मैं मोबाइल हूँ जी मेरी भी सुनो जी
मगर मेरा प्रयोग सावधानी से करना...
मैं नींदें चुरा लेता हूँ ,मैं चैन चुरा लेता हूँ ,
मैं आंखों की रोशनी ही, मिटा देता हूँ l
मैं मोबाइल हूँ जी....
मैं कलियुग के,समुद्र-मंथन से निकला एक
वैज्ञानिक कलश हूँ ,मुझमें अमृत भी है और जहर भी है...
मैं युवाओं का तेज ,मिटा देता हूँ l
मैं मोबाइल हूँ जी...
ज्यों-ज्यों आपको, मेरी लत लग जाएगी ,
त्यों-त्यों आप पर हावी,होता जाऊँगा...
मैं आपको उन लोगों से दूर कर दूंगा ,
जो आपके बहुत करीबी हैं l
मैं मोबाइल हूँ जी...
आजकल मैं बड़ा काम कर रहा हूँ...
दूकानों और रोजगारों को खा रहा हूँ ,
लोग मेरे द्वारा आनलाइन,सब कुछ मंगाने के आदी होते जा रहे हैं
एक दिन ऐसा आएगा जब , बाजारों में सन्नाटा दिखाई देगा ।
मैं मोबाइल हूँ जी...
ना आपके पास खेलने का, वक्त छोड़ूँगा
और ना कसरत करने का...
यहाँ तक कि आपकी, कार्य क्षमता भी...
आधी कर दूंगा,आप काम कम करेंगे
मुझमें लिप्त ज्यादा रहेंगे...
मैं मोबाइल हूँ जी...
मैं टॉर्च को खा गया , मैं टेप-रिकार्डर को खा गया ,
मैं कैमरे को खा गया...
मैंने गली-नुक्कड़ के सारे खेल,निगल लिए,
अब बच्चों का बचपन खा-खा कर,और भी मजबूत होता जा रहा हूँ...
मैं मोबाइल हूँ जी...
मैं बड़े काम की चीज हूँ,आज मैं हर इंसान की जरूरत हूँ
आज दूनिया का सबसे ताकतवर,चीज भी मैं हूँ...
जानते हो क्यों , कैसे हुआ मैं, इतना मजबूत और बलशाली ?
मैं मोबाइल हूँ जी...
मैं किताबें खा गया,मैं कैलकुलेटर खा गया
बहुत छोटा सा हूँ , मगर मैंने बड़े पर्दे वाले
सिनेमाघरों को भी खा गया ।
मैं मोबाइल हूँ जी...
मैं बच्चों का बचपन खा गया,मैं जवानों की जवानी खा गया...
नहीं मिटी भूख मेरी,मैं दादा-दादी , नाना-नानी की
कहानी खा गया ।
मैं मोबाइल हूँ जी..
हां जी भाइयों,मैं वही मोबाइल हूँ जी,जो अभी आपके हाथ में है...
और मेरे चक्रवर्ती बनने की दास्तां आप पढ़ रहे हो...
पहचान लो मुझे...मैं मोबाइल हूँ जी l
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