एमबीबीएस और बीएएमएस इंटीग्रेशन पर IMA का विरोध बनाम NIMA का समर्थन...
"मिक्सोपैथी" प्रतिगामी प्रस्ताव को जनस्वास्थ्य के हित में तुरंत वापस लिया जाए : IMA
भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने केंद्र सरकार द्वारा चिकित्सा पद्धतियों के मिश्रण (मिक्सोपैथी) को बढ़ावा देने की योजना पर कड़ी आपत्ति जताई है। सरकार द्वारा MBBS और BAMS पाठ्यक्रमों को मिलाकर JIPMER, पुडुचेरी में एकीकृत पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना को अवैज्ञानिक बताया गया है।
IMA का कहना है कि विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों का मिश्रण एक "अपूरणीय तबाही" है। भारत में औसत आयु 1947 में 32 वर्ष से बढ़कर 2025 में 70.8 वर्ष हो गई है, जो आधुनिक चिकित्सा, टीकाकरण, एंटीबायोटिक्स और मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की देन है। IMA का मानना है कि यह कदम आयुर्वेद को भी नुकसान पहुंचाएगा। संघ ने आयुर्वेदिक चिकित्सकों से भी अपील की है कि वे अपने पद्धति की रक्षा करें। "मिक्सोपैथी" मरीज के अधिकारों का हनन है, क्योंकि इससे वे इलाज का तरीका चुनने की आज़ादी खो बैठेंगे। IMA का सरकार से अनुरोध है कि इस "प्रतिगामी प्रस्ताव" को जनस्वास्थ्य के हित में तुरंत वापस लिया जाए।
IMA के मिक्सोपैथी विरोध पर नीमा संगठन की प्रतिक्रिया करते हुए नीमा छात्र प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. हरेंद्र भदौरिया जी ने कहा IMA को पहले यह समझना चाहिए कि "वैज्ञानिकता" की परिभाषा क्या होती है। सरकार को ऐसे संस्थानों की अनुचित मांगों को नज़रअंदाज़ करना चाहिए।एम.बी.बी.एस और बी.ए.एम.एस. इंटीग्रेशन का उद्देश्य देश के नागरिकों को बेहतर और समग्र स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है, न कि किसी एक पद्धति को थोपना।
हर चिकित्सा पद्धति की अपनी विशेषताएं और उपयोगिता है। इसे मिलाकर एक मजबूत और समावेशी स्वास्थ्य तंत्र बनाया जा सकता है। सरकार का यह कार्य एक राष्ट्र एक चिकित्सा पद्धति की ओर सकारात्मक कदम है।सरकार से अनुरोध है कि वह IMA जैसे संस्थानों के दबाव में आए बिना, जनहित में लिए गए अपने निर्णयों पर मजबूती से कायम रहे।
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