G News 24: सऊदी, तुर्किये और मिस्र घरेलू राजनीति के कारण रहे दूर !

 G20 में चीन-पाक नहीं,

सऊदी, तुर्किये और मिस्र घरेलू राजनीति के कारण रहे दूर !

जम्मू l जम्मू-कश्मीर में जी-20 पर्यटन कार्यसमूह की बैठक में सऊदी अरब, तुर्किये और मिस्र की अनुपस्थिति को पाकिस्तान अपनी बड़ी कूटनीतिक सफलता के रूप में प्रचारित कर रहा है। हालांकि, सच्चाई यह है कि ये देश चीन और पाकिस्तान के प्रभाव या दबाव में नहीं, बल्कि घरेलू राजनीति के कारण इस बैठक में शामिल नहीं हुए। इन देशों की बैठक से दूरी के  साथ-साथ आपत्ति जताने से भी दूरी बरते जाने को भारत अपनी बड़ी कूटनीतिक सफलता मान रहा है।

सरकारी सूत्र के मुताबिक, कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने के बाद खासतौर से तुर्किये ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने भारत के विरोध के बावजूद संसदीय समिति का गठन किया था। संयुक्त राष्ट्र में भी तुर्किये ने इस फैसले के विरोध में आवाज उठाई थी। इस मुद्दे पर बहुत आगे बढ़ चुके तुर्किये के लिए यू टर्न लेना आसान नहीं था। हालांकि, बैठक में शामिल नहीं होने के बावजूद तुर्किये ने चीन और पाकिस्तान की तरह कश्मीर में हुए आयोजन का सार्वजनिक तौर पर विरोध नहीं किया। विरोध के सवाल पर उसने चुप्पी साध रखी है।

अर्दोआन की पार्टी को कड़ी टक्कर

दरअसल, तुर्किये में चुनाव हो रहे हैं। 28 मई को दूसरे चरण का मतदान है। कश्मीर मुद्दे पर बेहद तल्ख तेवर अपनाने के बाद इस बैठक में शामिल हो कर अर्दोआन बेवजह का विवाद खड़ा नहीं करना चाहते थे। वैसे भी चुनाव में अर्दोआन की पार्टी कड़े मुकाबले का सामना कर रही है।

मिस्र हां के बाद मिस्र ने की ना

बैठक से दो दिन पूर्व तक मिस्र का रुख सकारात्मक था। अर्दोआन की तरह मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतल अल सीसी भी घरेलू राजनीति में कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। वहां, मुस्लिम ब्रदहहुड सहित कई कट्टरपंथी ताकतों का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। मिस्र के राष्ट्रपति मुस्लिम ब्रदरहुड जैसी कट्टरपंथी ताकतों का प्रभाव नहीं बढ़ने देना चाहते।

केंद्रीय मंत्री ने चीन के रुख पर कहा-इसमें उसी का नुकसान

जी-20 के पर्यटन कार्यसमूह की बैठक में शामिल नहीं होने के चीन के फैसले पर केंद्रीय राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसमें चीन का ही नुकसान है, भारत का नहीं। बैठक में 17 देशों के प्रतिनिधि कश्मीर पहुंच चुके हैं। लिहाजा, चीन के आने या नहीं आने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। कश्मीर में बैठक के सवाल पर उन्होंने कहा, इससे विदेशी प्रतिनिधियों को अलग-अलग जगहों के बारे में पता चलेगा। भारत यूरोपीय देशों की तरह हर जगह एक जैसा दिखने वाला देश नहीं, यहां सांस्कृतिक व भौगोलिक विविधताएं हैं। 

नई राह पर है सऊदी अरब

मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत और सऊदी अरब के द्विपक्षीय संबंध बेहद मजबूत हुए हैं। इसी बेहतर संबंध के कारण उसने अनुच्छेद-370 हटाने का विरोध नहीं किया था। क्राउन प्रिंस मोम्मद बिन सलमान अपने देश में परंपरावादियों और सुधारवादियों के बीच संतुलन स्थापित करने की कोशिश में जुटे हैं। क्राउन प्रिंस सऊदी अरब की रणनीतिक स्वायत्ता वाले देश की छवि बनाने में जुटे हैं। इसी रणनीति के तहत पहली बार अरब दुनिया के बाहर के देश यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को अरब लीग की बैठक में बुलाया गया।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को किया बेनकाब

अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को बेनकाब करने में भारत ने कोई कसर नहीं छोड़ी। जम्मू-कश्मीर में 30 वर्षों के आतंकवाद के दंश के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए उसे खरी खोटी सुनाई गई। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह व पर्यटन राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद का सच श्रीनगर में आयोजित जी20 सम्मेलन में पूरी दुनिया के सामने रखा। विशेषज्ञ इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत मानते हैं। इसके जरिये पाकिस्तान का समर्थन करने वाले चीन, तुर्किये व सऊदी अरब को भी कड़ा संदेश देने में भारत सफल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि कश्मीर में जी20 का सफल आयोजन कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा।

पाकिस्तान व चीन को संदेश देने के साथ ही भारत यह बताने में सफल रहा कि यहां विकास कार्य तेजी से हो रहे हैं। तीन दशक से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ने यहां लगभग दम तोड़ दिया है। अलगाववाद खत्म हो गया है। पाकिस्तानी झंडे लहराने, आजादी की बात करने व पत्थरबाजी जैसी घटनाएं बीते दिनों की बात हो गई है। यहां का युवा अब कलम व लैपटॉप से चला रहा है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह का कहना है कि हम श्रीनगर से पूरी दुनिया में पाकिस्तान व उसके दुष्प्रचार तंत्र को बेनकाब करने में सफल रहे हैं। पूरी दुनिया को यह संदेश देने में सफल हो सके हैं कि जम्मू-कश्मीर में अब सीमा पार का कोई भी आदेश यहां नहीं चलता है। बात-बात पर हड़ताल, पत्थरबाजी और पाकिस्तानी व आतंकी संगठनों के झंडे लहराने की घटनाएं बीते दिनों की बात हो गई है।

370 हटाने के बाद आए बदलावों का सच भी लाया सामने

विशेषज्ञों का मानना है कि सम्मेलन के जरिये भारत पिछले तीन साल यानी पांच अगस्त 2019 को जब 370 हटाया गया था, उसके बाद आए बदलावों को भी दुनिया के सामने रखने में सफलता मिली है। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को पीछे छोड़कर जम्मू-कश्मीर अब विकास के रास्ते पर बढ़ चला है। आतंकवाद के चलते घाटी से दूर हुई बॉलीवुड ने अब स्विटजरलैंड के बजाय दोबारा कश्मीर का रुख करना शुरू कर दिया है। तीन साल से अधिक समय में 370 फिल्मों की शूटिंग को मंजूरी मिलना इस बात का प्रमाण है कि अब यहां दहशत का माहौल नहीं है। बेखौफ होकर फिल्म उद्योग के लोग श्रीनगर, गुलमर्ग, पहलगाम तथा अन्य स्थलों पर पहुंच रहे हैं। कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ प्रो. हरि ओम बताते हैं कि जी20 से दुनिया को कई संदेश गए हैं। एक तो हम यह बताने में सफल हो सके हैं कि 370 हटाना क्यों जरूरी था। इससे पाकिस्तान के दुष्प्रचार पर भी ताला लगा है। दूसरा पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग थलग करने में भी कामयाबी मिली है।

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