G News 24 : जिनका जन्म 15 अप्रैल 1469 में हुआ था,लेकिन उनकी जयंती दिवाली के 15 दिन बाद मनाई जाती है !

 हिंदू परिवार में जन्मे सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु, गुरु नानक देव जी ...

जिनका जन्म तो 15 अप्रैल 1469 में हुआ था,लेकिन उनकी जयंती दिवाली के 15 दिन बाद मनाई जाती है !

सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को हुआ था. अग्रंजी तारीख के मुताबिक गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल के दिन 1469 हुआ था. लेकिन बता दें कि गुरु नानक जी का जन्मदिन उनके अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबित नहीं मनाया जाता. बल्कि साल के कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन प्रकाश पर्व के रूप में गुरु नानक जयंती के रूप में मनाई जाती है.जो कि दिवाली के 15 दिन बाद आता है. 

बता दें कि गुरु नानक देव जी का जन्म तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था. बाद में इस जगह का नाम ननकाना साबिह पड़ गया और आजादी के बाद ये पाकिस्तान के पंजाब का हिस्सा बन गया. गुरु नानक देव जी ने सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया और समाक को सही राह दिखाने पर काम किया है. 

हिंदू परिवार में जन्में थे गुरु नानक देव जी 

बता दें कि गुरु नानक देव जी का जन्म हिंदू परिवार में हुआ था. 16 साल की आयु में ही उनका विवाह माता सुलक्खनी से हो गया था. इनके दो पुत्र थे. 

सादगी से जीते थे जीवन 

वे अपना सारा जीवन आध्यात्मिक चिंतन और सत्संग में व्यतीत किया. इतना ही नहीं, इनके जीवन में कई चमत्कारी घटनाएं घटी थी जिन्हें देखकर गांव के लोग भी इन्हें दिव्य व्यक्तित्व मानने लगे थे. गुरु नानक देव जी अंधविश्वास और आडंबरों के विरोधी थे. गुरु नानक देव जी ने मूर्ति पूजा के निरर्थक माना था. 

दिया इक ओंकार मंत्र 

गुरु नानक देव जी ने इक ओंकार मंत्र दिया. इसका अर्थन है ईश्वर एक है औऱ सभी जगह मौजूद है. गुरु नानक जी का कहना था कि हम सभी का पिता एक ही है और सभी को प्रेमपूर्वक रहना चाहिए. उनके अनुसार ईश्वर बाहर नही बल्कि हमारे अंदर ही है. इनके विचारों का अनुसरण कर समाज में कई परिवर्तन देखने को मिले. 

अब गुरु ग्रंथ साहिब पर लगेगा क्यूआर कोड 

समरसता और प्रेम-भाव का संदेश देने वाली पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब जी की छपाई अब क्यूआर कोड लगा कर की जाएगी. दुनियाभर के धार्मिक ग्रंथों में से पहली बार ये तकनीक का इस्तेमाल गुरु ग्रंथ साहिब पर किया जाएगा. ये फैसला एसजीपीसी की अंतरिम कमेटी द्वारा लिया गया है. कमेटी का कहना है कि क्यूआर कोड लगा कर गुरु ग्रंथ साहिब जी की छपाई कराने से पावन स्वरूप की सारी जानकारी और ब्यौरा कमेटी के पास रहेगा.

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