जयशंकर का अमेरिका को जवाब !
रूसी विदेश मंत्री के सामने बोले जयशंकर जिससे फायदा होगा, उससे खरीदेंगे तेल
नई दिल्ली l विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ विस्तृत चर्चा के बाद स्पष्ट संकेत दिया कि पश्चिमी ताकतों से बिना प्रभावित हुए भारत, रूस से कच्चे तेल का आयात जारी रखेगा। लावरोव के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर ने कहा, ‘‘ यह सुनिश्चित करना हमारी बुनियादी जिम्मेदारी है कि अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के बाजार में भारतीय उपभोक्ताओं को सबसे लाभप्रद शर्तो पर, सबसे बेहतर पहुंच हासिल हो।'' ज्ञात हो कि एक आंकड़े के अनुसार, अक्टूबर माह में रूस, भारत का बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया और उसने पारंपरिक विक्रेता सऊदी अरब और इराक को पीछे छोड़ दिया। जयशंकर ने कहा, ‘‘ जहां तक तेल आपूर्ति का सवाल है, सबसे पहली बात यह है कि ऊर्जा बाजार को दबाव को सामना करना पड़ रहा है। यह दबाव कई तत्वों के मिलने के कारण उत्पन्न हुआ है।''
उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन दुनिया में तेल एवं गैस का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश होने के नाते, यह सुनिश्चित करना हमारी बुनियादी जिम्मेदारी है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय उपभोक्ताओं को सबसे लाभप्रद शर्त पर, सबसे बेहतर पहुंच हासिल हो, जहां उपभोक्ताओं की आय का स्तर काफी ऊंचा नहीं है।'' विदेश मंत्री जयशंकर से पूछा गया था कि क्या रूस से कच्चा तेल आयात करने को लेकर भारत पर पश्चिमी देशों का दबाव है? जयशंकर ने कहा, ‘‘ इस संबंध में, ईमानदारी से.. हमने देखा है कि भारत-रूस संबंध हमारे लिए फायदे के रहे हैं। इसलिए अगर यह हमारे फायदे में काम करेगा, तब मैं इसे जारी रखना चाहूंगा।'' विदेश मंत्री ने भारत रूस आर्थिक संबंधों के सर्वांगीण विकास का संकल्प दोहराया। जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस के संबंध ‘असाधारण' रूप से दृढ़ और समय की कसौटी पर खरे साबित हुए हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि अब आर्थिक सहयोग बढ़ने की पृष्ठभूमि में दोनों देशों का उद्देश्य एक संतुलित, परस्पर लाभकारी और दीर्घकालिक साझेदारी के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना होना चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा कि इसलिए अगर यह कई दशकों से हमारे देश के लिए काम कर रहे हैं तब आप देखेंगे कि इस संबंध को मजबूत और दृढ़ बनाने के रास्तों पर ध्यान कैसे दें ।जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ाने के रास्तों पर ध्यान दे रहे हैं और दीर्घकालिक स्थिरता के लिये कई तत्वों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘ इस बारे में कुछ चर्चाओं का परिणाम अब सामने आ रहा है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने और विदेश मंत्री लावरोव ने इस बात का संज्ञान लिया कि इस वर्ष हमारे द्विपक्षीय कारोबार में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है और अब इसे टिकाऊ बनाने पर ध्यान रहेगा। हम निश्चित तौर पर व्यापार असंतुलन को लेकर चिंतित हैं और हमने इस विषय को रूसी पक्ष के समक्ष उठाया है।'' जयशंकर ने कहा कि ऊर्जा और उर्वरक क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच सहयोग मजबूत हुआ है।
उन्होंने कहा कि हम पारंपरिक क्षेत्र से इतर भी अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान देंगे। उन्होंने कहा कि हमने अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण कॉरिडोर सहित सम्पर्क, चेन्नई ब्लादिवोस्तक पूर्वी नौवहन कॉरिडोर सहित सम्पर्क बढ़ाने को लेकर भी चर्चा की। ज्ञात हो कि जयशंकर सोमवार शाम दो दिवसीय यात्रा पर मास्को पहुंचे। उनकी यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण वैश्विक चिंताएं बढ़ रही हैं। जयशंकर की रूस यात्रा काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यह इंडोनेशिया के बाली में होने वाली जी20 समूह की शिखर बैठक से एक सप्ताह पहले हो रही है जहां यूक्रेन संघर्ष एवं इसके प्रभाव को लेकर सघन चर्चा होना तय माना जा रहा है। यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद जयशंकर की यह पहली मास्को यात्रा है ।
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