G News 24 : पाकिस्तानी लड़की के सीने में धड़केगा 'भारत का दिल'

 19 साल की आयशा रशन को बॉर्डर पार भारत में मिली नई जिंदगी...

पाकिस्तानी लड़की के सीने में धड़केगा 'भारत का दिल'

                                                                           सांकेतिक तस्वीर 

भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को लेकर दोनों देशों के बीच समय-समय पर टेंशन बढ़ती रहती है जो अभी कायम है  लेकिन इन सबके बीच एक और तस्वीर है जो मानवता को दिखाती है. पाकिस्तान की आयशा रशन (19) पिछले 10 साल से हार्ट की बीमारी से पीड़ित थीं. जो कि साल 2014 में इलाज के लिए भारत आई थीं. डॉक्टरों ने पेस मेकर लगाकर उन्हें कुछ समय के लिए राहत दी, लेकिन उन्हें फिर परेशानियों का सामना करना पड़ा. इसके बाद डॉक्टरों ने उसके परिवार को हार्ट ट्रांसप्लांट की सलाह दी. पाकिस्तानी लड़की आयशा रशन की किस्मत पलटी और भारतीय डॉक्टरों ने उसकी जिंदगी बदल दी. चेन्नई स्थित एमजीएम हेल्थकेयर हॉस्पिटल में तैनात इंस्टीट्यूट ऑफ हार्टएंड लंग ट्रां सप्लांट के डायरेक्टर डॉ. केआर बालाकृष्णन और को-डायरेक्टर डॉ. सुरेश राव ने फ्री में सर्जरी करने की पेशकश की. 

भारत से इस तरह जगी उम्मीद

चेन्नई स्थित एमजीएम हेल्थकेयर हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने परिजनों को बताया कि हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत है, क्योंकि आयशा के हार्ट पंप में लीकेज हो गया था, जिसके चलते उसे एक्स्ट्रा कार्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन सिस्टम पर रखा गया था. परिवार के लोगों का कहना था कि आयशा के हार्ट प्लांट को बदलने के लिए करीब 35 लाख रुपए की जरूरत थी. मगर, उनके पास पैसों की आर्थिक तंगी थी. जिसको लेकर अस्पताल के डॉक्टरों ने परिजनों की ऐश्वर्यम ट्रस्ट से मुलाकात करवाई, जिन्होंने आयशा की आर्थिक मदद का भरोसा दिया.

हालांकि, आयशा को पिछले 6 महीने पहले हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए एक डोनर मिला. जिसके बाद परिवार के लोगों की उम्मीद जगी. इसके बाद डोनर के हार्ट को दिल्ली से लाया गया. इसके बाद चेन्नई के एमजीएम हेल्थकेयर ने आयशा की हार्ट ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन मुफ्त में किया था.

पाकिस्तान से बेहतर इलाज की सुविधाएं हैं भारत में

इस दौरान आय़शा के परिवार वालों का कहना है कि वो फैशन डिजायनर बनना चाहती है. उधर, आय़शा ने अपने हार्ट के ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन होने पर कहा, "मैं दिल पाकर बहुत खुश हूं. मैं इसके लिए भारत सरकार को यहां के डॉक्टरों को शुक्रिया कहती हूं." जबकि, आयशा की मां ने बताया कि जब आयशा को भारत लाया गया तो उसके जिंदा बचने के चांस महज 10% थे. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से बेहतर इलाज की सुविधाएं भारत में हैं.  

भारत में ऑपरेशन और सहायता के लिए के लिए मां ने दिया धन्यवाद

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में डॉक्टरों ने कहा कि वहां ट्रांसप्लांट की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है तो हमने डॉ. केआर बालाकृष्णन से संपर्क किया. जिसके चलते मैं इलाज के लिए भारत सरकार और डॉक्टरों को धन्यवाद देती हूं. भारत और यहां के डॉक्टर बहुत शानदार हैं. वहीं, डॉ. केआर बालाकृष्णन ने कहा कि आयशा मेरी बेटी की तरह है. वैसे भी हमारे लिए हर जिंदगी मायने रखती है.

Comments