परशुराम गाथा का ग्वालियर में प्रथम बार ऐतिहासिक मंचन ...
भगवान श्री परशुराम की जीवन के लिए प्रेरणा दायक गाथा को कलाकारों ने जीवंत किया
सहस्त्रबाहु अर्जुन ने भगवान दत्तात्रेय को अपनी आराधना से प्रसन्न कर सहस्त्र बुझावल का वरदान प्राप्त किया वरदान के अहंकार में चूर होकर उसने ऋषि मुनि तपस्वी अत्याधिक अत्याचार करने लगा और रावण को युद्ध में परास्त करने के बाद उसका अहंकार अत्यधिक बढ़ चुका था उधर ऋषि ऋतिक के आशीर्वाद से जमदग्नि के आश्रम में रेणुका माता ने परशुराम जी को जन्म दिया परशुराम जी ने भगवान शिव की आराधना कि भगवान शिव ने वरदान स्वरूप पिनाक धनुष , परशु और चिरंजीवी का वरदान प्रदान किया दिया
अपने पिता के आदेश पर माता और अपने भाइयों का शीश काटकर फिर अपने पिता से ही उन्हें पुनः जीवित कराया एवं मातृ भक्ति और पुत्र भक्ति का प्रमाण दिया सहस्त्रबाहु ने अहंकार में आकर जमदग्नि ऋषि की कामधेनु गाय को लेकर चले गए और अपने पिता के आदेश पर परशुराम और सहस्त्रबाहु में युद्ध हुआ जो ब्राह्मण और क्षत्रिय कि नहीं अहंकार और अधिकार की लड़ाई थी जिसमें परिणाम स्वरुप सहसवान अर्जुन का वध हुआ सहस्त्रबाहु अर्जुन के पुत्रों ने अपने पिता के हत्या का बदला लेने के लिए परशुराम के पिता जमदग्नि ऋषि का वध किया कल परशुराम ने पूरी धरती को आता था ही अत्याचार योग से विहीन करने की शपथ ली और और उसे पूर्ण करने के बाद प्रायश्चित करने के लिए करने के लिये भगवान शिव के पास गए तो भगवान शिव ने उसे अपना अपना धनुष देने के लिए रावण और राजा जनक मैं से किसी एक को देने के लिए कहा का परशुराम ने अपना धनुष को रावण को ना देते हुए राजा जनक को दिया फिर राम सीता विवाह में विवाह में शिव धनुष टूटने पर राम और परशुराम का आमना सामना हुआ परशुराम ने राम में भगवान विष्णु के रूप को देखा और वह तपस्या के लिए निकल गए फिर अंबा के कारण परशुराम और विष्णु में युद्ध हुआ अंत मे श्री कृष्ण को सुदर्शन चक्र देकर उनसे कहा कि लीलाएं बहुत कर ली माखन बहुत कर लिया अब वह कर करो जिसके लिए आप ने अवतार लिया है
आई.आई.टी.टी.एम सभागार ग्वालियर में ब्राह्मण समाज के भगवान श्री परशुराम पालकी समिति ग्वालियर के संस्थापक डॉक्टर जयवीर भारद्वाज, डॉ हरिमोहन पुरोहित, रामनारायण मिश्रा, डॉ अनिल शर्मा, भार्गव समाज के पूर्व अध्यक्ष श्याम बाबू शर्मा, भार्गव समाज के युवा अध्यक्ष संगम भार्गव,कान्ता शर्मा ने सभी कलाकारो का श्री परशुराम गौरव सम्मान से सम्मानित किया। नाटक के लेखक श्री अनिरुद्ध तिवारी एवं निर्देशक संजय सिंह जादौन थे।
छाया मंदिर नाट्य संस्थान ग्वालियर के इन कलाकारों ने दी जीवंत प्रस्तुति
- ऋतुराज चौहान - परशुराम
- ज्योति अतरौलिया- वसुंधरा, रेणुका
- संजय सिंह जादौन- जमदग्नि ऋषि
- दिनेश चंद्र दुबे- सहस्त्रबाहु अर्जुन
- रेनू झवर- महारानी, श्रवण की मां
- अलौकिक शर्मा - रावण
- मनीष शर्मा- राजा गाधी, जनक ,अर्जुन पुत्र
- भारती- महारानी ,सुनैना
- दुर्गेश पाठक -ऋषि रिचिक, सेनापति श्रवण के पिता
- कनिष्का -सत्यवती, सीता
- मानस तिवारी- बाल परशुराम ,गणेश
- अनिरुद्ध तिवारी -भृगु ऋषि ,संदीपनी ऋषि
- प्रदीप दीक्षित- विश्वामित्र
- मयंक श्रीवास्तव- बलराम, शिव
- क्षमा -पार्वती
- रोहित दीक्षित -राम, ऋषि पुत्र
- युवराज शर्मा -ऋषि पुत्र
- ब्रजमोहन- श्रवण ,ऋषि पुत्र, सैनिक
- प्रांजल राजावत - लक्ष्मण ,ऋषि पुत्र
- कृषु दीक्षित - कृष्ण, कार्तिकेय ,मंत्री
- अभिराज सक्सेना- भीष्म, अर्जुन पुत्र
- अनुज यादव -अर्जुन पुत्र, सैनिक
- कृष्णा गोयल -अर्जुन पुत्र ,सुदामा, सैनिक
- प्रांजल चतुर्वेदी -अर्जुन पुत्र सैनिक










0 Comments