जानबूझकर सूचना छुपाने में दूसरे नंबर पर है मध्यप्रदेश !

 222 अफसरों पर लग चुका जुर्माना...

जानबूझकर सूचना छुपाने में दूसरे नंबर पर है मध्यप्रदेश !


भोपाल l सूचना के अधिकार के तहत जनहित से जुड़ी जानकारियां देने में जानबूझकर लापरवाही के मामले में मध्यप्रदेश के अफसर कर्नाटक के बाद दूसरे नंबर पर हैं। बीते एक साल में आरटीआई एक्ट के उल्लंघन पर मप्र के 222 अफसरों पर 47.50 लाख रुपए की पेनॉल्टी राज्य सूचना आयोग ने लगाई है। पेनॉल्टी की यह राशि 1 जुलाई 2021 से 30 जून 2022 के बीच की है। यह राशि कर्नाटक के बाद सर्वाधिक है। सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए काम करने वाली संस्था सतर्क नागरिक संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक साल में मप्र में आरटीआई में जानकारी नहीं दिए जाने की 9005 शिकायतें और अपीलों का निराकरण किया गया हैं। वहीं इस अवधि में 8413 नई सेकंड अपीलें भी दायर हुई हैं। वर्तमान में आरटीआई की 5929 सेकंड अपीलें राज्य सूचना आयोग में लंबित हैं।

मप्र राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा आयुक्तों के 10 पद हैं, जिनमें से 7 खाली हैं। एक साल से सूचना आयुक्तों की नियुक्ति प्रकिया चल रही है। नवंबर 2021 में सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए आवेदन बुलाए थे। 121 दावेदारों ने आवेदन किए। इनमें रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस, कई रिटायर्ड जज से लेकर पत्रकार भी शामिल हैं। लेकिन आवेदन जमा होने के पूरे एक साल बाद भी कोई नई नियुक्ति नहीं हो सकी है। राज्य सूचना आयोग के अवर सचिव कृष्णकांत खरे का कहना है कि नियुक्ति प्रक्रिया पूरी तरह से जीएडी के अधीन हैं। इसमें आयोग का कोई दखल नहीं हैं। वर्तमान में मुख्य सूचना आयुक्त एके शुक्ला के अलावा तीन सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी, अरुण कुमार पांडेय और राहुल सिंह कार्यरत हैं।

सतर्क नागरिक संगठन के मुताबिक मप्र में अपीलों के निराकरण की रफ्तार को देखा जाए, तो मौजूदा अपीलों के निपटारे में अभी 8 महीने का वक्त लगेगा। नई अपीलों की सुनवाई का नंबर इनके बाद ही आ सकेगा।अफसरों पर पेनाॅल्टी लगाने के मामले में कर्नाटक देशभर में अव्वल है। कर्नाटक ने 1265 अफसरों पर 1.04 करोड़ की पेनाॅल्टी एक साल में लगाई है। हरियाणा 161 अफसरों पर 38.81 लाख के साथ मप्र के बाद तीसरे स्थान पर है। 

आरटीआई का उल्लंघन करने में कर्नाटक देश में नंबर वन, राज्य सूचना आयोग में 5 हजार से ज्यादा सेकंड अपीलें अभी लंबित, खाली पड़े हैं आयुक्तों के 7 पद, एक साल से चल रही नियुक्ति प्रक्रिया

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