निकायों की उदासीनता के चलते प्रदेश भर में संजीवनी क्लीनिक नहीं खुल पा रहे हैं 439 संजीवनी क्लीनिक
संजीवनी क्लीनिक के लिए दो वर्ष पहले केंद्र से मिली राशि लेकिन अभी सिर्फ जगह चिह्नित हुई
भोपाल। स्थानीय निकायों की उदासीनता के चलते प्रदेश भर में संजीवनी क्लीनिक नहीं खुल पा रहे हैं। 15 वें वित्त आयोग के अंतर्गत केंद्र सरकार ने दो वर्ष पहले प्रदेश में 439 संजीवनी क्लीनिक खोलने की स्वीकृति दी थी। भवन बनाने के लिए प्रति क्लीनिक 25 लाख रुपये के मान से राशि भी राज्य सरकार को मिल चुकी है स्थानीय निकायों को जगह चिह्नित कर निर्माण कार्य शुरू करना था, पर अभी कहीं भी भवन बनाने की शुरुआत नहीं हुई है। दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक की तर्ज पर प्रदेश में संजीवनी क्लीनिक चल रहे हैं। 2021 में केंद्र सरकार ने प्रदेश में कुल 611 संजीवनी क्लीनिक बनाने को कहा था। यहां पहले से 172 संजीवनी क्लीनिक चल रहे हैं। बाकी 439 क्लीनिक खोले जाने हैं।
अब क्लीनिक के लिए भवन तैयार करने की जिम्मेदारी नगरीय निकायों को दी गई है। इसके बाद बाकी व्यवस्थाएं स्वास्थ्य विभाग को करना है। सभी नए क्लीनिक 2022-23 और 2023-24 में खोले जाने थे। इस तरह एक वर्ष पूरा निकल चुका है, पर नए क्लीनिक के लिए कहीं भी नए भवन बनाने की शुरुआत नहीं हुई है। ऐसे में मौजूदा वित्तीय वर्ष के अंत यानी अगले वर्ष मार्च तक भी पूरे स्वीकृत सभी क्लीनिक खुल पाना मुश्किल है। इसके अलावा संजीवनी क्लीनिकों में पदस्थ किए जाने वाले संविदा डाक्टरों का मूल वेतन भी बढ़ाने की तैयारी है। अभी उन्हें प्रतिमाह 25 हजार रुपये वेतन के अलावा तय सीमा से अधिक रोगियों को देखने पर प्रोत्साहन राशि दी जाती है। नए क्लीनिकों के लिए इतने कम वेतन पर डाक्टर मिलना मुश्किल है, इसलिए इनका वेतन बढ़ाने की तैयारी है।
इनका कहना है
एक सप्ताह पहले ही संजीवनी क्लीनिकों की समीक्षा की गई थी। नगरीय निकायों से समन्वय कर जल्द निर्माण कार्य शुरू कराने को कहा है।
-डा. प्रभुराम चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री










0 Comments