कर मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार कर नगर पालिका में जमा कराया जाना था। तहसील कार्यालय में जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र शाखा ने लोक सेवा केंद्र से आए दस्तावेज का वेरिफिकेशन कर पंजीयन पत्र जारी कर दिया। लोक सेवा केंद्र ने इसे आवेद को दे दिया। नगरपालिका में जब यह प्रमाण पत्र पहुंचा तो गलती का खुलासा हुआ।
सब एक-दूसरे पर लगा रहे आरोप
तहसीलदार मोहन लाल शर्मा ने इस मामले में कहा कि यह मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं, सिर्फ मृत्यु पंजीयन बना है। इसमें अगर गलती हुई है, तो सुधार किया जाएगा। यह गलती लोक सेवा केंद्र से हुई है। ऑपरेटर के खिलाफ कार्रवाई होगी।
इस मामले में जन्म-मृत्यु शाखा प्रभारी सतीश चौरसिया के अनुसार मेरा मूल पद कोटवार है, लेकिन जन्म-मृत्यु शाखा का प्रभार मुझे दिया गया है। जो दस्तावेज आते हैं, उनके आधार पर ही पंजीयन करता हूं। इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। इधर, लोकसेवा केंद्र प्रभारी जीतेन्द्र राजावत ने कहा कि उस दिन नया लड़का ऑपरेटर के तौर पर बुलाया गया था। उसी से गलती हुई है।
बड़ा सवाल-ऐसी लापरवाही हुई कैसे ???
मामला उजागर होने के बाद भिंड के तहसीलदार मोहनलाल शर्मा को अपर कलेक्टर एके पांडेय ने पद से हटा दिया है। फिलहाल तहसीलदार को जिला मुख्यालय अटैच कर दिया गया है।
मृत्यु प्रमाण पत्र एक जरूरी दस्तावेज है। परिवार की वसीयत से लेकर बैंक अकाउंट तक में इसकी जरूरत पड़ती है। अगर इस तरह की लापरवाही हो रही है तो निश्चित तौर पर लोग इसका फायदा उठाते होंगे। जब नाम के आगे जिला लिखकर प्रमाण पत्र बन सकता है तो किसी के नाम से भी इसे बनाया जा सकता है। यह तो एक गलती है जो उजागर हो गई, पता नहीं ऐसी कितनी गलतियां हर दिन होती होंगी।
यह भी एक विचारणीय प्रश्न है कि इस तरह की लापरवाही की हिम्मत कर्मचारियों में कहां से आती है? लोक सेवा केंद्र का महत्वपूर्ण काम सिर्फ प्राइवेट एजेंसियों के माध्यम से चल रहा है। इस पर निगरानी रखने की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है और विडंबना यह कि यहां से तहसीलदार से लेकर बड़े अधिकारियों तक के हस्ताक्षर वाले प्रमाण पत्र जारी होते हैं। अगर कोई सख्त एक्शन नहीं लिया गया तो लापरवाही का यह सिलसिला जारी रहेगा।
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