G News 24 : वो पत्रकार ही है जो आपके लिए सच लिखें,अन्याय के खिलाफ़ लिखें,सत्ता से सवाल पूछता है
लेकिन आप कितना सोचते है उसके बारें में ...
वो पत्रकार ही है जो आपके लिए सच लिखें,अन्याय के खिलाफ़ लिखें,सत्ता से सवाल पूछता है
आप पत्रकारों से उम्मीद करते हैं कि वो सच लिखें, अन्याय के खिलाफ़ लिखें, सत्ता से सवाल पूछें, गुंडे अपराधियों का काला चिट्ठा खोल के रख दें और लोकतंत्र ज़िंदाबाद रहे। लेकिन क्या कभी आप भी उसके बारे में सोचते हैं। क्या उसकी अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों,जरूरतों का ख्याल मात्र भी आता है आपके जेहन में। यदि नहीं तो ज़रा सोचिये कि ...
- पत्रकारों के घर का हाल !
- उनके खर्चे कैसे चलते हैं !
- कभी पूछिए उनके बच्चों के स्कूल के बारे में !
- कभी मिलिए उनके बच्चों से और पूछिए उनके कितने शौक वे पूरे कर पाते हैं !
- कभी पूछिए की अगर कोई खबर ज़रा सी भी इधर उधर लिख जाएं और कोई नेता, विभाग, सरकार या कोई रसूखदार व्यक्ति मांग लें स्पष्टीकरण तो कितने मीडिया हाउस अपने पत्रकारों का साथ दे पाते हैं !
- कितने पत्रकारों के वाहन हैं !
- कितने पत्रकार दो पहिया वाहनों से चल रहे हैं !
- कितने पत्रकारों के पास एक अच्छा घर हैं !
- कितने पत्रकारों के पास अपना और अपने परिजनों का इलाज़ कराने के लिए के पास जमा पूंजी है !
- प्रिंट मीडिया के पत्रकारों का रूटीन पूछिएगा कभी, दिन भर फील्ड और शाम को ऑफिस आकर खबर लिखते लिखते घर पहुंचते पहुंचते बजते हैं रात के 11, 12, 1... सोचिए कितना समय मिलता होगा उनके पास अपने बच्चों, परिवार , बीवी मां बाप के लिए समय !
- आपको लगता होगा कि पत्रकारों के बहुत जलवे होते हैं ? ऐसा नहीं है.
- कभी पूछिए की अगर पत्रकार को जान से मारने कि धमकी मिलती है तो प्रशासन उसे कितनी सुरक्षा दे पाता है !
- कभी पूछिए की अगर कोई पत्रकार दुर्घटना का शिकार हो जाता है और नौकरी लायक नहीं बचता तो उसका मीडिया हाउस या वो लोग जो उससे सत्य खबरों की उम्मीद करते हैं वो कितने काम आते हैं !
- अगर किसी पत्रकार की हत्या हो जाती है तो कितना एक्टिव होता है शासन प्रशासन !
- दंगे हों, आग लग जाए, भूकंप आ जाएं, गोलीबारी हो रही हो, घटना दुर्घटना हो जाएं सब जगह उसे पहुंच कर न्यूज कवरेज करनी होती है !
- कोविड जैसी महामारी में भी पत्रकार ख़ासकर फोटो जर्नलिस्ट अपनी जान पर खेल खेल कर न्यूज कवर कर रहे थे.. सोचिएगा उस समय उनके परिजनों पर क्या गुजरी होगी !
- गिने चुने पत्रकारों की ही मौज है बाकी ज़्यादातर अभी भी संघर्ष में ही जी रहे हैं...
- जबकि फिल्ड में सभी पत्रकार बेहतरीन काम कर रहे हैं जूझ रहे हैं एक एक एक खबर के लिए वो न सिर्फ बधाई के पात्र हैं।
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