डिस्काउंट बंद ! बढ़ गया जेब पर बोझ !

गैस कीमतों को लेकर हुआ ये बड़ा फैसला,जानकर लगेगा झटका...

डिस्काउंट बंद ! बढ़ गया जेब पर बोझ !

देश में महंगाई आम आदमी की जेब पर बोझ बढ़ा रही है और अब इस बोझ के और बढ़ने का रास्ता खुल गया है. देश में कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर पर मिलने वाली छूट को अब खत्म कर दिया गया है. इसके बाद कमर्शियल सिलेंडर पर दिया जाने वाला 200 से 300 रुपये तक का डिस्काउंट अब बंद हो गया है जिससे ये सिलेंडर जिन कम कीमतों पर मिलते थे वो नहीं मिल पाएंगे. इसके पीछे कारण बताया जा रहा है कि सरकारी तेल कंपनियां वैसे तो घरेलू एलपीजी सिलेंडर पर हो रहे घाटे की पूर्ति के लिए सरकार से मांग कर रही थीं वहीं कमर्शियल सिलेंडर पर डिस्काउंट दे रही थीं. 

इसके चलते कीमतों में असमानता देखी जा रही थी जिसे दूर करने के लिए ये फैसला लिया गया है. हालांकि इस बात की भी संभावना जताई जा रही है कि अब ग्राहक फिर से घरेलू एलपीजी सिलेंडरों की खपत बढ़ाएंगे.इस फैसले के कारण तेल कीमतों पर भी असर देखा जा सकता है क्योंकि जिस राशि को वो डिस्ट्रीब्यूटर्स को डिस्काउंट के रूप में दे रही थीं वो अब घट जाएगा. पेट्रोल-डीजल की रिटेल बिक्री कीमतों में इसके चलते कटौती देखी जा सकती है और ये आपके लिए सस्ते हो सकते हैं.

तीनों सरकारी तेल कंपनियों ने जारी किए आदेश

डिस्ट्रीब्यूटर्स द्वारा कमर्शियल सिलेंडर पर ज्यादा डिस्काउंट दिए जाने की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया गया है. तीनों सरकारी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और एचपीसीएल व बीपीसीएल  ने अपने डिस्ट्रीब्यूटर्स से कह दिया है कि वो उस डिस्काउंट को बंद कर दें. ये फैसला 8 नवंबर 2022 से लागू हो चुका है और इस बारे में आदेश भी आ चुके हैं.

एचपीसीएल 

एचपीसीएल ने ये फैसला अपने सभी कमर्शियल सिलेंडर जिनमें 19 किलोग्राम, 35 किलोग्राम, 47.5 किलोग्राम और 425 किलोग्राम वाले सिलेंडर हैं-उन पर लागू कर दिया है. 

इंडियन ऑयल 

नए फैसले के मुताबिक इंडियन ऑयल ने भी आदेश जारी कर दिया है कि उसके इंडेन सिलेंडर जिनमें 19 किलोग्रम और 47.5 किलोग्राम के सिलेंडर शामिल हैं उन्हें ग्राहक और डिस्ट्रीब्यूटर को बिना किसी डिस्काउंट के बेचा जाए. आईओसी के मुख्य महाप्रबंधक के निकाले गए पत्र से ये साफ हुआ है. 

आईओसी

आईओसी ने ये भी कहा है कि इंडेन जम्बो (425 किलोग्राम) वाले सिलेंडर के लिए प्लांट बेसिक प्राइस के 5000 रुपये प्रति मीट्रिक टन (जीएसटी पूर्व) से ज्यादा का डिस्काउंट ना दिया जाए. साथ ही नैचुरल गैस की उपलब्धता वाले मार्केट में डिस्काउंट की सीमा उस स्तर तक तय की जानी चाहिए जिससे कि ये प्रति किलो 5 रुपये वाले डिस्काउंट से ज्यादा ना हो सके.

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